प्रारंभिक परीक्षा
तिरंगे के रंग में चमका मार्तंड सूर्य मंदिर
स्रोत: इकनॉमिक टाइम्स
स्वतंत्रता दिवस समारोह के उपलक्ष्य में जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग ज़िले में स्थित मार्तंड सूर्य मंदिर भारतीय ध्वज के तीन रंगों में प्रकाशित हुआ।
- इस सजावट ने स्थानीय लोगों और पर्यटकों दोनों में गर्व व खुशी की भावना उत्पन्न की है, जिससे बड़ी संख्या में लोग इस ऐतिहासिक आयोजन की ओर आकर्षित हुए हैं।
मार्तंड सूर्य मंदिर के संदर्भ में मुख्य तथ्य क्या हैं?
- निर्माण: मार्तंड मंदिर का निर्माण लगभग 1200 वर्ष पूर्व कार्कोट राजवंश के राजा ललितादित्य मुक्तापीड द्वारा किया गया था, जिन्होंने 725 ई. से 753 ई. तक कश्मीर पर शासन किया था।
- यह मंदिर सूर्य देवता मार्तंड को समर्पित था और इसकी वास्तुकला में मिस्र, यूनानी एवं गांधार शैलियों का प्रभाव देखने को मिलता है।
- मंदिर की दीवारें बड़े-बड़े धूसर पत्थरों से बनी थीं तथा इसके आँगन में नदी का जल भरा जाता था जो कश्मीरी वास्तुकला में इसकी भव्यता और महत्त्व का प्रतीक है।
- ऐतिहासिक संदर्भ: मंदिर का इतिहास 12वीं शताब्दी में कल्हण द्वारा लिखित राजतरंगिणी में वर्णित है।
- वास्तुकला विशेषताएँ: मंदिर में तीन अलग-अलग कक्ष थे अर्थात् मंडप, गर्भगृह और अंतराला, जो इसे कश्मीर के विविध मंदिरों में अद्वितीय बनाते हैं।
- खंडहरों से पता चलता है कि मंदिर 84 स्तंभों के एक समूह से घिरा हुआ था, जो कश्मीरी मंदिर वास्तुकला की एक विशेषता है।
- उस समय असामान्य रूप से निर्माण में चूने के गारे का प्रयोग किया जाता था जो आप्रवासी बीज़ान्टिन वास्तुकारों की संलिप्तता का संकेत देता है।
- सांस्कृतिक समावेशन: मार्तंड मंदिर की वास्तुकला में शास्त्रीय ग्रीको-रोमन, बौद्ध-गांधार और उत्तर भारतीय शैलियों का संगम दिखता है, जो विभिन्न संस्कृतियों एवं साम्राज्यों के साथ कश्मीर के ऐतिहासिक संबंधों को दर्शाता है।
- हर्ष के साथ संबंध: प्रथम लोहारा राजवंश के राजा हर्ष (1089 ई. से 1101 ई.) ने खज़ाने के लिये मंदिरों को लूटा था, लेकिन उन्होंने मार्तंड मंदिर को छोड़ दिया, जबकि अन्य मंदिरों को उन्होंने धन के लिये विकृत कर दिया था।
- विनाश: ऐसा माना जाता है कि मंदिर को आंशिक रूप से सुल्तान सिकंदर शाह मिरी द्वारा ध्वस्त कर दिया गया था, वर्ष जिसने वर्ष 1389 से 1413 तक कश्मीर पर शासन किया था, हालाँकि कुछ इतिहासकार इस तथ्य पर विवाद जताते हैं।
- वर्तमान मंदिर आंशिक रूप से संरक्षित है, इसकी प्रभावशाली धूसर दीवारें तथा इस पर नक्काशी द्वारा बनाई गई देवताओं की आकृतियाँ अभी भी दिखाई देते हैं।
- वर्तमान स्थिति: मंदिर के अवशेषों को भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा 1990 के दशक के उग्रवाद के दौरान भी “राष्ट्रीय महत्त्व के स्मारक” के रूप में संरक्षित किया गया था।
कश्मीरी मंदिर वास्तुकला
- कश्मीरी मंदिर वास्तुकला की अपनी अनूठी विशेषताएँ हैं जो स्थानीय भौगिलिकी अवस्थिति के अनुरूप हैं तथा अपनी उत्कृष्ट पत्थर की नक्काशी के लिये प्रसिद्ध हैं।
- महत्त्वपूर्ण व्यापार मार्गों पर स्थित होने के कारण इसकी स्थापत्य शैली कई विदेशी स्रोतों से प्रेरित है।
- कार्कोट राजवंश और उत्पल राजवंश के शासकों के अधीन मंदिर निर्माण का कार्य अत्यधिक उत्कर्ष पर था।
- कश्मीर वास्तुकला शैली की प्रमुख विशेषताएँ हैं:
- तिपतिया/ट्रेफोइल मेहराब (गांधार प्रभाव)
- सेलुलर लेआउट और संलग्न आँगन
- सीधे किनारों वाली पिरामिडनुमा छत
- स्तंभ वाली दीवारें (यूनानी प्रभाव)
- त्रिकोणीय पेडिमेंट (यूनानी प्रभाव)
- अपेक्षाकृत अधिक संख्या में सीढ़ियाँ।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन-सा सूर्य मंदिर के लिये प्रसिद्ध है? (2017)
निम्नलिखित का उपयोग करके सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (a) |
प्रारंभिक परीक्षा
नए रामसर स्थल: नंजरायन व काज़ुवेली पक्षी अभयारण्य और तवा जलाशय
स्रोत: पी.आई.बी.
