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प्रिलिम्स फैक्ट्स

प्रारंभिक परीक्षा

सेशेल्स कोलंबो सिक्योरिटी कॉन्क्लेव (CSC) में शामिल

स्रोत: द हिंदू 

चर्चा में क्यों?

नई दिल्ली में कोलंबो सिक्योरिटी कॉन्क्लेव (CSC) की 7वीं राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA)-स्तरीय बैठक आयोजित की गई, जहाँ सेशेल्स को 6वें पूर्ण सदस्य के रूप में शामिल किया गया। यह कदम इस समूह के महत्त्वपूर्ण विस्तार को दर्शाता है और हिंद महासागर क्षेत्र की सुरक्षा में इसकी भूमिका को और सुदृढ़ करता है।

कोलंबो सिक्योरिटी कॉन्क्लेव (CSC) के मुख्य तथ्य क्या हैं?

  • परिचय: CSC एक क्षेत्रीय सुरक्षा समूह है, जिसमें भारत, बांग्लादेश, श्रीलंका, मालदीव, मॉरीशस और सेशेल्स शामिल हैं।
    • इसका उद्देश्य सदस्य देशों द्वारा साझा किये गए अंतर्राष्ट्रीय खतरों और चुनौतियों का समाधान करके क्षेत्रीय सुरक्षा को मज़बूत करना है।
    • यह समूह राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों (NSA) और डिप्टी-NSA को एक साथ लाकर समन्वित सुरक्षा सहयोग को बढ़ावा देता है।
  • उत्पत्ति और विकास: यह वर्ष 2011 में भारत, मालदीव और श्रीलंका के बीच त्रिपक्षीय समुद्री सुरक्षा सहयोग के रूप में शुरू हुआ।
    • वर्ष 2014 के बाद भारत–मालदीव तनाव और बदलते भू-राजनीतिक परिदृश्यों के कारण इसकी गतिविधियाँ धीमी पड़ गईं।
    • वर्ष 2020 में CSC के रूप में पुनर्जीवित और पुनः ब्रांडेड किया गया। मॉरीशस (2022), बांग्लादेश (2024) और सेशेल्स (2025) के साथ सदस्यता का विस्तार किया गया।
  • उद्देश्य: सदस्य देशों से जुड़े सामान्य हितों वाले अंतर्राष्ट्रीय खतरों और चुनौतियों का समाधान करते हुए क्षेत्रीय सुरक्षा को बढ़ावा देना।
  • सहयोग के स्तंभ:
    • समुद्री सुरक्षा और संरक्षा
    • आतंकवाद और उग्रवाद का मुकाबला
    • तस्करी और अंतर्राष्ट्रीय संगठित अपराधों से निपटना
    • साइबर सुरक्षा और महत्त्वपूर्ण अवसंरचना की रक्षा
    • मानवीय सहायता और आपदा राहत (HADR)
  • संस्थागत संरचना: इसका एक स्थायी सचिवालय कोलंबो में स्थित है, जो समूह के लिये निरंतरता और समन्वय सुनिश्चित करता है।
    • CSC सदस्य देशों के NSA और डिप्टी-NSA की बैठकों के माध्यम से कार्य करता है।
  • भारत के लिये महत्त्व: CSC छह समान विचारधारा वाले तटीय राज्यों के बीच समन्वित समुद्री सुरक्षा, आतंकवाद विरोधी सहयोग और साइबर अनुकूलता को बढ़ावा देकर भारतीय महासागर क्षेत्र में भारत के रणनीतिक प्रभाव को मज़बूत करने के लिये महत्त्वपूर्ण है।
    • नियमित NSA-स्तरीय संवाद को संस्थागत रूप देकर, CSC भारत की ‘नेबरहुड फर्स्ट’ नीति और SAGAR (सिक्योरिटी एंड ग्रोथ फॉर ऑल इन द रीज़न) दृष्टि को सुदृढ़ करता है तथा एक अधिक स्थिर, सुरक्षित और नियम-आधारित क्षेत्रीय व्यवस्था के निर्माण में योगदान देता है।

