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डेली न्यूज़

  • 25 Jun, 2021
  • 45 min read
भारतीय अर्थव्यवस्था

अन्य सेवा प्रदाताओं के लिये दिशा-निर्देश

प्रिलिम्स के लिये:

बिज़नेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग

मेन्स के लिये:

अन्य सेवा प्रदाताओं के लिये दिशा-निर्देशों का महत्त्व, BOP उद्योग को बढ़ावा देने के लिये उठाए गए अन्य कदम

चर्चा में क्यों?

हाल ही में दूरसंचार विभाग (Department of Telecommunications- DoT) ने अन्य सेवा प्रदाताओं (Other Service Providers- OSPs) के लिये मानदंडों को और अधिक उदार बनाया है।

  • भारत में बिज़नेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग (Business Process Outsourcing- BPO) उद्योग को प्रोत्साहित करने के लिये OSP दिशा-निर्देशों को इससे पहले नवंबर 2020 में उदार बनाया गया था। नए दिशा-निर्देशों को और भी सरल बनाया गया है, जिससे व्यापार में अधिक आसानी और नियामक स्पष्टता की पेशकश की गई है।

प्रमुख बिंदु:

बिज़नेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग (BPO):

  • BPO कई लाभ प्रदान करते हैं जैसे- कम लागत, वैश्विक विस्तार एवं उच्च दक्षता इसके अलावा इनमें कुछ कमियाँ जैसे- सुरक्षा मुद्दे, छिपी हुई लागत और अति निर्भरता आदि भी शामिल हैं।
    • BPO एक ऐसा व्यावसाय है जिसमें एक संगठन एक बाह्य सेवा प्रदाता के साथ एक आवश्यक व्यावसायिक कार्य करने के लिये अनुबंध करता है।
  • OSPs या अन्य सेवा प्रदाता ऐसी कंपनियाँ या फर्म होती हैं जो विभिन्न कंपनियों, बैंकों या अस्पताल शृंखलाओं के लिये क्रमशः टेलीमार्केटिंग, टेलीबैंकिंग या टेलीमेडिसिन जैसी माध्यमिक या तृतीयक सेवाएँ प्रदान करती हैं।
  • भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी (IT)- BPO उद्योग वर्ष 2019-2020 में $ 37.6 बिलियन का रहा और अगले चार से पाँच वर्षों में इसमें $ 55.5 बिलियन तक बढ़ने की क्षमता है।

नई नीति की महत्त्वपूर्ण विशेषताएँ:

  • घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय OSP के बीच के अंतर को हटा दिया गया है। सामान्य दूरसंचार संसाधनों वाला एक BPO केंद्र अब भारत में पूरे विश्व के ग्राहकों को सेवा प्रदान करने में सक्षम होगा।
    • वर्तमान में सभी प्रकार के OSP केंद्रों के बीच इंटरकनेक्टिविटी की अनुमति है।
  • OSPs का इलेक्ट्रॉनिक प्राइवेट ऑटोमेटिक ब्रांच एक्सचेंज (Electronic Private Automatic Branch Exchange- EPABX) विश्व में कहीं भी स्थित हो सकता है।
  • एक अवधि के आधार पर DoT को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने वाले OSPs की आवश्यकता को हटा दिया गया है।
    • ऐसे सेवा प्रदाताओं को एक निश्चित समय अवधि के लिये सभी ग्राहक कॉल्स के लिये कॉल डेटा रिकॉर्ड, उपयोग डेटा रिकॉर्ड और सिस्टम लॉग को स्व-विनियमित और बनाए रखना होगा।
    • उन्हें केंद्र द्वारा निर्धारित डेटा सुरक्षा मानदंडों का भी पालन करना होगा।
  • अन्य प्रावधान:
    • नवंबर 2020 में OSP दिशा-निर्देशों को निम्नलिखित के रूप में उदार बनाया गया था :
      • OSPs को किसी भी पंजीकरण की आवश्यकता से छूट।
      • डेटा से संबंधित OSP को किसी भी विनियमन के दायरे से पूरी तरह से बाहर निकाल दिया गया था
      • कोई बैंक गारंटी प्रस्तुत नहीं करनी थी।
      • वर्क फ्रॉम होम और वर्क फ्रॉम एनीवेयर की भी अनुमति थी।
      • सरकार के व्यवसाय में विश्वास की पुष्टि करते हुए उल्लंघन के लिये दंड को पूरी तरह से हटा दिया गया था।

अपेक्षित लाभ:

  • ये दिशानिर्देश BPOs और IT फर्मों के लिये स्थान की लागत, परिसर के किराए और बिजली तथा इंटरनेट बिल जैसे अन्य सहायक लागतों में कटौती करना आसान बना देंगे।
  • कंपनियों को अब DoT व OSP कर्मचारियों के विवरण प्रदान करने का अतिरिक्त अनुपालन बोझ नहीं उठाना पड़ेगा, क्योंकि उन्हें विस्तारित या दूरस्थ एजेंट के रूप में पहचाना जाता है।
  • पंजीकरण मानदंडों को हटाने का अर्थ यह भी होगा कि ऐसे लाइसेंसों का नवीनीकरण नहीं होगा। इससे विदेशी कंपनियों को भारत में अपनी अन्य सेवा प्रदान करने वाली इकाइयों की स्थापना या विस्तार करने में आसानी होगी।
  • इसके अलावा कर्मचारियों को घर से काम करते हुए एक से अधिक कंपनियों के लिये फ्रीलांसिंग का विकल्प चुनने की अनुमति भी हो सकेगी, जिससे इस क्षेत्र में अधिक श्रमिकों को आकर्षित किया जा सकेगा।