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्र ने तमिलनाडु में नंजरायन पक्षी अभयारण्य और काज़ुवेली पक्षी अभयारण्य तथा मध्य प्रदेश में तवा जलाशय को तीन नए आर्द्रभूमि के रूप में रामसर स्थल घोषित किया।
- इन समावेशों के साथ, भारत में रामसर स्थलों की संख्या बढ़कर 85 तक हो गई है।
- अब, तमिलनाडु में सबसे अधिक रामसर स्थल (18 स्थल) हैं, उसके बाद उत्तर प्रदेश में (10 स्थल) हैं।
तीन नए रामसर स्थलों के संदर्भ में मुख्य तथ्य क्या हैं?
- नंजरायन पक्षी अभयारण्य:
- नंजरायन झील एक बड़ी उथली वैटलैंड है जो तमिलनाडु में तिरुपुर ज़िले के उथुकुली तालुक के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में स्थित है। सदियों पहले, इसका स्थानीय राजा नंजरायन ने पुनर्भरण किया था।
- 125.865 हेक्टेयर में विस्तृत यह झील (वैटलैंड्स) मुख्य रूप से मौसम की स्थिति पर निर्भर करती हैं, विशेषकर नल्लार जल निकासी से भारी वर्षा जल प्रवाह पर।
- इसमें बार-हेडेड गूज़, नॉर्दर्न शॉवलर, स्पॉट-बिल्ड पेलिकन, हेरॉन जैसी पक्षी प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
- तमिलनाडु के 17वें पक्षी अभयारण्य के रूप में नामित, यह स्थानीय समुदाय एवं वन विभाग द्वारा सक्रिय रूप से संरक्षित और प्रबंधित है।
- काज़ुवेली पक्षी अभयारण्य:
- यह पुदुचेरी के उत्तर में विल्लुपुरम ज़िले में कोरोमंडल तट पर स्थित एक खारी उथली झील है।
- यह झील खारे उप्पुकल्ली क्रीक और इदायनथिट्टू नदमुख द्वारा बंगाल की खाड़ी से जुड़ी हुई है। जो ज्वार- नदमुख, क्रीक-पोषित खारे और ताज़े जल के बेसिन जैसी विविध जल विशेषताओं वाली एक महत्त्वपूर्ण आर्द्रभूमि है।
- खारे जल के क्षेत्रों में, एविसेनिया प्रजाति वाले अत्यधिक अवक्रमित मैंग्रोव पैच पाए जाते हैं।
- साथ ही, इस क्षेत्र में कई सौ हेक्टेयर में ईख (टाइफांगुस्टाटा) पाया जाता है।
- तवा जलाशय:
- यह इटारसी शहर के पास तवा और देनवा नदियों के संगम पर स्थित है, जिसे मूल रूप से सिंचाई के लिये बनाया गया था तथा अब यह विद्युत उत्पादन एवं जलीय कृषि का भी समर्थन करता है।
- जलाशय सतपुड़ा टाइगर रिज़र्व के अंदर स्थित है तथा सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान और बोरी वन्यजीव अभयारण्य की पश्चिमी सीमा बनाता है।
- मालानी, सोनभद्र और नागद्वारी नदी तवा जलाशय की प्रमुख सहायक नदियाँ हैं।
- तवा नदी, बाएँ किनारे की एक सहायक नदी है जो छिंदवाड़ा ज़िले में महादेव पहाड़ियों से निकलती है, बैतूल ज़िले से होकर बहती है एवं नर्मदापुरम ज़िले में नर्मदा नदी में मिल जाती है।
- यह नर्मदा नदी की सबसे लंबी सहायक नदी है।
- इस जलाशय में स्पॉटेड डियर और पेटेंड स्टॉर्क पाए जाते हैं।
रामसर कन्वेंशन क्या है?
