भारतीय अर्थव्यवस्था
इंफ्रास्ट्रक्चर बॉण्ड
- 27 Dec 2025
- 51 min read
चर्चा में क्यों?
सरकारी स्वामित्व अधीन बैंक ऑफ इंडिया (BoI) ने इंफ्रास्ट्रक्चर बॉण्ड के माध्यम से 10,000 करोड़ रुपये की राशि जुटाई है, जिसमें निवेशकों की अत्यधिक मांग दर्ज की गई है क्योंकि 5,000 करोड़ रुपये के निर्धारित बॉण्ड निर्गम आकार की अपेक्षा 15,300 करोड़ रुपये से अधिक की बोलियाँ प्राप्त हुई हैं।
इंफ्रास्ट्रक्चर बॉण्ड क्या होते हैं?
- इंफ्रास्ट्रक्चर बॉण्ड दीर्घावधि ऋण प्रतिभूतियाँ हैं जो सरकारों या कंपनियों की निवेशकों से बृहद स्तरीय बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं (जैसे सड़कें, हवाई अड्डे, विद्युत संयंत्र, रेलवे, जल आपूर्ति व्यवस्था आदि) को वित्तपोषित करने के लिये धन उधार लेने की एक विधि है।
- जब कोई व्यक्ति इन बॉण्ड में निवेश करता है तो उसे अनिवार्य रूप से जारीकर्त्ता को धन उधार देना होता है और बदले में निश्चित ब्याज (कूपन) भुगतान और बॉण्ड की परिपक्वता पर मूल राशि पुनः प्राप्त करता है।
- परिपक्वता/अवधि
- भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) बैंकों को न्यूनतम सात वर्ष की परिपक्वता अवधि वाले इंफ्रास्ट्रक्चर बॉण्ड जारी करने की अनुमति देता है, जिनकी सामान्य अवधि में प्रायः 10-15 वर्ष तक का विस्तार संभव है।
- विनियामकीय प्रोत्साहनों के कारण सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक (PSB) इंफ्रास्ट्रक्चर बॉण्ड जारी करने वाले प्रमुख बैंक बने हुए हैं।
इंफ्रास्ट्रक्चर बॉण्ड के विभिन्न प्रकार क्या हैं?
- सरकारी इंफ्रास्ट्रक्चर बॉण्ड: ये बॉण्ड केंद्र या राज्य सरकारों या उनके अभिकरणों द्वारा सार्वजनिक बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिये जारी किये जाते हैं। उदाहरण: NHAI या राज्य बुनियादी ढाँचा विकास निगमों द्वारा जारी किये गए बॉण्ड।
- बैंकों द्वारा जारी इंफ्रास्ट्रक्चर बॉण्ड: ये बुनियादी ढाँचा संबंधी ऋण जुटाने के लिये बैंकों (मुख्यतः सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों) द्वारा जारी किये गए बॉण्ड हैं। ये बॉण्ड SLR और CRR से मुक्त होते हैं, जिससे ये बैंकों के लिये आकर्षक बन जाते हैं।
- संस्थागत इंफ्रास्ट्रक्चर बॉण्ड: ये बॉण्ड IREDA, PFC, REC, IRFC आदि जैसी वित्तीय संस्थाओं द्वारा जारी किये जाते हैं और विशेष रूप से बुनियादी ढाँचा क्षेत्रों को वित्तपोषण प्रदान करने के लिये निर्मित हैं।
- विशेष श्रेणी
- ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर बॉण्ड: ये नवीकरणीय ऊर्जा, स्वच्छ परिवहन और जलवायु-आघात सह बुनियादी ढाँचे जैसी पर्यावरण की दृष्टि से संधारणीय परियोजनाओं को वित्तपोषित करने के लिये जारी किये जाते हैं।
बैंक इंफ्रास्ट्रक्चर बॉण्ड क्यों जारी करते हैं?
- बुनियादी ढाँचा संबंधी दीर्घकालिक ऋणों का बेहतर विकल्प: बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं के लिये 10-20 वर्षों के लिये धन की आवश्यकता होती है, जबकि बैंक जमा अधिकतर अल्पकालिक होते हैं। दीर्घकालिक इंफ्रास्ट्रक्चर बॉण्ड बैंकों को स्थिर, दीर्घकालिक धन प्रदान करते हैं और परिसंपत्ति-देयता असंतुलन को कम करते हैं।
- नियामकीय लाभों से लागत कम होती है: RBI CRR/SLR छूट के साथ इस प्रकार के बॉण्डों की अनुमति देता है (शर्तों के अधीन), इसलिये इन्हें जमा की तुलना में कम दर पर प्राप्त किया जा सकता है क्योंकि अनर्जक आरक्षित निधि में अल्प धन धारित होता है।
- सरकारी बुनियादी ढाँचे के विकास में सहायक: इंफ्रास्ट्रक्चर बॉण्ड बैंकों को जमा-आधारित निधीयन को अप्रभावित रखते हुए या एक्सपोज़र सीमा को पार किये बिना सड़कों, आवासन और शहरी परियोजनाओं में बृहद स्तर पर वित्तपोषण करने में सहायक होते हैं।
- बैंकों के तुलन पत्र और बाज़ार का सुदृढ़ीकरण: ये जमा राशि से परे वित्तपोषण को विविधतापूर्ण बनाते हैं और बॉण्ड बाज़ार में बैंकों की भागीदारी बढ़ाते हैं, जिससे दीर्घकालिक ऋण बाज़ार के विकास में सहायता मिलती है।
इनसे निवेशकों को क्या लाभ होता है?
