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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

भारत का वृहत् मीटरवेव रेडियो टेलीस्कोप

  • 04 Jul 2023
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

भारत का वृहत् मीटरवेव रेडियो टेलीस्कोप, गुरुत्वीय तरंगें, पल्सर

मेन्स के लिये:

गुरुत्वीय तरंगें

चर्चा में क्यों?

हाल ही में खगोलविदों की एक अंतर्राष्ट्रीय टीम ने पल्सर अवलोकनों का उपयोग करके गुरुत्वाकर्षण तरंगों की उपस्थिति की पुष्टि करने वाले वैज्ञानिक प्रमाण की घोषणा की।

मुख्य निष्कर्ष:

  • खगोलविदों ने अति निम्न आवृत्ति के गुरुत्वाकर्षण तरंगों के कारण दिक्-काल (Space time) के निरंतर कंपन का पहला प्रत्यक्ष प्रमाण रिकॉर्ड किया।
  • उन्होंने इन तरंगों की शक्ति और आवृत्ति की नई सीमाएँ भी निर्धारित कीं, जो सैद्धांतिक भविष्यवाणियों के अनुरूप हैं।
  • इस उपलब्धि के शोधकर्ता नैनोहर्ट्ज़ गुरुत्वाकर्षण तरंगों की खोज के भी बेहद निकट पहुँच गए हैं, जिससे आकाशगंगा के विकास, ब्रह्मांड विज्ञान और मूलभूत भौतिकी के अध्ययन के क्षेत्र में संभावनाओं का नया मार्ग प्रशस्त होगा।

GMRT द्वारा गुरुत्वाकर्षण तरंगों का पता लगाना

  • GMRT पल्सर का उपयोग करके गुरुत्वाकर्षण तरंगों का पता लगाता है - जो मनुष्यों के लिये एकमात्र सुलभ आकाशीय घड़ियाँ हैं, जो वास्तविकता में तेज़ी से घूमने वाले न्यूट्रॉन तारे हैं।
  • पल्सर रेडियो तरंगों के नियमित स्पंदन उत्सर्जित करते हैं जिनका उपयोग उनकी घूर्णन अवधि तथा दूरियों को उच्च परिशुद्धता के साथ मापने के लिये किया जा सकता है।
  • GMRT इंडियन पल्सर टाइमिंग ऐरे (InPTA) का हिस्सा है, जो भारतीय और जापानी शोधकर्ताओं का एक सहयोग है जो अन्य दूरबीनों के साथ GMRT डेटा का उपयोग करता है।

नोट: 

  • PTA रेडियो दूरबीनों का अंतर्राष्ट्रीय सहयोग है जो नैनोहर्ट्ज़ बैंड में गुरुत्वाकर्षण तरंगों की खोज के लिये कई वर्षों तक सैकड़ों पल्सर का निरीक्षण करता है।
  • GMRT इंडियन पल्सर टाइमिंग ऐरे (InPTA) का भाग है, जिसमें भारतीय और जापानी शोधकर्ता सहयोगी हैं जो अन्य दूरबीनों के साथ GMRT डेटा का उपयोग करते हैं।

GMRT क्या है? 

  • GMRT 45 मीटर व्यास के पूरी तरह से संचालित तीस परवलयिक रेडियो दूरबीनों की एक शृंखला है। यह टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (NCRA-TIFR) के नेशनल सेंटर फॉर रेडियो एस्ट्रोफिज़िक्स द्वारा संचालित है।
  • यह भारत में नारायणगाँव, पुणे के पास स्थित है तथा नेशनल सेंटर फॉर रेडियो एस्ट्रोफिज़िक्स (NCRA) द्वारा संचालित है जो टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च, मुंबई का हिस्सा है।
  • यह कम आवृत्तियों पर विश्व के सबसे बड़े और संवेदनशील रेडियो टेलीस्कोप सारणियों में से एक है।
  • हाल ही में GMRT ने अपने रिसीवर्स और इलेक्ट्रॉनिक्स में महत्त्वपूर्ण उन्नयन किया है जिससे इसकी संवेदनशीलता एवं बैंडविड्थ में सुधार हुआ है। इसे अब उन्नत GMRT (uGMRT) के रूप में जाना जाता है।      

गुरुत्वीय तरंगें: 

