प्रारंभिक परीक्षा
गति शक्ति परिवहन योजना एवं अनुसंधान संगठन (GTPRO)
चर्चा में क्यों?
केंद्रीय सरकार प्रधानमंत्री गति शक्ति शासन ढाँचे का पुनर्गठन करने की योजना बना रही है, जिसके तहत मौजूदा नेटवर्क प्लानिंग ग्रुप (NPG) को समाप्त कर एक नई उच्च-स्तरीय संस्था गति शक्ति परिवहन योजना एवं अनुसंधान संगठन (GTPRO) की शुरुआत की जाएगी।
- उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) के तहत स्थापित NPG का उद्देश्य प्रधानमंत्री गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के अंतर्गत विभिन्न मंत्रालयों के परियोजनाओं का समन्वय करना था, किंतु इसे कई आंतरिक चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
गति शक्ति परिवहन योजना एवं अनुसंधान संगठन (GTPRO) क्या है?
- परिचय: समेकित परिवहन योजना प्राधिकरण, जिसे संभवतः गति शक्ति परिवहन योजना एवं अनुसंधान संगठन (GTPRO) नाम दिया जाएगा, का उद्देश्य सड़कों, रेल, नौवहन और विमानन सहित प्रत्येक परिवहन मंत्रालय के लिये मध्यम से दीर्घकालिक रोडमैप तैयार करना है।
- यह संगठन 5-वर्षीय और 10-वर्षीय एकीकृत योजनाएँ विकसित करेगा, जो भारत के विश्व-स्तरीय अवसंरचना निर्माण तथा वर्ष 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने के लक्ष्य के अनुरूप होंगी।
- संरचना: यह संगठन कैबिनेट सचिव के नेतृत्व में कार्य करेगा।
- कार्य:
- परियोजना मूल्यांकन: ₹500 करोड़ से अधिक मूल्य वाली परिवहन क्षेत्र की परियोजनाओं की समीक्षा और अनुमोदन करना।
- निगरानी एवं मूल्यांकन: परियोजनाओं की प्रगति का अनुश्रवण करना और उनके आर्थिक एवं पर्यावरणीय प्रभावों का आकलन करना।
- डेटा भंडार: भविष्य की अवसंरचना योजना के लिये एक एकीकृत राष्ट्रीय डाटाबेस का रखरखाव करना।
- नीतिगत अनुसंधान: लॉजिस्टिक लागत घटाने और संचालन दक्षता बढ़ाने के लिये रणनीतियाँ सुझाना।
- संस्थागत मॉडल: अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी में मौजूद एकीकृत परिवहन योजना संस्थाओं से प्रेरित होकर, GTPRO एक एकीकृत थिंक टैंक के रूप में कार्य करेगा, जो अवसंरचना रणनीति तथा अनुसंधान पर केंद्रित होगा।
- क्रियान्वयन समयसीमा: अगले वित्तीय वर्ष से संचालन में आने की अपेक्षा है।
PM गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान (NMP)
- PM गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान (NMP) भारत में बुनियादी ढाँचे की योजना के लिये डिजिटल कमांड सेंटर है।
- GIS आधारित प्लेटफॉर्म पर निर्मित, यह आर्थिक क्लस्टर, लॉजिस्टिक्स हब, वन, नदियाँ और सामाजिक बुनियादी ढाँचे सहित 550 से अधिक लाइव डेटा परतों को होस्ट करता है।
- वर्ष 2025 तक, पूरे 1.46 लाख किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क को NMP पोर्टल पर मैप किया गया है।
- यह भौगोलिक बुद्धिमत्ता आधारित योजना को सक्षम बनाता है, जिससे परियोजना में देरी, पर्यावरणीय टकराव और लागत बढ़ोतरी को कम किया जा सकता है।
नए युग के राजमार्गों के लिये भारत की पहल
