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भारत-ओमान व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौता

प्रिलिम्स के लिये: व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौता, ऑर्डर ऑफ ओमान, टैरिफ-रेट कोटा, खाड़ी सहयोग परिषद (GCC), अल नजाह, ईस्टर्न ब्रिज, नसीम अल बहर

मेन्स के लिये: खाड़ी क्षेत्र में भारत की मुक्त व्यापार समझौता रणनीति, भारत की पश्चिम एशिया नीति में CEPA का महत्त्व

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों? 

भारत और ओमान ने व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते (CEPA) पर हस्ताक्षर किये, जो खाड़ी क्षेत्र में भारत की व्यापार कूटनीति में एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है।

  • यह ओमान के लिये वर्ष 2006 के बाद पहला द्विपक्षीय व्यापार समझौता है और भारत हेतु GCC में UAE (2022) के बाद दूसरा CEPA है।
  • इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ओमान के सुल्तान और प्रधानमंत्री, महामहिम सुल्तान हैथम बिन तारिक द्वारा भारत–ओमान संबंधों में उनके असाधारण योगदान के लिये 'ऑर्डर ऑफ ओमान' से सम्मानित किया गया।
  • यह पुरस्कार, जिसे वर्ष 1970 में सुल्तान कबूस बिन सईद द्वारा स्थापित किया गया था, विश्व के चुनिंदा नेताओं को उनके सार्वजनिक जीवन और द्विपक्षीय संबंधों में उत्कृष्ट योगदान के लिये सम्मानित करता है।

सारांश

  • भारत–ओमान CEPA भारत की खाड़ी क्षेत्र में आर्थिक और रणनीतिक उपस्थिति को मज़बूत करता है, जिसमें भारतीय निर्यात के लिये लगभग सार्वभौमिक शून्य शुल्क पहुँच, महत्त्वाकांक्षी सेवा उदारीकरण, पेशेवर गतिशीलता में वृद्धि तथा निवेश, आयुष एवं MSME-आधारित विकास में नए अवसर शामिल हैं।
  • हालाँकि यह समझौता व्यापार सुविधा और क्षेत्रीय संपर्क बढ़ाता है, लेकिन संरचनात्मक व्यापार घाटा, सेवाओं की अव्यवस्थित उपयोग क्षमता तथा क्षेत्रीय भू-राजनीतिक जोखिम जैसी प्रमुख चुनौतियाँ बनी हुई हैं, जिनके लिये भविष्य में लक्षित विविधीकरण एवं सेवाओं में गहन भागीदारी आवश्यक है।

भारत-ओमान व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते (CEPA) की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं?

