रैपिड फायर
ग्रीन क्रैकर्स (हरित पटाखे)
- 17 Oct 2025
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भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली-NCR में आतिशबाज़ी पर एक साल से लगे प्रतिबंध में ढील देते हुए, दीपावली 2025 के दौरान राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (NEERI) और पेट्रोलियम एवं विस्फोटक सुरक्षा संगठन (PESO) द्वारा अनुमोदित ग्रीन क्रैकर्स (हरित पटाखे) की बिक्री और उपयोग की अनुमति प्रदान की है।
- न्यायालय ने इसे “परीक्षण मामला (Test Case)” कहा, जिसका उद्देश्य त्योहारों और प्रदूषण नियंत्रण के बीच संतुलन स्थापित करना है। न्यायालय ने यह भी उल्लेख किया कि संपूर्ण प्रतिबंध (Blanket Bans) से तस्करी और हानिकारक पटाखों के उपयोग में वृद्धि हुई।
- ग्रीन क्रैकर्स: पारंपरिक फॉर्मूलेशन में बदलाव करके वायु प्रदूषण कम करने के लिये डिज़ाइन किये गए हैं। ये क्रैकर्स छोटे आकार के शैल, राख (ash) का निष्कासन, कच्चे माल के कम इस्तेमाल और धूल-नियंत्रक (Dust Suppressants) के सम्मिलन द्वारा प्रदूषण नियंत्रण के इस्तेमाल से ऐसा करते हैं।
- वे पारंपरिक पटाखों की तुलना में पार्टिकुलेट मैटर (PM) में कम-से-कम 30% की कमी या पीएम में 20% की कमी और गैसीय उत्सर्जन (SO₂ और NO₂) में 10% की कमी सुनिश्चित करते हैं।
- ग्रीन क्रैकर्स (हरित पटाखे) दो प्रकार के हो सकते हैं:
- उन्नत आतिशबाज़ी: मौजूदा पटाखों को स्वच्छ मिश्रण से संशोधित किया गया।
- नए फॉर्मूलेशन वाले पटाखे: उत्सर्जन में और प्रदूषण कम करने के लिये नई सामग्रियों और रचनाओं के साथ विकसित किये गए है।
- अर्जुन गोपाल बनाम भारत संघ (2018) मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने बेरियम लवण वाले गैर-प्रमाणित पटाखों पर प्रतिबंध लगा दिया और केवल कम उत्सर्जन मानकों को पूरा करने वाले पीईएसओ-अनुमोदित हरित पटाखों को ही अनुमति दी।
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