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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 13 Apr, 2024
  • 26 min read
प्रारंभिक परीक्षा

भारत वर्ष में नये साल के त्योहार

स्रोत: पी.आई.बी.

हाल ही में भारत में चैत्र शुक्लादि, उगादि, गुड़ी पड़वा, चेटीचंड, नवरेह और साजिबू चेराओबा जैसे पारंपरिक हिंदू नव वर्ष त्योहार पूरे भारत वर्ष में मनाए गए, वसंत ऋतु के ये त्योहार भारत में पारंपरिक नववर्ष की शुरुआत के प्रतीक हैं।

भारत के पारंपरिक नववर्ष त्योहार:

  • चैत्र शुक्लादि :
    • यह विक्रम संवत के नववर्ष की शुरुआत का प्रतीक है जिसे वैदिक (हिंदू) कैलेंडर के रूप में भी जाना जाता है।
    • विक्रम संवत उस दिन पर आधारित है जब सम्राट विक्रमादित्य ने शकों को हराया, उज्जैन पर आक्रमण किया और एक नए युग का आह्वान किया।
    • यह चैत्र (हिंदू कैलेंडर का पहला महीना) में वर्द्धमान अर्धचंद्र चरण (जिसमें चंद्रमा का दृश्य पक्ष प्रत्येक रात बढ़ रहा होता है) का पहला दिन होता है।
  • गुड़ी पड़वा और उगादी:
    • ये त्योहार कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र सहित दक्कन क्षेत्र के लोगों द्वारा मनाए जाते हैं।
    • इसमें गुड़ (मीठा) और नीम (कड़वा) परोसा जाता है, जिसे दक्षिण में बेवु-बेला कहा जाता है, यह जीवन में आने वाले सुख व दुख का प्रतीक होता है।
    • गुड़ी महाराष्ट्र में घरों में तैयार की जाने वाली एक गुड़िया है।
      • उगादी पर घरों में दरवाज़ों को आम के पत्तों से सजाया जाता है जिन्हें कन्नड़ में तोरणालु या तोरण कहा जाता है।
  • चेटीचंड:
    • चेटीचंड सिंधी समुदाय का नववर्ष का त्योहार है।
    • यह त्योहार सिंधी समुदाय के संरक्षक संत झूलेलाल की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।
  • वैशाखी:
    • इसे हिंदुओं और सिखों द्वारा मनाई जाने वाली बैसाखी के रूप में भी जाना जाता है।
    • यह वर्ष 1699 में गुरु गोबिंद सिंह के अधीन योद्धाओं के खालसा पंथ के गठन की स्मृति में मनाया जाता है।
    • बैसाखी उस दिन को भी चिह्नित करती है जब औपनिवेशिक ब्रिटिश साम्राज्य के अधिकारियों ने एक सभा के दौरान जलियाँवाला बाग हत्याकांड को अंज़ाम दिया था, जो औपनिवेशिक शासन के खिलाफ भारतीय आंदोलन हेतु प्रभावशाली घटना थी।
  • नवरेह:
    • नवरेह कश्मीरी नववर्ष का दिन है।
    • इस दिन को विभिन्न अनुष्ठानों का आयोजन, घरों को फूलों से सजाने, पारंपरिक व्यंजन तैयार करने और देवताओं की प्रार्थना करने के रूप में चिह्नित किया जाता है।
  • साजिबू चेराओबा:
    • यह मणिपुर के सबसे महत्त्वपूर्ण त्योहारों में से एक माना जाता है।
    • यह विशेष रूप से राज्य के मैतेई लोगों द्वारा बहुत धूमधाम और खुशी के साथ मनाया जाता है।


प्रारंभिक परीक्षा

चंद्रमा का टाइम ज़ोन

स्रोत: एल एम

चर्चा में क्यों?

हाल ही में यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी चंद्रमा के लिये एक सार्वभौमिक टाइमकीपिंग प्रणाली की योजना बना रही है।

चंद्रमा पर टाइमकीपिंग क्या है?

