रैपिड फायर
महाबोधि मंदिर
- 05 Jul 2025
- 2 min read
स्रोत: टाइम्स ऑफ इंडिया
सर्वोच्च न्यायालय ने अनुच्छेद 32 के तहत दायर उस याचिका पर विचार करने से इंकार कर दिया, जिसमें बोधगया मंदिर अधिनियम, 1949 को चुनौती दी गई थी और महाबोधि मंदिर पर केवल बौद्ध समुदाय के नियंत्रण की मांग की गई थी।
- बोधगया मंदिर अधिनियम, 1949 बौद्ध धर्म के सबसे पवित्र स्थलों में से एक महाबोधि मंदिर के बेहतर प्रबंधन को सुनिश्चित करने के लिये लागू किया गया था।
महाबोधि मंदिर
- परिचय: यह वह स्थल है जहाँ गौतम बुद्ध ने महाबोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त किया था। मूल मंदिर का निर्माण सम्राट अशोक ने ईसा पूर्व 3वीं शताब्दी में कराया था, जबकि वर्तमान संरचना 5वीं–6वीं शताब्दी की है।
- स्थापत्य विशेषताएँ: इसमें 50 मीटर ऊँचा भव्य मंदिर (वज्रासन), पवित्र बोधि वृक्ष और बुद्ध के ज्ञान प्राप्ति से जुड़े छह अन्य पवित्र स्थल शामिल हैं, जो प्राचीन वोटिव स्तूपों से घिरे हुए हैं।
- यह गुप्त काल के प्रारंभिक ईंट से बने मंदिरों में से एक है और वज्रासन (डायमंड थ्रोन) को मूल रूप से सम्राट अशोक ने बुद्ध के ध्यान स्थल को चिह्नित करने के लिये स्थापित किया था।
- पवित्र स्थल: बोधि वृक्ष (उस वृक्ष का प्रत्यक्ष वंशज जिसके नीचे बुद्ध ने ज्ञान प्राप्त किया था), अनिमेष लोचन चैत्य (बुद्ध के ज्ञान प्राप्ति के पश्चात ध्यानस्थ होने का स्थल) आदि।
- मान्यता: यह स्थल वर्ष 2002 से UNESCO विश्व धरोहर स्थल के रूप में सूचीबद्ध है।
और पढ़ें: विष्णुपद और महाबोधि मंदिर के लिये कॉरिडोर परियोजनाएँ