  • लगभग सार्वभौमिक शुल्क-मुक्त बाज़ार पहुँच: ओमान ने अपनी 98.08% टैरिफ लाइनों पर शून्य-शुल्क (ज़ीरो ड्यूटी) पहुँच प्रदान की है, जो मूल्य के हिसाब से भारत के निर्यात के 99.38% को कवर करती है।
    • लगभग 98% टैरिफ लाइनों पर आयात शुल्क की तत्काल समाप्ति से भारतीय निर्यातकों को, विशेष रूप से खाड़ी देशों के बाज़ारों में, त्वरित और वास्तविक लाभ प्राप्त होते हैं।
  • श्रम प्रधान क्षेत्रों को बढ़ावा: वस्त्र, चमड़ा, जूते, रत्न और आभूषण, इंजीनियरिंग वस्तुओं, प्लास्टिक, फर्नीचर, कृषि उत्पाद, फार्मास्यूटिकल्स, चिकित्सा उपकरण और ऑटोमोबाइल के लिये पूर्ण टैरिफ उन्मूलन।
    • इससे रोज़गार सृजित होने और लघु एवं मध्यम उद्यमों, कारीगरों और महिला नेतृत्व वाले उद्यमों को मज़बूती मिलने की उम्मीद है।
  • भारत द्वारा संतुलित टैरिफ रियायतें: भारत ने अपनी कुल टैरिफ लाइनों में से 77.79% पर टैरिफ उदारीकरण की पेशकश की है, जिसमें ओमान से आयात का 94.81% हिस्सा शामिल है। 
    • कृषि, बुलियन और आभूषण, चुनिंदा श्रम-प्रधान वस्तुओं और बेस मेटल स्क्रैप को कवर करने वाले संवेदनशील क्षेत्रों को बहिष्करण सूचियों और टैरिफ रेट कोटा (TRQ) के माध्यम से संरक्षित किया जाता है, जिससे एक संतुलित और कैलिब्रेटेड व्यापार ढाँचा सुनिश्चित होता है।
  • महत्वाकांक्षी सेवा उदारीकरण: ओमान आईटी, व्यवसाय और पेशेवर सेवाओं, अनुसंधान एवं विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य और ऑडियो-विजुअल सेवाओं सहित 127 सेवा उप-क्षेत्रों में उदारीकरण के लिये प्रतिबद्ध है।
    • इन प्रतिबद्धताओं से उच्च मूल्य वाले अवसरों के खुलने और भारत के सेवा निर्यात का विस्तार होने की उम्मीद है।
  • भारतीय पेशेवरों की बढ़ी हुई गतिशीलता:  पहली बार, ओमान ने व्यापक मोड 4 प्रतिबद्धताएँ प्रदान की हैं। इसके तहत इंट्रा-कॉरपोरेट ट्रांसफरीज़ का कोटा 20% से बढ़ाकर 50% किया गया है तथा कॉन्ट्रैक्चुअल सर्विस सप्लायर्स के ठहरने की अवधि 90 दिनों से बढ़ाकर दो वर्ष कर दी गई है, जिसे आगे भी बढ़ाया जा सकता है। इससे पेशेवरों की आवाजाही को सुगम बनाया गया है।
    • सेवाओं में व्यापार पर सामान्य समझौते (GATS) के अंतर्गत, मोड 4 का तात्पर्य एक WTO सदस्य देश से दूसरे सदस्य देश में सेवाएँ प्रदान करने के लिये प्राकृतिक व्यक्तियों की अस्थायी आवाजाही से है, जिसमें सेवा कंपनियों के कर्मचारी और स्व-नियोजित पेशेवर शामिल होते हैं।
  • सेवाओं में 100% FDI: CEPA ओमान में वाणिज्यिक उपस्थिति के माध्यम से प्रमुख सेवा क्षेत्रों में भारतीय कंपनियों द्वारा 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की अनुमति देता है, जिससे भारतीय कंपनियाँ अपने संचालन का विस्तार कर सकेंगी और खाड़ी क्षेत्र में दीर्घकालिक उपस्थिति स्थापित कर पाएँगी।
  • पारंपरिक चिकित्सा पर ऐतिहासिक प्रावधान: इस समझौते में सभी आपूर्ति माध्यमों के अंतर्गत पारंपरिक चिकित्सा पर विश्व की पहली व्यापक प्रतिबद्धता शामिल है, जो भारत के AYUSH और वेलनेस क्षेत्रों के लिये नए अवसर खोलती है तथा मेडिकल वैल्यू ट्रैवल को बढ़ावा देती है।
  • व्यापार सुगमता और नियामक सहयोग: CEPA गैर-शुल्क बाधाओं को दूर करने के लिये कई उपायों को संबोधित करता है, जिनमें औषधीय उत्पादों की स्वीकृति प्रक्रिया को तीव्र करना, गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिसेज़ (GMP) निरीक्षण दस्तावेज़ों की स्वीकृति, हलाल प्रमाणन की पारस्परिक मान्यता, भारत के राष्ट्रीय जैविक उत्पादन कार्यक्रम (NOPO) के जैविक प्रमाणन की स्वीकृति तथा मानकों और अनुरूपता आकलन में सहयोग को सुदृढ़ करना शामिल है।

ओमान

  • ओमान, जिसकी राजधानी मस्कट है, खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) का सदस्य और अरब विश्व का सबसे पुराना स्वतंत्र राष्ट्र है।
  • इसके दक्षिण-पश्चिम में यमन, उत्तर-पश्चिम में संयुक्त अरब अमीरात (UAE) और पश्चिम में सऊदी अरब स्थित हैं। दक्षिण और पूर्व में अरब सागर तथा उत्तर में ओमान की खाड़ी के साथ इसकी समुद्री सीमाएँ हैं।
  • भौगोलिक रूप से ओमान में रब अल खली (एम्प्टी क्वार्टर) मरुस्थल, हज़र और धोफर पर्वत शृंखलाएँ शामिल हैं। यह पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस, तांबा, चूना पत्थर और ऐसबेस्टस जैसे प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध है।

भारत–ओमान CEPA का महत्त्व:

  • ओमान GCC, पूर्वी यूरोप, मध्य एशिया और अफ्रीका के लिये एक प्रवेश द्वार के रूप में कार्य करता है।
  • यह समझौता पश्चिम एशिया क्षेत्र में भारत की आर्थिक उपस्थिति को सुदृढ़ करता है और भारत की व्यापक FTA रणनीति का पूरक है।
  • यह व्यापार सुगमता, आपूर्ति शृंखला के अनुकूलन और निवेश विश्वास को बढ़ाता है, जो समावेशी तथा सतत विकास की भारत की दृष्टि के अनुरूप है।

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भारत–ओमान संबंध कैसे हैं?