- रामसर कन्वेंशन एक अंतर्राष्ट्रीय संधि है जिस पर वर्ष 1971 में ईरान के रामसर में यूनेस्को के तत्त्वावधान में हस्ताक्षर किये गए थे, जिसका उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की आर्द्रभूमियों का संरक्षण करना है।
- भारत में यह अधिनियम 1 फरवरी 1982 को लागू हुआ जिसके तहत अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की आर्द्रभूमियों को रामसर स्थल घोषित किया गया।
- मॉन्ट्रेक्स रिकॉर्ड अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व के उन आर्द्रभूमि स्थलों का रजिस्टर है, जहाँ तकनीकी विकास, प्रदूषण या अन्य मानवीय हस्तक्षेप के परिणामस्वरूप पारिस्थितिक घटक में परिवर्तन हुए हैं या होने की संभावना है।
- इसे रामसर सूची के भाग के रूप में रखा गया है।
और पढ़ें: अमृत धरोहर क्षमता निर्माण योजना
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2019)
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (c) प्रश्न. 'वेटलैंड्स इंटरनेशनल' नामक संरक्षण संगठन के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (2014)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (b) मेन्स:प्रश्न. आर्द्रभूमि क्या है? आर्द्रभूमि संरक्षण के संदर्भ में 'बुद्धिमत्तापूर्ण उपयोग' की रामसर संकल्पना को स्पष्ट कीजिये। भारत से रामसर स्थलों के दो उदाहरणों का उद्धरण दीजिये। (2018) |
रैपिड फायर
जियो पारसी योजना पोर्टल
स्रोत: द हिंदू
हाल ही में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री ने पारसी दंपत्तियों को जियो पारसी योजना हेतु आवेदन की सुविधा प्रदान करने के लिये जियो पारसी योजना पोर्टल का शुभारंभ किया।
जियो पारसी योजना:
- यह एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है जिसे वैज्ञानिक प्रोटोकॉल और संरचित हस्तक्षेपों का उपयोग करके भारत में पारसी समुदाय की घटती जनसंख्या की समस्या से निपटने के लिये क्रियान्वित किया गया है।
- यह पारसी दंपत्तियों को मानक चिकित्सा प्रोटोकॉल के तहत चिकित्सा उपचार के लिये वित्तीय सहायता प्रदान करेगा, साथ ही बच्चों की देखभाल और आश्रित वृद्धजनों को सहायता भी प्रदान करेगा।
- लाभार्थी और आवेदक अपने आवेदन की स्थिति की जाँच कर सकेंगे तथा प्रत्यक्ष लाभ अंतरण मोड के माध्यम से ऑनलाइन वित्तीय सहायता प्राप्त कर सकेंगे।
- वर्ष 2013-14 में अपनी शुरुआत के बाद से इस योजना ने 400 से अधिक पारसी बच्चों को सहायता प्रदान की है।
रैपिड फायर
तरंग शक्ति का द्विवार्षिक आयोजन
स्रोत: द हिंदू
हाल ही में भारतीय वायु सेना (IAF) के प्रमुख एयर चीफ मार्शल (ACM) वी.आर. चौधरी ने भारतीय वायु सेना (IAF) द्वारा आयोजित सबसे बड़े बहुपक्षीय हवाई अभ्यास तरंग शक्ति को द्विवार्षिक आयोजन बनाने की की घोषणा की है।
- अभ्यास का पहला चरण 6 से 14 अगस्त तक तमिलनाडु के सुलूर में संपन्न हुआ और फ्राँस, जर्मनी, स्पेन तथा यूनाइटेड किंगडम सहित चार देशों ने अपने उपकरणों के साथ भाग लिया।
- लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA), लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर (LCH), लाइट यूटिलिटी हेलीकॉप्टर (LUH), ट्रेनर HTT- 40 और एरोबैटिक हेलीकॉप्टर टीम, सारंग (Sarang) ने सुलूर वायु सेना स्टेशन के ऊपर हवाई प्रदर्शन में उड़ान भरी।
- दूसरा चरण 1 से 14 सितंबर तक राजस्थान के जोधपुर में आयोजित किया जाएगा और इसमें ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, ग्रीस, सिंगापुर, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), अमेरिका एवं 18 पर्यवेक्षक देश भाग लेंगे।