- भारत के पास विश्व का दूसरा सबसे बड़ा सड़क नेटवर्क है, जो मार्च 2025 तक 63 लाख किलोमीटर से अधिक क्षेत्र में फैला हुआ है। राष्ट्रीय राजमार्गों की लंबाई में वर्ष 2014 से 2025 के बीच 60% की वृद्धि हुई है जो 91,287 किलोमीटर से बढ़कर 1,46,204 किलोमीटर हो गई है।

- FASTag और NETC पारिस्थितिकी तंत्र: भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) द्वारा विकसित राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह प्रणाली (NETC) के माध्यम से FASTag द्वारा बिना रुकावट टोल भुगतान सुनिश्चित किया जाता है। यह एक RFID-आधारित प्रणाली है, जिसकी कवरेज 98% से अधिक है और इसके 8 करोड़ से अधिक उपयोगकर्त्ता हैं।
- MLFF टोलिंग प्रणाली (2025): पहला मल्टी-लेन फ्री फ्लो (MLFF) टोल गुजरात के चोर्यासी शुल्क प्लाजा (Choryasi Fee Plaza) पर शुरू किया गया है। यह एक कैमरा और RFID आधारित टोलिंग प्रणाली है, जो चलती वाहनों को पहचानकर टोल वसूली करती है।
- राजमार्गयात्रा: सरकार द्वारा शुरू किया गया राजमार्गयात्रा एप, राजमार्ग यात्रियों के लिये एक नागरिक-केंद्रित मोबाइल प्लेटफॉर्म है।
- NHAI वन एप: NHAI वन एप परियोजना संचालन को एकीकृत करता है और राजमार्गों पर दक्षता और पारदर्शिता बढ़ाने के लिये वास्तविक समय की जियो-ट्रैकिंग का उपयोग करता है।
- प्रौद्योगिकी संचालित बुद्धिमान परिवहन प्रणाली (ITS): ITS ATMS और V2X प्रौद्योगिकियों को एकीकृत करता है, जिसे दिल्ली-मेरठ, ट्रांस-हरियाणा, ईस्टर्न पेरिफेरल और बंगलूरू-मैसूर एक्सप्रेसवे जैसे प्रमुख गलियारों पर तैनात किया गया है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs):
प्रश्न 1. GTPRO क्या है और इसकी स्थापना क्यों की जा रही है?
GTPRO (गतिशक्ति परिवहन योजना एवं अनुसंधान संगठन) सभी परिवहन मंत्रालयों में एकीकृत, दीर्घकालिक अवसंरचना योजना और परियोजना मूल्यांकन प्रदान करने के लिये नेटवर्क योजना समूह का स्थान लेगा।
प्रश्न 2. पीएम गति शक्ति का GIS-आधारित प्लेटफॉर्म परियोजना नियोजन को कैसे बेहतर बनाता है?
यह वास्तविक समय डेटा की 550 से अधिक परतों को एकीकृत करता है, जिससे तीव्र, पर्यावरण के प्रति संवेदनशील और अधिक कुशल परिवहन योजना संभव हो पाती है।
प्रश्न 3. परिवहन आधुनिकीकरण में राजमार्गयात्रा और NHAI वन जैसे ऐप्स की क्या भूमिका है?
वे वास्तविक समय डेटा, उपयोगकर्त्ता प्रतिक्रिया और परिचालन निगरानी प्रदान करते हैं, जिससे नागरिक सहभागिता और डिजिटल शासन को बढ़ावा मिलता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, पिछले वर्ष के प्रश्न (PYQs)
प्रिलिम्स:
प्रश्न: भारत में "सार्वजनिक कुंजी अवसंरचना" शब्द का प्रयोग किसके संदर्भ में किया जाता है? (2020)
(a) डिजिटल सुरक्षा अवसंरचना
(b) खाद्य सुरक्षा अवसंरचना
(c) स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा का बुनियादी ढाँचा
(d) दूरसंचार और परिवहन अवसंरचना
उत्तर: A
मेन्स:
प्रश्न. राष्ट्रीय नगरीय परिवहन नीति 'वाहनों की आवाजाही' के बजाय 'लोगों की आवाजाही' पर बल देती है। इस संबंध में सरकार की विविध रणनीतियों की सफलता की आलोचनात्मक चर्चा कीजिये।