  • रणनीतिक और राजनीतिक संबंध: भारत और ओमान के बीच ऐतिहासिक रूप से सौहार्दपूर्ण संबंध रहे हैं, जिन्हें वर्ष 2008 में रणनीतिक साझेदारी का दर्जा दिया गया। ओमान खाड़ी क्षेत्र में भारत का सबसे पुराना रणनीतिक साझेदार है और GCC, अरब लीग तथा IORA में भारत के लिये एक महत्त्वपूर्ण संवादकर्त्ता है।
  • रक्षा और समुद्री सहयोग: ओमान भारत के साथ तीनों सेनाओं का अभ्यास करने वाला पहला खाड़ी देश है (अल नजाह (सेना), ईस्टर्न ब्रिज (वायु सेना) और नसीम अल बहर (नौसेना)), जो हिंद महासागर में समुद्री सुरक्षा में मज़बूत सहयोग को दिखाता है।
  • आर्थिक और व्यापारिक संबंध: द्विपक्षीय व्यापार वित्त वर्ष 2024–25 में 10.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक हो गया।
    • वित्त वर्ष 2024–25 में, ओमान भारत का 29वाँ सबसे बड़ा निर्यात बाज़ार, 25वाँ सबसे बड़ा आयात स्रोत और 28वाँ सबसे बड़ा कुल व्यापारिक भागीदार था। वहीं भारत ओमान के लिये गैर-तेल आयात का चौथा सबसे बड़ा स्रोत और गैर-तेल निर्यात का तीसरा सबसे बड़ा बाज़ार रहा।
  • व्यापार प्रोफाइल:
    • भारत के निर्यात: पेट्रोलियम उत्पाद, एल्युमिनियम ऑक्साइड, चावल, मशीनरी, विमान, इलेक्ट्रॉनिक्स, प्लास्टिक, इस्पात
    • भारत के आयात: कच्चा तेल, LNG, उर्वरक, अमोनिया, रसायन, सल्फर, लौह अयस्क
  • जनस्तरीय संपर्क और सांस्कृतिक संबंध: लगभग 6.7 लाख भारतीय प्रवासी समुदाय, सदियों पुराने सांस्कृतिक संबंधों और मज़बूत संस्थागत समर्थन के साथ, भारत–ओमान संबंधों में जनस्तरीय संपर्क एक प्रमुख स्तंभ बना हुआ है।

भारत-ओमान संबंधों के समक्ष चुनौतियाँ क्या हैं?

  • सेवाओं की क्षमता का सीमित उपयोग: हालाँकि ओमान वैश्विक स्तर पर 12.52 बिलियन अमेरिकी डॉलर की सेवाओं का आयात करता है, फिर भी इसमें भारत की हिस्सेदारी मात्र 5.31% है। यह भारत के तुलनात्मक लाभ के बावजूद भारतीय आईटी, पेशेवर, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की सीमित उपस्थिति को दर्शाता है।
  • व्यापार असंतुलन: द्विपक्षीय व्यापार ऊर्जा और खनिज प्रधान बना हुआ है, जिसके कारण भारत के लिये संरचनात्मक व्यापार घाटा और उच्च मूल्य वाले विनिर्माण और सेवाओं में सीमित विविधीकरण हो रहा है।
    • वित्त वर्ष 2025 में भारत ने ओमान को 4.1 अरब अमेरिकी डॉलर का निर्यात किया, जबकि 6.6 अरब अमेरिकी डॉलर का आयात किया, जिससे लगभग 2.5 अरब अमेरिकी डॉलर का व्यापार घाटा दर्ज हुआ।
  • क्षेत्रीय भू-राजनीतिक जोखिम: पश्चिम एशिया में अस्थिरता और समुद्री व्यापार मार्गों में व्यवधान ऊर्जा सुरक्षा, व्यापार की निरंतरता और प्रवासी कल्याण के लिये जोखिम उत्पन्न करते हैं।
  • ओमानीकरण और श्रम बाज़ार की संवेदनशीलता: कार्यबल के राष्ट्रीयकरण (ओमानीकरण) पर ओमान की नीतिगत जोर भारतीय पेशेवरों और कुशल श्रमिकों के लिये समय-समय पर अनिश्चितता उत्पन्न करता है। 

भारत-ओमान संबंधों को मज़बूत और गहरा बनाने के लिये कौन-से उपाय किये जा सकते हैं?

