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डेली न्यूज़

जैव विविधता और पर्यावरण

प्रकृति-आधारित समाधान और उनका महत्त्व

प्रिलिम्स के लिये: UNFCCC, अमेज़न वर्षावन, मैंग्रोव, वायु प्रदूषण, जैव विविधता, IUCN, CBD, UNCCD, कार्बन पृथक्करण, वेटलैंड, ग्रीन कॉरिडोर, UNEP, ग्रीन बॉण्ड

मेन्स के लिये: प्रकृति-आधारित समाधानों के बारे में मुख्य तथ्य, भारत के लिये उनका रणनीतिक महत्त्व, उन्हें लागू करने से जुड़ी चुनौतियाँ और आगे की राह।

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों?

अमेज़न वर्षावन के भीतर स्थित बेलेम में ब्राज़ील द्वारा UNFCCC COP30 की मेज़बानी किये जाने से वैश्विक जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिये प्रकृति-आधारित समाधान (NbS) को महत्त्वपूर्ण साधनों के रूप में विशेष ध्यान मिला है।

  • यह त्वरित जलवायु परिवर्तन के लिये प्रकृति-आधारित समाधानों को सुदृढ़ करने हेतु साझेदारियों में तेज़ी (ENACT) लाने में एक मौलिक भूमिका निभा सकता है।

सारांश

  • COP30 और ENACT ने जलवायु कार्रवाई के केंद्र में प्रकृति-आधारित समाधानों (NbS) को स्थापित किया है, जो शमन, अनुकूलन और जैव विविधता को आपस में जोड़ते हैं।
  • इनकी सफलता वित्तीय अंतराल को कम करने, नीतियों और कॉरपोरेट शासन में NbS को मुख्यधारा में लाने तथा समावेशी साझेदारियों को प्रोत्साहित करने पर निर्भर करती है।

प्रकृति-आधारित समाधान (NbS) क्या हैं?

  • परिचय: NbS ऐसे उपाय हैं, जिनके अंतर्गत प्राकृतिक या संशोधित पारिस्थितिक तंत्रों का संरक्षण, सतत प्रबंधन और पुनर्स्थापन किया जाता है, ताकि सामाजिक चुनौतियों का प्रभावी तथा अनुकूलनीय ढंग से समाधान किया जा सके, साथ ही मानव कल्याण और जैव विविधता को भी लाभ पहुँचे।
    • उदाहरण के लिये, कंक्रीट की समुद्री दीवारें बनाने के बजाय मैंग्रोव वनों का पुनर्स्थापन प्राकृतिक रूप से तूफानी ज्वार-भाटा से सुरक्षा प्रदान करता है, जैसा कि भारत के पिचावरम वन (तमिलनाडु) में देखा गया, जहाँ 2004 की सुनामी के दौरान क्षति में कमी आई।
  • NbS के मूल सिद्धांत (IUCN द्वारा परिभाषित):
    • किसी सामाजिक चुनौती का समाधान करें (जैसे—जलवायु परिवर्तन, बाढ़, जल सुरक्षा, खाद्य सुरक्षा, वायु प्रदूषण, शहरी ऊष्मा)।
    • मानव कल्याण और जैव विविधता दोनों के लिये लाभ प्रदान करें।
    • स्थानीय समुदायों और जनजातीय लोगों की पूर्ण भागीदारी तथा सहमति के साथ डिज़ाइन व क्रियान्वित किये जाएँ।
    • समानता को बढ़ावा दें और अल्पकालिक आवश्यकताओं तथा दीर्घकालिक लाभों के बीच संतुलन स्थापित करें।
    • जैविक और सांस्कृतिक विविधता को बनाए रखें।
    • परिदृश्य स्तर (लैंडस्केप स्केल) पर लागू हों, न कि केवल किसी एक छोटे या पृथक क्षेत्र तक सीमित रहें।
    • विभिन्न क्षेत्रों में नीतियों और योजना-निर्माण में एकीकृत हों, केवल एकमुश्त परियोजना न बने।
    • अनुकूलनशील प्रबंधन के तहत संचालित हों और उनकी प्रभावशीलता के प्रमाण उत्पन्न करें।
  • मुख्य प्रकार एवं उदाहरण:

पारिस्थितिक तंत्र का प्रकार

NbS हस्तक्षेप

जलवायु प्रभाव

स्थलीय 

वनीकरण एवं पुनर्वनीकरण (जैसे—शहरी क्षेत्रों में मियावाकी पद्धति)

कार्बन पृथक्करण और मृदा नमी संरक्षण

समुद्री/तटीय

मैंग्रोव पुनर्स्थापन (जैसे—भारत की MISHTI योजना)

चक्रवातों से तटीय सुरक्षा और ‘ब्लू कार्बन’ का भंडारण

कृषि 

कृषि-वानिकी एवं प्राकृतिक कृषि (जैसे—ZBNF, PM प्रणाम)

मृदा कार्बन में वृद्धि, रासायनिक अपवाह में कमी और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना

शहरी

ब्लू–ग्रीन अवसंरचना (जैसे—एनोर या डीपोर बील जैसी शहरी आर्द्रभूमियों का पुनर्स्थापन)

शहरी बाढ़ में कमी और स्थानीय तापमान में शीतलन

त्वरित जलवायु परिवर्तन के लिये प्रकृति-आधारित समाधानों को बढ़ावा देना (ENACT)

  • परिचय: ENACT एक वैश्विक साझेदारी है, जिसे प्रकृति-आधारित समाधानों (NbS) को बढ़ावा देने और उन्हें व्यापक स्तर पर लागू करके जलवायु परिवर्तन, भूमि क्षरण और जैव विविधता हानि पर त्वरित कार्रवाई को गति देने के लिये स्थापित किया गया है।
  • शासन और उत्पत्ति: इसे UNFCCC COP27 में शर्म अल-शेख में मिस्र की अध्यक्षता द्वारा जर्मनी और IUCN के सहयोग से लॉन्च किया गया। IUCN ENACT का सचिवालय संचालित करता है और इसके कार्यान्वयन का नेतृत्व करता है।
  • प्राथमिक कार्य: यह राज्य और गैर-राज्य दोनों प्रकार के अभिकर्त्ताओं के लिये सहयोगात्मक केंद्र के रूप में कार्य करता है, ताकि प्रयासों का समन्वय किया जा सके, राजनीतिक समर्थन बनाया जा सके और तीन रियो सम्मेलनों (UNFCCC, CBD, UNCCD) के तहत प्रमाण-आधारित NbS नीतियों के लिये वकालत की जा सके।
  • मात्रात्मक वैश्विक लक्ष्य (परिणाम):
    • मानव सहनशीलता: एक अरब से अधिक संवेदनशील लोगों के लिये संरक्षण को सुदृढ़ करना, जिसमें कम-से-कम 50 करोड़ महिलाओं और बालिकाओं पर विशेष ध्यान केंद्रित किया गया है।
    • पारिस्थितिकी तंत्र अखंडता: संरक्षण (45 मिलियन हेक्टेयर), सतत प्रबंधन (2 अरब हेक्टेयर) तथा पुनर्स्थापन (350 मिलियन हेक्टेयर) की संयुक्त रणनीति के माध्यम से कुल 2.4 अरब हेक्टेयर क्षेत्र को सुरक्षित करना।
    • जलवायु शमन: स्थलीय, मीठे जल तथा समुद्री पारिस्थितिकी तंत्रों में कार्बन-समृद्ध क्षेत्रों की रक्षा, संरक्षण और पुनर्स्थापन के माध्यम से वैश्विक कार्बन पृथक्करण क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि करना।

भारत के लिये प्रकृति-आधारित समाधानों (NbS) का रणनीतिक महत्त्व क्या है?