BOP उद्योग को बढ़ावा देने के लिये उठाए गए अन्य कदम:

नोट: वर्चुअल नेटवर्क ऑपरेटर (VNO), लाइसेंस इंटरनेट सेवा प्रदाता (ISP) लाइसेंस का एक छोटा उपसमुच्चय है। ISP जो केवल एक विशेष ज़िले या राज्य में ISP व्यवसाय करना चाहते हैं, वे ISP लाइसेंस की तुलना में VNO की लागत प्रभावशीलता के कारण ISP लाइसेंस के बजाय VNO लाइसेंस का विकल्प चुन सकते हैं।

स्रोत: द हिंदू


शासन व्यवस्था

भगोड़ा आर्थिक अपराधी

प्रिलिम्स के लिये 

भगोड़ा आर्थिक अपराधी, विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, प्रवर्तन निदेशालय, फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट - इंडिया (FIU-IND), मनी लॉन्ड्रिंग, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष

मेन्स के लिये 

भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम के प्रमुख प्रावधान, शक्तियाँ एवं प्रभाव तथा  इसमें  प्रवर्तन निदेशालय की भूमिका

चर्चा में क्यों?

प्रवर्तन निदेशालय ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को ₹8,441.50 करोड़ की संपत्ति हस्तांतरित की है, विजय माल्या, नीरव मोदी तथा मेहुल चौकसी  द्वारा कथित तौर पर की गई धोखाधड़ी के कारण ₹22,585.83 करोड़ का नुकसान हुआ है। 

  • इन तीनों को धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत मुंबई के विशेष न्यायालय द्वारा 'भगोड़ा आर्थिक अपराधी (FEO)' घोषित किया गया है।
  • तीनों आरोपियों के खिलाफ यूनाइटेड किंगडम (UK), एंटीगुआ और बारबुडा में प्रत्यर्पण (Extradition) अनुरोध भी दायर किये गए हैं।

प्रमुख बिंदु 

भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम, 2018:

  • परिचय : यह उन आर्थिक अपराधियों की संपत्तियों को ज़ब्त करने का प्रयास करता है, जिन्होंने आपराधिक मुकदमे का सामना करने से बचने के लिये देश छोड़ दिया है या अभियोजन का सामना करने के लिये देश लौटने से इनकार कर दिया है।
  • भगोड़ा आर्थिक अपराधी (FEO) : एक ऐसा व्यक्ति जिसके खिलाफ अनुसूची में दर्ज किसी अपराध के संबंध में गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है और इस अपराध का मूल्य कम-से-कम 100 करोड़ रुपए है।
  • अधिनियम में सूचीबद्ध कुछ अपराध हैं:
    • नकली सरकारी स्टाम्प या करेंसी बनाना, 
    • चेक अस्वीकृत करना
    • मनी लॉन्ड्रिंग
    • क्रेडिटर्स के साथ धोखाधड़ी वाले लेनदेन करना,

भगोड़े आर्थिक अपराधी की घोषणा:

  • आवेदन पर सुनवाई के बाद एक विशेष अदालत (PMLA, 2002 के तहत नामित) किसी व्यक्ति को भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित कर सकती है।
  •  विशेष अदालत भारत या विदेश में अपराध की आय से खरीदी गई संपत्तियों, बेनामी संपत्तियों और अन्य संपत्तियों को ज़ब्त कर सकती है। 
  • ज़ब्त होने के पश्चात् संपत्ति के सभी अधिकार और शीर्षक केंद्र सरकार में निहित होंगे, जो किसी भी भार से मुक्त होंगे (जैसे कि संपत्ति पर कोई शुल्क)।
  • केंद्र सरकार इन संपत्तियों के प्रबंधन और निपटान के लिये एक प्रशासक नियुक्त कर सकती है।

सिविल दावे दायर करने या बचाव करने पर प्रतिबंध :

  • अधिनियम किसी भी सिविल कोर्ट या ट्रिब्यूनल को एक घोषित भगोड़े आर्थिक अपराधी को किसी भी नागरिक दावे को दाखिल करने या बचाव करने से प्रतिबंधित करने की अनुमति देता है।
  • इसके अतिरिक्त बिल अदालतों को अनुमति देता है कि वे किसी कंपनी या सीमित देयता भागीदारी का दावा करने या सफाई देने से प्रतिबंधित कर सकती हैं जिनके प्रमोटर, मुख्य प्रबंधन अधिकारी या मुख्य शेयर होल्डर को FEO घोषित किया गया है।  
  • जब तक आवेदन विशेष न्यायालय के समक्ष लंबित है, अधिकारी किसी आरोपी की संपत्ति को अनंतिम रूप से कुर्क/नीलामी कर सकते हैं।

शक्तियाँ :

  • PMLA, 2002 के तहत प्राधिकरण भगोड़े आर्थिक अपराधी अधिनियम के तहत उन्हें दी गई शक्तियों का प्रयोग करेंगे।
  • ये शक्तियाँ एक सिविल कोर्ट के समान होंगी, जिसमें रिकॉर्ड या अपराध से आय प्राप्त वाले व्यक्तियों के परिसर की इस विश्वास के साथ तलाशी लेना कि एक व्यक्ति एक FEO है जिसमें दस्तावेज़ो की ज़ब्ती शामिल है।

धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) :

