प्रारंभिक परीक्षा
दीपावली UNESCO ICH सूची में शामिल
चर्चा में क्यों?
नई दिल्ली के लाल किला में आयोजित UNESCO अमूर्त सांस्कृतिक विरासत (ICH) की सुरक्षा के लिये अंतरसरकारी समिति के 20वें सत्र में दीपावली, दीपों के त्योहार को आधिकारिक रूप से UNESCO की मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत (ICH) की प्रतिनिधि सूची में शामिल किया गया।
सारांश:
- वर्ष 2003 के कन्वेंशन के तहत बनाई गई UNESCO ICH सूची प्रचलित सांस्कृतिक परंपराओं की सुरक्षा करती है। भारत ने वर्ष 2024–25 चक्र के लिये दीपावली को नामांकित किया था।
- दीपावली का शामिल होना इसके सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक महत्त्व को मान्यता देता है, जो आजीविका, कल्याण, लैंगिक सहभागिता तथा सामुदायिक अनुकूलन के माध्यम से SDG से जुड़ता है।
- भारत के पास अब UNESCO सूची में कई ICH तत्त्व शामिल हैं, जिनमें गरबा, दुर्गा पूजा, कुंभ मेला, योग, नवरोज़, संकीर्तन, बौद्ध मंत्रोच्चारण, छऊ, कालबेलिया, मुदियेत्टु, रम्मन, कुटियत्तम, रामलीला और वैदिक मंत्रोच्चारण शामिल हैं।
UNESCO अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची क्या है?
- परिचय: यह सूची वर्ष 2003 के UNESCO सम्मेलन के तहत बनाई गई थी, जिसका उद्देश्य अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा करना है।
- इसका उद्देश्य वैश्वीकरण से प्रभावित प्रचलित सांस्कृतिक परंपराओं की रक्षा, जागरूकता, सम्मान एवं सांस्कृतिक विविधता को बढ़ावा देना तथा समुदाय के नेतृत्व में अनुष्ठान, त्योहार, मौखिक परंपराएँ और पारंपरिक कारीगरी की सुरक्षा का समर्थन करना है।
- अमूर्त सांस्कृतिक विरासत: UNESCO अमूर्त विरासत को ऐसी जीवित परंपराओं के रूप में परिभाषित करता है जो पीढ़ियों से विरासत में मिली हैं, जिनमें मौखिक परंपराएँ, प्रदर्शन कला, अनुष्ठान, उत्सव, सामाजिक प्रथाएँ, प्रकृति एवं ब्रह्मांड का ज्ञान और पारंपरिक कारीगरी शामिल हैं, जिन्हें समुदाय लगातार पुनः सृजित तथा संरक्षित करते हैं।
- नामांकन: UNESCO की ICH प्रतिनिधि सूची में किसी तत्त्व को जोड़ने के लिये राज्यों को नामांकन फाइल प्रस्तुत करनी होती है, जिसमें हर दो वर्ष में एक नामांकन की अनुमति होती है।
- भारत ने वर्ष 2024–25 चक्र के लिये दीपावली त्योहार का नामांकन किया।
- दीपावली: कार्तिक अमावस्या (अक्तूबर–नवंबर) को मनाई जाने वाली दीपावली अंधकार पर प्रकाश, निराशा पर आशा और नवीनीकरण एवं समृद्धि का प्रतीक है।
- दीपावली के शामिल होने का महत्त्व: UNESCO में शामिल होने के माध्यम से दीपावली को एक जीवित विरासत के रूप में मान्यता दी गई है, जो सामाजिक संबंधों को मज़बूत, पारंपरिक कारीगरी का समर्थन और उदारता व कल्याण के मूल्य को बढ़ावा देती है।
- दीपावली कई सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) में सार्थक योगदान देती है, जिनमें शामिल हैं:
- SDG 1 (गरीबी उन्मूलन): मौसमी और पारंपरिक आजीविका का समर्थन देना।
- SDG 3 (सुरक्षित स्वास्थ्य और कल्याण): सामाजिक संबंधों और स्वच्छता प्रथाओं को बढ़ावा देना।