  • जलवायु परिवर्तन शमन: भारत में वन संरक्षण और आर्द्रभूमि संरक्षण कार्बन पृथक्करण तथा जल विनियमन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जिससे उत्सर्जन में वनों की कटाई के 12-15% योगदान का प्रतिकार किया जा सकता है। पुनर्स्थापन प्रयास बड़े कार्बन सिंक का सृजन कर सकते हैं, जबकि शहरी हरित क्षेत्र तापमान को 2-4°C तक कम करने में सहायक होते हैं।
  • आपदा जोखिम न्यूनीकरण: मैंग्रोव तथा बाढ़ मैदानों का पुनर्स्थापन भारत में बाढ़ और तूफानों से सुरक्षा का लागत-प्रभावी साधन प्रदान करता है, जहाँ वार्षिक क्षति 7.5 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक है। ये उपाय क्षति लागत और बाढ़ की मात्रा दोनों को उल्लेखनीय रूप से कम करते हैं।
  • जल सुरक्षा और गुणवत्ता: नदी-तटीय बफर तथा जलग्रहण क्षेत्र संरक्षण प्रदूषकों का निस्यंदन करते हैं और जल तनाव से जूझ रहे भारत के लगभग 60 करोड़ लोगों के लिये जल आपूर्ति को सुरक्षित बनाते हैं। ये उपाय प्रवाह को नियंत्रित करने के साथ-साथ जल गुणवत्ता में प्रभावी सुधार करते हैं।
  • शहरी स्वास्थ्य एवं कल्याण: शहरी हरित गलियारे स्वास्थ्य में सुधार करते हैं और आवासों को जोड़ते हैं, विशेषकर भारत में जहाँ 52 करोड़ से अधिक लोग शहरी क्षेत्रों में निवास करते हैं। ये प्रदूषण और तनाव स्तर को उल्लेखनीय रूप से कम करते हैं।

प्रकृति-आधारित समाधानों (NbS) में कौन-सी चुनौतियाँ हैं?

  • महत्वपूर्ण वित्तीय अंतराल: वैश्विक जैव विविधता और जलवायु लक्ष्यों की प्राप्ति के लिये वर्ष 2025 तक प्रतिवर्ष 384 अरब अमेरिकी डॉलर के निवेश की आवश्यकता है (UNEP के अनुसार), जबकि प्रकृति-आधारित समाधानों (NbS) के लिये निजी क्षेत्र से प्राप्त वित्त वर्तमान में लगभग 18% है, जो गंभीर रूप से अपर्याप्त है।
  • दोषपूर्ण आर्थिक प्रतिमान: एक प्रमुख चुनौती प्रकृति को लागत-रहित इनपुट के रूप में देखना है। मानव गतिविधियों की मांग पृथ्वी की पुनर्जनन क्षमता से लगभग 70% अधिक है, जिसके परिणामस्वरूप पारिस्थितिक पूंजी का क्षरण हो रहा है।
  • कॉर्पोरेट शासन में अंतर: प्रकृति-संबंधी वित्तीय प्रकटीकरण कार्यबल (TNFD) जैसे ढाँचे (700 से अधिक अपनाने वाले) लोकप्रियता प्राप्त कर रहे हैं, किंतु जैव विविधता को प्रायः बोर्ड-स्तरीय प्राथमिक भौतिक विषय नहीं माना जाता। यह नीति और रणनीतिक एकीकरण के बीच असंगति को उजागर करता है।
  • क्षेत्रीय एवं क्षेत्रगत असमानताएँ: TNFD को अपनाने में असमानता पाई जाती है। उच्च प्रभाव वाले क्षेत्र, जैसे ऊर्जा और अवसंरचना तथा यूरोपीय कंपनियाँ इसके एकीकरण में अग्रणी हैं, जबकि प्रौद्योगिकी/IT क्षेत्र और भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाएँ विभिन्न स्तरों की प्रतिबद्धता दिखाती हैं, जहाँ प्रायः व्यापक जैव विविधता की तुलना में जलवायु पर अधिक ध्यान केंद्रित किया जाता है।

प्रकृति-आधारित समाधानों (NbS) को सुदृढ़ करने के मार्ग क्या हैं?