  • मनी लॉन्ड्रिंग :
    • मनी लॉन्ड्रिंग का अभिप्राय अवैध रूप से अर्जित आय को छिपाना या बदलना है ताकि वह वैध स्रोतों से उत्पन्न प्रतीत हों। यह अक्सर मादक पदार्थों की तस्करी, डकैती या ज़बरन वसूली जैसे अन्य गंभीर अपराधों का एक घटक है।  
    • अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के अनुसार, वैश्विक मनी लॉन्ड्रिंग का अनुमान विश्व जीडीपी के 2 से 5% के बीच है।

मुख्य विशेषताएँ :

  • मनी लॉन्ड्रिंग के लिये दंड:
    • मनी लॉन्ड्रिंग में न्यूनतम 3 वर्ष तथा अधिकतम 7 वर्ष का कठोर कारावास एवं जुर्माना हो सकता है।
    • यदि अपराध  नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (NDPS) एक्ट, 1985 के अंतर्गत शामिल है, तो जुर्माने के साथ 10 साल तक की सज़ा हो सकती है।
  • भ्रष्ट संपत्ति की कुर्की की शक्तियाँ:
    • भ्रष्ट संपत्ति को "अपराध की आय" माना जाता है और इसे 180 दिनों के लिये अस्थायी रूप से संलग्न किया जा सकता है। इस तरह के आदेश की पुष्टि एक स्वतंत्र न्यायनिर्णायक प्राधिकारी द्वारा की जानी चाहिये।
  • प्रवर्तन निदेशालय (ED) PMLA के तहत अपराधों की जाँच के लिये ज़िम्मेदार है।
    • इसके अतिरिक्त फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट - इंडिया (FIU-IND) राष्ट्रीय एजेंसी है जिसे संदिग्ध वित्तीय लेनदेन से संबंधित जानकारी प्राप्त करने, विश्लेषण और प्रसार के लिये स्थापित किया गया था।
  • सबूतों का भार : एक व्यक्ति, जिस पर मनी लॉन्ड्रिंग का अपराध करने का आरोप है, को यह साबित करना होगा कि अपराध की कथित आय वास्तव में वैध संपत्ति है।

प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate)

  • प्रवर्तन निदेशालय (ED), भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के अधीन एक विशेष वित्तीय जाँच एजेंसी है।
  • इस निदेशालय की उत्पत्ति 1 मई, 1956 को हुई, जब विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम, 1947 (फेरा '47) के तहत विनिमय नियंत्रण कानून के उल्लंघन से निपटने के लिये आर्थिक मामलों के विभाग में एक 'प्रवर्तन इकाई' का गठन किया गया। 
    • वर्ष 1957 में इस इकाई का नाम बदलकर 'प्रवर्तन निदेशालय' कर दिया गया 
  • ED निम्नलिखित कानूनों को लागू करता है:

स्रोत : द हिंदू


भारतीय अर्थव्यवस्था

गुजरात अंतर्राष्ट्रीय समुद्री मध्यस्थता केंद्र

प्रिलिम्स के लिये

गुजरात अंतर्राष्ट्रीय समुद्री मध्यस्थता केंद्र, ‘गिफ्ट’ सिटी, गुजरात मैरीटाइम क्लस्टर

मेन्स के लिये

मध्यस्थता केंद्र की स्थापना का महत्त्व

चर्चा में क्यों?

हाल ही में गुजरात की ‘गिफ्ट’ सिटी (गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक-सिटी) में ‘गुजरात मैरीटाइम यूनिवर्सिटी’ और ‘इंटरनेशनल फाइनेंशियल सर्विसेज़ सेंटर अथॉरिटी’ के बीच एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किये गए हैं।

  • इस MoU का उद्देश्य संयुक्त रूप से ‘गुजरात अंतर्राष्ट्रीय समुद्री मध्यस्थता केंद्र’ (GIMAC) की स्थापना का समर्थन करना है।

प्रमुख बिंदु

‘गुजरात अंतर्राष्ट्रीय समुद्री मध्यस्थता केंद्र’ के विषय में

  • यह देश में अपनी तरह का पहला केंद्र होगा, जो समुद्री और शिपिंग क्षेत्र से संबंधित विवादों में मध्यस्थता की कार्यवाही का प्रबंधन करेगा।
  • यह मध्यस्थता केंद्र एक समुद्री क्लस्टर का हिस्सा होगा, जिसे गांधीनगर स्थित ‘गुजरात मैरीटाइम बोर्ड’ (GMB) द्वारा गिफ्ट सिटी में स्थापित किया जा रहा है।