  • सेवाओं में सहभागिता बढ़ाना: आईटी, पेशेवर सेवाओं, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और अनुसंधान एवं विकास में भारत की उपस्थिति का विस्तार करने के लिये CEPA की प्रतिबद्धताओं का सक्रिय रूप से लाभ उठाना, जिससे ओमान के बड़े सेवा आयात बाज़ार के वर्तमान अल्पउपयोग की समस्या का समाधान हो सके।
  • व्यापार की विविधता बढ़ाएँ: विनिर्माण, इंजीनियरिंग सामान, फार्मास्यूटिकल्स, चिकित्सा उपकरण और कृषि-मूल्य श्रृंखलाओं को बढ़ावा देकर ऊर्जा-आधारित व्यापार से आगे बढ़ें, जिससे भारत के संरचनात्मक व्यापार घाटे को कम करने में मदद मिलेगी।
  • निवेश और औद्योगिक साझेदारी को मज़बूत करना: भारतीय कंपनियों को खाड़ी और अफ्रीका के लिये विनिर्माण और लॉजिस्टिक्स हब के रूप में ओमान का उपयोग करने के लिये प्रोत्साहित करना, विशेष रूप से हरित हाइड्रोजन, नवीकरणीय ऊर्जा, लॉजिस्टिक्स और उन्नत विनिर्माण के क्षेत्र में।
  • एक रणनीतिक समुद्री और नीली अर्थव्यवस्था साझेदारी का निर्माण करना:  भारत की समुद्री सुरक्षा और ऊर्जा समुद्री मार्गों की रक्षा के लिये फारस की खाड़ी और अरब सागर के संगम पर स्थित ओमान के भू-रणनीतिक स्थान का लाभ उठाना।
  • सतत मत्स्य पालन, गहरे समुद्र में खनन, समुद्री अनुसंधान और विलवणीकरण तथा तटीय प्रबंधन में संयुक्त पहलों के माध्यम से नीली अर्थव्यवस्था में सहयोग को गहरा करना ताकि साझा जलवायु जोखिमों का समाधान किया जा सके।

निष्कर्ष:

भारत–ओमान CEPA एक संतुलित, महत्वाकांक्षी और भविष्यदृष्टि वाला व्यापार समझौता है, जो खाड़ी क्षेत्र में भारत की रणनीतिक उपस्थिति को सुदृढ़ करता है। यह समझौता समावेशी विकास, रोज़गार सृजन और वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुदृढ़ एवं लचीली भागीदारी की भारत की व्यापक दृष्टि के अनुरूप है।

दृष्टि मेंस प्रश्न:

प्रश्न: भारत–ओमान CEPA किस प्रकार शुल्क कटौती से आगे बढ़कर रणनीतिक आर्थिक साझेदारियों की ओर भारत की व्यापार कूटनीति में आए परिवर्तन को प्रतिबिंबित करता है?

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

1. भारत-ओमान सीईपीए क्या है? 
यह भारत और ओमान के बीच वस्तुओं, सेवाओं, निवेश, आवागमन और नियामक सहयोग को कवर करने वाला एक व्यापक व्यापार समझौता है।

2. CEPA के तहत भारत को किस प्रकार की बाज़ार पहुँच प्राप्त होती है? 
ओमान 98.08% टैरिफ लाइनों पर शून्य शुल्क पहुँच प्रदान करता है, जो मूल्य के हिसाब से भारत के 99.38% निर्यात को कवर करता है।

3. इस समझौते के तहत भारत के संवेदनशील क्षेत्रों को किस प्रकार संरक्षित किया जाता है? 
कृषि, बुलियन एवं आभूषण, कुछ श्रम-प्रधान वस्तुओं और बेस मेटल स्क्रैप को शामिल करने वाली बहिष्करण सूचियों तथा टैरिफ रेट कोटा (TRQ) के माध्यम से।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ) 