  • महत्त्वपूर्ण वित्तपोषण अंतर को पाटना: TNFD जैसे ढाँचों तथा ग्रीन बॉण्ड जैसे नवाचारी वित्तीय उपकरणों के माध्यम से निजी निवेश को प्रोत्साहित करना।
  • नीतिनिर्माण में NbS को मुख्यधारा में लाना: NbS को (शहरी नियोजन, कृषि और अवसंरचना) जैसी प्रमुख क्षेत्रीय नीतियों में एकीकृत किया जाए। जैव विविधता को स्वैच्छिक चिंता से आगे बढ़ाकर कंपनियों के लिये एक ठोस, बोर्ड-स्तरीय रणनीतिक प्राथमिकता बनाया जाए।
  • ‘समावेशी शासन’ को मुख्यधारा में लाना: NbS परियोजनाओं के लिये ग्राम सभाओं को प्राथमिक निर्णयकर्त्ता बनाकर एक ‘अधिकार-आधारित दृष्टिकोण (Rights-based Approach)’ अपनाया जाए। इससे पारंपरिक पारिस्थितिक ज्ञान (TEK) का एकीकरण सुनिश्चित होता है और सामाजिक सुरक्षा उपायों का पालन होता है।
  • शहरी-ग्रामीण एकीकरण (Landscape Approach): ‘अलग-थलग पैचों’ से आगे बढ़कर ब्लू-ग्रीन कॉरिडोर विकसित किये जाएँ। उदाहरण के तौर पर, मरुस्थलीकरण और दिल्ली के वायु प्रदूषण दोनों से एक साथ निपटने के लिये अरावली ग्रीन वॉल का पुनर्स्थापन किया जा सकता है।
  • प्रौद्योगिकी एवं निगरानी: वृक्षारोपण की जीवित रहने की दर (Survival Rates) और कार्बन अवशोषण (Carbon Sequestration) के स्तरों को रियल-टाइम में ट्रैक करने के लिये भुवन पोर्टल (ISRO) और AI-आधारित डैशबोर्ड का उपयोग किया जाए, ताकि MISHTI और नगर वन योजना जैसी योजनाओं में जवाबदेही सुनिश्चित की जा सके।

निष्कर्ष

अमेज़न क्षेत्र में COP30 की मेज़बानी ने प्रकृति-आधारित समाधान (Nature-based Solutions- NbS) को जलवायु कार्रवाई के केंद्र में स्थापित कर दिया है। ENACT जैसी पहलें विज्ञान-आधारित मार्ग प्रदान करती हैं, किंतु सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि वित्त का विस्तार कैसे किया जाता है, शासन प्रक्रियाओं में NbS को कैसे अंतर्निहित किया जाता है और समावेशी साझेदारियों को किस प्रकार प्रोत्साहित किया जाता है। आगे बढ़ते हुए यह स्पष्ट है कि “प्रकृति कोई विलासिता नहीं, बल्कि एक अनिवार्य अवसंरचना है। NbS में निवेश हमारे सामूहिक जलवायु बीमा में निवेश है।”

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न: प्रकृति-आधारित समाधान (Nature-based Solutions) को जलवायु शमन, अनुकूलन और जैव विविधता संरक्षण के बीच एक सेतु के रूप में बढ़ते हुए देखा जा रहा है। उदाहरणों के साथ चर्चा कीजिये।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

1. प्रकृति-आधारित समाधान (NbS) क्या हैं?
NbS ऐसे उपाय हैं जो पारिस्थितिक तंत्र की सुरक्षा, प्रबंधन और पुनर्स्थापन के माध्यम से जलवायु परिवर्तन, आपदाओं, खाद्य और जल सुरक्षा जैसी चुनौतियों का समाधान करते हैं, साथ ही जैव विविधता और मानव कल्याण के लाभ भी प्रदान करते हैं।

2. ENACT साझेदारी क्या है?
ENACT एक वैश्विक साझेदारी है, जिसे COP27 में IUCN द्वारा आयोजित किया गया, जिसका उद्देश्य NbS को बढ़ाना और रियो कन्वेंशनों के तहत जलवायु, जैव विविधता और भूमि क्षरण से जुड़े कार्यों को संरेखित करना है।

3. ENACT के तहत प्रमुख वैश्विक लक्ष्य क्या हैं?
1 अरब संवेदनशील लोगों की सुरक्षा करना, 2.4 अरब हेक्टेयर पारिस्थितिक तंत्र की सुरक्षा करना और कार्बन-समृद्ध स्थलीय, ताजे पानी और समुद्री पारिस्थितिक तंत्र के पुनर्स्थापन के माध्यम से कार्बन अवशोषण बढ़ाना।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स 

