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भारत वर्ष में नये साल के त्योहार

  • 13 Apr 2024
  • 3 min read

स्रोत: पी.आई.बी.

हाल ही में भारत में चैत्र शुक्लादि, उगादि, गुड़ी पड़वा, चेटीचंड, नवरेह और साजिबू चेराओबा जैसे पारंपरिक हिंदू नव वर्ष त्योहार पूरे भारत वर्ष में मनाए गए, वसंत ऋतु के ये त्योहार भारत में पारंपरिक नववर्ष की शुरुआत के प्रतीक हैं।

भारत के पारंपरिक नववर्ष त्योहार:

  • चैत्र शुक्लादि :
    • यह विक्रम संवत के नववर्ष की शुरुआत का प्रतीक है जिसे वैदिक (हिंदू) कैलेंडर के रूप में भी जाना जाता है।
    • विक्रम संवत उस दिन पर आधारित है जब सम्राट विक्रमादित्य ने शकों को हराया, उज्जैन पर आक्रमण किया और एक नए युग का आह्वान किया।
    • यह चैत्र (हिंदू कैलेंडर का पहला महीना) में वर्द्धमान अर्धचंद्र चरण (जिसमें चंद्रमा का दृश्य पक्ष प्रत्येक रात बढ़ रहा होता है) का पहला दिन होता है।
  • गुड़ी पड़वा और उगादी:
    • ये त्योहार कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र सहित दक्कन क्षेत्र के लोगों द्वारा मनाए जाते हैं।
    • इसमें गुड़ (मीठा) और नीम (कड़वा) परोसा जाता है, जिसे दक्षिण में बेवु-बेला कहा जाता है, यह जीवन में आने वाले सुख व दुख का प्रतीक होता है।
    • गुड़ी महाराष्ट्र में घरों में तैयार की जाने वाली एक गुड़िया है।
      • उगादी पर घरों में दरवाज़ों को आम के पत्तों से सजाया जाता है जिन्हें कन्नड़ में तोरणालु या तोरण कहा जाता है।
  • चेटीचंड:
    • चेटीचंड सिंधी समुदाय का नववर्ष का त्योहार है।
    • यह त्योहार सिंधी समुदाय के संरक्षक संत झूलेलाल की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।
  • वैशाखी:
    • इसे हिंदुओं और सिखों द्वारा मनाई जाने वाली बैसाखी के रूप में भी जाना जाता है।
    • यह वर्ष 1699 में गुरु गोबिंद सिंह के अधीन योद्धाओं के खालसा पंथ के गठन की स्मृति में मनाया जाता है।
    • बैसाखी उस दिन को भी चिह्नित करती है जब औपनिवेशिक ब्रिटिश साम्राज्य के अधिकारियों ने एक सभा के दौरान जलियाँवाला बाग हत्याकांड को अंज़ाम दिया था, जो औपनिवेशिक शासन के खिलाफ भारतीय आंदोलन हेतु प्रभावशाली घटना थी।
  • नवरेह:
    • नवरेह कश्मीरी नववर्ष का दिन है।
    • इस दिन को विभिन्न अनुष्ठानों का आयोजन, घरों को फूलों से सजाने, पारंपरिक व्यंजन तैयार करने और देवताओं की प्रार्थना करने के रूप में चिह्नित किया जाता है।
  • साजिबू चेराओबा:
    • यह मणिपुर के सबसे महत्त्वपूर्ण त्योहारों में से एक माना जाता है।
    • यह विशेष रूप से राज्य के मैतेई लोगों द्वारा बहुत धूमधाम और खुशी के साथ मनाया जाता है।

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