सेशेल्स

  • सेशेल्स एक संप्रभु द्वीप राष्ट्र और 155 द्वीपों वाला द्वीपसमूह राज्य है, जो पश्चिमी हिंद महासागर में, मेडागास्कर के उत्तर-पूर्व में और मुख्य भूमि अफ्रीका के पूर्वी तट पर स्थित है।
    • सेशेल्स के द्वीप मस्कारेन पठार पर स्थित हैं, जो हिंद महासागर में एक विस्तृत पनडुब्बी पठार है।
  • यह अफ्रीका का सबसे छोटा और सबसे कम आबादी वाला देश है। 
  • राजधानी: विक्टोरिया (माहे द्वीप पर)।
  • भारत के लिये सामरिक महत्त्व:  यह हिंद महासागर में महत्त्वपूर्ण समुद्री व्यापार मार्गों पर स्थित है और समुद्री डकैती विरोधी अभियानों, समुद्री सुरक्षा और नीली अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • सेशेल्स भारत के सागर विज़न और हिंद महासागर कूटनीति में एक महत्त्वपूर्ण साझेदार है।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

1. कोलंबो सिक्योरिटी कॉन्क्लेव (CSC) क्या है?

CSC इंडियन ओशन देशों—इंडिया, बांग्लादेश, श्रीलंका, मालदीव, मॉरीशस और सेशेल्स—का एक रीज़नल सिक्योरिटी ग्रुप है, जो समुद्री और ट्रांसनेशनल सिक्योरिटी चुनौतियों से निपटने के लिये मिलकर कार्य करने पर फोकस करता है।

2. CSC के लिये सेशेल्स की सदस्यता क्यों ज़रूरी है?

सेशेल्स की स्ट्रेटेजिक लोकेशन और बड़ा EEZ, CSC के वेस्टर्न IOR फुटप्रिंट को मज़बूत करते हैं, जिससे भारत की SAGAR पहल के तहत समुद्री निगरानी, ​​एंटी-पायरेसी सहयोग और ब्लू इकोनॉमी पार्टनरशिप बढ़ती हैं।

3. CSC के तहत सहयोग के पाँच पिलर क्या हैं?

CSC समुद्री सुरक्षा और संरक्षा, आतंकवाद-रोधी और उग्रवाद-रोधी प्रयासों, मानव तस्करी तथा अंतर्राष्ट्रीय संगठित अपराध से निपटने, साइबर सुरक्षा और महत्त्वपूर्ण अवसंरचना की रक्षा तथा मानवीय सहायता और आपदा राहत (HADR) पर केंद्रित है।

4. CSC भारत के हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में रणनीतिक उद्देश्यों का समर्थन कैसे करता है?

NSA-स्तर के संवाद और परिचालन सहयोग को संस्थागत बनाकर, CSC भारत की क्षेत्रीय सुरक्षा प्रदाता के रूप में भूमिका को मज़बूत करता है, बाहरी प्रभाव का मुकाबला करता है और नियम-आधारित समुद्री व्यवस्था को बढ़ावा देता है।


प्रारंभिक परीक्षा

स्वदेशी TnpB-आधारित जीन संपादन तकनीक

स्रोत: IE

चर्चा में क्यों? 

ICAR के सेंट्रल राइस रिसर्च इंस्टीट्यूट (CRRI), कटक के भारतीय वैज्ञानिकों ने TnpB प्रोटीन्स का उपयोग करते हुए एक नई स्वदेशी जीनोम-संपादन (जीन एडिटिंग) तकनीक विकसित की है, जो वैश्विक स्तर पर पेटेंट किये गए CRISPR-Cas सिस्टम का एक कॉम्पैक्ट, कम लागत वाला और IP-मुक्त विकल्प प्रदान करती है।

  • एक और डेवलपमेंट में CSIR–इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (IGIB) ने सिकल सेल डिज़ीज़ के लिये भारत की पहली स्वदेशी CRISPR-बेस्ड जीन थेरेपी “BIRSA 101” विकसित की है, जो एक बड़ी वैज्ञानिक सफलता है।

भारत का स्वदेशी TnpB-आधारित जीनोम संपादन उपकरण क्या है?

