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उत्तराखंड स्टेट पी.सी.एस.

  • 23 May 2024
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उत्तराखंड में राजस्व पुलिस व्यवस्था समाप्त

चर्चा में क्यों?

हाल ही में उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को एक वर्ष के भीतर राजस्व पुलिस की व्यवस्था को पूरी तरह से समाप्त करने और अपने अधिकार क्षेत्र के तहत क्षेत्रों को नियमित पुलिस को सौंपने का निर्देश दिया है।

  • उत्तराखंड देश का एकमात्र राज्य है जहाँ राजस्व पुलिस की व्यवस्था नियमित पुलिस के साथ-साथ मौजूद है।

मुख्य बिंदु:

  • राजस्व पुलिस, जो राजस्व विभाग के अधिकारियों द्वारा संचालित होती है, के पास सीमित शक्तियाँ हैं और इसके अधिकार क्षेत्र में केवल पहाड़ी राज्य के सुदूर ग्रामीण क्षेत्र आते हैं।
  • उच्च न्यायालय ने वर्ष 2018 में भी राज्य से राजस्व पुलिस की लगभग एक सदी पुरानी प्रथा को हटाने का आदेश दिया था।
  • राज्य कैबिनेट ने चरणबद्ध तरीके से राजस्व पुलिस प्रणाली को समाप्त करने के लिये अक्तूबर 2022 में एक प्रस्ताव पारित किया था।
  • वर्ष 2004 में नवीन चंद्रा बनाम राज्य सरकार के मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने इस व्यवस्था को समाप्त करने की आवश्यकता समझी।
    • सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि राजस्व पुलिस को नियमित पुलिस की तरह प्रशिक्षण नहीं दिया जाता है।
    • बुनियादी सुविधाओं के अभाव के कारण राजस्व पुलिस के लिये किसी अपराध की समीक्षा करना कठिन हो जाता है।

राजस्व पुलिस व्यवस्था (Revenue Police System)

  • उत्तराखंड में राजस्व पुलिस प्रणाली 1800 के दशक में अस्तित्त्व में आई जब टिहरी के शासकों ने गोरखाओं के हाथों अपने क्षेत्र खो दिये।
    • उन्होंने भुगतान के बदले में अंग्रेज़ों से गोरखाओं को गढ़वाल से बाहर निकालने का अनुरोध किया। युद्ध के बाद शासक भुगतान करने में असमर्थ रहे और बदले में अंग्रेज़ों ने गढ़वाल का पश्चिमी भाग अपने पास रख लिया।
    • वर्तमान उत्तराखंड में पाए जाने वाले प्राकृतिक संसाधनों और खनिजों से राजस्व एकत्रित करने के लिये अंग्रेज़ों ने मुगल प्रशासन के समान पटवारी, कानूनगो, लेखपाल आदि पदों के साथ एक राजस्व प्रणाली लागू की।
      • यह निर्णय लिया गया कि उत्तराखंड के पहाड़ी हिस्सों में किसी विशेष पुलिस की आवश्यकता नहीं है क्योंकि पहाड़ियों पर बहुत कम अपराध होते हैं और इसलिये एक समर्पित पुलिस बल रखना अनावश्यक समझा गया।


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