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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 05 Jul, 2025
  • 5 min read
रैपिड फायर

रासायनिक अस्‍त्र समझौता

स्रोत: पी.आई.बी.

भारत ने रासायनिक अस्‍त्र समझौता (CWC) के अंतर्गत एशिया में सदस्य देशों के राष्ट्रीय प्राधिकरणों की 23वीं क्षेत्रीय बैठक की मेज़बानी की।

रासायनिक अस्‍त्र समझौता

  • परिचय: CWC एक बहुपक्षीय संधि है जो रासायनिक हथियारों पर प्रतिबंध लगाती है और निर्धारित समय के भीतर उन्हें नष्ट करने की अनिवार्यता निर्धारित करती है।
    • यह वर्ष 1997 में लागू हुआ और इसके कार्यान्वयन की देखरेख 193 सदस्य देशों वाले रासायनिक अस्त्र निषेध संगठन (OPCW) द्वारा की जाती है।
    • OPCW को रासायनिक हथियारों को खत्म करने के वैश्विक प्रयासों के लिये वर्ष 2013 में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
  • भारत और CWC: भारत CWC का एक मूल हस्ताक्षरकर्त्ता है और इसे रासायनिक अस्त्र समझौता अधिनियम, 2000 के तहत स्थापित राष्ट्रीय प्राधिकरण रासायनिक अस्‍त्र समझौता (NACWC) के माध्यम से कार्यान्वित करता है।
    • भारत के सबसे पुराने रासायनिक उद्योग संघ, भारतीय रासायनिक परिषद (ICC) को OPCW-द हेग पुरस्कार 2024 से सम्मानित किया गया, जिससे यह सम्मान प्राप्त करने वाला विश्व का पहला उद्योग निकाय बन गया।
  • रासायनिक हथियार: रासायनिक हथियार वह सभी विषैले रासायनिक पदार्थ या यंत्र होते हैं, जिन्हें जानबूझकर हानि पहुँचाने या मृत्यु का कारण बनाने के उद्देश्य से तैयार किया गया हो; इसमें गोला-बारूद और उन्हें प्रक्षेपित करने वाले उपकरण भी सम्मिलित होते हैं। 
    • यह समझौता पुराने एवं परित्यक्त रासायनिक हथियारों के विनाश को अनिवार्य करता है तथा सदस्य देशों को अश्रु गैस जैसे दंगा-नियंत्रण कारकों की घोषणा करना भी आवश्यक बनाता है।

और पढ़ें: रासायनिक अस्त्र समझौता और जैविक अस्त्र समझौता


रैपिड फायर

महाबोधि मंदिर

स्रोत: टाइम्स ऑफ इंडिया 

सर्वोच्च न्यायालय ने अनुच्छेद 32 के तहत दायर उस याचिका पर विचार करने से इंकार कर दिया, जिसमें बोधगया मंदिर अधिनियम, 1949 को चुनौती दी गई थी और महाबोधि मंदिर पर केवल बौद्ध समुदाय के नियंत्रण की मांग की गई थी।

  • बोधगया मंदिर अधिनियम, 1949 बौद्ध धर्म के सबसे पवित्र स्थलों में से एक महाबोधि मंदिर के बेहतर प्रबंधन को सुनिश्चित करने के लिये लागू किया गया था।

महाबोधि मंदिर

  • परिचय: यह वह स्थल है जहाँ गौतम बुद्ध ने महाबोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त किया था। मूल मंदिर का निर्माण सम्राट अशोक ने ईसा पूर्व 3वीं शताब्दी में कराया था, जबकि वर्तमान संरचना 5वीं–6वीं शताब्दी की है।
  • स्थापत्य विशेषताएँ: इसमें 50 मीटर ऊँचा भव्य मंदिर (वज्रासन), पवित्र बोधि वृक्ष और बुद्ध के ज्ञान प्राप्ति से जुड़े छह अन्य पवित्र स्थल शामिल हैं, जो प्राचीन वोटिव स्तूपों से घिरे हुए हैं।
    • यह गुप्त काल के प्रारंभिक ईंट से बने मंदिरों में से एक है और वज्रासन (डायमंड थ्रोन) को मूल रूप से सम्राट अशोक ने बुद्ध के ध्यान स्थल को चिह्नित करने के लिये स्थापित किया था।
  • पवित्र स्थल: बोधि वृक्ष (उस वृक्ष का प्रत्यक्ष वंशज जिसके नीचे बुद्ध ने ज्ञान प्राप्त किया था), अनिमेष लोचन चैत्य (बुद्ध के ज्ञान प्राप्ति के पश्चात ध्यानस्थ होने का स्थल)  आदि।
  • मान्यता: यह स्थल वर्ष 2002 से UNESCO विश्व धरोहर स्थल के रूप में सूचीबद्ध है।  

Gautam_Buddha

और पढ़ें: विष्णुपद और महाबोधि मंदिर के लिये कॉरिडोर परियोजनाएँ


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