  • परिचय: यह CRISPR-Cas9 या Cas12a के स्थान पर TnpB (ट्रांसपोसॉन-संबंधित प्रोटीन) का उपयोग करता है, जो एक लघु आणविक कैंची के रूप में कार्य करता है जो पौधों में सटीक डीऑक्सी-राइबोन्यूक्लिक एसिड (DNA) कटौती और संपादन को सक्षम बनाता है। 
  • क्योंकि TnpB अत्यंत छोटा होता है (लगभग 408 अमीनो एसिड, जबकि Cas9 के लिये 1,000-1,400 और Cas12a के लिये लगभग 1,300), इसलिये इसे पौधों की कोशिकाओं में कहीं अधिक आसानी से पहुँचाया जा सकता है, अक्सर बड़े Cas प्रोटीन के लिये आवश्यक जटिल ऊतक संवर्द्धन चरणों के बिना।
  • क्योंकि TnpB आकार में अत्यंत छोटा है (लगभग 408 अमीनो अम्ल, जबकि Cas9 के लिये 1,000–1,400 और Cas12a के लिये लगभग 1,300 अमीनो अम्ल होते हैं), इसलिये इसे पौधों की कोशिकाओं में बहुत आसानी से पहुँचाया जा सकता है। भारी Cas प्रोटीन्स की तुलना में इसके लिये सामान्यतः जटिल टिश्यू-कल्चर प्रक्रियाओं की आवश्यकता भी नहीं पड़ती।
  • महत्त्व: TnpB-आधारित जीनोम संपादन उपकरण ब्रॉड इंस्टीट्यूट और कॉर्टेवा जैसे वैश्विक संस्थानों द्वारा धारित विदेशी CRISPR पेटेंट पर निर्भरता को कम करता है।
  • यह उच्च लाइसेंस शुल्क का भुगतान किये बिना सस्ती, वाणिज्यिक जीनोम-संपादित (GE) फसलों को संभव बनाता है।
    • यह कृषि जैव-प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भर भारत की दिशा को मज़बूत करता है, अगली पीढ़ी की जीन-संपादित फसलों के विकास की देश की क्षमता को बढ़ाता है तथा इस चिंता को भी दूर करता है कि GE तकनीकें विदेशी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के नियंत्रण में हैं। इस प्रकार यह भारत को पूर्ण तकनीकी संप्रभुता प्रदान करता है।

बिरसा 101 क्या है?

  • BIRSA 101 एक सटीक जीन-एडिटिंग थेरेपी के तौर पर कार्य करता है, जो सिकल सेल बीमारी के लिये ज़िम्मेदार म्यूटेशन को सीधे ठीक करता है।
    • इस थेरेपी का नाम आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी भगवान बिरसा मुंडा के सम्मान में ‘BIRSA 101’ रखा गया है। यह नाम भारत के आदिवासी समुदायों में सिकल सेल रोग के प्रभाव को पहचानने और सम्मान देने के लिये एक प्रतीकात्मक श्रद्धांजलि है।
    • BIRSA 101, IGIB द्वारा विकसित इंजीनियर्ड enFnCas9 (एन्हांस्ड फ्रांसिसेला नोविसिडा Cas9) CRISPR प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करता है।
  • महत्त्व: यह कैसगेवी जैसी वैश्विक थेरेपी के लिये कम लागत वाला विकल्प प्रदान करता है, जिसकी कीमत 2.2 मिलियन अमेरिकी डॉलर है।
    • यह तकनीक बड़े पैमाने पर, कम लागत और सुलभ उपयोग सुनिश्चित करने के लिये सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया को हस्तांतरित की गई है।
    • BIRSA 101, वर्ष 2047 तक सिकल सेल मुक्त भारत के लक्ष्य की दिशा में एक बड़ा कदम है।
    • यह आत्मनिर्भर भारत, जीनोमिक मेडिसिन और सुलभ उन्नत चिकित्साओं के क्षेत्र में भारत की नेतृत्व क्षमता को मज़बूत करता है।

जीनोम संपादन क्या है?