आवश्यकता

  • मध्यस्थता पर भारत का फोकस: हाल ही में सरकार द्वारा मध्यस्थता एवं सुलह (संशोधन) अधिनियम, 2021 को अधिसूचित किया गया है, जिसे भारत को अंतर्राष्ट्रीय वाणिज्यिक मध्यस्थता केंद्र बनाने की दिशा में ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है।
    • मध्यस्थता एक प्रकार की विवाद समाधान पद्धति है, जहाँ दो या दो से अधिक पक्षों के बीच उत्पन्न होने वाले विवादों को राज्य के कानूनी निकायों के बजाय उनके द्वारा नियुक्त मध्यस्थों द्वारा हल किया जाता है।
  • भारत में वर्तमान में 35 से अधिक मध्यस्थता संस्थान हैं, हालाँकि इसमें से कोई भी विशेष तौर पर समुद्री क्षेत्र से संबंधित विवादों पर ध्यान केंद्रित नहीं करता है।
    • गुजरात मैरीटाइम क्लस्टर परियोजना के कार्यान्वयन के साथ राज्य में समुद्री गतिविधियों का तेज़ी से विस्तार हो रहा है और राज्य वैश्विक समुद्री केंद्र बनने के करीब पहुँच गया है, ऐसे में समुद्री विवादों में मध्यस्थता सेवाओं के लिये एक विशेष सुविधा स्थापित करना काफी महत्त्वपूर्ण हो गया है।
  • इसका उद्देश्य समुद्री और शिपिंग विवादों पर केंद्रित एक विश्व स्तरीय मध्यस्थता केंद्र स्थापित करना है, जो भारत में परिचालन वाली संस्थाओं के बीच वाणिज्यिक और वित्तीय संघर्षों को हल करने में मदद कर सके।
    • अब तक भारतीय पक्षों से जुड़े मध्यस्थता मामलों की सुनवाई सिंगापुर मध्यस्थता केंद्र में की जाती रही है।
    • वैश्विक स्तर पर लंदन को समुद्री एवं शिपिंग क्षेत्र के लिये मध्यस्थता का महत्त्वपूर्ण केंद्र माना जाता है।

लाभ

  • तीव्र विवाद समाधान की सुविधा।
  • अंतर्राष्ट्रीय समुद्री समुदाय के बीच ‘गिफ्ट स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन (SEZ) के आकर्षण में बढ़ोतरी।
  • ‘ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस’ में सुधार 
  • न्यायालयों के कार्यभार में कमी

गुजरात मैरीटाइम क्लस्टर

  • इसकी परिकल्पना बंदरगाहों, समुद्री नौवहन और रसद सेवा प्रदाताओं के एक समर्पित पारिस्थितिकी तंत्र के रूप में की गई है।
  • यह गिफ्ट सिटी, गांधीनगर, जो कि भारत का पहला अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (IFSCA) है, में प्रासंगिक सरकारी नियामक एजेंसियों के साथ समुद्री, शिपिंग उद्योग कंपनियों और सेवा प्रदाताओं की एक शृंखला की मेज़बानी करेगा।
    • अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण (IFSCA) भारत में वित्तीय उत्पादों, वित्तीय सेवाओं और वित्तीय संस्थानों के विकास एवं विनियमन हेतु एक एकीकृत प्राधिकरण है।
  • यह क्षेत्र में आर्थिक विकास, रोज़गार सृजन और उद्योग-शैक्षणिक समन्वय के साथ सभी समुद्री सेवाओं के लिये एक ‘वन-स्टॉप सल्यूशन’ होगा।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


भारतीय इतिहास

संत कबीर दास जयंती

प्रिलिम्स के लिये:

संत कबीर दास के संदर्भ में

मेन्स के लिये:

भक्ति आंदोलन के संदर्भ में और संबंधित व्यक्तित्व

चर्चा में क्यों?

24 जून, 2021 को संत कबीर दास (Sant Kabir Das Jayanti) की जयंती मनाई गई।

  • कबीर दास जयंती हिंदू चंद्र कैलेंडर (Hindu Lunar Calendar) के अनुसार ज्येष्ठ पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है।

प्रमुख बिंदु:

परिचय:

  • संत कबीर दास का जन्म उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर में हुआ था। वह 15वीं शताब्दी के रहस्यवादी कवि, संत और समाज सुधारक तथा भक्ति आंदोलन के प्रस्तावक थे।
    • कबीर की विरासत अभी भी ‘कबीर का पंथ’ (एक धार्मिक समुदाय जो उन्हें संस्थापक मानता है) नामक पंथ के माध्यम से चल रही है।
  • शिक्षक: उनका प्रारंभिक जीवन एक मुस्लिम परिवार में बीता, परंतु वे अपने शिक्षक, हिंदू भक्ति नेता रामानंद से काफी प्रभावित थे।
  • साहित्य: कबीर दास के लेखन का भक्ति आंदोलन पर बहुत प्रभाव पड़ा तथा इसमें कबीर ग्रंथावली, अनुराग सागर, बीजक और सखी ग्रंथ जैसे शीर्षक शामिल हैं।
    • उनके छंद सिख धर्म के ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब में पाए जाते हैं।
    • उनके प्रमुख कार्यों का संकलन पाँचवें सिख गुरु, गुरु अर्जन देव द्वारा किया गया था।
    • उन्होंने अपने दो-पंक्ति के दोहों के लिये सबसे अधिक प्रसिद्धि प्राप्त की, जिन्हें 'कबीर के दोहे' के नाम से जाना जाता है।
  • भाषा: कबीर की कृतियाँ हिंदी भाषा में लिखी गईं, जिन्हें समझना आसान था। लोगों को जागरूक करने के लिये वहअपने लेख दोहों के रूप में लिखते थे।

भक्ति आंदोलन:

  • शुरुआत: आंदोलन की शुरुआत संभवत: 6वीं और 7वीं शताब्दी ईस्वी के आसपास तमिल क्षेत्र में हुई और अलवार (विष्णु के भक्त) तथा नयनार (शिव के भक्त), वैष्णव और शैव कवियों की कविताओं के माध्यम से आंदोलन ने काफी लोकप्रियता प्राप्त की।
    • अलवार और नयनार अपने देवताओं की स्तुति में तमिल में भजन गाते हुए एक स्थान से दूसरे स्थान की यात्रा करते थे।
    • नालयिर दिव्यप्रबंधम अलवारों की एक रचना है। इसे प्रायः तमिल वेद के रूप में वर्णित किया जाता है।
  • वर्गीकरण: एक अलग स्तर पर धर्म के इतिहासकार प्रायः भक्ति परंपराओं को दो व्यापक श्रेणियों में वर्गीकृत करते हैं: सगुण (विशेषताओं या गुणों के साथ) और निर्गुण (विशेषताओं या गुणों के बिना)।
    • सगुण में ऐसी परंपराएँ शामिल थीं जो शिव, विष्णु और उनके अवतार देवी या देवी के रूपों जैसे विशिष्ट देवताओं की पूजा पर केंद्रित थीं, जिन्हें प्रायः मानवशास्त्रीय रूपों में अवधारणाबद्ध किया जाता था।
    • दूसरी ओर निर्गुण भक्ति भगवान के एक अमूर्त रूप की पूजा थी।