प्रश्न. बेहतर नगरीय भविष्य की दिशा में कार्यरत संयुक्त राष्ट्र कार्यक्रम में संयुक्त राष्ट्र पर्यावास (UN-Habitat) की भूमिका के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (2017)

  1. संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा संयुक्त राष्ट्र पर्यावास को आज्ञापित किया गया है कि वह सामाजिक एवं पर्यावरणीय दृष्टि से धारणीय ऐसे कस्बों एवं शहरों को संवर्द्धित करे जो सभी को पर्याप्त आश्रय प्रदान करते हों। 
  2. इसके साझीदार सिर्फ सरकारें या स्थानीय नगर प्राधिकरण ही हैं। 
  3. संयुक्त राष्ट्र पर्यावास, सुरक्षित पेयजल व आधारभूत स्वच्छता तक पहुँच बढ़ाने और गरीबी कम करने के लिये संयुक्त राष्ट्र व्यवस्था के समग्र उद्देश्य में योगदान करता है।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) 1, 2 और 3

(b) केवल 1 और 3

(c) केवल 2 और 3

(d) केवल 1

उत्तर: (b)


मेन्स 

प्रश्न. कई वर्षों से उच्च तीव्रता की वर्षा के कारण शहरों में बाढ़ की बारंबारता बढ़ रही है। शहरी क्षेत्रें में बाढ़ के कारणों पर चर्चा करते हुए इस प्रकार की घटनाओं के दौरान जोखिम कम करने की तैयारियों की क्रियाविधि पर प्रकाश डालिये। (2016)

प्रश्न. क्या कमज़ोर और पिछड़े समुदायों के लिये आवश्यक सामाजिक संसाधनों को सुरक्षित करने के द्वारा उनकी उन्नति के लिये सरकारी योजनाएँ, शहरी अर्थव्यवस्थाओं में व्यवसायों की स्थापना करने में उनको बहिष्कृत कर देती हैं? (2014)


भारतीय अर्थव्यवस्था

इंफ्रास्ट्रक्चर बॉण्ड

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

चर्चा में क्यों? 

सरकारी स्वामित्व अधीन बैंक ऑफ इंडिया (BoI) ने इंफ्रास्ट्रक्चर बॉण्ड के माध्यम से 10,000 करोड़ रुपये की राशि जुटाई है, जिसमें निवेशकों की अत्यधिक मांग दर्ज की गई है क्योंकि 5,000 करोड़ रुपये के निर्धारित बॉण्ड निर्गम आकार की अपेक्षा 15,300 करोड़ रुपये से अधिक की बोलियाँ प्राप्त हुई हैं।

इंफ्रास्ट्रक्चर बॉण्ड क्या होते हैं?

  • इंफ्रास्ट्रक्चर बॉण्ड दीर्घावधि ऋण प्रतिभूतियाँ हैं जो सरकारों या कंपनियों की निवेशकों से बृहद स्तरीय बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं (जैसे सड़कें, हवाई अड्डे, विद्युत संयंत्र, रेलवे, जल आपूर्ति व्यवस्था आदि) को वित्तपोषित करने के लिये धन उधार लेने की एक विधि है। 
  • जब कोई व्यक्ति इन बॉण्ड में निवेश करता है तो उसे अनिवार्य रूप से जारीकर्त्ता को धन उधार देना होता है और बदले में निश्चित ब्याज (कूपन) भुगतान और बॉण्ड की परिपक्वता पर मूल राशि पुनः प्राप्त करता है।
  • परिपक्वता/अवधि
    • भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) बैंकों को न्यूनतम सात वर्ष की परिपक्वता अवधि वाले इंफ्रास्ट्रक्चर बॉण्ड जारी करने की अनुमति देता है, जिनकी सामान्य अवधि में प्रायः 10-15 वर्ष तक का विस्तार संभव है।
  • विनियामकीय प्रोत्साहनों के कारण सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक (PSB) इंफ्रास्ट्रक्चर बॉण्ड जारी करने वाले प्रमुख बैंक बने हुए हैं।

इंफ्रास्ट्रक्चर बॉण्ड के विभिन्न प्रकार क्या हैं?