  • परिचय: 
    • गुरुत्वीय तरंगें ब्रह्मांड में तीव्र एवं ऊर्जावान प्रक्रियाओं के कारण स्पेस टाइम में उत्पन्न होने वाली तरंगें हैं।
    • वर्ष 1916 में अल्बर्ट आइंस्टीन ने सापेक्षता के अपने सामान्य सिद्धांत में इनके अस्तित्व के बारे में बताया था। 
  • गुरुत्वीय तरंगों की उत्पत्ति: 
    • प्रलयंकारी घटनाएँ: सबसे शक्तिशाली गुरुत्वाकर्षण तरंगें ब्लैक होल, सुपरनोवा और न्यूट्रॉन सितारों के टकराने से उत्पन्न होती हैं। 
    • न्यूट्रॉन सितारों का घूर्णन: गुरुत्वीय तरंगें अपूर्ण गोलाकार न्यूट्रॉन सितारों के घूर्णन तथा संभवतः बिग बैंग से गुरुत्वाकर्षण विकिरण के अवशेषों से भी उत्पन्न हो सकती हैं।
  • विशेषताएँ और पहचान:
    • पदार्थ के साथ कमज़ोर अंतःक्रिया के कारण गुरुत्वीय तरंगों का पता लगाना चुनौतीपूर्ण होता है।
      • गुरुत्वीय तरंगों के बारे में पता पहली बार वर्ष 2015 में लेज़र इंटरफेरोमीटर ग्रेविटेशनल ऑब्ज़र्वेटरी (LIGO) डिटेक्टरों से जुड़े एक प्रयोग का उपयोग करके लगाया गया था। 
    • LIGO जैसे संवेदनशील उपकरण इंटरफेरोमीटर स्पेस-टाइम (Space-time) में मामूली गड़बड़ी को माप कर गुरुत्वीय तरंगों का पता लगाने के लिये विकसित किये गए हैं।

 UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न 

प्रश्न. हाल ही में वैज्ञानिकों ने पृथ्वी से अरबों प्रकाश-वर्ष दूर विशालकाय ‘ब्लैकहोलों’ के विलय का प्रेक्षण किया। इस प्रेक्षण का क्या महत्व है? (2019)

(a) ‘हिग्स बोसॉन कणों’ का अभिज्ञान हुआ।
(b) ‘गुरुत्वीय तरंगों’ का अभिज्ञान हुआ।
(c) ‘वॉर्महोल’ से होते हुए अंतरा-मंदाकिनीय अंतरिक्ष यात्रा की संभावना की पुष्टि हुई।
(d) इसने वैज्ञानिकों को ‘विलक्षणता (सिंगुलैरिटि)’ को समझना सुकर बनाया।

उत्तर: (b)


प्रश्न. ‘विकसित लेज़र व्यतिकरणमापी अंतरिक्ष ऐन्टेना, (इवॉल्वड लेज़र इन्टरफेरोमीटर स्पेस ऐन्टेना/eLISA)’ परियोजना का क्या प्रयोजन है? (2017)

(a) न्यूट्रिनों का संसूचन करना
(b) गुरुत्वीय तरंगों का संसूचन करना
(c) प्रक्षेपणास्त्र रक्षा प्रणाली की प्रभावकारिता का संसूचन करना
(d) हमारी संचार प्रणालियों पर सौर प्रज्वाल (सोलर फ्लेयर) के प्रभाव का अध्ययन करना

उत्तर: (b)

  • "विकसित लेज़र व्यतिकरणमापी अंतरिक्ष ऐन्टेना (eLISA)" 0.1mHz से 100mHz की आवृत्ति रेंज़ में गुरुत्वीय तरंगों को मापने की एक परियोजना है।
  • इस परियोजना में 3 अंतरिक्ष यान शामिल हैं जो पृथ्वी के चारों ओर त्रिकोणीय पथ में उड़ान भरेंगे। इस काल्पनिक त्रिभुज के प्रत्येक किनारे की भुजा की लंबाई लगभग 50 मिलियन किमी. होगी।
  • इन अंतरिक्ष यानों के अंदर 46 मिमी. की भुजा वाले मुक्त रूप से गिरने वाले घन रखे जाएंगे। यदि ये मुक्त रूप से गिरते घन गुरुत्वाकर्षण तरंगों से टकराते हैं, तो इन घनों के बीच की दूरी में परिवर्तन लेज़र व्यतिकरणमापी द्वारा सटीक रूप से मापा जाएगा।
  • अतः विकल्प (b) सही उत्तर है।

स्रोत: द हिंदू

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