सामाजिक व्यवस्था:

  • यह आंदोलन भारतीय उपमहाद्वीप के हिंदुओं, मुसलमानों और सिखों द्वारा भगवान की पूजा से जुड़े कई संस्कारों तथा अनुष्ठानों के लिये उत्तरदायी था। उदाहरण के लिये एक हिंदू मंदिर में कीर्तन, एक दरगाह में कव्वाली (मुसलमानों द्वारा) तथा एक गुरुद्वारे में गुरबानी का गायन।
  • वे प्रायः सभी सत्तावादी मठवासी व्यवस्था के विरोधी थे।
  • उन्होंने समाज में सभी प्रकार सांप्रदायिक कट्टरता और जातिगत भेदभाव की भी कड़ी आलोचना की।
  • उच्च और निम्न दोनों जातियों से आने वाले इन कवियों ने साहित्य का एक दुर्जेय (Formidable) निकाय बनाया जिसने खुद को लोकप्रिय कथाओं में मज़बूती से स्थापित किया।
  • उन सभी ने सामाजिक जीवन में वास्तविक मानवीय आकांक्षाओं और सामाजिक संबंधों के क्षेत्र में धर्म की प्रासंगिकता का दावा किया।
  • भक्ति कवियों ने ईश्वर के प्रति समर्पण पर ज़ोर दिया।
  • आंदोलन की प्रमुख उपलब्धि मूर्ति पूजा का उन्मूलन था।

महिलाओं की भूमिका:

  • अंडाल एक महिला अलवार थी और वह खुद को विष्णु की प्रेमिका के रूप में देखती थी।
  • कराईकल अम्मैयार शिव की भक्त थीं और उन्होंने अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये कठोर तपस्या का मार्ग अपनाया। उनकी रचनाओं को नयनार परंपरा के भीतर संरक्षित किया गया है।

महत्त्वपूर्ण व्यक्तित्व:

  • कन्नड़ क्षेत्र: इस क्षेत्र में आंदोलन 12वीं शताब्दी में बसवन्ना (1105-68) द्वारा शुरू किया गया था।
  • महाराष्ट्र: महाराष्ट्र में भक्ति आंदोलन 13वीं सदी के अंत में शुरू हुआ। इसके समर्थकों को वारकरी कहा जाता था।
    • इसके सबसे लोकप्रिय नामों में ज्ञानदेव (1275-96), नामदेव (1270-50) और तुकाराम (1608-50) थे।
  • असम: श्रीमंत शंकरदेव एक वैष्णव संत थे जिनका जन्म 1449 ईस्वी में असम के नगांव ज़िले में हुआ था। उन्होंने नव-वैष्णव आंदोलन शुरू किया था।
  • बंगाल: चैतन्य बंगाल के एक प्रसिद्ध संत और सुधारक थे जिन्होंने कृष्ण पंथ को लोकप्रिय बनाया।
  • उत्तरी भारत: इस क्षेत्र में 13वीं से 17वीं शताब्दी तक बड़ी संख्या में कवि फले-फूले, ये सभी भक्ति आंदोलन के काफी महत्त्वपूर्ण व्यक्ति थे।
    • जबकि कबीर, रविदास और गुरु नानक ने निराकार भगवान (निर्गुण भक्ति) की बात की, राजस्थान की मीराबाई (1498-1546) ने कृष्ण की स्तुति में भक्ति छंदों की रचना की और उनका गुणगान किया।
    • सूरदास, नरसिंह मेहता और तुलसीदास ने भी भक्ति साहित्य के सिद्धांत में अमूल्य योगदान दिया तथा इसकी गौरवशाली विरासत को बढ़ाया।

Kal-Rekha

स्रोत: पी.आई.बी


विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

कोविड-19 डेल्टा प्लस वेरिएंट

प्रिलिम्स के लिये:

डेल्टा प्लस वेरिएंट

मेन्स के लिये:

डेल्टा प्लस वेरिएंट से संबंधित मुद्दे और चिंताएँ 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (Union Ministry of Health and Family Welfare- MoHFW) ने लोगों को नए कोविड -19 स्ट्रेन 'डेल्टा प्लस' (Delta Plus- DP) को लेकर चेतावनी दी है।

  • ऐसी आशंका है कि यह नया वेरिएंट कोविड-19 की तीसरी लहर को भड़का सकता है।

प्रमुख बिंदु

परिचय:

  • डेल्टा प्लस (B.1.617.2.1/(AY.1), SARS-CoV-2 कोरोनावायरस का एक नया वेरिएंट है, जो वायरस के डेल्टा स्ट्रेन (B.1.617.2 वेरिएंट) में उत्परिवर्तन के कारण बना है। तकनीकी रूप में वास्तव में सार्स-सीओवी-2 (SARS-COV-2) की अगली पीढ़ी है।
  • डेल्टा के इस म्यूटेंट का पहली बार यूरोप में मार्च 2021 में पता चला था।
  • डेल्टा वेरिएंट पहली बार भारत में सर्वप्रथम फरवरी 2021 में पाया गया था जो अंततः पूरी दुनिया के लिये एक बड़ी समस्या बन गया। हालाँकि वर्तमान में डेल्टा प्लस वेरिएंट देश के छोटे क्षेत्रों तक सीमित है।
  • यह मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कॉकटेल (Monoclonal Antibodies Cocktail) के लिये प्रतिरोधी है। चूँकि यह एक नया वेरिएंट है इसलिये इसकी गंभीरता अभी भी अज्ञात है।
  • इसके लक्षण के रूप में लोगों में सिरदर्द, गले में खराश, नाक बहना और बुखार जैसी समस्याएँ देखी जा रही है।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन इस वेरिएंट को अतिरिक्त उत्परिवर्तन के साथ गंभीरता से लेते हुये डेल्टा वेरिएंट के हिस्से के रूप में ट्रैक कर रहा है।

संक्रामिकता:

  • इस वेरिएंट ने K417N नामक स्पाइक प्रोटीन उत्परिवर्तन का अधिग्रहण किया है जो कि इसके पहले दक्षिण अफ्रीका में पहचाने गए बीटा वेरिएंट में भी पाया गया था।
  • स्पाइक प्रोटीन का उपयोग SARS-CoV-2 द्वारा किया जाता है, जो कोविड -19 वायरस का कारण बनता है तथा मेजबान कोशिकाओं में प्रवेश करता है।
  • कुछ वैज्ञानिकों को डर है कि डेल्टा वेरिएंट की अन्य मौजूदा विशेषताओं के साथ संयुक्त उत्परिवर्तन इसे और अधिक पारगम्य बना सकता है।

प्रमुख चिताएँ:

  • डेल्टा प्लस कोविड-19 उत्परिवर्तन के खिलाफ टीकों की प्रभावशीलता का परीक्षण करने के लिये भारत और विश्व स्तर पर कई अध्ययन चल रहे हैं।
  • भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय ने चेतावनी दी है कि जिन क्षेत्रों में यह पाया गया है, उन्हें "निगरानी, ​​उन्नत परीक्षण, त्वरित संपर्क-अनुरेखण और प्राथमिकता टीकाकरण पर ध्यान केंद्रित करके अपनी सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रतिक्रिया को बढ़ाने की आवश्यकता हो सकती है।"
  • हाल ही में मामलों में दुनिया के सबसे खराब उछाल से उभरने के बाद डेल्टा प्लस भारत पर संक्रमण की एक और लहर लाएगा ऐसी चिताएँ विद्यमान है।
  • अब तक केवल 4% से अधिक भारतीयों का संपूर्ण टीकाकरण किया गया है और लगभग 18% लोगों ने अब तक एक खुराक प्राप्त की है।

वायरस वेरिएंट (Virus Variant)

  • वायरस के वेरिएंट में एक या अधिक म्यूटेशन (mutations) होते हैं जो इसे अन्य वेरिएंट से प्रचलन में रहते हुये अलग करते हैं। अधिकांश उत्परिवर्तन वायरस के लिये हानिकारक होते हैं जबकि कुछ वायरस के लिये जीवित रहना आसान बनाते हैं।
  • SARS-CoV-2 (कोरोना) वायरस तेजी से विकसित हो रहा है क्योंकि इसने बड़े पैमाने पर दुनिया भर में लोगों को संक्रमित किया है। इसके परिसंचरण के उच्च स्तर का मतलब है कि वायरस में बदलाव आसान है क्योंकि यह तेजी से उत्परिवर्तन हेतु सक्षम है।
  • मूल महामारी वायरस (प्राथमिक संस्करण) Wu.Hu.1 (वुहान वायरस) था। इसके कुछ ही महीनों में वेरिएंट D614G उभरा और विश्व स्तर पर प्रभावी हो गया।
  • जीनोमिक्स पर भारतीय SARS-CoV-2 कंसोर्टियम (Indian SARS-CoV-2 Consortium on Genomics- INSACOG), SARS-CoV-2 में जीनोमिक विविधताओं की निगरानी के लिये एक बहु-प्रयोगशाला, बहु-एजेंसी एवं अखिल भारतीय नेटवर्क है।
  •  इन्फ्लुएंजा से संबंधित सभी डेटा साझा करने पर वैश्विक पहल (Global Initiative on Sharing All Influenza Data- GISAID) विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization- WHO) द्वारा वर्ष  2008 में देशों के जीनोम अनुक्रम साझा करने के लिये शुरू किया गया एक सार्वजनिक मंच है।
    • GISAID सभी प्रकार के इन्फ्लूएंजा वायरस अनुक्रमों, मानव वायरस से संबंधित नैदानिक ​​​​और महामारी विज्ञान डेटा और भौगोलिक तथा साथ ही एवियन एवं अन्य पशु वायरस से जुड़े प्रजातियों-विशिष्ट डेटा के अंतर्राष्ट्रीय साझाकरण को बढ़ावा देती है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


भारतीय अर्थव्यवस्था

2020 में नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन लागत: IRENA

प्रिलिम्स के लिये

अंतर्राष्ट्रीय नवीकरणीय ऊर्जा एजेंसी

मेन्स के लिये

नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिये भारत सरकार द्वारा किये गए प्रयास

चर्चा में क्यों?

हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय नवीकरणीय ऊर्जा एजेंसी (IRENA) ने '2020 में नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन लागत' रिपोर्ट जारी की।

Fossile-Fuel

Levelized cost of electricity trends by technology, 2010 and 2020

प्रमुख बिंदु

कोयले को नवीकरणीय ऊर्जा से स्थानांतरित करना:

  • दुनिया के मौजूदा कोयले से चलने वाले संयंत्रों की क्षमता 810 गीगावाट (GW) यानी कुल वैश्विक ऊर्जा क्षमता की 38% है। अब नए उपयोगिता-पैमाने पर इस ऊर्जा की लागत फोटोवोल्टिक और तटवर्ती पवन ऊर्जा की तुलना में अधिक है।
  • G20 देशों में जीवाश्म ईंधन से चलने वाली बिजली के उत्पादन की लागत सीमा 0.055 0.148 अमेरिकी डॉलर प्रति किलोवाट-घंटे (kWh) के बीच होने का अनुमान है।
  • इस महँगी कोयला द्वारा निर्मित ऊर्जा को नवीकरणीय ऊर्जा द्वारा स्थानांतरित करने से ऑपरेटरों को प्रतिवर्ष 32 बिलियन अमेरिकी डॉलर की बचत होगी और वार्षिक कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में लगभग तीन बिलियन टन की कमी आएगी।
  • वर्ष 2019 में उभरते और विकासशील देशों द्वारा अपनाई गई नवीकरणीय क्षमताओं से पारंपरिक स्रोतों की तुलना में प्रतिवर्ष 6 बिलियन अमेरिकी डॉलर की बचत की होगी।

वर्ष 2020 में नवीकरणीय ऊर्जा में वृद्धि:

  • कोविड-19 महामारी के बावजूद वर्ष 2020 में नवीकरणीय ऊर्जा परिनियोजन के लिये 261 GW क्षमता स्थापित होने का रिकॉर्ड रहा। यह वृद्धि वर्ष 2019 की तुलना में लगभग 50% अधिक थी और इसने वैश्विक नवीन ऊर्जा  क्षमता के 82% का प्रतिनिधित्व किया।
  • पिछले वर्ष संकलित कुल नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता की लगभग 162 GW या 62% ऊर्जा की लागत सबसे सस्ते नए जीवाश्म ईंधन विकल्पों की तुलना में भी कम थी।
  • वर्ष 2020 में संकलित किये गए स्रोतों से ऊर्जा की आपूर्ति का क्रम:
  • जियोथर्मल ऊर्जा> फोटोवोल्टिक (पीवी) ऊर्जा> पवन ऊर्जा> जलविद्युत ऊर्जा> बायो ऊर्जा> सौर ऊर्जा को केंद्रित करना।

वृद्धि के कारण:

  • वर्ष 2000 और 2020 के बीच नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता तीन गुना से अधिक बढ़ी है तथा यह 754 GW से बढ़कर 2,799 GW हो गई।
  • विकास प्रौद्योगिकियों में प्रगति, घटक लागत में लगातार गिरावट, लागत-प्रतिस्पर्धी आपूर्ति वितरण चैनलों की उपस्थिति और वाणिज्यिक पैमाने पर उपलब्धता के कारण यह संभव हुआ था।

नवीकरणीय लागत में कमी:

  • लगभग 10 वर्षों (2010-2020) में वाणिज्यिक सौर पीवी से उत्पादित बिजली की लागत में 85%, सीएसपी में 68%, तटवर्ती पवन में 68% और अपतटीय पवन में 48% तक कमी आई है।
  • वर्ष 2022 तक के आउटलुक में वैश्विक नवीकरणीय ऊर्जा लागत में और गिरावट देखी जा रही है।

अक्षय/नवीकरणीय ऊर्जा के लिये भारतीय पहल:

अंतर्राष्ट्रीय नवीकरणीय ऊर्जा एजेंसी

  • यह एक अंतर-सरकारी संगठन है, जिसे आधिकारिक तौर पर जनवरी 2009 में बॉन, जर्मनी में स्थापित किया गया था।
  • वर्तमान में इसके 164 सदस्य देश हैं और भारत इसका 77वाँ संस्थापक सदस्य देश है।
  • इसका मुख्यालय अबू धाबी, संयुक्त अरब अमीरात में स्थित है।

प्रमुख कार्य

  • यह एक स्थायी ऊर्जा भविष्य के लिये अपने सदस्य देशों को उनके ट्रांज़ीशन में सहायता करता है और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के लिये प्रमुख मंच, उत्कृष्टता केंद्र और नवीकरणीय ऊर्जा पर नीति, प्रौद्योगिकी, संसाधन तथा वित्तीय ज्ञान के भंडार के रूप में कार्य करता है।
  • यह सतत् विकास, ऊर्जा पहुँच, ऊर्जा सुरक्षा और निम्न कार्बन आर्थिक विकास एवं समृद्धि सुनिश्चित करने हेतु जैव ऊर्जा, भू-तापीय, जलविद्युत, महासागर, सौर एवं पवन ऊर्जा सहित नवीकरणीय ऊर्जा के सभी रूपों को व्यापक रूप से अपनाने और सतत् उपयोग को बढ़ावा देने का कार्य भी करता है।