  • परिचय:
    • चंद्रमा (पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह) का अपना दिन और रात का चक्र होता है, जो लगभग 29.5 पृथ्वी दिवस तक चलता है।
    • वर्तमान में चंद्रमा पर समय यूनिवर्सल टाइम कोऑर्डिनेशन (UTC) का उपयोग करके मापा जाता है, जो पृथ्वी पर उपयोग की जाने वाली समान टाइमकीपिंग प्रणाली है।
    • 'कोऑर्डिनेटेड लूनर टाइम' (LTC) चंद्रमा के लिये एकीकृत समय मानक होगा।
      • LTC तय करने के लिये, चंद्रमा की सतह पर कम-से-कम तीन परमाणु घड़ियाँ लगाने की आवश्यकता होगी जो चंद्रमा की प्राकृतिक गति से समानता रखेंगी, और जिनके आउटपुट को एक अधिक सटीक आभासी घड़ी उत्पन्न करने के लिये एल्गोरिदम द्वारा जोड़ा जाएगा।
  • LTC की आवश्यकता:
    • LTC चंद्र अंतरिक्ष यान और उपग्रहों के लिये एक टाइमकीपिंग बेंचमार्क प्रदान करेगा जिन्हें अपने मिशनों के लिये अत्यधिक सटीकता की आवश्यकता होती है।
    • यह उपग्रहों, अंतरिक्ष यात्रियों, बेस और पृथ्वी के बीच संचार व तालमेल स्थापित करेगा।
    • चूँकि चंद्रमा का दिन पृथ्वी के दिन से अधिक लंबा होता है, इसलिये चंद्रमा पर दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों के लिये UTC का उपयोग करना कठिन होगा।
    • चंद्रमा पर गुरुत्वाकर्षण बल पृथ्वी की तुलना में कम है। पृथ्वी की तुलना में चंद्रमा पर समय प्रतिदिन 58.7 माइक्रोसेकंड तेज़ चलता है।
      • चंद्रमा पर एक परमाणु घड़ी पृथ्वी पर एक घड़ी की तुलना में अलग गति से चलेगी।
    • इस मुद्दे को हल करने के लिये, शोधकर्त्ताओं ने एक चंद्रमा के लिये एक टाइम ज़ोन बनाने का प्रस्ताव दिया है, जो चंद्रमा के दिन और रात के चक्र पर आधारित होगा।
    • इससे चंद्रमा पर बसने वालों के लिये समय का ध्यान रखना और साथ ही गतिविधियों का समन्वय करना सरल हो जाएगा।
    • चंद्रमा पर टाइम ज़ोन होने से शोधकर्त्ताओं के लिये चंद्रमा पर प्रयोग करना तथा डेटा एकत्र करना भी सरल हो जाएगा।
    • यह पृथ्वी और चंद्रमा पर विभिन्न टाइमकीपिंग प्रणालियों का उपयोग करने से उत्पन्न होने वाले भ्रम तथा त्रुटियों को रोकने में भी सहायता प्रदान करेगा।
  • चुनौतियाँ:
    • चंद्रमा के लिये एकीकृत समय मानक को लागू करने के लिये टाइमकीपिंग की वैज्ञानिक जटिलताओं पर व्यापक वैश्विक सहयोग तथा आम सहमति की आवश्यकता है।

यूनिवर्सल टाइम कोऑर्डिनेटेड (UTC) क्या है?

  • यूनिवर्सल टाइम कोऑर्डिनेटेड (Universal Time Coordinated- UTC) एक समय मानक है जिसका उपयोग विश्व भर में समय को सुसंगत रखने के लिये किया जाता है।
  • UTC अंतर्राष्ट्रीय परमाणु समय (International Atomic Time- IAT) पर आधारित है जिसे विश्व भर में परमाणु घड़ियों द्वारा बनाए रखा जाता है।
  • यह कई देशों अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और वैज्ञानिक अनुसंधान संस्थानों द्वारा उपयोग किया जाने वाला प्राथमिक समय मानक है।
  • UTC को 24-घंटे की घड़ी के रूप में व्यक्त किया जाता है और इसका उपयोग समन्वित सार्वभौमिक समय (UTC+0) से समय की ऑफसेट को इंगित करने के लिये किया जाता है।
  • समय क्षेत्र को UTC से ऑफसेट के रूप में परिभाषित किया गया है, कुछ समय क्षेत्र UTC (UTC+1, UTC+2, आदि) से आगे हैं और अन्य UTC (UTC-1, UTC-2, आदि) से पीछे हैं।
  • पृथ्वी के घूर्णन में होने वाले परिवर्तन को ध्यान में रखते हुए UTC को समय-समय पर समायोजित किया जाता है, जिससे एक दिन के समय में भिन्नता हो सकती है।
  • ये समायोजन UTC में लीप सेकंड जोड़कर किये जाते हैं, जो समय मानक को पृथ्वी के घूर्णन के साथ सिंक्रनाइज़ रखने में सहायता करता है।

परमाणु घड़ियाँ क्या हैं?

