चर्चित स्थान
मेडागास्कर
मेडागास्कर की सशस्त्र सेनाओं ने आर्थिक संकट और शासन की विफलताओं के विरोध में युवाओं (Gen Z) के नेतृत्व में हुए विद्रोह के बाद मौजूदा राष्ट्रपति को सत्ता से बेदखल करते हुए सरकार पर नियंत्रण कर लिया है। 1960 के बाद से यहाँ लगातार सैन्य समर्थित सत्ता परिवर्तन हुए हैं, जिनमें से आखिरी बड़ा विद्रोह वर्ष 2009 में हुआ था।
- परिचय: यह हिंद महासागर में स्थित एक द्वीपीय राष्ट्र है, जिसकी सीमा पश्चिम में मोज़ाम्बिक चैनल तथा पड़ोसी कोमोरोस, रियूनियन द्वीप और मॉरीशस से लगती है।
- भूगोल: यह विश्व का चौथा सबसे बड़ा द्वीप है, इसमें हरे-भरे वर्षावन, शुष्क रेगिस्तान, घास के मैदान, तटीय प्रवाल भित्तियाँ और मैंग्रोव वन हैं।
- प्रकृति एवं वन्य जीवन: लगभग 90% वनस्पतियाँ और जीव-जंतु समुद्र से अलग होने के कारण स्थानिक हैं।
- प्रसिद्ध प्रजातियाँ: लीमर (रेशमी सिफाका और ऐ-ऐ सहित), गेंट लीफ-टेल्ड गेको, स्पाइडर टॉर्टोइस (Spider Tortoise), डुमेरिल बोआ, मेडागास्कर प्लोवर।
- समुद्री जीवन: तटों पर हंपबैक व्हेल और पिग्मी ब्लू व्हेल।
- राष्ट्रीय वृक्ष: बाओबाब वृक्ष, जो जल-भंडार वाले तने के लिये प्रसिद्ध है।
- इतिहास: फ्राँस ने वर्ष 1883 में मेडागास्कर पर आक्रमण किया और वर्ष 1896 में इसे अपना उपनिवेश बना लिया। 1947 के मालागासी विद्रोह के बाद, इस द्वीप को वर्ष 1960 में स्वतंत्रता प्राप्त हुई।
- लोग एवं संस्कृति: लगभग 80% जनसंख्या कृषि पर निर्भर है, कॉफी, वेनिला और गन्ना उगाती है तथा चावल मुख्य भोजन है।
- संगीत इसकी संस्कृति में महत्त्वपूर्ण है तथा बाँस से बनी ट्यूब ज़ीथर, वलिहा, यहाँ का राष्ट्रीय वाद्य यंत्र है।
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रैपिड फायर
ग्रीन क्रैकर्स (हरित पटाखे)
भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली-NCR में आतिशबाज़ी पर एक साल से लगे प्रतिबंध में ढील देते हुए, दीपावली 2025 के दौरान राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (NEERI) और पेट्रोलियम एवं विस्फोटक सुरक्षा संगठन (PESO) द्वारा अनुमोदित ग्रीन क्रैकर्स (हरित पटाखे) की बिक्री और उपयोग की अनुमति प्रदान की है।
- न्यायालय ने इसे “परीक्षण मामला (Test Case)” कहा, जिसका उद्देश्य त्योहारों और प्रदूषण नियंत्रण के बीच संतुलन स्थापित करना है। न्यायालय ने यह भी उल्लेख किया कि संपूर्ण प्रतिबंध (Blanket Bans) से तस्करी और हानिकारक पटाखों के उपयोग में वृद्धि हुई।
- ग्रीन क्रैकर्स: पारंपरिक फॉर्मूलेशन में बदलाव करके वायु प्रदूषण कम करने के लिये डिज़ाइन किये गए हैं। ये क्रैकर्स छोटे आकार के शैल, राख (ash) का निष्कासन, कच्चे माल के कम इस्तेमाल और धूल-नियंत्रक (Dust Suppressants) के सम्मिलन द्वारा प्रदूषण नियंत्रण के इस्तेमाल से ऐसा करते हैं।
- वे पारंपरिक पटाखों की तुलना में पार्टिकुलेट मैटर (PM) में कम-से-कम 30% की कमी या पीएम में 20% की कमी और गैसीय उत्सर्जन (SO₂ और NO₂) में 10% की कमी सुनिश्चित करते हैं।
- ग्रीन क्रैकर्स (हरित पटाखे) दो प्रकार के हो सकते हैं:
- उन्नत आतिशबाज़ी: मौजूदा पटाखों को स्वच्छ मिश्रण से संशोधित किया गया।
- नए फॉर्मूलेशन वाले पटाखे: उत्सर्जन में और प्रदूषण कम करने के लिये नई सामग्रियों और रचनाओं के साथ विकसित किये गए है।
- अर्जुन गोपाल बनाम भारत संघ (2018) मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने बेरियम लवण वाले गैर-प्रमाणित पटाखों पर प्रतिबंध लगा दिया और केवल कम उत्सर्जन मानकों को पूरा करने वाले पीईएसओ-अनुमोदित हरित पटाखों को ही अनुमति दी।
और पढ़ें: ग्रीन क्रैकर्स |
प्रारंभिक परीक्षा
टॉमहॉक मिसाइल
चर्चा में क्यों?
