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विमर्श

सुशासन की अवधारणा: लोकतंत्रीकरण के यंत्र के रूप में

08 Jan, 2024 | विमल कुमार

‛सुशासन, मानव अधिकारों के लिये सम्मान और कानून का शासन सुनिश्चित करता है तथा लोकतंत्र को मज़बूती, लोक प्रशासन में पारदर्शिता एवं सामर्थ्य को बढ़ावा देता है।’ -कोफ़ी अन्नान...

इतिहास, विचार और दुनिया

हिरोशिमा और नागासाकी के सबक

09 Aug, 2023 | विमल कुमार

“ये जब्र भी देखा है तारीख़ की नज़रों नेलम्हों ने ख़ता की थी सदियों ने सज़ा पाई…!” ~ मुज़फ़्फ़र रज़्मी विश्व इतिहास में ऐसी ही दो तारीखें हैं- 6 और 9 अगस्त, 1945। जिस दिन परमाणु...

व्यक्तित्त्व : जिन्हें हम पसंद करते हैं

प. जवाहरलाल नेहरू: आधुनिक भारत के निर्माता

06 Dec, 2022 | विमल कुमार

“जो बात जानना सबसे जरुरी है वह यह कि इस विशाल भूमि में फैले भारतवासी सबसे ज्यादा मायने रखते हैं। भारत माता यही करोड़ों-करोड़ जनता है और भारत माता की जय उसकी भूमि पर रहने...

कानून और समाज

भारतीय लोकतंत्र के जीवंत दस्तावेज़ की कहानी

01 Dec, 2022 | विमल कुमार

26 नवम्बर को भारत ने अपना संविधान दिवस मनाया। एक सामान्य सी जिज्ञासा हमारे मन में आती है कि आखिर संविधान है क्या और इसकी महत्ता क्या है? इस दस्तावेज में आखिर क्या खास है कि...

व्यक्तित्त्व : जिन्हें हम पसंद करते हैं

राष्ट्रीय शिक्षा दिवस: अबुल कलाम आज़ाद का स्मृति पर्व

11 Nov, 2022 | विमल कुमार

“स्कूल प्रयोगशालाएं हैं जो देश के भावी नागरिक तैयार करती हैं।” उपरोक्त दूरदर्शी कथन भारत के प्रथम शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद का है। आज़ाद, स्वतंत्र भारत के...

व्यक्तित्त्व : जिन्हें हम पसंद करते हैं

धूमिल: हिन्दी कविता का एंग्री यंगमैन

09 Nov, 2022 | विमल कुमार

एक आदमीरोटी बेलता हैएक आदमी रोटी खाता हैएक तीसरा आदमी भी हैजो न रोटी बेलता है, न रोटी खाता हैवह सिर्फ़ रोटी से खेलता हैमैं पूछता हूँ--'यह तीसरा आदमी कौन है ?'मेरे देश की संसद...

व्यक्तित्त्व : जिन्हें हम पसंद करते हैं

अदम गोंडवी: संवेदना का विद्रोही स्वर

21 Oct, 2022 | विमल कुमार

समाज के संचालन के लिए संवेदना ज़रूरी शर्त है। भौतिक प्रगति के साथ, हमने सबसे मूल्यवान जो चीज़ खोई है, वह है संवेदनशीलता। व्यवस्था से जोंक की तरह चिपके हुए लोग, आख़िर संवेदनहीन...

व्यक्तित्त्व : जिन्हें हम पसंद करते हैं

गांधी: मोहनदास से महात्मा बनने का सफर

01 Oct, 2022 | विमल कुमार

2 अक्तूबर को महात्मा गांधी की जयंती है। आज गांधी होते तो 153 वर्ष के हो गए होते। इतने लंबे वक्त तक जिंदा रहना तो बेहद कठिन है लेकिन जन के मन में गांधी आज भी जिंदा हैं। 30 जनवरी 1948...

क्या, कहाँ, कब?

शांति एवं भाईचारा: वर्तमान विश्व की आवश्यकता

21 Sep, 2022 | विमल कुमार

वर्तमान दौर में हम एक वैश्वीकृत दुनिया में रह रहे हैं। यह दुनिया एक गाँव के रूप में तब्दील हो गई है जिसे मैकलुहान ने “ग्लोबल विलेज” की संज्ञा दी है। एक प्रक्रिया और...

क्या, कहाँ, कब?

मानव विकास सूचकांक एवं भारत

13 Sep, 2022 | विमल कुमार

सूचकांक किसी देश या समाज की प्रगति का मूल्यांकन करने का एक महत्त्वपूर्ण माध्यम होते हैं। ये सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक विकास के गणित को निर्धारित मानकों के आधार पर अंको में...

समाचारों में-आओ बात करें

श्रीलंका संकट : बदहाल स्थिति की पड़ताल

12 Sep, 2022 | विमल कुमार

श्रीलंका में चल रहे आर्थिक संकट के बीच लोग अब देश छोड़ने पर मजबूर हो गए हैं। अब तक सैकड़ों लोग देश छोड़कर जा चुके हैं और दूसरे देशों में पनाह लिए हुए हैं। श्रीलंका संकट से...

अपरंपरागत बुद्धि

शिक्षा, शिक्षक एवं समाज : एक पुनर्दृष्टि

06 Sep, 2022 | विमल कुमार

सितंबर माह शिक्षक समुदाय के लिए विशेष है क्योंकि प्रत्येक वर्ष भारत के पूर्व राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिवस यानी 5 सितंबर को ‛शिक्षक दिवस’ के रूप में...

कानून और समाज

नारीवाद के विविध आयाम: चुनौतियाँ एवं संभावनाएं

26 Aug, 2022 | विमल कुमार

अवधारणा- नारीवादी अवधारणा का आरंभ इस विश्वास के साथ होता है कि स्त्रियां पुरुषों की तुलना में अलाभ और हीनता की स्थिति में हैं। नारीवादी विचारधारा मुख्य रूप से...

व्यक्तित्त्व : जिन्हें हम पसंद करते हैं

द्रौपदी मुर्मू के महामहिम बनने के मायने

28 Jul, 2022 | विमल कुमार

गतसप्ताह, 21 जुलाई को, द्रौपदी मुर्मू ने भारत के 15वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लिया। भारत के राजनीतिक इतिहास की यह एक महत्वपूर्ण घटना और भारत के संवैधानिक लोकतंत्र को...

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