  • परमाणु घड़ी, एक ऐसी घड़ी है, जो अपनी असाधारण सटीकता के लिये जानी जाती है और साथ ही परमाणुओं की विशष्ट अनुनाद आवृत्तियों, आमतौर पर सीज़ियम अथवा रुबिडियम के उपयोग से संचालित होती है।
    • परमाणु समय में, एक सेकंड को उस अवधि के रूप में परिभाषित किया जाता है जिसमें एक सीज़ियम परमाणु 9,192,631,770 बार कंपन करता है।
  • इसका आविष्कार लुईस एसेन ने वर्ष 1955 में किया था।
  • परमाणु घड़ियों के अत्यधिक परिशुद्धता स्तर की व्याख्या इस तथ्य से की जा सकती है कि उनका समय लगभग प्रति 100 मिलियन वर्ष में एक सेकंड प्रभावित होता है।
  • वर्तमान में भारत में परमाणु घड़ियाँ अहमदाबाद और फरीदाबाद में चालू हैं।

और पढ़ें… भारत में 2 टाइम ज़ोन

 UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न 

प्रिलिम्स:

प्रश्न 1. सेलीन-1, चंद्र कक्षीय मिशन निम्नलिखित में से किससे संबंधित है? (2008)

(a) चीन
(b) यूरोपीय संघ
(c) जापान
(d) सयुंक्त राज्य अमेरिका

उत्तर: (c)


प्रश्न 2. हाल ही में चर्चा में रहे अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी के थेमिस मिशन का क्या उद्देश्य है? (2008)

(a)  मंगल ग्रह पर जीवन की संभावना का अध्ययन करना
(b) शनि के उपग्रहों का अध्ययन करना
(c) उच्च अक्षांश आकाश के रंगीन प्रदर्शन का अध्ययन करना
(d) तारकीय विस्फोट का अध्ययन करने के लिये एक अंतरिक्ष प्रयोगशाला बनाना

उत्तर: (c)


प्रश्न 3. निम्नलिखित में से किस ग्रह में प्राकृतिक उपग्रहों या चंद्रमाओं की संख्या सबसे अधिक है? (2009)

(a) बृहस्पति
(b) मंगल
(c) शनि
(d) शुक्र

उत्तर: (a)


प्रश्न 4. महासागरों और समुद्रों में ज्वार-भाटाएँ किसके/किनके कारण होता/होते है/हैं? (2015)

  1. सूर्य का गुरुत्वाकर्षण बल
  2. चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण बल
  3. पृथ्वी का केन्द्रापसारक बल

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग करके सही उत्तर चुनिये

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (d)


प्रारंभिक परीक्षा

प्रथम आम चुनाव 1951-52

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

जैसे-जैसे भारत में 2024 के आम चुनाव नज़दीक आ रहे हैं, वैसे ही 1951-52 में हुए देश के पहले लोकसभा चुनाव, इसके ऐतिहासिक महत्त्व की ओर ध्यान आकर्षित करते हैं। यह उद्घाटन चुनाव भारत के लोकतांत्रिक विकास में एक निर्णायक क्षण था।

भारत के पहले आम चुनाव के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं?