अमेरिकी राष्ट्रपति ने संकेत दिया है कि यदि रूस वर्तमान संघर्ष को कम करने के लिये कोई विश्वसनीय कदम नहीं उठाता है तो वाशिंगटन यूक्रेन को लंबी दूरी की टॉमहॉक क्रूज़ मिसाइलें (Tomahawk Cruise Missiles) उपलब्ध कराने पर विचार कर सकता है।
टॉमहॉक मिसाइलें क्या हैं?
- टॉमहॉक मिसाइल: यह लंबी दूरी की, सभी मौसमों में कार्य करने वाली, सबसोनिक क्रूज़ मिसाइल है। इसे उच्च-मूल्य वाले या अत्यधिक सुरक्षित लक्ष्यों पर सटीक प्रहार करने के लिये जाहाज़ों और पनडुब्बियों से प्रक्षेपित किया जा सकता है।
- इस मिसाइल का निम्न ऊँचाई वाला उड़ान पथ और उन्नत मार्गदर्शन प्रणालियाँ इसे रडार से बचने और जटिल भू-भागों में नेविगेट करने में सक्षम बनाती हैं।
- प्रणोदन: यह मिसाइल प्रक्षेपण के समय एक ठोस प्रणोदक प्रक्षेपित करती है, फिर एक टर्बोफैन पर चलती है जो न्यूनतम ऊष्मा उत्सर्जित करता है, इसलिये इसे इन्फ्रारेड सेंसर से पहचानना मुश्किल होता है।
- मार्गदर्शन प्रणालियाँ: उच्च परिशुद्धता के लिये GPS, जड़त्वीय नेविगेशन प्रणाली (INS), TERCOM (भू-भाग मानचित्रण) और DSMAC (डिजिटल दृश्य मिलान) का उपयोग करती हैं।
- आधुनिक संस्करण उड़ान के बीच में पुनर्प्रोग्रामिंग की अनुमति देते हैं, जिससे वास्तविक समय में लक्ष्य समायोजन या मिशन निरस्तीकरण संभव हो जाता है।
क्रूज़ मिसाइल और बैलिस्टिक मिसाइल में क्या अंतर है?
पैरामीटर |
क्रूज़ मिसाइल |
बैलिस्टिक मिसाइल |
पथ |
अपेक्षाकृत सीधा और नियंत्रित मार्ग का अनुसरण करती है। |
प्रक्षेप्य पथ में चलती है, इसका मार्ग गुरुत्वाकर्षण, वायु प्रतिरोध और कोरिओलिस बल पर निर्भर करता है। |
उड़ान पथ |
संपूर्ण उड़ान के दौरान पृथ्वी के वायुमंडल के भीतर रहती है। |
पृथ्वी के वायुमंडल को छोड़कर बाहर जाती है और फिर पुनः प्रवेश करती है। |
मारक क्षमता |
शॉर्ट रेंज़ मिसाइल। |
लॉन्ग रेंज की मिसाइल। |
भारतीय उदाहरण |
ब्रह्मोस (BrahMos), निर्भय (Nirbhay), LRLACM। |
पृथ्वी-I एवं II, अग्नि शृंखला, धनुष, शौर्य, के-15 (सागरिका), K-4 (पनडुब्बी से प्रक्षेपित)। |
वैश्विक उदाहरण (Global Examples) |
टॉमहॉक (Tomahawk – अमेरिका), कैलिब्र (Kalibr – रूस), सीजे-10 (CJ-10 – चीन), बाबर (Babur – पाकिस्तान)। |
मिनटमैन-III (Minuteman III – अमेरिका), डीएफ-41 (DF-41 – चीन), आरएस-24 यार्स (RS-24 Yars – रूस), शाहीन-II (Shaheen-II – पाकिस्तान)। |
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
1. टॉमहॉक मिसाइलें क्या हैं और उनका प्रयोग कौन करता है?