(2014)
रैपिड फायर
मित्र शक्ति-2025
भारत और श्रीलंका के बीच संयुक्त सैन्य अभ्यास "अभ्यास मित्र शक्ति-2025" का 11वाँ संस्करण, रक्षा सहयोग को मज़बूत करने और आतंकवाद-रोधी तथा शांति अभियानों में अंतर-संचालनीयता बढ़ाने के लिये कर्नाटक के बेलगावी में आयोजित किया गया।
- मित्र शक्ति अभ्यास: यह भारतीय और श्रीलंकाई सेनाओं के बीच एक वार्षिक संयुक्त प्रशिक्षण अभ्यास है, जो वर्ष 2012 से दोनों देशों में बारी-बारी से आयोजित किया जाता है।
- उप-परंपरागत और संयुक्त आतंकवाद-रोधी ऑपरेशन: इस अभ्यास का उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र अधिदेश के अध्याय VII (शांति के लिये खतरों, शांति के उल्लंघन और आक्रामकता के कृत्यों से संबंधित कार्रवाई से संबंधित) के तहत उप-परंपरागत ऑपरेशनों के संचालन का संयुक्त रूप से पूर्वाभ्यास करना है।
- इस अभ्यास का उद्देश्य आतंकवाद-रोधी अभियानों के दौरान संयुक्त प्रतिक्रिया को समन्वित करना है।
- अभ्यास मित्र शक्ति-2025 में परिचालन प्रभावशीलता बढ़ाने के लिये ड्रोन और काउंटर मानवरहित हवाई प्रणाली (C-UAS) का उपयोग शामिल है।
भारत-श्रीलंका रक्षा और सुरक्षा सहयोग
- श्रीलंका भारत के 'महासागर विज़न' के लिये महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह हिंद महासागर के प्रमुख नौवहन मार्गों के निकट रणनीतिक स्थान पर स्थित है।
- संयुक्त सैन्य अभ्यास: अभ्यास मित्र शक्ति (सेना) और स्लाइनेक्स (नौसेना) प्रत्येक वर्ष भारत और श्रीलंका में बारी-बारी से आयोजित किये जाते हैं।
- मानवीय एवं पर्यावरणीय सहायता: श्रीलंकाई जलक्षेत्र में समुद्री आपातस्थितियों के दौरान भारत “प्रथम प्रतिक्रियादाता” रहा है।
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पर्यावरणीय आपदाओं को रोकने के लिये भारतीय नौसेना और तटरक्षक बल ने एमवी एक्स-प्रेस पर्ल आपदा (2021) और एमटी न्यू डायमंड जहाज़ में आग लगने की घटना (2020) जैसी घटनाओं में हस्तक्षेप किया।
- क्षमता निर्माण पहल: भारत सरकार के अनुदान के तहत श्रीलंका नौसेना के लिये समुद्री बचाव समन्वय केंद्र (एमआरसीसी) की स्थापना की गई, जिसे वर्ष 2024 में चालू किया गया था।
| और पढ़ें: भारत-श्रीलंका संबंध |
रैपिड फायर
बुकर पुरस्कार 2025
डेविड स्ज़ले (David Szalay), हंगेरियन-ब्रिटिश लेखक, को अपनी छठी उपन्यास 'फ्लेश' के लिये वर्ष 2025 का प्रतिष्ठित बुकर पुरस्कार (Booker Prize) मिला है।
- उनका उपन्यास “फ्लेश” एक व्यक्ति की कहानी बताता है, जो हंगरी में गरीबी से लंदन में धन की ओर बढ़ता है, और इसमें भाग्य और महत्त्वाकांक्षा की पड़ताल की गई है।
बुकर पुरस्कार
- बुकर पुरस्कार विश्व का सर्वोत्तम साहित्यिक पुरस्कार है, जो एकल कथा-कृति के लिये दिया जाता है और इसे बुकर पुरस्कार फाउंडेशन प्रदान करता है।
- यह पुरस्कार 1969 में पहली बार दिया गया था, जिसका उद्देश्य अध्ययन को बढ़ावा देना और साहित्यिक उत्कृष्टता को प्रोत्साहित करना था।