  • ऐतिहासिक मतदान:
    • स्वतंत्र भारत का पहले आम चुनाव 25 अक्तूबर, 1951 और 21 फरवरी, 1952 के बीच हुए थे।
    • यह एक वृहद प्रक्रिया थी जिसमें विश्व की जनसंख्या का छठा हिस्सा मतदान करने जा रहा था, जिससे यह उस समय दुनिया में आयोजित सबसे बड़ा चुनाव बन गया।
      • अंततः देश भर से (जम्मू-कश्मीर को छोड़कर) 17.32 करोड़ मतदाता मतदान देने के लिये नामांकित हुए, और इनमें लगभग 45% महिलाएँ थीं।
    • 21 वर्ष से अधिक आयु के 176 मिलियन मतदाताओं के साथ (मतदान की आयु 1989 में इकसठवाँ संविधान (संशोधन) अधिनियम, 1989 के पारित होने के साथ केवल 18 वर्ष कर दी गई थी), यह पहली बार था कि सार्वभौमिक मतदान का इतने बड़े पैमाने पर अभ्यास किया गया। वयस्क मताधिकार लागू किया गया था, और इनमें से 82% मतदाता निरक्षर थे।
  • कानूनी ढाँचा:
    • संसद ने मतदाता योग्यता, निर्वाचन मशीनरी और अन्य निर्वाचन प्रक्रियाओं के लिये आधार तैयार करते हुए लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 और 1951 को अधिनियमित किया।
    • भारतीय निर्वाचन आयोग (ECI) की स्थापना जनवरी, 1950 में की गई थी, जिसमें सुकुमार सेन पहले मुख्य निर्वाचन आयुक्त के तौर पर नियुक्त हुए थे।
  • निर्वाचन मशीनरी:
    • निरक्षर मतदाताओं की सहायता के लिये रंगीन मतपेटियों और 1 रुपए के नोट के आकार के मतपत्रों का बड़े पैमाने पर उपयोग किया गया।
      • वर्ष 1951 में भारत की साक्षरता दर कम होने (18.33%) के कारण प्रत्येक उम्मीदवार के लिये अलग-अलग रंग की मतपेटियों का उपयोग करने का विचार आया, लेकिन इसे अव्यवहारिक माना गया। इसके बजाय, सभी बूथों पर प्रत्येक उम्मीदवार के लिये अलग-अलग मतपेटियों का उपयोग करने का निर्णय लिया गया, जिस पर उम्मीदवार का चुनाव चिह्न अंकित होना था।
      • मतपत्र गुलाबी रंग के होने के साथ "भारत निर्वाचन आयोग" और राज्य को दर्शाने वाले दो अक्षरों वाले क्रमांक को शामिल किया गया- जैसे हैदराबाद राज्य के लिये HY, बिहार के लिये BR, असम के लिये AS, आदि।
  • राजनीतिक परिदृश्य और पार्टी की भागीदारी:
    • वहाँ 53 राजनीतिक दल थे जिनमें से 14 राष्ट्रीय थे। इनमें भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, सोशलिस्ट पार्टी, किसान मज़दूर प्रजा पार्टी और अखिल भारतीय हिंदू महासभा समेत अन्य समूह शामिल थे।
  • चुनाव परिणाम:
    • जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस प्रमुख राजनीतिक बल के रूप में उभरी, जिसने 489 लोकसभा सीटों में से 318 सीटें प्राप्त कीं और सत्तारूढ़ दल के रूप में अपनी स्थिति मज़बूत की।
      • पहले लोकसभा चुनाव में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (Communist Party of India- CPI) उपविजेता बनकर उभरी, उसके बाद सोशलिस्ट पार्टी और अन्य राजनीतिक दल रहे।

 UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न 

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित कथनाें पर विचार कीजिये:

  1. पहली लोक सभा में विपक्ष में सबसे बड़ा राजनीतिक दल स्वतंत्र पार्टी था।
  2. लोक सभा में ‘‘नेता-प्रतिपक्ष’’ को सर्वप्रथम 1969 में मान्यता दी गई थी।
  3. लोक सभा में यदि किसी दल के न्यूनतम 75 सदस्य न हों तो उसके नेता को नेता-प्रतिपक्ष के रूप में मान्यता नहीं मिल सकती है।

उपर्युत्त कथनाें में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 और 3
(b) केवल 2
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (b)


प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2017)

  1. भारत का निर्वाचन आयोग पाँच-सदस्यीय निकाय है।
  2. संघ का गृह मंत्रालय, आम चुनाव और उप-चुनावों दोनों के लिये चुनाव कार्यक्रम तय करता है।
  3. निर्वाचन आयोग मान्यता-प्राप्त राजनीतिक दलों के विभाजन/विलय से संबंधित विवाद निपटाता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं ?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2
(c) केवल 2 और 3
(d) केवल 3