- SDG 5 (लैंगिक समानता): महिला कारीगरों और कारीगरी परंपराओं को संलग्न करना।
- SDG 11 (सतत समुदाय): सांस्कृतिक निरंतरता और सामुदायिक अनुकूलन को प्रोत्साहित करना।
- दीपावली कई सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) में सार्थक योगदान देती है, जिनमें शामिल हैं:
भारत की UNESCO अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल हैं:
- गुजरात का गरबा (2023)
- कोलकाता में दुर्गा पूजा (2021)
- कुंभ मेला (2017)
- योग (2016)
- नवरोज़ (2016)
- पंजाब के जंडियाला गुरु के ठठेरों द्वारा पारंपरिक पीतल और तांबे के बर्तन बनाना (2014)
- मणिपुर का संकीर्तन (2013)
- लद्दाख का बौद्ध मंत्रोच्चारण (2012)
- राजस्थान का छऊ नृत्य, कालबेलिया नृत्य और केरल का मुदियेट्टू (2010)
- गढ़वाल हिमालय, भारत का रम्मन त्योहार (2009)
- कुटियाट्टम संस्कृत नाट्य, रामलीला और वैदिक मंत्रोच्चारण की परंपरा (2008)।

UNESCO अमूर्त सांस्कृतिक विरासत (ICH) की सुरक्षा हेतु अंतरसरकारी समिति का 20वाँ सत्र
- परिचय: यह पहली बार है कि भारत ICH समिति का सत्र आयोजित कर रहा है, जिसे सांस्कृतिक मंत्रालय और संगीत नाटक अकादमी द्वारा आयोजित किया गया है।
- यह आयोजन भारत की सांस्कृतिक कूटनीति में एक महत्त्वपूर्ण क्षण को चिह्नित करता है और वर्ष 2003 के UNESCO कन्वेंशन के भारत द्वारा अनुमोदन की 20वीं वर्षगाॅंठ के अवसर पर आयोजित किया गया है।
- 20वें सत्र के मुख्य उद्देश्य: UNESCO की ICH सूची में शामिल करने के लिये राज्यों द्वारा प्रस्तुत नए नामांकनों की समीक्षा और मूल्यांकन करना।
- पहले से शामिल तत्त्वों की स्थिति की सामयिक रिपोर्टों के माध्यम से समीक्षा करना।
- सदस्य देशों के बीच अंतर्राष्ट्रीय सहयोग, क्षमता निर्माण और सर्वोत्तम प्रथाओं के आदान-प्रदान को मज़बूत करना।
- भारत के लिये महत्त्व: यह सत्र भारत को अपने राष्ट्रीय ICH सुरक्षा मॉडल को प्रदर्शित करने का अवसर देता है, जो दस्तावेज़ीकरण, समुदाय की भागीदारी और संस्थागत समर्थन को एकीकृत करता है।
- यह भारत की विविध अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की वैश्विक दृश्यता बढ़ाता है तथा देश की सॉफ्ट पावर और सांस्कृतिक नेतृत्व को मज़बूत करता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
1. UNESCO की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत (ICH) प्रतिनिधि सूची क्या है?
2003 के UNESCO कन्वेंशन के तहत बनाई गई ICH प्रतिनिधि सूची जीवित परंपराओं जैसे अनुष्ठान, प्रदर्शन कला, कारीगरी की पहचान करती है, जिनकी सुरक्षा सांस्कृतिक विविधता, अंतर-सांस्कृतिक संवाद तथा समुदाय के नेतृत्व में संरक्षण को बढ़ावा देती है।
2. ICH प्रतिनिधि सूची के लिये तत्त्वों का नामांकन कैसे किया जाता है?
राज्य एक नामांकन फाइल प्रस्तुत करते हैं (हर दो वर्ष में एक नामांकन), जिसमें समुदाय की सहमति, सुरक्षा योजनाएँ और सांस्कृतिक महत्त्व दर्शाया जाता है; नामांकनों का मूल्यांकन अंतरसरकारी समिति द्वारा किया जाता है।
3. दीपावली का शामिल होना विकास नीति के लिये क्यों महत्त्वपूर्ण है?
