प्रारंभिक परीक्षा
काकोरी ट्रेन एक्शन के 100 वर्ष
- 18 Aug 2025
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चर्चा में क्यों?
काकोरी ट्रेन एक्शन, जो अगस्त 1925 में लखनऊ के निकट काकोरी गाँव के पास घटित हुआ, भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है।
काकोरी ट्रेन एक्शन क्या थी?
- परिचय: 9 अगस्त, 1925 को भारतीय क्रांतिकारियों ने शाहजहाँपुर से लखनऊ जाने वाली नंबर 8 डाउन ट्रेन पर काकोरी गाँव के निकट हमला किया। इसका उद्देश्य ब्रिटिश सरकार की धनराशि को ज़ब्त कर स्वतंत्रता संग्राम के लिये संसाधन जुटाना था।
- पृष्ठभूमि: जलियाँवाला बाग हत्याकांड (1919) और असहयोग आंदोलन (1922) के निलंबन के बाद, युवाओं ने वर्ष 1924 में हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन (HRA) की स्थापना की। इसका लक्ष्य ब्रिटिश राजकोषीय धन को कब्ज़े में लेकर क्रांतिकारी गतिविधियों के लिये वित्त जुटाना था।
- संबंधित व्यक्तित्व: इस कांड का नेतृत्व रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाकउल्लाह खान, राजेन्द्र लाहिड़ी, केशव चक्रवर्ती, मुकुन्दी लाल, बनवारी लाल तथा चन्द्रशेखर आज़ाद (HRA सदस्य) ने किया।
- ब्रिटिश प्रतिक्रिया: काकोरी डकैती के बाद ब्रिटिश सरकार ने व्यापक दमन चक्र चलाया। इसके तहत कई क्रांतिकारी गिरफ्तार किये गए, जिनमें से 17 लोगों को कारावास, चार को आजीवन कारावास और चार—रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाकउल्लाह खान, रोशन सिंह एवं राजेन्द्र लाहिड़ी को फाँसी दी गई। यह घटना क्रांतिकारी आंदोलन के लिये एक बड़ी चुनौती सिद्ध हुई।
- चन्द्रशेखर आज़ाद कुछ चुनिंदा क्रांतिकारियों में से थे जो ब्रिटिश पुलिस के आरोपों और गिरफ्तारी से बच निकले।
हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन (HRA)
- स्थापना और सदस्य: HRA का गठन निराश युवा समूह द्वारा किया गया था, जब गांधी ने असहयोग आंदोलन (1922) को रोक दिया था। HRA की स्थापना उन युवाओं के एक समूह द्वारा की गई थी जो गांधीजी द्वारा असहयोग आंदोलन (1922) को रोक दिये जाने के बाद निराश हो गए थे।
- इसकी स्थापना अक्तूबर 1924 में कानपुर में रामप्रसाद बिस्मिल, जोगेश चंद्र चटर्जी और सचिन सान्याल द्वारा की गई।
- विचारधारा: 1 जनवरी 1925 को HRA ने अपना घोषणापत्र ‘क्रांतिकारी’ जारी किया। इसका उद्देश्य संगठित सशस्त्र क्रांति के माध्यम से भारत के संयुक्त राज्यों में एक संघीय गणराज्य स्थापित करना था।
- इसने क्रांतिकारियों को आतंकवादी नहीं दिखाया और हिंसा का उपयोग केवल आवश्यक प्रतिक्रिया के रूप में करने को उचित माना।
- HRA का नाम बदलकर HSRA किया गया: वर्ष 1928 में, चंद्रशेखर आज़ाद के नेतृत्व में, HRA का नाम बदलकर हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA) रखा गया। प्रमुख सदस्यों में भगत सिंह, सुखदेव, भगवती चरण वोहरा, बेजॉय कुमार सिन्हा, शिव वर्मा और जयदेव कपूर शामिल थे।
- HSRA ने सामूहिक नेतृत्व अपनाया और समाजवाद को अपने आधिकारिक लक्ष्य के रूप में स्वीकार किया।
- इसने कई प्रमुख कार्य किये, जिनमें साइमन कमीशन (1927) के विरोध प्रदर्शन, जे. पी. सॉन्डर्स की हत्या (1928) और वायसराय इरविन ट्रेन बम धमाका (1929) शामिल हैं।
- 1930 के दशक तक, ब्रिटिश दमन ने HSRA को विखंडित कर दिया।
- महत्त्व: HRA/HSRA ने क्रांतिकारी राष्ट्रवाद और समाजवादी विचारधारा को एकीकृत किया, जिससे युवाओं के नेतृत्व में अहिंसक संघर्ष के लिये एक वैकल्पिक मार्ग सामने आया।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)
प्रश्न. भारतीय इतिहास में 8 अगस्त, 1942 के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा सही है? (2021)
(a) भारत छोड़ो प्रस्ताव AICC द्वारा अपनाया गया था।
(b) अधिक भारतीयों को शामिल करने के लिये वायसराय की कार्यकारी परिषद का विस्तार किया गया।
(c) सात प्रांतों में काॅन्ग्रेस के मंत्रिमंडलों ने इस्तीफा दे दिया।
(d) द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त होने के बाद क्रिप्स ने पूर्ण डोमिनियन स्थिति के साथ एक भारतीय संघ का प्रस्ताव रखा।
उत्तर: (a)
प्रश्न. भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के संदर्भ में निम्नलिखित घटनाओं पर विचार कीजिये: (2017)
- रॉयल इंडियन नेवी में विद्रोह
- भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत
- द्वितीय गोलमेज सम्मेलन
उपरोक्त घटनाओं का सही कालानुक्रमिक क्रम क्या है?
(a) 1 – 2– 3
(b) 2 – 1 – 3
(c) 3 – 2 – 1
(d) 3 – 1 – 2
उत्तर : (c)