आगे की राह

  • विभिन्न उद्देश्यों और कार्यों के लिये नवीकरणीय ऊर्जा को सबसे किफायती ऊर्जा स्रोत माना जा सकता है। सभी देशों को पेरिस समझौते के तहत लक्ष्यों को प्राप्त करने और जीवाश्म ईंधन बाज़ारों में उत्पन्न होने वाली अनिश्चितता से अपनी अर्थव्यवस्थाओं को बचाने के लिये नवीकरणीय ऊर्जा के व्यापक पैमाने पर उपयोग के बारे में विचार करना चाहिये।
  • नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र को जोखिम से मुक्त करने के लिये सही नीतिगत प्रोत्साहन और वित्तीय प्रोत्साहन के साथ-साथ राजनीतिक समर्थन दिये जाने की आवश्यकता है, क्योंकि अधिकांश देशों ने नवीकरणीय ऊर्जा के प्रयोग की दिशा में अपनी प्रतिबद्धताओं का संकेत पहले ही दे दिया है।

स्रोत: डाउन टू अर्थ


भारतीय अर्थव्यवस्था

टॉयकथॉन 2021

प्रिलिम्स के लिये:

टॉयकथॉन 2021

मेन्स के लिये:

वोकल फॉर लोकल की रणनीति एवं इसका महत्त्व

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री ने टॉयकथॉन 2021 (Toycathon 2021) में प्रतिभागियों के साथ बातचीत करते हुए लोगों से "वोकल फॉर लोकल टॉयज" यानी “स्थानीय खिलौनों की ओर रुख करने” का आग्रह किया।

प्रमुख बिंदु:

मंत्रालय: 

  • यह पहल शिक्षा मंत्रालय, महिला और बाल विकास मंत्रालय, कपड़ा मंत्रालय, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय, सूक्ष्म, लघु तथा मध्यम उद्यम मंत्रालय, सूचना व प्रसारण मंत्रालय और तकनीकी शिक्षा के लिये अखिल भारतीय परिषद (AICTE) द्वारा की गई।
  • इसे 5 जनवरी 2021 को खिलौनों और खेल के अभिनव विचारों को आमंत्रित करने के लिये लॉन्च किया गया था।

उद्देश्य:

  • भारतीय मूल्य प्रणाली के आधार पर नवीन खिलौनों की अवधारणा का विकास करना जो बच्चों में सकारात्मक व्यवहार और अच्छे मूल्यों को बढ़ाएगा।
  • भारत को एक वैश्विक खिलौना विनिर्माण केंद्र (आत्मनिर्भर अभियान) के रूप में बढ़ावा देना।

विशेषताएँ:

  • आधार: यह भारतीय संस्कृति और लोकाचार, स्थानीय लोककथाएँ तथा नायक एवं भारतीय मूल्य प्रणालियों पर आधारित है।
  • थीम: इसमें फिटनेस, खेल, पारंपरिक भारतीय खिलौनों के प्रदर्शन सहित नौ थीम शामिल हैं।
  • भागीदार: छात्र, शिक्षक, स्टार्ट-अप और खिलौना विशेषज्ञ।
  • पुरस्कार: प्रतिभागियों को 50 लाख रुपए तक का पुरस्कार प्रदान किया जा सकता है।

लाभ: 

  • ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना को आगे बढ़ाने के लिये खिलौने उत्कृष्ट माध्यम हो सकते हैं
    • “एक भारत, श्रेष्ठ भारत” की घोषणा प्रधानमंत्री द्वारा वर्ष 2015 में राज्यों के मध्य समझ और संबंधों को बढ़ाने के लिये की गई थी ताकि भारत की एकता और अखंडता मज़बूत हो।
  • यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के अनुरूप शैक्षिक खिलौनों (Educational Toys) के उपयोग को बढ़ावा देने में मदद करेगा।
  • यह घरेलू खिलौना उद्योग और स्थानीय निर्माताओं के लिये एक पारिस्थितिकी तंत्र बनाएगा, जो अप्रयुक्त संसाधनों का दोहन करेगा तथा उनकी क्षमता का उपयोग करेगा।
  • यह खिलौना आयात को कम करने में मदद करेगा।

खिलौना बाज़ार की स्थिति

  • वैश्विक खिलौना बाजार करीब 100 बिलियन डॉलर का है।
  • जिसमें भारत का योगदान केवल 1.5 बिलियन डॉलर के आसपास है।
  • भारत लगभग 80% खिलौनों का आयात विदेशों से करता है। यानी उन पर देश के करोड़ों रुपए विदेश जा रहे हैं।

आगे की राह 

  • खिलौना उद्योग एक लघु-स्तरीय उद्योग है, जिसमें ग्रामीण आबादी, दलित, गरीब लोग तथा आदिवासी आबादी के कारीगर शामिल हैं। इन क्षेत्रों में लाभ प्राप्त करने के लिये, हमें स्थानीय खिलौनों की तरफ रूख करना होगा अर्थात् वोकल फॉर लोकल की रणनीति अपनानी होगी।
  • नए विचारों को विकसित करने, नए स्टार्ट-अप को बढ़ावा देने, नई तकनीक को पारंपरिक खिलौना निर्माताओं तक पहुँचाने और बाज़ार में नई मांग पैदा करने की आवश्यकता है।
  • भारत की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगाँठ खिलौना उद्योग के नवप्रवर्तकों और रचनाकारों के लिये एक बड़ा अवसर है। विभिन्न घटनाओं, हमारे स्वतंत्रता सेनानियों की कहानियों और उनकी वीरता तथा नेतृत्व को गेमिंग अवधारणाओं में शामिल किया जा सकता है। 
  • ऐसे दिलचस्प और परस्पर संवाद वाले गेम बनाने की आवश्यकता है जो 'जुड़ने, मनोरंजन करने और शिक्षित करने' का कार्य करें।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


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