  • परिचय: जीनोम संपादन CRISPR (क्लस्टर्ड रेगुलरली इंटरस्पेस्ड शॉर्ट पैलिंड्रोमिक रिपीट्स) जैसी तकनीकों का एक सेट है, जो वैज्ञानिकों को किसी जीव के जीनोम के अंदर विशेष DNA सीक्वेंस को ठीक से काटने, संशोधित करने या प्रतिस्थापित करने की सुविधा देता है।
    • यह किसी जीव में पहले से मौजूद जीनों में लक्षित उत्परिवर्तन (Mutations) उत्पन्न करता है, बिना किसी बाह्य DNA को जोड़े।
  • CRISPR: यह एक शक्तिशाली जीन-संपादन उपकरण है। यह जीनोम में किसी विशिष्ट अनुक्रम को खोजने के लिये एक गाइड RNA का उपयोग करता है और उस स्थान तक Cas एंज़ाइम (आमतौर पर Cas9 या Cas12a) को निर्देशित करता है।
    • Cas एंज़ाइम आणविक कैंची (Molecular scissor) की तरह कार्य करते हुए DNA को निर्धारित स्थान पर काट देता है, जिसके बाद कोशिका स्वाभाविक रूप से उस कटे हुए हिस्से की मरम्मत करती है।
    • Cas9 साधारण कटाव के लिये व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है, जबकि Cas12a अधिक सटीकता प्रदान करता है और अलग प्रकार की गाइड RNA संरचनाओं के साथ कार्य करता है।
    • इसी मरम्मत प्रक्रिया का उपयोग करके वैज्ञानिक किसी जीन को निष्क्रिय कर सकते हैं, किसी उत्परिवर्तन को सुधार सकते हैं या अत्यंत सटीकता के साथ नया DNA अनुक्रम सम्मिलित कर सकते हैं।
  • अनुप्रयोग
    • चिकित्सा: आनुवंशिक रोगों को ठीक करना, जीन-चिकित्साएँ विकसित करना (जैसे—सिकल सेल रोग)।
    • कृषि: जलवायु-सहिष्णु, उच्च उत्पादकता वाली और रोग-प्रतिरोधी फसलें विकसित करना।
    • अनुसंधान: जीनों के कार्य को समझने और नए जैविक उपकरण विकसित करने में सहायता प्रदान करना।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ)

1. भारत का स्वदेशी TnpB-बेस्ड जीनोम-एडिटिंग टूल क्या है?

यह एक कॉम्पैक्ट, IP-फ्री जीनोम एडिटर है जिसे इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च (ICAR) - सेंट्रल राइस रिसर्च इंस्टीट्यूट (CRRI) ने TnpB प्रोटीन का प्रयोग करके बनाया है, जिससे बिना महॅंगे CRISPR पेटेंट के पौधों में सटीक DNA एडिट किया जा सकता है।

2. पौधों की जीनोम एडिटिंग के लिये TnpB को बेहतर क्यों माना जाता है?

TnpB आकार में अत्यंत छोटा है (408 अमीनो एसिड), जिससे इसे पौध कोशिकाओं में पहुँचाना आसान हो जाता है और Cas9/Cas12a की तुलना में जटिल टिशू-कल्चर स्टेप्स की आवश्यकता कम हो जाती है।

3. BIRSA 101 क्या है और इसे किसने बनाया है?

BIRSA 101 सिकल सेल बीमारी के लिये भारत की पहली स्वदेशी CRISPR-बेस्ड जीन थेरेपी है, जिसे काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च-इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (CSIR–IGIB) ने इंजीनियर्ड enFnCas9 प्लेटफॉर्म का प्रयोग करके बनाया है। 

4. भारत के जनजातीय समुदायों के लिये BIRSA 101 क्यों आवश्यक है?

जनजातीय आबादी में सिकल सेल बीमारी अत्यधिक प्रचलित है और BIRSA 101 कम कीमत पर एक बार ठीक होने वाली संभावित इलाज की थेरेपी देता है।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)

प्रिलिम्स

प्रश्न: प्राय: समाचारों में आने वाला Cas9 प्रोटीन क्या है? (2019)

(a) लक्ष्य-साधित जीन संपादन (टारगेटेड जीन एडिटिंग) में प्रयुक्त आण्विक कैंची
(b) रोगियों में रोगजनकों की ठीक से पहचान करने के लिये प्रयुक्त जैव संवेदक
(c) एक जीन जो पादपों को पीड़क-प्रतिरोधी बनाता है
(d) आनुवंशिक रूप से रूपांतरित फसलों में संश्लेषित होने वाला एक शाकनाशी पदार्थ

उत्तर: (a)


मेन्स 

प्रश्न. अनुप्रयुक्त जैव-प्रौद्योगिकी में शोध तथा विकास संबंधी उपलब्धियाँ क्या हैं? ये उपलब्धियाँ समाज के निर्धन वर्गों के उत्थान में किस प्रकार सहायक होंगी? (2021)