लॉन्ग-रेंज, सबसोनिक क्रूज़ मिसाइलें हैं, जिनका उपयोग अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया द्वारा किया जाता है; इन्हें शिप या सबमरीन से लॉन्च किया जाता है ताकि उच्च-मूल्य लक्ष्यों पर सटीक हमले किये जा सकें।
2. क्रूज़ मिसाइलों की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
ये वायुमंडल में उड़ान भरने, मार्गदर्शित, उपध्वनिक या अध्वनिक, निरंतर शक्ति से संचालित, अत्यधिक सटीक, ~2,000 किमी तक की दूरी, पारंपरिक या परमाणु वारहेड ले जाने में सक्षम हैं।
3. बैलेस्टिक मिसाइलों की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
यह पैराबोलिक ट्राजेक्टरी का पालन करती हैं, वायुमंडल से बाहर जाती हैं और पुनः प्रवेश करती हैं, लंबी दूरी (300–12,000 किमी), कम सटीक, पारंपरिक या न्यूक्लियर वॉरहेड ले जाती हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)
प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2023)
बैलिस्टिक मिसाइल अपनी पूरी उड़ान में अवध्वनिक चाल पर प्रधार-नोदित होती हैं, जबकि क्रूज़ मिसाइल केवल उड़ान के आरंभिक चरण में रॉकेट संचालित होती हैं।
अग्नि-V मध्यम दूरी की पराध्वनिक क्रूज़ मिसाइल है, जबकि ब्रह्मोस ठोस ईंधन चालित अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर:(d)
प्रश्न. कभी-कभी समाचार में उल्लिखित ‘टर्मिनल हाई ऑल्टिट्यूड एरिया डिफेंस (टी.एच.ए.ए.डी.)’ क्या है? (2018)
(a) इज़रायल की एक राडार प्रणाली
(b) भारत का घरेलू मिसाइल-प्रतिरोधी कार्यक्रम
(c) अमेरिकी मिसाइल-प्रतिरोधी प्रणाली
(d) जापान और दक्षिण कोरिया के बीच एक रक्षा सहयोग
उत्तर: (c)
रैपिड फायर
स्वदेशी सैन्य लड़ाकू पैराशूट प्रणाली
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित सैन्य लड़ाकू पैराशूट प्रणाली (MCPS) का 32,000 फीट की रिकॉर्ड ऊँचाई से सफलतापूर्वक परीक्षण किया है, जो स्वदेशी रक्षा नवाचार और आत्मनिर्भरता में एक प्रमुख उपलब्धि है।
- विकास: MCPS को DRDO के एरियल डिलीवरी रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट (आगरा) और रक्षा बायोइंजीनियरिंग और इलेक्ट्रोमेडिकल प्रयोगशाला (बंगलूरू) द्वारा विकसित किया गया है।
- उच्च ऊँचाई क्षमता: यह भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा परिचालन में उपयोग की जाने वाली एकमात्र पैराशूट प्रणाली है जो 25,000 फीट से अधिक ऊँचाई पर कार्य करने में सक्षम है।
- नेविगेशन सुरक्षा: नेविगेशन विद इंडियन कांस्टेलेशन (NavIC) के साथ एकीकृत, MCPS सुरक्षित, हस्तक्षेप-मुक्त संचालन और बाहरी जामिंग या सेवा अस्वीकार करने के खतरों के खिलाफ लचीलापन प्रदान करता है।
- उन्नत विशेषताएँ: कम अवरोहण दर, बेहतर स्टीयरिंग नियंत्रण, सटीक नेविगेशन और पूर्व-निर्धारित लैंडिंग क्षेत्र परिनियोजन के साथ डिज़ाइन किया गया है, जो पैराट्रूपर सुरक्षा और मिशन दक्षता को सुनिश्चित करता है।
- सामरिक महत्त्व: MCPS परिचालन स्वायत्तता को बढ़ाता है, विदेशी प्रणालियों पर निर्भरता को कम करता है, तथा युद्धकाल या आपात स्थितियों के दौरान त्वरित रखरखाव सुनिश्चित करता है।
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