प्रिलिम्स

प्रश्न.  निम्नलिखित में से कौन 'खाड़ी सहयोग परिषद् (गल्फ को-ऑपरेशन काउन्सिल)' का सदस्य नहीं है? (2016) 

(a) ईरान

(b) सऊदी अरब

(c) ओमान

(d) कुवेत

उत्तर: (a)


मेन्स: 

प्रश्न. भारत की ऊर्जा सुरक्षा का प्रश्न भारत की आर्थिक प्रगति का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण भाग है। पश्चिम एशियाई देशों के साथ भारत के ऊर्जा नीति सहयोग का विश्लेषण कीजिये। (2017)


प्रारंभिक परीक्षा

'काकोरी ट्रेन एक्शन'

स्रोत: PIB

केंद्रीय गृह मंत्री ने 19 दिसंबर को बलिदान दिवस के अवसर पर पंडित राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खान और रोशन सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने ब्रिटिश शासन की नींव को हिला देने वाली काकोरी ट्रेन एक्शन में दिये गए उनके बलिदान को नमन किया।

सारांश

  • राम प्रसाद बिस्मिल और अन्य साथियों द्वारा वर्ष 1924 में स्थापित हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन (HRA) का उद्देश्य समाजवादी विचारों से प्रेरित सशस्त्र क्रांति के माध्यम से भारत की स्वतंत्रता प्राप्त करना था।
  • काकोरी ट्रेन एक्शन (1925) ने स्वतंत्रता संग्राम के लिये धन जुटाने में सहायता की, लेकिन इसके बाद गिरफ्तारियाँ और फाँसियाँ हुईं। इसके पश्चात वर्ष 1928 में HRA का पुनर्गठन कर हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA) बनाया गया, जिसने भगत सिंह जैसे क्रांतिकारियों को प्रेरित किया।

‘काकोरी ट्रेन एक्शन’ क्या है?

  • परिचय: काकोरी ट्रेन एक्शन (9 अगस्त, 1925) हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन (HRA) के सदस्यों द्वारा स्वतंत्रता संग्राम के लिये धन जुटाने और ब्रिटिश औपनिवेशिक सत्ता को चुनौती देने के लिये किया गया एक ऐतिहासिक क्रांतिकारी कार्य था, जिसने भारत के राष्ट्रीय आंदोलन में सशस्त्र प्रतिरोध की ओर एक महत्त्वपूर्ण बदलाव को चिह्नित किया।
  • ऐतिहासिक संदर्भ: यह घटना जलियाँवाला बाग हत्याकांड (1919) और असहयोग आंदोलन (1922) की वापसी के बाद घटी, जिसने कई युवा राष्ट्रवादियों को निराश कर दिया था। 
    • यह घटना जलियाँवाला बाग हत्याकांड (1919) और असहयोग आंदोलन की वापसी (1922) के पश्चात हुई, जिनसे अनेक युवा राष्ट्रवादी गहरी निराशा से भर गए।
    • इस निराशा के कारण ही वर्ष 1924 में HRA का गठन हुआ, जिसका उद्देश्य क्रांतिकारी तरीकों को अपनाना था।
  • घटना और क्रियान्वयन: राम प्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में क्रांतिकारियों ने, जिनमें अशफाक उल्ला खान, चंद्रशेखर आज़ाद और राजेंद्र लाहिड़ी शामिल थे, शाहजहाँपुर से लखनऊ जा रही 8-डाउन ट्रेन को काकोरी स्टेशन के पास रोक कर सरकारी खजाने को लूट लिया तथा जानबूझकर यात्रियों को कोई नुकसान नहीं पहुँचाया।
    • इसमें शामिल अन्य सदस्य थे सचिंद्रनाथ बख्शी, मुकुंदी लाल, बनवारी लाल और मन्मथनाथ गुप्ता।
  • ब्रिटिश दमन और मुकदमा: एक व्यापक दमनकारी कार्रवाई के परिणामस्वरूप वर्ष 1925 का काकोरी षड्यंत्र मामला सामने आया। 18 महीने तक चले मुकदमे के बाद, चार क्रांतिकारियों - राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खान और ठाकुर रोशन सिंह को 19 दिसंबर, 1927 को फॉंसी दे दी गई, जबकि अन्य को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।
  • महत्त्व और विरासत: इसने सशस्त्र प्रतिरोध की ओर एक रणनीतिक बदलाव को उजागर किया, असाधारण हिंदू-मुस्लिम एकता (बिस्मिल और खान) का प्रदर्शन किया तथा HRA के हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA) में पुनर्गठन को प्रेरित किया, जिससे भगत सिंह जैसे भविष्य के क्रांतिकारियों पर प्रभाव पड़ा। 
    • शहीदों को त्याग और देशभक्ति के प्रतीक के रूप में जाना जाता है।

हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन (HRA) क्या था?