रैपिड फायर

गुरु तेग बहादुर का 350वाँ शहीदी दिवस

स्रोत: PIB

भारत के राष्ट्रपति ने 24 नवंबर को गुरु तेग बहादुर को उनके 350वें शहीदी दिवस पर श्रद्धांजलि दी।

गुरु तेग बहादुर

  • वे 9वें सिख गुरु थे, जो अपनी शिक्षाओं, बहादुरी और शहादत के लिये पूजनीय थे।
  • प्रारंभिक जीवन और वंश: उनका जन्म 21 अप्रैल, 1621 को अमृतसर में छठे सिख गुरु, गुरु हरगोबिंद और माता नानकी के यहाँ हुआ था। उनके तपस्वी स्वभाव के कारण उनका मूल नाम त्याग मल रखा गया था।
  • शिक्षा और प्रशिक्षण: उन्होंने एक समग्र शिक्षा प्राप्त की, प्रसिद्ध भाई गुरदास से शास्त्रों में और बाबा बुद्ध से मार्शल आर्ट में प्रशिक्षित हुये। 
  • योगदान और नेतृत्व: गुरु के रूप में उन्होंने गुरु ग्रंथ साहिब में 116 भजनों का योगदान दिया, सिख शिक्षाओं के प्रसार के लिये बड़े पैमाने पर यात्रा की तथा चक-नानकी शहर की स्थापना की, जो बाद में श्री आनंदपुर साहिब शहर के रूप में विकसित हुआ
  • शहादत और विरासत: वर्ष 1675 में धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा और जबरन धर्मांतरण के खिलाफ उनके रुख के लिये मुगल सम्राट औरंगजेब के आदेश पर उन्हें दिल्ली में फाँसी दे दी गई थी। 
    • इस सर्वोच्च बलिदान के कारण उन्हें ‘हिंद की चादर’ या ‘भारत की ढाल’ की शाश्वत उपाधि मिली।

सिख धर्म के दस गुरु

गुरु नानक देव (1469-1539)

  • ये सिखों के पहले गुरु और सिख धर्म के संस्थापक थे।
  • इन्होंने ‘गुरु का लंगर’ की शुरुआत की।
  • वह बाबर के समकालीन थे।
  • गुरु नानक देव की 550वीं जयंती पर करतारपुर कॉरिडोर को शुरू किया गया था।

गुरु अंगद (1504-1552)

  • इन्होंने गुरुमुखी नामक नई लिपि का आविष्कार किया और ‘गुरु का लंगर’ प्रथा को लोकप्रिय बनाया।

गुरु अमर दास (1479-1574)

  • इन्होंने आनंद कारज विवाह (Anand Karaj Marriage) समारोह की शुरुआत की।
  • इन्होंने सिखों के बीच सती और पर्दा प्रथा जैसी कुरीतियों को समाप्त किया|
  • ये अकबर के समकालीन थे।

गुरु राम दास (1534-1581) 

  • इन्होंने वर्ष 1577 में अकबर द्वारा दी गई ज़मीन पर अमृतसर की स्थापना की।
  • इन्होंने अमृतसर में स्वर्ण मंदिर (Golden Temple) का निर्माण शुरू किया।

गुरु अर्जुन देव (1563-1606)

  • इन्होंने वर्ष 1604 में आदि ग्रंथ की रचना की।
  • इन्होंने स्वर्ण मंदिर का निर्माण कार्य पूरा किया।
  • वे शाहिदीन-दे-सरताज (Shaheeden-de-Sartaj) के रूप में प्रचलित थे।
  • इन्हें जहाँगीर ने राजकुमार खुसरो की मदद करने के आरोप में मार दिया।

गुरु हरगोबिंद (1594-1644) 

  • इन्होंने सिख समुदाय को एक सैन्य समुदाय में बदल दिया। इन्हें ‘सैनिक संत’ (Soldier Saint) के रूप में जाना जाता है।
  • इन्होंने अकाल तख्त की स्थापना की और अमृतसर शहर को मज़बूत किया।
  • इन्होंने जहाँगीर और शाहजहाँ के खिलाफ युद्ध छेड़ा।

गुरु हर राय (1630-1661) 

  • ये शांतिप्रिय व्यक्ति थे और इन्होंने अपना अधिकांश जीवन औरंगज़ेब के साथ शांति बनाए रखने तथा मिशनरी काम करने में समर्पित कर दिया।

गुरु हरकिशन (1656-1664)

