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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 25 Mar, 2023
  • 18 min read
प्रारंभिक परीक्षा

सागर मंथन डैशबोर्ड

हाल ही में केंद्रीय बंदरगाह, नौवहन और जलमार्ग मंत्रालय (Ministry of Ports, Shipping and Waterways- MoPSW) द्वारा 'सागर मंथन' डैशबोर्ड का शुभारंभ किया गया।

सागर मंथन डैशबोर्ड:

  • परिचय:
    • यह MoPSW का रीयल-टाइम प्रदर्शन निगरानी डैशबोर्ड है जो उसकी परियोजनाओं की प्रगति की निगरानी और परिवीक्षण करेगा।
    • इस नए डिजिटल प्लेटफॉर्म में मंत्रालय और अन्य सहायक कंपनियों से संबंधित सभी डेटा को एकीकृत किया गया है।
  • विशेषताएँ:
    • डेटा विज़ुअलाइज़ेशन
    • वास्तविक समय में निगरानी
    • बेहतर संचार
    • डेटा-संचालित निर्णय लेना
    • उत्तरदायित्त्व में वृद्धि
  • महत्त्व:
    • यह डैशबोर्ड डिजिटल इंडिया की कल्‍पना की दिशा में एक सकारात्मक प्रगति है।
    • यह प्रभावी परियोजना निगरानी परियोजनाओं के समय पर पूरा होने, सूचित निर्णय लेने, परियोजनाओं की दक्षता और प्रभावशीलता में वृद्धि सुनिश्चित कर सकती है।
    • यह रीयल-टाइम प्रोजेक्ट ट्रैकिंग, जोखिम प्रबंधन, संसाधन आवंटन और प्रगति रिपोर्टिंग को भी बढ़ावा देगा।

निष्कर्ष:

'सागर मंथन' डैशबोर्ड का शुभारंभ समुद्री परिवहन क्षेत्र में डिजिटलीकरण और पारदर्शिता की दिशा में एक प्रगति है तथा बंदरगाह, नौवहन और जलमार्ग मंत्रालय भारत में इस क्षेत्र के विकास में सहयोग करने के लिये प्रतिबद्ध है।

स्रोत: पी.आई.बी.


प्रारंभिक परीक्षा

भारतीय विधायिका में गिलोटिन

संसद में गतिरोध के कारण सरकार अनुदान मांगों को गिलोटिन कर सकती है और बिना किसी चर्चा के वित्त विधेयक पारित कर सकती है।

  • कानूनी शब्दावली में "गिलोटिन" शब्द का वास्तव में क्या अर्थ है इस बारे में इसने अनिश्चितता और संदेह की स्थिति उत्पन्न की है।

गिलोटिन

  • गिलोटिन शब्द मूल: सिर काटकर मृत्युदंड देने हेतु डिज़ाइन किये गए उपकरण को संदर्भित करता है।
    • यह फ्राँसीसी क्रांति के दौरान फ्राँस में मृत्युदंड को अधिक विश्वसनीय और कम दर्दनाक बनाने के लिये पेश किया गया था।
  • विधायी बोलचाल में गिलोटिन का अर्थ है एक साथ समूह बनाना और वित्तीय विधेयक को पारित करने में तेज़ी लाना। बजट सत्र के दौरान लोकसभा में यह काफी सामान्य प्रक्रिया है।
    • एक बार गिलोटिन लागू हो जाने के बाद अनुदान की शेष मांगों को बिना किसी चर्चा के मतदान के लिये रखा जाता है।
    • यह सुनिश्चित करता है कि आवंटित समय के भीतर बजट पारित हो जाए और सरकार बिना किसी देरी के अपना काम जारी रख सके।

गिलोटिन संसदीय प्रक्रिया:

  • बजट पेश किये जाने के बाद संसद में लगभग तीन सप्ताह का अवकाश रहता है, इस दौरान सदन की स्थायी समितियाँ विभिन्न मंत्रालयों के लिये अनुदान की मांगों पर विचार करती हैं एवं रिपोर्ट तैयार करती हैं।
  • कभी-कभी समय की कमी को देखते हुए सदन सभी मंत्रालयों की व्यय मांगों पर विचार नहीं कर पाती है; इसलिये कार्य मंत्रणा समिति चर्चा के लिये कुछ महत्त्वपूर्ण मंत्रालयों की पहचान करती है; आमतौर पर गृह, रक्षा, विदेश मंत्रालय, कृषि, ग्रामीण विकास और मानव संसाधन विकास मंत्रालय।
  • सदन में वाद-विवाद समाप्त हो जाने के बाद लोकसभा अध्यक्ष "गिलोटिन" लागू करता है, और समय बचाने के लिये अनुदान संबंधी सभी लंबित मांगों (जिन पर चर्चा हुई हो या नहीं हुई हो) तथा विधेयक/संकल्प के अविचारित खंडों पर एक ही बार में मतदान किया जाता है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


प्रारंभिक परीक्षा

हाथियों की DNA प्रोफाइलिंग

'प्रोजेक्ट एलीफेंट' के 30 वर्ष पूरे होने का जश्न मनाते हुए MoEF&CC ने बेहतर सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से 270 हाथियों के DNA (डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड) प्रोफाइलिंग को पूरा करने की घोषणा की है।

परियोजना:

  • वन अधिकारियों हेतु गज सूचना मोबाइल एप्लीकेशन DNA प्रोफाइलिंग अगस्त 2022 में शुरू की गई थी।
    • DNA प्रोफाइलिंग वह प्रक्रिया है जिसमें एक विशिष्ट DNA पैटर्न, जिसे प्रोफाइल कहा जाता है, को शारीरिक ऊतक के नमूने से प्राप्त किया जाता है।
  • DNA प्रोफाइलिंग 'बंदी हाथियों के आधार कार्ड' के रूप में कार्य करेगी।
    • इसके लिये बंदी हाथियों पर पहले इलेक्ट्रॉनिक चिप लगाया गया था, लेकिन यह विधि सफल नहीं रही।
  • मोबाइल एप के साथ वन अधिकारी प्रत्येक हाथी की पहचान कर सकते हैं तथा उसे ट्रैक कर सकते हैं और इसलिये उसके स्थानांतरण, जो अक्सर बंदी हाथियों के मामले में देखा जाता है, को दर्ज किया जा सकता है।
  • हाथियों की प्रोफाइलिंग के बाद उनके बारे में अनूठी जानकारी प्राप्त करने सहित हाथियों की देखभाल पर अधिक ध्यान दिया जा सकता है।
    • प्रोजेक्ट टाइगर के विपरीत प्रोजेक्ट एलीफेंट का उद्देश्य बंदी हाथियों के कल्याण और स्वास्थ्य पर भी ध्यान देना है।

प्रोजेक्ट एलीफेंट:

  • इसे वर्ष 1992 में हाथियों की रक्षा और उनके आवास और गलियारों में सुधार, मानव-हाथी संघर्ष को कम करने एवं उनके कल्याण को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से केंद्र प्रायोजित योजना के रूप में शुरू किया गया था।
  • 80,777 वर्ग किमी. में फैले हाथियों के 33 रिज़र्व को अधिसूचित किया गया है।
  • यह राज्यों द्वारा जंगली एशियाई हाथियों की मुक्त-आबादी के लिये वन्यजीव प्रबंधन प्रयासों को वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान करता है।
  • परियोजना का उद्देश्य हाथियों, उनके आवासों एवं प्रवासन गलियारों की रक्षा कर उनके प्राकृतिक आवासों में हाथियों की आबादी के दीर्घकालिक अस्तित्त्व को सुनिश्चित करना है।
  • प्रोजेक्ट एलीफेंट का अन्य लक्ष्य हाथियों के पारिस्थितिकी और प्रबंधन हेतु अनुसंधान का समर्थन करना, स्थानीय लोगों के बीच संरक्षण के बारे में जागरूकता पैदा करना तथा बंदी हाथियों के लिये बेहतर पशु चिकित्सा देखभाल प्रदान करना।

भारत में हाथियों की जनसंख्या:

  • वैश्विक रूप से बंदी एशियाई हाथियों की आबादी का 20% भारत में निवास माना जाता है, किंतु बंदी हाथियों की गणना नियमित रूप से नहीं की जाती है।
  • भारत में एशियाई हाथियों की सबसे बड़ी और स्थिर आबादी है, जहाँ 60% से अधिक जंगली एशियाई हाथी भारत में हैं।
    • नीलगिरि क्षेत्र में विश्व की लुप्तप्राय एशियाई हाथी की सबसे बड़ी एकल आबादी है।
  • वर्ष 2017 में आयोजित अंतिम हाथी जनगणना में हाथियों की संख्या 29,964 दर्ज की गई थी जो भारतीय संस्कृति में निहित वन्यजीव संरक्षण के प्रति उत्साह को दर्शाती है।
    • हाथियों की जनगणना (वर्ष 2017) के अनुसार, कर्नाटक में हाथियों की संख्या सबसे अधिक (6,049) है, इसके बाद असम (5,719) एवं केरल (3,054) का स्थान है।

हाथियों से संबंधित प्रमुख बिंदु:

  • एशियाई हाथी: एशियाई हाथी की तीन उप-प्रजातियाँ, भारतीय, सुमात्रन और श्रीलंकाई हैं।
  • अफ्रीकी हाथी: अफ्रीकी हाथियों की दो उप-प्रजातियाँ हैं, सवाना (या झाड़ी) हाथी और वन हाथी।
  • चिंताएँ:
    • हाथियों के शिकार में वृद्धि।
    • प्राकृतिक वास की क्षति।
    • मानव-हाथी संघर्ष।
    • संरक्षण हेतु कैद में रखे जाने के दौरान अनुचित प्रबंधन।
    • हाथियों के पर्यटन से संबंधित नुकसान।

संरक्षण के लिये उठाए गए कदम:

  • लैंटाना और यूपेटोरियम (आक्रामक प्रजातियों) को नष्ट करना क्योंकि ये प्रजातियाँ हाथियों के खाने योग्य घास के विकास में बाधक है।
  • गज यात्रा हाथी गलियारों को सुरक्षित करने की आवश्यकता को उजागर करने के लिये एक राष्ट्रव्यापी जागरूकता अभियान है।
  • हाथियों की अवैध हत्या की निगरानी (Monitoring of Illegal Killing of Elephants- MIKE) कार्यक्रम, वर्ष 2003 में शुरू किया गया एक अंतर्राष्ट्रीय सहयोग है जो पूरे अफ्रीका और एशिया से हाथियों की अवैध हत्या से संबंधित जानकारी के रुझानों को ट्रैक करता है, ताकि क्षेत्र संरक्षण प्रयासों की प्रभावशीलता की निगरानी की जा सके।
  • महावत (जो लोग हाथी के साथ काम करते हैं, उसकी सवारी करते हैं और उसकी देखभाल करते हैं) एवं उनके परिवार हाथियों के कल्याण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय (SC) ने नीलगिरि हाथी गलियारे पर मद्रास उच्च न्यायालय (HC) के वर्ष 2011 के आदेश को बरकरार रखा, जिसमें जानवरों के आवागमन और क्षेत्र में रिसॉर्ट्स को बंद करने के अधिकार की पुष्टि की गई थी।

 UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न: 

प्रश्न. भारतीय हाथियों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2020)

  1. हाथियों के समूह का नेतृत्त्व मादा करती है।
  2. हाथियों की अधिकतम गर्भावधि 22 माह तक हो सकती है।
  3. सामान्यतः हाथी में 40 वर्ष की आयु तक ही बच्चे पैदा करने की क्षमता होती है।
  4. भारत के राज्यों में हाथियों की सर्वाधिक संख्या केरल में है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 4
(c) केवल 3
(d) केवल 1, 3 और 4

उत्तर: (a)