और पढ़ें: भारत के 5G लड़ाकू विमान और LCA तेजस, तरंग शक्ति, भारत के प्रमुख सैन्य अभ्यास
रैपिड फायर
अभ्यास मित्र शक्ति का 10वाँ संस्करण
स्रोत: पी.आई.बी
हाल ही में भारत-श्रीलंका संयुक्त सैन्य अभ्यास मित्र शक्ति का 10वाँ संस्करण शुरू हुआ।
- मित्र शक्ति अर्द्ध-शहरी इलाकों में विद्रोहों की रोकथाम और आतंकवाद रोधी अभियानों पर आधारित एक वार्षिक अभ्यास है।
- यह श्रीलंकाई सेना द्वारा किया जाने वाला सबसे बड़ा द्विपक्षीय अभ्यास है और भारत तथा श्रीलंका की बढ़ती रक्षा साझेदारी का प्रमुख हिस्सा है।
- इस संयुक्त अभ्यास को सामरिक अभ्यासों और व्यावहारिक चर्चाओं के माध्यम से संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियानों की वर्तमान गतिशीलता को शामिल करने के उद्देश्य से अभिकल्पित किया गया है।
- श्रीलंका के साथ भारत का अन्य अभ्यास- स्लाइनक्स/SLINEX (नेवी)।
- श्रीलंका हिंद महासागर में स्थित दक्षिण एशिया में एक द्वीप देश है, जो बंगाल की खाड़ी के दक्षिण-पश्चिम में और अरब सागर के दक्षिण-पूर्व में है।
- यह मन्नर की खाड़ी और पाल्क स्ट्रेट द्वारा भारतीय उपमहाद्वीप से अलग हो गया है तथा भारत व मालदीव के साथ एक समुद्री सीमा साझा करता है।
- भारत श्रीलंका का तीसरा सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य (अमेरिका और ब्रिटेन के बाद) है, जिसमें 60% से अधिक श्रीलंकाई निर्यात भारत-श्रीलंका FTA से लाभान्वित हैं।
- भारत और श्रीलंका दोनों ही बिम्सटेक तथा सार्क जैसे क्षेत्रीय समूहों का हिस्सा हैं।
देश |
अभ्यास |
ऑस्ट्रेलिया |
अभ्यास ऑस्ट्रा हिंदबाह |
बांग्लादेश |
अभ्यास सम्प्रीति |
चीन |
अभ्यास हैंड इन हैंड |
फ्राँस |
अभ्यास शक्ति |
इंडोनेशिया |
अभ्यास गरुड़ शक्ति |
कज़ाकिस्तान |
अभ्यास प्रबल दोस्तिक |
किर्गिस्तान |
अभ्यास खंजर |
मालदीव |
अभ्यास एकुवेरिन |
मंगोलिया |
अभ्यास नोमैडिक एलीफेंट |
म्याँमार |
अभ्यास इंबेक्स |
नेपाल |
अभ्यास सूर्य किरण |
ओमान |
अभ्यास अल नागाह |
रूस |
अभ्यास इंद्र |
सेशेल्स |
अभ्यास लामितिये |
श्रीलंका |
अभ्यास मित्र शक्ति |
थाईलैंड |
अभ्यास मैत्री |
यूके |
अभ्यास अजेय वॉरियर |
यूएसए |
अभ्यास युद्धाभ्यास |
यूएसए |
अभ्यास वज्र प्रहार |
और पढ़ें: भारत के प्रमुख सैन्य अभ्यास
रैपिड फायर
नवरोज़
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
भारत के प्रधानमंत्री ने पारसी नववर्ष नवरोज़- जिसे विशेष रूप से महाराष्ट्र और गुजरात में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है, के अवसर पर अपनी शुभकामनाएँ दीं।
- इस वर्ष, नवरोज़ 16 अगस्त 2024 को मनाया गया। जबकि विश्व स्तर पर यह मार्च में मनाया जाता है, भारत में यह उत्सव शहंशाही (Shahenshahi) या फसली कैलेंडर के आधार पर जुलाई या अगस्त में मनाया जाता है, जिसमें लीप वर्ष नहीं होता है।
- नवरोज़ जिसका अर्थ है "नया दिन", पारसी धर्म में गहराई से निहित है, जो प्राचीन फारस (आधुनिक ईरान) में पैगंबर ज़रथुस्त्र (Prophet Zarathustra) द्वारा स्थापित सबसे पुराने एकेश्वरवादी धर्मों में से एक है।
- भारत में नवरोज़ को फारसी राजा जमशेद के नाम पर जमशेद-ए-नवरोज़ (Jamshed-i-Navroz) के नाम से भी जाना जाता है।
- पारसी नववर्ष उत्सव की शुरुआत 3000 वर्ष पुरानी है और इसे भारत में 7वीं शताब्दी में गुजरात में प्रवास करने वाले ज़ोरास्ट्रियन (जिन्हें पारसी भी कहा जाता है) लोगों द्वारा लाया गया था।
- यूनेस्को ने वर्ष 2009 में प्रारंभिक प्रविष्टि के बाद वर्ष 2016 में नवरोज़ को मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची में शामिल किया।