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बिहार स्टेट पी.सी.एस.

  • 22 Oct 2025
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पटना उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश

चर्चा में क्यों?

मुख्य न्यायाधीश पवनकुमार भीमप्पा बजंथरी की सेवानिवृत्ति के बाद, न्यायमूर्ति श्री सुधीर सिंह को कॉलेजियम प्रणाली द्वारा पटना उच्च न्यायालय का कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया है।

  • अनुच्छेद 223 के अनुसार, जब किसी उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश का पद रिक्त हो या मुख्य न्यायाधीश अनुपस्थित हों या अपने कर्त्तव्यों का पालन करने में असमर्थ हों, तो राष्ट्रपति को यह अधिकार है कि वे उस उच्च न्यायालय के किसी न्यायाधीश को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त कर सकें।

कोलेजियम प्रणाली

  • परिचय: कोलेजियम प्रणाली भारत में सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति और स्थानांतरण का तरीका है। यह सीधे संविधान से उत्पन्न नहीं हुई, बल्कि सर्वोच्च न्यायालय के महत्त्वपूर्ण निर्णयों, जैसे तीन न्यायाधीशों के मामलों (थ्री जजेस केस) से विकसित हुई है।
  • विकास: 
    • प्रथम न्यायाधीश मामला (1981): सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय दिया कि अनुच्छेद 124(2) और 217 में उल्लिखित परामर्श का अर्थ सहमति नहीं है, जिससे न्यायिक नियुक्तियों में कार्यकारी (Executive) को प्राथमिकता मिलती है।
    • द्वितीय न्यायाधीश मामला (1993): सर्वोच्च न्यायालय ने पहले के निर्णय को पलटते हुए कहा कि न्यायाधीशों की नियुक्तियों में मुख्य न्यायाधीश (CJI) की सलाह राष्ट्रपति के लिये बाध्यकारी होती है। इस प्रक्रिया में CJI को दो वरिष्ठतम न्यायाधीशों से परामर्श करना आवश्यक है। इस निर्णय के परिणामस्वरूप कोलेजियम प्रणाली का गठन हुआ।
    • तृतीय न्यायाधीश मामला (1998): सर्वोच्च न्यायालय ने कोलेजियम प्रणाली का विस्तार करते हुए इसे मुख्य न्यायाधीश (CJI) और चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों तक बढ़ाया। उच्च न्यायालयों के लिये कोलेजियम में मुख्य न्यायाधीश और दो वरिष्ठतम न्यायाधीश शामिल होते हैं। सरकार आपत्ति दर्ज करा सकती है, लेकिन यदि कोलेजियम पुनः नियुक्ति की अनुशंसा करता है, तो उसके निर्णय बाध्यकारी होते हैं।
  • राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC): 99वें संविधान संशोधन अधिनियम के तहत प्रस्तावित एक संवैधानिक निकाय था। इसका उद्देश्य कोलेजियम प्रणाली की जगह पारदर्शी और योग्यता-आधारित प्रक्रिया को लागू करना था।
    • चतुर्थ न्यायाधीश मामला (2015)- सर्वोच्च न्यायालय एडवोकेट्स-ऑन-रिकॉर्ड एसोसिएशन बनाम भारत संघ में, सर्वोच्च न्यायालय ने इसे असंवैधानिक घोषित कर दिया, क्योंकि इसमें कार्यकारी की अत्यधिक भागीदारी थी और यह न्यायिक स्वतंत्रता के लिये खतरा था।

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