  • ये अन्य सभी गुरुओं में सबसे कम आयु के गुरु थे और इन्हें 5 वर्ष की आयु में गुरु की उपाधि दी गई थी।
  • इनके खिलाफ औरंगज़ेब द्वारा इस्लाम विरोधी कार्य के लिये सम्मन जारी किया गया था।

गुरु तेग बहादुर (1621-1675) 

  • इन्होंने आनंदपुर साहिब की स्थापना की।

गुरु गोबिंद सिंह (1666-1708)

  • इन्होंने वर्ष 1699 में ‘खालसा’ नामक योद्धा समुदाय की स्थापना की।
  • इन्होंने एक नया संस्कार ‘पाहुल’ (Pahul) शुरू किया।
  • ये मानव रूप में अंतिम सिख गुरु थे और इन्होंने ‘गुरु ग्रंथ साहिब’ को सिखों के गुरु के रूप में नामित किया।
और पढ़ें: सिख धर्म

रैपिड फायर

वुमनिया पहल

स्रोत: PIB

गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (GeM) और संयुक्त राष्ट्र लैंगिक समानता और महिला  सशक्तीकरण निकाय (यूएन वूमेन) ने वुमनिया पहल के तहत एक MoU पर हस्ताक्षर किये हैं। इसका उद्देश्य सार्वजनिक खरीद में महिला उद्यमियों की भागीदारी को बढ़ावा देना और SDG 5 (जेंडर इक्वालिटी) को आगे बढ़ाना है।

वुमनिया पहल

  • परिचय: वर्ष 2019 में शुरू हुई, GeM पर महिला पहल महिलाओं के MSEs, SHGs, कारीगरों और पिछड़ी महिलाओं को प्रत्यक्ष रूप से सरकार को बेचने में मदद करके महिला उद्यमिता को समर्थन करती है।
  • उद्देश्य: यह तीन प्रमुख चुनौतियों—बाज़ार तक पहुँच, वित्तीय संसाधनों तक पहुँच और मूल्य-वृद्धि के अवसरों तक पहुँच का समाधान करता है, जिनका सामना महिला उद्यमियों को अक्सर करना पड़ता है।
  • यह महिलाओं के मालिकाना हक वाले बिज़नेस के लिये सरकारी खरीद का 3% रिज़र्व करने के लक्ष्य का भी सपोर्ट करता है।
    • पैमाना और प्रभाव: उद्यम रजिस्ट्रेशन पोर्टल के आँकड़ों के अनुसार, महिलाओं के स्वामित्व वाले MSMEs सभी MSMEs का 20.5% है, रोज़गार में 18.73% का योगदान करते हैं तथा कुल निवेश में उनका हिस्सा 11.15% है।

GeM

  • GeM: वाणिज्य मंत्रालय द्वारा वर्ष 2016 में लॉन्च किया गया यह एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है, जिसका उपयोग केंद्र और राज्य सरकार के मंत्रालय, विभाग, सार्वजनिक उपक्रम तथा संबंधित निकाय वस्तुओं एवं सेवाओं की खरीद के लिये किया जाता हैं। 
  • इसका संचालन GeM स्पेशल पर्पज व्हीकल (SPV) द्वारा किया जाता है, जो पूर्णतः सरकारी स्वामित्व वाली गैर-लाभकारी संस्था है। 
    • अब इसे सभी 36 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में अपना लिया गया है, जिसमें उत्तर प्रदेश सबसे आगे है तथा महाराष्ट्र, गुजरात और असम सहित आठ राज्यों ने इसके उपयोग को अनिवार्य कर दिया है।
  • उद्देश्य: इसका उद्देश्य सरकारी खरीद में पारदर्शिता, दक्षता और निष्पक्षता को बढ़ावा देना, देरी को कम करना और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना है, विश्व बैंक जैसे स्वतंत्र आकलनों के अनुसार लगभग 10% लागत बचत होगी।
  • समावेशिता: यह GeM पारिस्थितिकी तंत्र में 10 लाख से अधिक MSE, 1.3 लाख कारीगरों और बुनकरों, 1.84 लाख महिला उद्यमियों और 31,000 स्टार्टअप को सशक्त बनाता है।
    • इसके अलावा GeM ने GeMAI नामक भारत का पहला जनरेटिव AI-संचालित सार्वजनिक क्षेत्र का चैटबॉट पेश किया है, जिसमें 10 भारतीय भाषाओं में वॉइस और टेक्स्ट सपोर्ट है।
और पढ़ें: GeM का 8वाँ निगमन दिवस


रैपिड फायर

आपदा सूचना प्रबंधन के विकास के लिये एशियाई और प्रशांत केंद्र

स्रोत: पी.आई.बी.