  • सरकारी इंफ्रास्ट्रक्चर बॉण्ड: ये बॉण्ड केंद्र या राज्य सरकारों या उनके अभिकरणों द्वारा सार्वजनिक बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिये जारी किये जाते हैं। उदाहरण: NHAI या राज्य बुनियादी ढाँचा विकास निगमों द्वारा जारी किये गए बॉण्ड।
  • बैंकों द्वारा जारी इंफ्रास्ट्रक्चर बॉण्ड: ये बुनियादी ढाँचा संबंधी ऋण जुटाने के लिये बैंकों (मुख्यतः सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों) द्वारा जारी किये गए बॉण्ड हैं। ये बॉण्ड SLR और CRR से मुक्त होते हैं, जिससे ये बैंकों के लिये आकर्षक बन जाते हैं।
  • संस्थागत इंफ्रास्ट्रक्चर बॉण्ड: ये बॉण्ड IREDA, PFC, REC, IRFC आदि जैसी वित्तीय संस्थाओं द्वारा जारी किये जाते हैं और विशेष रूप से बुनियादी ढाँचा क्षेत्रों को वित्तपोषण प्रदान करने के लिये निर्मित हैं।
  • विशेष श्रेणी
    • ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर बॉण्ड: ये नवीकरणीय ऊर्जा, स्वच्छ परिवहन और जलवायु-आघात सह  बुनियादी ढाँचे जैसी पर्यावरण की दृष्टि से संधारणीय परियोजनाओं को वित्तपोषित करने के लिये जारी किये जाते हैं।

बैंक इंफ्रास्ट्रक्चर बॉण्ड क्यों जारी करते हैं?

  • बुनियादी ढाँचा संबंधी दीर्घकालिक ऋणों का बेहतर विकल्प: बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं के लिये 10-20 वर्षों के लिये धन की आवश्यकता होती है, जबकि बैंक जमा अधिकतर अल्पकालिक होते हैं। दीर्घकालिक इंफ्रास्ट्रक्चर बॉण्ड बैंकों को स्थिर, दीर्घकालिक धन प्रदान करते हैं और परिसंपत्ति-देयता असंतुलन को कम करते हैं।
  • नियामकीय लाभों से लागत कम होती है: RBI CRR/SLR छूट के साथ इस प्रकार के बॉण्डों की अनुमति देता है (शर्तों के अधीन), इसलिये इन्हें जमा की तुलना में कम दर पर प्राप्त किया जा सकता है क्योंकि अनर्जक आरक्षित निधि में अल्प धन धारित होता है।
  • सरकारी बुनियादी ढाँचे के विकास में सहायक: इंफ्रास्ट्रक्चर बॉण्ड बैंकों को जमा-आधारित निधीयन को अप्रभावित रखते हुए या एक्सपोज़र सीमा को पार किये बिना सड़कों, आवासन और शहरी परियोजनाओं में बृहद स्तर पर वित्तपोषण करने में सहायक होते हैं।
  • बैंकों के तुलन पत्र और बाज़ार का सुदृढ़ीकरण: ये जमा राशि से परे वित्तपोषण को विविधतापूर्ण बनाते हैं और बॉण्ड बाज़ार में बैंकों की भागीदारी बढ़ाते हैं, जिससे दीर्घकालिक ऋण बाज़ार के विकास में सहायता मिलती है।

इनसे निवेशकों को क्या लाभ होता है?

  • स्थिर प्रतिफल: निश्चित कूपन का तात्पर्य अपेक्षाकृत अनुमानित आय है, जो सेवानिवृत्त लोगों, पेंशन निधियों और बीमा कंपनियों जैसे पारंपरिक और दीर्घकालिक निवेशकों को आकर्षित करती है।
  • विविधीकरण: चूँकि ऋण लिखत प्रायः संप्रभु या अर्द्ध-संप्रभु संस्थाओं द्वारा समर्थित होते हैं, इसलिये वे पोर्टफोलियो को मात्र सैद्धांतिक इक्विटी के बजाय विविधतापूर्ण बनाने और समग्र अस्थिरता को कम करने में मदद कर सकते हैं।
  • राष्ट्र निर्माण का पहलू: निवेशक सड़कों, रेल, विद्युत और अन्य महत्त्वपूर्ण आस्तियों के वित्तपोषण में प्रभावी रूप से भाग लेते हैं, जिससे व्यक्तिगत निवेश राष्ट्रीय विकास उद्देश्यों के साथ संरेखित होते हैं।

इंफ्रास्ट्रक्चर बॉण्ड संबंधी जोखिम क्या हैं?