- शुरुआत में यह पुरस्कार कॉमनवेल्थ और आयरलैंड के लेखकों को दिया जाता था, लेकिन अब यह वैश्विक स्तर के किसी भी देश के लेखकों के लिये खुला है।
- इसका उद्देश्य अंग्रेज़ी में लिखी गई मौलिक कथा-साहित्य को पुरस्कृत करके कथा-साहित्य में उत्कृष्टता को बढ़ावा देना है।
- बर्निस रुबेंस (Bernice Rubens) वह पहली महिला थीं, जिन्होंने वर्ष 1970 में अपने उपन्यास ‘द इलेक्टेड मेंबर’ के लिये यह पुरस्कार जीता।
- प्रसिद्ध पिछले विजेताओं में शामिल हैं:
- सलमान रुशदी – मिडनाइट्स चिल्ड्रन (1981)
- अरुंधति रॉय – द गॉड ऑफ स्मॉल थिंग्स (1997)
- काज़ुओ इशिगुरो – द रिमेन्स ऑफ द डे' (1989) (साथ ही वर्ष 2017 में नोबेल पुरस्कार भी)
- अर्विंद अडीगा - द व्हाइट टाइगर
- सैमांथा हार्वे – ऑर्बिटल (2024)
- बुकर पुरस्कार और अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार के बीच अंतर:
- बुकर पुरस्कार पहली बार वर्ष 1969 में प्रदान किया गया था और यह पुरस्कार मूलतः अंग्रेज़ी में लिखी गई सर्वश्रेष्ठ एकल कथा-कृति के लिये दिया जाता है।
- अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार की स्थापना वर्ष 2005 में की गई थी और यह किसी भी अन्य भाषा से अंग्रेज़ी में अनुवादित सर्वश्रेष्ठ एकल कथा साहित्य के लिये दिया जाता है।
- यह लेखक और अनुवादक दोनों की उपलब्धि को मान्यता देता है।
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और पढ़ें: हार्ट लैंप को वर्ष 2025 का अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार मिला |
रैपिड फायर
वैनेडियम रेडॉक्स फ्लो बैटरी (VRFB) प्रणाली
विद्युत व आवास और शहरी कार्य मंत्री ने 3 मेगावाट क्षमता वाली भारत की सबसे बड़ी और पहली मेगावाट-घंटा (MWh)-स्तरीय वैनेडियम रेडॉक्स फ्लो बैटरी (VRFB) प्रणाली का उद्घाटन किया।
- यह ऐतिहासिक परियोजना लंबे समय के लिये ऊर्जा भंडारण (एलडीईएस) संबंधी समाधानों की दिशा में देश का एक बड़ा कदम है, जो नवीकरणीय ऊर्जा एकीकरण और ग्रिड तन्यकशीलता को बेहतर करता है।
- वैनेडियम रेडॉक्स फ्लो बैटरी: यह एक प्रकार की विद्युत रासायनिक ऊर्जा भंडारण प्रणाली है जो रेडॉक्स (अपचयन-ऑक्सीकरण) अभिक्रियाओं के माध्यम से विद्युत ऊर्जा को संग्रहीत करने और मुक्त करने के लिये विभिन्न ऑक्सीकरण अवस्थाओं में वैनेडियम आयनों का उपयोग करती है।
- पारंपरिक बैटरियों के विपरीत, VRFB बाहरी टैंकों में रखे तरल विद्युत अपघट्य (इलेक्ट्रोलाइट्स) के रूप में ऊर्जा संग्रहीत करता है, जिससे यह मॉड्यूलर और आसानी से स्केलेबल हो जाता है।
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इसकी ऊर्जा क्षमता इलेक्ट्रोलाइट की मात्रा पर निर्भर करती है, जबकि विद्युत् उत्पादन सेल स्टैक के आकार द्वारा निर्धारित होता है, जिससे दोनों को स्वतंत्र रूप से बढ़ाया जा सकता है।
- VRFB के लाभ: VRFB स्केलेबल, लंबे समय तक चलने वाले और कुशल हैं, जो सतत् ऊर्जा भंडारण के लिये गैर-ज्वलनशील, पुनर्चक्रण योग्य वैनेडियम इलेक्ट्रोलाइट्स के साथ तेज प्रतिक्रिया, गहन निर्वहन और उच्च सुरक्षा प्रदान करते हैं।