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 25 मार्च, 2023

प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना

हाल ही में केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (Pradhan Mantri Ujjwala Yojana- PMUY) के तहत 200 रुपए प्रति गैस सिलेंडर सब्सिडी को एक वर्ष हेतु और बढ़ा दिया, जिससे 9.59 करोड़ लाभार्थी लाभान्वित हुए। सब्सिडी सीधे पात्र लाभार्थियों के बैंक खातों में जमा की जाती है। विभिन्न भू-राजनीतिक कारकों के कारण अंतर्राष्ट्रीय तरलीकृत पेट्रोलियम गैस (Liquefied Petroleum Gas- LPG) की कीमतों में तेज़ वृद्धि के मद्देनज़र सरकार ने PMUY लाभार्थियों को उच्च LPG कीमतों से बचाने का फैसला किया है। PMUY भारत में आर्थिक रूप से कमज़ोर परिवारों को LPG उपलब्ध कराने के उद्देश्य से भारत सरकार द्वारा वर्ष 2016 में शुरू की गई एक सरकार की प्रमुख योजना है। इस योजना का उद्देश्य खाना पकाने हेतु स्वच्छ ईंधन (LPG) प्रदान कर महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य की रक्षा करना है।
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रेडियोधर्मी सुनामी

उत्तर कोरिया ने "हैइल", जो कि कोरियाई शब्द है और जिसका अर्थ ज्वार की लहरें या सुनामी है, नामक एक परमाणु-सक्षम अंडरवाटर ड्रोन का परीक्षण करने का दावा किया है, जिसे एक विशाल "रेडियोधर्मी सुनामी" उत्पन्न करने के लिये डिज़ाइन किया गया है। जल के भीतर हुए परमाणु विस्फोट को सैद्धांतिक रूप से रेडियोधर्मी सुनामी कहा जा सकता है। इस ड्रोन को तट पर ही तैनात किया जा सकता है या सतही जहाज़ों की सहायता से एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जा सकता है और इसे "जल के नीचे विस्फोट के माध्यम से विशाल रेडियोधर्मी सुनामी उत्पन्न करने" के लिये बनाया गया है तथा परिचालनीय जल (operational waters) में घुसपैठ के दौरान इसे ट्रैक नहीं किया जा सकता है, इस प्रकार यह नौसेना के हमलावर समूहों और बंदरगाहों को नष्ट करने में सक्षम है।

डिजीक्लेम

डिजीक्लेम (DigiClaim) एक डिजिटाइज़्ड क्लेम भुगतान मॉड्यूल है जिसे हाल ही में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के तहत लॉन्च किया गया है। इस मॉड्यूल के लॉन्च होने के साथ दावों (Claim) का निपटान इलेक्ट्रॉनिक रूप से किया जाएगा, जिससे छह राज्यों के संबंधित किसानों को लाभ होगा। राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड और हरियाणा राज्यों में बीमित किसानों को 23 मार्च, 2023 को कुल 1260.35 करोड़ रुपए का बीमा दावा निपटान किया गया है। स्वचालित दावा निपटान प्रक्रिया सभी बीमित किसानों के जीवन को आसान बनाने और उन्हें स्थायी वित्तीय प्रवाह और सहायता प्रदान करने के लिये एक सतत् गतिविधि होगी। किसानों के दावों को पारदर्शी एवं ज़िम्मेदारी के साथ सीधे उनके संबंधित बैंक खातों में प्रेषित किया जाएगा। इस तकनीक को राष्ट्रीय फसल बीमा पोर्टल (NCIP) एवं सार्वजनिक वित्त प्रबंधन प्रणाली (PFMS) के एकीकरण के माध्यम से सक्षम किया गया है।
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एबेल पुरस्कार

लुइस कैफरेली ने गैर-रैखिक आंशिक अंतर समीकरणों के लिये नियमितता सिद्धांत में उनके योगदान हेतु वर्ष 2023 का एबेल पुरस्कार जीता है, जिसमें मुक्त-सीमा समस्याएँ और मोंगे-एम्पीयर समीकरण शामिल हैं। एबेल पुरस्कार गणित के क्षेत्र में एक प्रतिष्ठित पुरस्कार है जो गणित में अग्रणी वैज्ञानिक उपलब्धियों को मान्यता देता है। इसका नाम नार्वे के गणितज्ञ नील्स हेनरिक एबेल के नाम पर रखा गया है। नार्वेजियन संसद ने वर्ष 2002 में पुरस्कार की स्थापना की और इसमें 7.5 मिलियन क्रोनर (लगभग $720,000) का मौद्रिक पुरस्कार और एक काँच पट्टिका शामिल है। यह नॉर्वे के शिक्षा मंत्रालय की ओर से नॉर्वेजियन एकेडमी ऑफ साइंस एंड लेटर्स द्वारा प्रदान किया जाता है।
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