  • ब्याज दर जोखिम: बाज़ार में बढ़ती ब्याज दरें निश्चित दर वाले इंफ्रास्ट्रक्चर बॉण्ड की मांग को कम कर सकती हैं।
  • चलनिधि जोखिम: दीर्घावधि और सीमित द्वितीयक बाज़ार व्यापार के कारण बॉण्ड से समय पूर्व  अलग होना कठिन हो सकता है।
  • ऋण जोखिम: कम रेटिंग वाली या निजी संस्थाओं द्वारा जारी किये गए बॉण्ड में चूक या व्यतिक्रम का जोखिम अधिक हो सकता है।
  • मुद्रास्फीति का जोखिम: निश्चित प्रतिफल का दीर्घावधि में उच्च मुद्रास्फीति के साथ संतुलन प्रभावित हो सकता है।

इंफ्रास्ट्रक्चर बॉण्ड, InvIT से किस प्रकार भिन्न है?

पहलू

इंफ्रास्ट्रक्चर बॉण्ड

इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (InvIT)

प्रकृति

ऋण लिखत (जारीकर्ता को प्रदत्त ऋण)

न्यास-आधारित निवेश साधन

प्रतिफल

निश्चित ब्याज (कूपन) आय

आवधिक नकदी प्रदायगी (ब्याज + लाभांश)

जोखिम स्तर

अपेक्षाकृत कम (विशेषकर सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों/सरकारी समर्थित)

मध्यम स्तरीय; परियोजना के निष्पादन पर निर्भर 

अवधि

दीर्घकालिक (7–20+ वर्ष)

निश्चित परिपक्वता अवधि का भाव (बाज़ार-संबद्ध कारक)

पूंजी मूल्यवृद्धि

सीमित

संभव है, साथ ही आय भी।

चलनिधि

सीमित द्वितीयक बाज़ार चलनिधि

इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (InvIT) जो शेयर बाज़ार में सूचीबद्ध हैं और स्टॉक एक्सचेंजों पर खरीदे-बेचे जाते हैं

कर उपचार

ब्याज पर कर स्लैब के अनुसार करारोपण होता है।

कर-कुशल घटक (ब्याज, लाभांश, पूंजीगत लाभ पर अलग-अलग करारोपण)

विनियमन

RBI (बैंकिंग मानदंडों हेतु) और SEBI (सूचीकरण/प्रकटीकरण हेतु)

SEBI (InvIT विनियम, 2014)

उपयुक्तता 

जोखिम के अनिच्छुक निवेशक जो स्थिर आय की तलाश में हैं

मध्यम स्तरीय जोखिम के साथ उच्च प्रतिफल की इच्छा रखने वाले निवेशक

UPSC विगत वर्ष के प्रश्न 

1. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:

कथन-I: आधारिक संरचना निवेश न्यासों (InvITs) में जमा (डिपॉजिट) से हुई ब्याज की आय, जो उनके निवेशकों में वितरित की जाती है, कर से छूट प्राप्त है, किंतु लाभांश कर योग्य है।

कथन-II: 'वित्तीय परिसंपत्तियों का प्रतिभूतिकरण और पुनर्गठन तथा प्रतिभूति हित का प्रवर्तन अधिनियम, 2002' के अधीन InvITs को ऋणी के रूप में मान्यता प्राप्त है। 

उपर्युक्त कथनों के बारे में निम्नलिखित में से कौन-सा एक सही है?

(a) कथन-I और कथन- II दोनों सही हैं तथा कथन-II, कथन-I की सही व्याख्या है।

(b) कथन-I और कथन- II दोनों सही हैं तथा कथन-II, कथन-I की सही व्याख्या नहीं है।

(c) कथन-I सही है, किंतु कथन- II गलत है।

(d) कथन-I गलत है, किंतु कथन- II सही है।

उत्तर: (d)


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