उत्तर: (d)


रैपिड फायर

प्लवक क्रैश

स्रोत: द हिंदू

हाल ही में राष्ट्रीय हरित अधिकरण (National Green Tribunal - NGT) पैनल ने पुडुचेरी में समुद्र के लाल होने का कारण प्लवक क्रैश (Plankton Crash) की घटना को बताया है।

  • NGT पैनल ने अपशिष्टों के कारण शैवालीय प्रस्फुटन और संदूषण को खारिज़ करते हुए सुझाव दिया कि वहाँ उच्च लौह सांद्रता थी जो सामान्यतः प्लवक प्रस्फुटन को बढ़ावा देती है।
  • एक विशिष्ट एककोशिकीय फाइटोप्लांकटन प्रजाति, नोक्टिलुका सिंटिलन्स (Noctiluca scintillans) का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा जल में लाल रंग के निर्वहन के लिये ज़िम्मेदार था।
  • समुद्र की सतह का तापमान, जल की लवणता, pH और घुलित ऑक्सीजन जैसे पर्यावरणीय पैरामीटर फाइटोप्लांकटन क्रैश के लिये अनुकूल थे।

शैवाल प्रस्फुटन: 

  • शैवाल प्रस्फुटन को जलीय पारिस्थितिकी तंत्र में शैवाल की संख्या में तेज़ी से वृद्धि के रूप में परिभाषित किया जा सकता है।
  • इसे आमतौर पर जलीय पारिस्थितिकी तंत्र में पोषक तत्त्व (जैसे नाइट्रोजन या फास्फोरस) के प्रवेश के कारण जल की सतह पर होने वाले मलिनकिरण से पहचाना जाता है

और पढ़ें: हानिकारक शैवाल ब्लूम राष्ट्रीय हरित अधिकरण


रैपिड फायर

QS वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग में भारत की उपलब्धियाँ

स्रोत: द हिंदू 

भारत की उच्च शिक्षा और अनुसंधान परिदृश्य ने विषय के आधार पर QS वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग में महत्त्वपूर्ण प्रगति दिखाई है, जो वैश्विक शैक्षणिक समुदाय में देश की बढ़ती उपस्थिति को दर्शाता है।

  • IIM-अहमदाबाद, IIM-बैंगलोर और IIM-कलकत्ता को व्यवसाय एवं प्रबंधन के अध्ययन के लिये विश्व स्तर पर शीर्ष 50 संस्थानों में स्थान प्राप्त हुआ है।
  • जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय ने विकासात्म्क अध्ययन के लिये विश्व स्तर पर 20वाँ स्थान प्राप्त किया, जिससे यह भारत में सर्वोच्च रैंक वाला विश्वविद्यालय बन गया।
  • चेन्नई में सविता इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एंड टेक्निकल साइंसेज़ ने दंत चिकित्सा अध्ययन के लिये विश्व स्तर पर 24वाँ स्थान प्राप्त किया।
  • भारत विश्व के सबसे तेज़ी से विस्तार करने वाले अनुसंधान केंद्रों में से एक के रूप में उभरा है, जिसमें 2017 से 2022 तक अनुसंधान के क्षेत्र में 54% की वृद्धि देखी गई है।
    • भारत वैश्विक स्तर पर अनुसंधान के क्षेत्र में चौथे स्थान पर है, यानि चीन, अमेरिका और ब्रिटेन से पीछे है, लेकिन अनुसंधान प्रभाव के मामले में 9वें स्थान पर है।
  • संपूर्ण एशिया संदर्भ में भारत विशिष्ट विश्वविद्यालयों की संख्या के मामले में दूसरे स्थान पर है और रैंक की गई प्रविष्टियों की कुल संख्या में चौथा स्थान रखता है।
  • भारत को प्रमुख वैश्विक पत्रिकाओं में उद्धरण हासिल करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, 2017 और 2021 के बीच इसके केवल 15% शोध को शीर्ष स्तरीय पत्रिकाओं में उद्धृत किया गया है।