दीपावली का शामिल होना इसके मौसमी आजीविका बनाए रखने, कारीगरों एवं सांस्कृतिक पर्यटन का समर्थन करने तथा SDGs जैसे गरीबी उन्मूलन (SDG 1), सुरक्षित स्वास्थ्य (SDG 3), लैंगिक समानता (SDG 5) और सतत शहर (SDG 11) में योगदान देने की भूमिका को मान्यता देता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)
प्रिलिम्स
प्रश्न. हाल ही में निम्नलिखित में से किसे यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल किया गया है? (2009)
(a) दिलवाड़ा मंदिर
(b) कालका-शिमला रेलवे
(c) भितरकनिका मैंग्रोव क्षेत्र
(d) विशाखापत्तनम से अराकू घाटी रेलवे लाइन
उत्तर: (b)
प्रश्न. मणिपुरी संकीर्तन के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2017)
- यह एक गीत और नृत्य प्रदर्शन है।
- केवल करताल (सिमबल) ही वह एक मात्र वाद्ययंत्र है जो इस प्रदर्शन में प्रयुक्त होता है।
- यह भगवान कृष्ण के जीवन और लीलाओं को वर्णित करने के लिये किया जाता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) 1, 2 और 3
(b) केवल 1 और 3
(c) केवल 2 और 3
(d) केवल 1
उत्तर: (b)
रैपिड फायर
भारत का पहला स्वदेशी हाइड्रोजन फ्यूल सेल यात्री पोत
केंद्रीय बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्री ने वाराणसी में भारत के पहले स्वदेशी हाइड्रोजन फ्यूल सेल यात्री पोत का प्रणोदन किया, यह स्वच्छ और संधारणीय अंतर्देशीय जल परिवहन की दिशा में राष्ट्र के प्रयासों में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
- तकनीकी एवं डिज़ाइन संबंधी विशेषताएँ: इसका पूर्ण विकास और निर्माण भारत में कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (सीएसएल) द्वारा अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (आईडब्ल्यूएआई) के सहयोग से किया गया है।
- यह एक निम्न तापमान प्रोटॉन एक्सचेंज मेम्ब्रेन ईंधन सेल प्रणाली पर संचालित होता है।
- यह संग्रहित हाइड्रोजन से बिजली का उत्पादन करता है, जिसमें केवल जल वाष्प उप-उत्पाद के रूप में उत्पन्न होती है - जिसका अर्थ है लगभग शून्य उत्सर्जन (केवल जल वाष्प) ।
- हाइड्रोजन ईंधन सेल, बैटरी और सौर ऊर्जा को संयोजित करने वाली एकीकृत हाइब्रिड प्रणाली ।
- रणनीतिक रूपरेखा: यह शुभारंभ भारत की दीर्घकालिक रणनीतिक योजनाओं के अनुरूप है, जिसमें मैरीटाइम इंडिया विज़न- 2030 (एमआईवी 2030) और समुद्री अमृत काल विजन 2047 (एमएकेवी 2047) शामिल हैं।
- यह सतत परिवहन, स्मार्ट बुनियादी ढाँचे और अंतर्देशीय जलमार्गों में वैकल्पिक ईंधन के उपयोग पर केंद्रित है।
- महत्त्व:
- इस विशिष्ट पोत के शुभारंभ ने वाराणसी को भारत की हरित जलमार्ग पहल में अग्रणी स्थान पर पहुँचा दिया है।
- यह पोत नेट-ज़ीरो उत्सर्जन वाले अंतर्देशीय जलमार्गों की दिशा में एक बड़ा कदम है, जो भारत के विकार्बनीकरण लक्ष्यों और स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन का समर्थन करता है।
- यह हरित परिवहन प्रणाली भारत की आध्यात्मिक राजधानी की यात्रा करने वाले तीर्थयात्रियों के लिये यात्रा अनुभव को बेहतर बनाएगी और स्वच्छ व अधिक कुशल परिवहन में योगदान देगी।
रैपिड फायर
नाथूला दर्रा
सिक्किम के एक सांसद ने केंद्र से नाथूला दर्रा के माध्यम से सीमा व्यापार को तुरंत पुनः शुरू करने का आग्रह किया और वर्ष 2020 से इसके निलंबन के कारण गंभीर आजीविका प्रभावों को उजागर किया।
- नाथूला: यह भारत–चीन सीमा पर पूर्वी सिक्किम में स्थित एक उच्च-ऊँचाई वाला हिमालयी दर्रा है, जिसकी ऊँचाई 4,302 मीटर है।
- यह सबसे ऊँची मोटर योग्य सड़कों में से एक है और दोनों देशों के बीच एक महत्त्वपूर्ण रणनीतिक एवं सीमा व्यापार केंद्र है।
- यह सिक्किम और तिब्बत को जोड़ने वाले दो प्राचीन दर्रों में से एक है, दूसरा है जेलेप ला।
- ऐतिहासिक संबंध: यह प्राचीन सिल्क रोड की एक शाखा का हिस्सा है, जिसने ऐतिहासिक रूप से हिमालय पार व्यापार को सुगम बनाया।