- नवीकरणीय एकीकरण के लिये VRFB का महत्त्व: सौर और पवन जैसे नवीकरणीय स्रोत मौसम की स्थिति के आधार पर रुक-रुक कर विद्युत् उत्पन्न करते हैं।
- VRFB अतिरिक्त सौर और पवन ऊर्जा का भंडारण करते हैं, लंबी अवधि का भंडारण प्रदान करते हैं तथा आंतरायिक उत्पादन के दौरान आपूर्ति और मांग को संतुलित करके ग्रिड स्थिरता को बढ़ाते हैं।
- VRFB आयातित लिथियम-आयन बैटरियों पर निर्भरता कम करता है, आत्मनिर्भर भारत के अनुरूप ऊर्जा सुरक्षा को मज़बूत करता है।
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रैपिड फायर
ई-कॉमर्स उत्पादों के लिये ‘उद्गम देश’ का प्रकटीकरण
उपभोक्ता मामले विभाग ने विधिक माप विज्ञान (पैकेज्ड कमोडिटीज़) (द्वितीय) संशोधन नियम, 2025 (मसौदा) जारी किया है, जिसके तहत ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स के लिये ऑनलाइन बेचे जाने वाले पैक्ड कमोडिटीज़ पर ‘उद्गम देश’ (Country of Origin) के आधार पर खोजने योग्य और क्रमबद्ध फिल्टर प्रदान करना अनिवार्य करने का प्रस्ताव है।
- इसका उद्देश्य उपभोक्ता सशक्तीकरण, पारदर्शिता को बढ़ावा देना तथा आत्मनिर्भर भारत और वोकल फॉर लोकल पहल के तहत मेक इन इंडिया उत्पादों को प्रोत्साहित करना है।
उद्गम के नियम (Rules of Origin)
- परिचय: उद्गम के नियम (RoO) ऐसे मानदंड हैं जिनका उपयोग किसी उत्पाद के राष्ट्रीय स्रोत को निर्धारित करने के लिये किया जाता है। ये शुल्क, टैरिफ, व्यापार प्रतिबंध और वरीयता प्राप्त व्यवहार से संबंधित निर्णयों में मार्गदर्शन करते हैं।
- उद्गम के नियमों के प्रकार: विश्व व्यापार संगठन (WTO) के उद्गम के नियमों पर समझौते में दो प्रकार परिभाषित किये गए हैं:
- अधिमानी उद्गम (Preferential Origin): यह व्यापार समझौतों के तहत कम टैरिफ के लिये पात्रता निर्धारित करता है, जिसके तहत उत्पादों का पूर्णतः या आंशिक रूप से लाभार्थी देशों में उत्पादन होना आवश्यक है।
- गैर-अधिमानी उद्गम (Non-preferential origin): यह उन परिस्थितियों में लागू होता है जब कोई व्यापार समझौता नहीं होता। इसका उपयोग गैर-शुल्कीय उपायों जैसे व्यापार संरक्षण उपाय, कोटा या प्रतिबंधों को लागू करने के लिये किया जाता है।
- निर्धारण के मानदंड:
- पूर्णतः प्राप्त: वह उत्पाद जो पूरी तरह एक ही देश में उत्पन्न या प्राप्त हुआ हो जैसे खनिज, कृषि उत्पाद या पशु।
- महत्त्वपूर्ण रूपांतरण: आयातित सामग्रियों से निर्मित वस्तुओं के लिये, उत्पाद वहीं से उत्पन्न होता है, जहाँ पिछली बार उसमें पर्याप्त परिवर्तन हुआ था, जिसका निर्धारण टैरिफ वर्गीकरण, मूल्यवर्द्धन या किसी विशिष्ट प्रक्रिया में परिवर्तन के आधार पर होता है।
- RoO का उपयोग: यह एंटी-डंपिंग शुल्क और सुरक्षा उपायों जैसे वाणिज्यिक नीतिगत उपायों के कार्यान्वयन, MFN या अधिमान्य उपचार के निर्धारण तथा व्यापार सांख्यिकी, लेबलिंग एवं सरकारी खरीद में सहायता प्रदान करता है। ये व्यापार नियमों और लाभों के सटीक अनुप्रयोग को सुनिश्चित करते हैं।
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