और पढ़ें:  QS वर्ल्ड रैंकिंग 2024


रैपिड फायर

गॉड पार्टिकल या हिग्स बोसॉन

स्रोत: द हिंदू

नोबेल पुरस्कार विजेता भौतिक विज्ञानी पीटर हिग्स के हालिया निधन ने 1960 के दशक में उनके द्वारा प्रतिपादित रहस्यमय कण की ओर ध्यान आकर्षित किया है, जिसे 'गॉड पार्टिकल' या हिग्स बोसॉन के नाम से जाना जाता है।

  • हिग्स बोसॉन, इलेक्ट्रॉनों या क्वार्क के समान एक प्राथमिक कण, अन्य मूलभूत कणों को द्रव्यमान प्रदान करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • पीटर हिग्स ने सबसे पहले 1960 के दशक में हिग्स क्षेत्र और उससे जुड़े हिग्स बोसॉन के अस्तित्व का प्रस्ताव रखा था।
    • हिग्स बोसॉन हिग्स क्षेत्र का क्वांटम उद्दीपन (quantum excitation) है, ऐसा माना जाता है कि यह पूरे ब्रह्मांड में व्याप्त है और अन्य कणों के साथ संपर्क करके उन्हें द्रव्यमान प्रदान करता है।
    • हिग्स बोसॉन की खोज ने कण भौतिकी के मानक मॉडल के रूप में जाना जाने वाला कार्य पूर्ण किया जो सभी मूलभूत कणों का वर्णन करता है (इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन और बल, जैसे विद्युत चुंबकत्व, गुरुत्वाकर्षण या परमाणु बल जो पृथ्वी के भौतिक भाग का निर्माण करते हैं)।
      • कण भौतिकी के मानक मॉडल के अनुसार, कण पूरे ब्रह्मांड में मौजूद हिग्स क्षेत्र के साथ संपर्क करके अपना द्रव्यमान प्राप्त करते हैं।
      • एक कण हिग्स क्षेत्र के साथ जितना अधिक मज़बूत संपर्क करता है, उतना ही अधिक वह संबंधित क्षेत्र को "स्पर्श (Feel)" करता है, जहाँ वह मौज़ूद होता है और वह उतना ही अधिक विशाल हो जाता है।
  • हिग्स बोसॉन को प्रायोगिक तौर पर 2012 में यूरोपियन ऑर्गेनाइज़ेशन फॉर न्यूक्लियर रिसर्च के CERN (कॉन्सिल यूरोपियन पौर ला रेचेर्चे न्यूक्लियर (Conseil Européen pour la Recherche Nucléaire)) में लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर (Large Hadron Collider - LHC) में खोजा गया था।

और पढ़ें: भौतिकी में नोबेल पुरस्कार 2023


रैपिड फायर

ग्रैविटी होल

स्रोत: टाइम्स ऑफ इंडिया 

हाल ही में भूवैज्ञानिकों के लिये हिंद महासागर में "ग्रैविटी होल" का रहस्य चर्चा का विषय रहा है।

  • पृथ्वी का आकार और गुरुत्वाकर्षण इसके धरातल पर एक समान नहीं होता है। इसके स्थान पर यह (गुरुत्वाकर्षण बल) ध्रुवों पर अधिक और भूमध्य रेखा पर कम होता है जिससे गुरुत्व विसंगति (Gravity Anomaly) की परिघटना होती है।
  • इसके अतिरिक्त गुरुत्वाकर्षण बल पृथ्वी के भीतर क्रस्ट, मेंटल और क्रोड के द्रव्यमान वितरण के आधार पर भिन्न होता है। हिंद महासागर में ग्रैविटी होल इसका एक उदाहरण है।
  • 'ग्रेविटी होल', जिसे आधिकारिक तौर पर इंडियन ओशन जियोइड लो (Indian Ocean geoid low) के रूप में जाना जाता है, जिसका आशय समुद्री स्तर में एक विशाल निम्न भू-भाग/क्षेत्र से है जो वैश्विक औसत से लगभग 106 मीटर कम है और लगभग 1.2 मिलियन वर्ग मील क्षेत्र को कवर करता है।
  • इसकी उत्पत्ति भारत के दक्षिणी सिरे से होती है और इसे सबसे पहले वर्ष 1948 में डच भू-भौतिकीविद् फेलिक्स एंड्रीज़ वेनिंग माइनेज़ द्वारा प्रकाश में लाया गया था।

और पढ़ें… गुरुत्वीय तरंगे


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