- स्थिर प्रतिफल: निश्चित कूपन का तात्पर्य अपेक्षाकृत अनुमानित आय है, जो सेवानिवृत्त लोगों, पेंशन निधियों और बीमा कंपनियों जैसे पारंपरिक और दीर्घकालिक निवेशकों को आकर्षित करती है।
- विविधीकरण: चूँकि ऋण लिखत प्रायः संप्रभु या अर्द्ध-संप्रभु संस्थाओं द्वारा समर्थित होते हैं, इसलिये वे पोर्टफोलियो को मात्र सैद्धांतिक इक्विटी के बजाय विविधतापूर्ण बनाने और समग्र अस्थिरता को कम करने में मदद कर सकते हैं।
- राष्ट्र निर्माण का पहलू: निवेशक सड़कों, रेल, विद्युत और अन्य महत्त्वपूर्ण आस्तियों के वित्तपोषण में प्रभावी रूप से भाग लेते हैं, जिससे व्यक्तिगत निवेश राष्ट्रीय विकास उद्देश्यों के साथ संरेखित होते हैं।
इंफ्रास्ट्रक्चर बॉण्ड संबंधी जोखिम क्या हैं?
- ब्याज दर जोखिम: बाज़ार में बढ़ती ब्याज दरें निश्चित दर वाले इंफ्रास्ट्रक्चर बॉण्ड की मांग को कम कर सकती हैं।
- चलनिधि जोखिम: दीर्घावधि और सीमित द्वितीयक बाज़ार व्यापार के कारण बॉण्ड से समय पूर्व अलग होना कठिन हो सकता है।
- ऋण जोखिम: कम रेटिंग वाली या निजी संस्थाओं द्वारा जारी किये गए बॉण्ड में चूक या व्यतिक्रम का जोखिम अधिक हो सकता है।
- मुद्रास्फीति का जोखिम: निश्चित प्रतिफल का दीर्घावधि में उच्च मुद्रास्फीति के साथ संतुलन प्रभावित हो सकता है।
इंफ्रास्ट्रक्चर बॉण्ड, InvIT से किस प्रकार भिन्न है?
|
पहलू |
इंफ्रास्ट्रक्चर बॉण्ड |
इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (InvIT) |
|
प्रकृति |
ऋण लिखत (जारीकर्ता को प्रदत्त ऋण) |
न्यास-आधारित निवेश साधन |
|
प्रतिफल |
निश्चित ब्याज (कूपन) आय |
आवधिक नकदी प्रदायगी (ब्याज + लाभांश) |
|
जोखिम स्तर |
अपेक्षाकृत कम (विशेषकर सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों/सरकारी समर्थित) |
मध्यम स्तरीय; परियोजना के निष्पादन पर निर्भर |
|
अवधि |
दीर्घकालिक (7–20+ वर्ष) |
निश्चित परिपक्वता अवधि का भाव (बाज़ार-संबद्ध कारक) |
|
पूंजी मूल्यवृद्धि |
सीमित |
संभव है, साथ ही आय भी। |
|
चलनिधि |
सीमित द्वितीयक बाज़ार चलनिधि |
इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (InvIT) जो शेयर बाज़ार में सूचीबद्ध हैं और स्टॉक एक्सचेंजों पर खरीदे-बेचे जाते हैं |
|
कर उपचार |
ब्याज पर कर स्लैब के अनुसार करारोपण होता है। |
कर-कुशल घटक (ब्याज, लाभांश, पूंजीगत लाभ पर अलग-अलग करारोपण) |
|
विनियमन |
RBI (बैंकिंग मानदंडों हेतु) और SEBI (सूचीकरण/प्रकटीकरण हेतु) |
SEBI (InvIT विनियम, 2014) |
|
उपयुक्तता |
जोखिम के अनिच्छुक निवेशक जो स्थिर आय की तलाश में हैं |
मध्यम स्तरीय जोखिम के साथ उच्च प्रतिफल की इच्छा रखने वाले निवेशक |
UPSC विगत वर्ष के प्रश्न
1. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:
कथन-I: आधारिक संरचना निवेश न्यासों (InvITs) में जमा (डिपॉजिट) से हुई ब्याज की आय, जो उनके निवेशकों में वितरित की जाती है, कर से छूट प्राप्त है, किंतु लाभांश कर योग्य है।
कथन-II: 'वित्तीय परिसंपत्तियों का प्रतिभूतिकरण और पुनर्गठन तथा प्रतिभूति हित का प्रवर्तन अधिनियम, 2002' के अधीन InvITs को ऋणी के रूप में मान्यता प्राप्त है।
उपर्युक्त कथनों के बारे में निम्नलिखित में से कौन-सा एक सही है?
(a) कथन-I और कथन- II दोनों सही हैं तथा कथन-II, कथन-I की सही व्याख्या है।
(b) कथन-I और कथन- II दोनों सही हैं तथा कथन-II, कथन-I की सही व्याख्या नहीं है।
(c) कथन-I सही है, किंतु कथन- II गलत है।
(d) कथन-I गलत है, किंतु कथन- II सही है।
उत्तर: (d)