  • परिचय: हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन (HRA) का गठन अक्तूबर 1924 में कानपुर में किया गया था। यह एक क्रांतिकारी संगठन था, जिसका उद्देश्य सशस्त्र संघर्ष (हिंसक प्रतिरोध) के माध्यम से ब्रिटिश शासन का अंत करना था।
  • गठन: इसकी स्थापना राम प्रसाद बिस्मिल, जोगेश चंद्र चटर्जी, सचिंद्र नाथ सान्याल, शिव वर्मा आदि द्वारा की गई थी।
  • विचारधारा और उद्देश्य: सचिंद्र नाथ सान्याल द्वारा रचित इसके घोषणापत्र ‘द रेवोल्यूशनरी’ (1925) में समाजवादी विचारों और अंतर्राष्ट्रीय क्रांतिकारी आंदोलनों से प्रेरित होकर संगठित सशस्त्र क्रांति के माध्यम से भारत में एक संघीय गणराज्य की स्थापना का लक्ष्य रेखांकित किया गया था।
    • इस कालखंड में वैश्विक स्तर पर वैचारिक परिवर्तन देखने को मिला और रूसी क्रांति (1917) ने भारतीय क्रांतिकारियों को गहराई से प्रभावित किया।
  • HSRA के रूप में पुनर्गठन (1928): चंद्रशेखर आज़ाद के नेतृत्व में HRA का नाम बदलकर हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA) रखा गया और समाजवाद को आधिकारिक लक्ष्य के रूप में अपनाया गया। इसके प्रमुख सदस्यों में भगत सिंह, सुखदेव, भगवती चरण वोहरा, बिजॉय कुमार सिन्हा और शिव वर्मा शामिल थे।
  • प्रमुख कार्रवाइयाँ (HSRA): लाला लाजपत राय की मृत्यु का बदला लेने के लिये जे.पी. सॉन्डर्स की हत्या (1928)।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

1. काकोरी ट्रेन एक्शन क्या था?
काकोरी ट्रेन एक्शन (1925) HRA द्वारा किया गया एक क्रांतिकारी अभियान था, जिसका उद्देश्य ब्रिटिश खजाने की धनराशि प्राप्त करना और स्वतंत्रता संग्राम के लिये धन जुटाना था।

2. काकोरी एक्शन के दौरान HRA के प्रमुख नेता कौन थे?
प्रमुख नेताओं में राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाकुल्लाह खान, चंद्रशेखर आज़ाद और ठाकुर रोशन सिंह शामिल थे।

3. HSRA द्वारा कौन-से प्रमुख अभियान किये गए?
प्रमुख अभियानों में जे.पी. सॉन्डर्स की हत्या (1928), केंद्रीय विधान सभा में बम विस्फोट (1929) और वायसराय की ट्रेन पर बम हमला करने का प्रयास (1929) शामिल है।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)

प्रश्न. भारतीय इतिहास में 8 अगस्त, 1942 के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा सही है? (2021)

(a) भारत छोड़ो प्रस्ताव AICC द्वारा अपनाया गया था।
(b) अधिक भारतीयों को शामिल करने के लिये वायसराय की कार्यकारी परिषद का विस्तार किया गया।
(c) सात प्रांतों में काॅन्ग्रेस के मंत्रिमंडलों ने इस्तीफा दे दिया।
(d) द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त होने के बाद क्रिप्स ने पूर्ण डोमिनियन स्थिति के साथ एक भारतीय संघ का प्रस्ताव रखा।

उत्तर: (a)


प्रश्न. भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के संदर्भ में निम्नलिखित घटनाओं पर विचार कीजिये: (2017)

  1. रॉयल इंडियन नेवी में विद्रोह
  2.   भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत  
  3.   द्वितीय गोलमेज सम्मेलन

उपरोक्त घटनाओं का सही कालानुक्रमिक क्रम क्या है?

(a) 1 – 2– 3
(b) 2 – 1 – 3
(c) 3 – 2 – 1
(d) 3 – 1 – 2

उत्तर : (c)


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