- सांस्कृतिक संबंध: नाथूला मार्ग के माध्यम से मानसरोवर का मार्ग पूरी तरह से मोटर योग्य है, केवल माउंट कैलाश की परिक्रमा के लिये 35–40 किमी की पैदल यात्रा आवश्यक होती है।
- व्यापार पोस्ट की स्थिति: वर्ष 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद बंद नाथूला को वर्ष 2006 में द्विपक्षीय समझौतों के बाद पुनः खोला गया था।
- हालाँकि, वर्ष 2020 में कोविड-19 महामारी के दौरान व्यापार फिर से बाधित हुआ और तब से यह पुनः शुरू नहीं हुआ है।
- सिक्किम राज्य में स्थित अन्य दर्रे हैं जेलेप ला, डोंकिया दर्रा, चिवाभंजंग दर्रा।
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और पढ़ें: नाथूला, सिक्किम |
चर्चित स्थान
आदिचनल्लूर
मद्रास उच्च न्यायालय ने भारत के सबसे महत्त्वपूर्ण लौहयुगीन पुरातात्त्विक स्थलों में से एक, आदिचनल्लूर में या उसके आसपास किसी भी प्रकार के रेत खनन पर सख्त रोक लगा दी है।
- आदिचनल्लूर भारत के सबसे बड़े और सबसे महत्त्वपूर्ण लौहयुगीन-महापाषाणिक कलश शवाधन स्थलों में से एक है, जो तमिलनाडु के थूथुकुडी ज़िले में थामिरबरानी नदी के किनारे स्थित है।
- भौतिक संस्कृति: इस संस्कृति को एफ. जगोर द्वारा वर्ष 1876 में सर्वप्रथम खोजा गया और बाद में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा किये गए उत्खनन के दौरान इस स्थल से मृद्भांड, लोहे के औजार, काँसे के पात्र, सोने के आभूषण/मुकुट, मनके और मानव कंकाल अवशेषों वाले शवाधन प्राप्त हुए हैं।
- सांस्कृतिक महत्त्व: यह स्थल संगम साहित्य में वर्णित कलशों (ताली), शवाधान में दफनाई गई वस्तुओं और लौह युग की अंत्येष्टि प्रथाओं के विवरण से काफी हद तक मेल खाता है, जो प्रारंभिक तमिल सांस्कृतिक परंपराओं के मजबूत पुरातात्त्विक प्रमाण प्रदान करता है।
- कलश शवाधान प्रणाली: इस प्रणाली में मृतकों को बड़े कलशों (अंत्येष्टि पात्रों) के अंदर रखा जाता है और उन्हें सावधानीपूर्वक खोदे गए गड्ढों में, अक्सर शवाधान में रखी अन्य वस्तुओं के साथ दफनाया जाता है।
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और पढ़ें: लौह युग और शहरीकरण |
रैपिड फायर
उम्मीद पोर्टल
अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने 6 जून 2025 को मौजूदा वक्फ संपत्तियों के प्रमाणित डेटा को अपलोड करने के लिये यूनिफाइड वक्फ मैनेजमेंट, एम्पावरमेंट, एफिशिएंसी एंड डेवलपमेंट (UMEED) पोर्टल लॉन्च किया।
- वर्तमान वक्फ संपत्तियों के प्रमाणित डेटा को अपलोड करने के लिये छह महीने की अवधि दी गई थी, जो अब 6 दिसंबर 2025 को समाप्त हो गई है।
- उम्मीद पोर्टल: यह पूरे भारत में वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण और नियमन के लिये डिज़ाइन किया गया एक केंद्रीकृत डिजिटल प्लेटफॉर्म है।
- उम्मीद पोर्टल की विशेषताएँ:
- पंजीकरण के दौरान संपत्तियों में सटीक माप और भौगोलिक स्थान डेटा शामिल किया जाएगा।
- समय सीमा के बाद पंजीकृत न की गई संपत्तियों को विवादित के रूप में चिह्नित किया जाएगा और उन्हें वक्फ ट्रिब्यूनल भेजा जाएगा।
- संशोधित कानून के तहत लाभार्थियों के अधिकार स्पष्ट करने के लिये कानूनी जागरूकता उपकरण प्रदान किये जाएंगे।
- महिलाओं के नाम पर पंजीकृत संपत्तियों को वक्फ के रूप में नामित नहीं किया जा सकता, लेकिन महिलाएँ, बच्चे और अति-निम्न आय वर्ग (EWS) अभी भी पात्र लाभार्थी बने रहेंगे।
- WAMSI (पुरानी प्रणाली): विगत वक्फ संपत्ति डिजिटलीकरण प्रणाली, जो त्रुटियों, डुप्लीकेट प्रविष्टियों और असंगत डेटा के लिये जानी जाती थी, को औपचारिक रूप से 8 मई 2025 को बंद कर दिया गया।
- वक्फ: वक्फ इस्लामी कानून के तहत एक स्थायी दानधर्मीय निधि है, जिसमें संपत्ति को धार्मिक या सार्वजनिक कल्याण के उद्देश्यों के लिये दान किया जाता है।
- इसे बेचा, विरासत में नहीं दिया जा सकता या स्थानांतरित नहीं किया जा सकता।
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