आपदा सूचना प्रबंधन के विकास के लिये एशियाई और प्रशांत केंद्र (APDIM) का 10वाँ सत्र नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित हुआ, जिसने एशिया-प्रशांत क्षेत्र में आपदा तैयारी और लचीलेपन को सुदृढ़ करने में भारत की नेतृत्वकारी भूमिका को पुनर्पुष्ट किया।

APDIM

  • APDIM, UN ESCAP की एक क्षेत्रीय संस्था है, जिसका मुख्यालय तेहरान, ईरान में स्थित है।
  • इसका उद्देश्य एशिया और प्रशांत क्षेत्र में सतत् विकास को सुदृढ़ करने के लिये सटीक और प्रभावी आपदा-जोखिम सूचना सुनिश्चित करना है।
  • APDIM एक क्षेत्रीय ज्ञान-केंद्र के रूप में कार्य करता है, जो आपदा-संबंधी डेटा को समेकित और साझा करता है, सूचना प्रणालियों को मज़बूत बनाता है तथा सीमा-पार खतरों पर सहयोग को बढ़ावा देता है।
  • अपने वर्ष 2021–2030 के रणनीतिक कार्यक्रम के माध्यम से APDIM जोखिम सूचना प्रणालियों में सुधार, डेटा उपयोग की क्षमता में वृद्धि और क्षेत्रीय सहयोग को प्रोत्साहित करने की दिशा में कार्य करता है।
और पढ़ें: सेंडाई फ्रेमवर्क और DRR के प्रति भारत की प्रतिबद्धता


रैपिड फायर

हम्बोल्ट पेंगुइन

स्रोत: DD

चिली ने हम्बोल्ट पेंगुइन (स्फेनिस्कस हम्बोल्टी) को संकटग्रस्त के रूप में पुनः वर्गीकृत किया है, जो बढ़ती चिंता को दर्शाता है क्योंकि इस प्रजाति को अपने प्रशांत तटरेखा पर आबादी में तीव्र गिरावट का सामना करना पड़ रहा है।

  • आवास क्षेत्र: हम्बोल्ट पेंगुइन पेरू और चिली के तटीय क्षेत्रों में पाया जाता है, विशेष रूप से प्रशांत महासागर में हम्बोल्ट धारा के किनारे, वैश्विक जनसंख्या का लगभग 80% चिली के समुद्र तट पर पाया जाता है।
  • विशिष्ट विशेषताएँ: इसके सिर पर सफ़ेद C-आकृति वाली पट्टी, छाती पर काली धारी और आँखों के आसपास गुलाबी मांसल भाग होता है, जिससे इसे आसानी से पहचाना जा सकता है।
  • यह पेंगुइन अपने सिर पर मौजूद सफेद C-आकार की पट्टी, छाती पर काली पट्टी, और आँखों के आसपास गुलाबी मांसल क्षेत्र के कारण आसानी से पहचाना जा सकता है।
  • आहार: यह मांसाहारी है और मुख्य रूप से ऐन्कोवी, सार्डिन, हेरिंग तथा छोटे समुद्री जीवों को खाता है।
  • व्यवहार: व्यवहार: यह बिलों, गुफाओं या गुआनो (पक्षियों की बीट) के जमाव में घोंसला बनाता है, अधिकांश पेंगुइन प्रजातियों के विपरीत, यह बड़े चूज़ा समूह (क्रेच) नहीं बनाता।
  • संरक्षण स्थिति: IUCN द्वारा संवेदनशील के रूप में वर्गीकृत और CITES परिशिष्ट I के अंतर्गत सूचीबद्ध। 
    • अल नीनो घटनाओं, वाणिज्यिक मत्स्य संग्रहण का दबाव, आवास की हानि, प्रदूषण, बर्ड फ्लू और जलवायु परिवर्तन से आबादी पर गंभीर प्रभाव पड़ा है, जिससे प्रजनन की सफलता बाधित हुई है तथा भोजन की उपलब्धता कम हुई है।

और पढ़ें: हम्बोल्ट पेंगुइन

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