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ई-डीएनए के माध्यम से जानवरों को ट्रैक करना

  • 08 Jan 2022
  • 5 min read

ई-डीएनए के माध्यम से जानवरों को ट्रैक करना

कुछ अध्ययनों के अनुसार हवा में तैरता डीएनए (यानी ई-डीएनए) दुनिया भर में जैव विविधता संरक्षण के प्रयासों को बढ़ावा दे सकता है।

प्रमुख बिंदु

  • परिचय:
    • दो टीमों के शोधकर्ताओं ने यह बताया है कि पर्यावरण डीएनए (e-DNA) संभावित रूप से स्थलीय जानवरों की पहचान और निगरानी कर सकता है।
      • जानवर अपनी सांस, लार, फर या मल के माध्यम से पर्यावरण में डीएनए को छोड़ते हैं और इन नमूनों को ई-डीएनए कहा जाता है।
    • एयरबोर्न ई-डीएनए नमूनाकरण एक बायोमाॅनिटरिंग विधि है जो जीवविज्ञानियों और संरक्षणवादियों के बीच लोकप्रियता से बढ़ रही है क्योंकि यह प्रचुर मात्रा में जानकारी प्रदान करती है।
  • महत्त्व:
    • यह पशु समुदायों की संरचना को समझने और गैर-देशी प्रजातियों के प्रसार का पता लगाने में मदद कर सकती है।
    • कुछ परिवर्तनों के बाद लुप्तप्राय प्रजातियों की निगरानी हेतु यह विधि मौजूदा तकनीकों के साथ बेहतर काम करेगी।    
      • आमतौर पर जीवविज्ञानी जानवरों को व्यक्तिगत रूप से या जानवरों के पैरों के निशान या मल से डीएनए प्राप्त कर उसका विश्लेषण करते हैं, जिसके कारण व्यापक स्तर पर फील्डवर्क की आवश्यकता होती है।
      • डीएनए प्राप्त करने हेतु जानवरों को खोजना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, खासकर अगर वे दुर्गम आवासों में रहते हैं।
    • यह लंबी दूरी के प्रवासी पक्षियों और अन्य पक्षियों के उड़ने के पैटर्न को ट्रैक करने में सहायता कर सकता है। यह कीड़ों सहित छोटे जानवरों के डीएनए को भी कैप्चर कर सकता है।
      • पिछले साल (2021), एक प्रूफ-ऑफ-कॉन्सेप्ट अध्ययन ने स्थलीय कीड़ों की निगरानी के लिये एयरबोर्न ई-डीएनए का इस्तेमाल किया था।
    • जैसे-जैसे वन्यजीव पारिस्थितिकी तंत्र जलवायु परिवर्तन के खतरनाक प्रभावों के कारण तीव्रता से बेहद अराजक हो जाते हैं, स्थलीय जैव-निगरानी तकनीकों से सटीक और समय पर निगरानी हेतु अनुकूलन और तीव्र प्रगति की उम्मीद की जाती है।
  • संबंधित पहलें:
    • ग्लोबल ईडीएनए प्रोजेक्ट: अक्तूबर 2021 में यूनेस्को द्वारा समुद्री विश्व धरोहर स्थलों पर जलवायु परिवर्तन के लिये प्रजातियों की भेद्यता का अध्ययन करने हेतु इस परियोजना की शुरूआत की गई।

DNA 

  • डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड को संक्षिप्त में डीएनए कहते है। यह जीवों का वंशानुगत पदार्थ होता है जिसमें जैविक निर्देश होते हैं।
  • डीएनए की रासायनिक संरचना सभी जीवों के लिये समान होती है, लेकिन डीएनए बिल्डिंग ब्लॉक्स के क्रम में अंतर मौजूद होता है, जिसे बेस पेयर (Base Pairs) के रूप में जाना जाता है।
  • बेस पेयर के अनूठे क्रम, विशेष रूप से दोहराए जाने वाले पैटर्न, प्रजातियों, आबादी और यहाँ तक कि व्यक्तियों की पहचान करने हेतु एक साधन प्रदान करते हैं।

पर्यावरणीय डीएनए (e-DNA):

  • पर्यावरणीय डीएनए (ई-डीएनए) परमाणु या माइटोकॉन्ड्रियल डीएनए है जो एक जीव द्वारा पर्यावरण में छोड़ा जाता है।
  • ईडीएनए के स्रोतों में गुप्त मल, श्लेष्मा और युग्मक शामिल हैं, जैसे- त्वचा और बाल और शव। e-DNA का पता कोशिकीय या बाह्य कोशिकीय (घुलित डीएनए) रूप में लगाया जा सकता है।
  • जलीय वातावरण में e-DNA पतला तथा धाराओं और अन्य हाइड्रोलॉजिकल प्रक्रियाओं द्वारा वितरित किया जाता है, लेकिन यह पर्यावरणीय परिस्थितियों के आधार पर केवल 7-21 दिनों तक रहता है।
  • UVB विकिरण, अम्लता, गर्मी और एक्सोन्यूक्लिअस के संपर्क में आने से ई-डीएनए खराब हो सकता है।

स्रोत- द हिंदू

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