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डेली न्यूज़

भारतीय विरासत और संस्कृति

नववर्ष के पारंपरिक त्योहार

  • 15 Apr 2022
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये:

बैसाखी, विशु, नाबा बरसा, वैसाखड़ी और पुथांडु-पिराप्पु तथा बोहाग बिहू।

मेन्स के लिये:

नववर्ष के पारंपरिक त्योहार।

चर्चा में क्यों?

भारत के राष्ट्रपति ने ‘चैत्र शुक्लादि, गुड़ी पड़वा, उगादि, चेटीचंड, वैसाखी, विसु, पुथांडु और बोहाग बिहू’ की पूर्व संध्या पर लोगों को बधाई दी है।

नववर्ष के पारंपरिक त्योहार:

  • बैसाखी:
    • इसे हिंदुओं और सिखों द्वारा मनाया जाता है।
    • यह हिंदू सौर नववर्ष की शुरुआत का प्रतीक है। 
    • यह वर्ष 1699 में गुरु गोविंद सिंह के खालसा पंथ के गठन की याद दिलाता है।
    • बैसाखी के दिन औपनिवेशिक ब्रिटिश साम्राज्य के अधिकारियों ने एक सभा में जलियांवाला बाग हत्याकांड को अंजाम दिया था, यह औपनिवेशिक शासन के खिलाफ भारतीय आंदोलन की एक घटना थी।
  • विशु:
    • यह एक हिंदू त्योहार है जो भारत के केरल राज्य, कर्नाटक में तुलु नाडु क्षेत्र, केंद्रशासित प्रदेश पुद्दुचेरी का माहे ज़िला, तमिलनाडु के पड़ोसी क्षेत्र में और उनके प्रवासी समुदाय द्वारा मनाया जाता है।
    • यह त्योहार केरल में सौर कैलेंडर के नौवें महीने, मेदाम के पहले दिन को चिह्नित करता है।
    • ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, यह हर वर्ष अप्रैल के मध्य यानी 14 या 15 अप्रैल को मनाया जाता है
  •  पुथांडु:
    • इसे पुथुवरुडम या तमिल नववर्ष के रूप में भी जाना जाता है, यह तमिल कैलेंडर में वर्ष का पहला दिन है और एक पारंपरिक त्योहार के रूप में मनाया जाता है।
    • इस त्योहार की तारीख तमिल महीने चिथिरई के पहले दिन के रूप में हिंदू कैलेंडर के सौर चक्र के साथ निर्धारित की जाती है।
    • इसलिये यह ग्रेगोरियन कैलेंडर में हर वर्ष 14 अप्रैल को आता है।
  • बोहाग बिहू:
    • बोहाग बिहू या रोंगाली बिहू, जिसे हतबिहु (सात बिहू) भी कहा जाता है, असम के उत्तर-पूर्वी भारत और अन्य भागों में मनाया जाने वाला एक पारंपरिक आदिवासी जातीय त्योहार है।
    • यह असमिया नववर्ष की शुरुआत का प्रतीक है।
    • यह आमतौर पर अप्रैल के दूसरे सप्ताह में आता है, ऐतिहासिक रूप से यह फसल के समय को दर्शाता है।
  • नाबा बरसा
    • बंगाली कैलेंडर के अनुसार, पश्चिम बंगाल में नववर्ष को नाबा बरसा उत्सव के रूप में मनाया जाता है।
    • इसे पोइला बोइशाख ( Poila Baisakh) के नाम से भी जाना जाता है जिसका शाब्दिक अर्थ है पहली बैसाखी (बंगालियों के चंद्र-सौर कैलेंडर में एक महीना)।
      • बंगाली लोग इस नए साल के त्योहार को साथ मिलकर अन्य बंगाली त्योहार की तरह जोर-शोर से मनाते हैं।
    • इस त्योहार को पूरे बंगाल में सभी जातियों और धर्मों के लोगो द्वारा मनाया जाता है।
    • दुर्गा पूजा के बाद यह बंगाल में दूसरा सबसे अधिक प्रचलित त्योहार है, यह त्योहार खासकर बंगाल के उन बंगाली लोगों को जोड़ता है, जो मूल रूप से हिंदू हैं।  

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs):

प्रश्न. निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिये: (2018)

पारंपरिक त्योहार                राज्य

  1. चापचार कुट उत्सव           मिज़ोरम
  2. खोंगजोम परबा गाथागीत     मणिपुर
  3. थांग-ता नृत्य                  सिक्किम

उपर्युक्त युग्मों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 1 और 2
(c) केवल 3
(d) केवल 2 और 3

उत्तर: (b)

  • चापचार कुट मिज़ोरम के सबसे पुराने त्योहारों में से एक है तथा इसका एक महान सांस्कृतिक महत्त्व है।
  • खोंगजोम परबा ढोलक (drum) का उपयोग करते हुए मणिपुर से गाथागीत गायन की एक शैली है। इसमें वर्ष 1891 में ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ मणिपुर के लोगों द्वारा वीरता से लड़े गए युद्ध की कहानियों को दर्शाया गया है।
  • थांग-ता प्राचीन मणिपुरी मार्शल आर्ट के लिये एक लोकप्रिय शब्द है जिसे ह्यूएन लालोंग के नाम से जाना जाता है। थांग-ता  तलवार और भाला नृत्य है जहाँ 'थांग' का अर्थ है 'तलवार' और 'ता' का अर्थ है 'भाला'।

स्रोत: पी.आई.बी.

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