राजस्थान Switch to English
गड़ीसर झील
चर्चा में क्यों?
जैसलमेर की गड़ीसर झील संरक्षण संबंधी समस्याओं का सामना कर रही है, जिसके चलते राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को झील के संरक्षण की योजना पर विस्तृत उत्तर प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।
मुख्य बिंदु
- गड़ीसर झील राजस्थान के जैसलमेर में स्थित 14वीं शताब्दी की एक कृत्रिम जल-संरक्षण झील है।
- इसे मूल रूप से राजा रावल जैसल ने बनवाया था तथा बाद में महरावल गदसी सिंह ने इसका पुनर्निर्माण कराया, जिनके नाम पर इसका वर्तमान नाम पड़ा।
- ऐतिहासिक रूप से यह झील जैसलमेर के लिये प्राथमिक जल स्रोत थी और मरुस्थलीय क्षेत्र में एक महत्त्वपूर्ण वर्षा जल-संग्रह एवं संरक्षण प्रणाली के रूप में कार्य करती थी।
- झील का कैचमेंट क्षेत्र अतिक्रमण, शहरी दबाव, गाद जमाव तथा प्रदूषण के कारण सिकुड़ गया है, जिससे इसका पारिस्थितिक संतुलन खतरे में पड़ गया है।
- गड़ीसर झील स्थानीय जैवविविधता का समर्थन करती है, विशेषकर शीत ऋतु में प्रवासी पक्षियों का आवास बनकर, जिससे यह एक महत्त्वपूर्ण शहरी-आर्द्रभूमि (Urban Wetland) पारिस्थितिकी तंत्र बनती है।
- इसके चारों ओर बने घाट, मंदिर और छतरियाँ इसे एक समृद्ध सांस्कृतिक-वास्तुकला विरासत क्षेत्र बनाते हैं और तिलोन-की- पोल प्रवेशद्वार (Tilon-ki-Pol Gateway), नौकायन गतिविधियों (Boating Activities) तथा मनोहारी दृश्य (Scenic Vistas) आज भी पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।
राष्ट्रीय करेंट अफेयर्स Switch to English
गरुड़ अभ्यास 2025
चर्चा में क्यों?
भारतीय वायु सेना (IAF) फ्राँसीसी वायु एवं अंतरिक्ष सेना (FASF) के साथ आयोजित द्विपक्षीय वायुCombat अभ्यास गरुड़-25 के 8वें संस्करण में भाग ले रही है।
मुख्य बिंदु
- गरुड़ अभ्यास: परिचय
- "गरुड़" भारतीय और फ्राँसीसी वायु सेनाओं के बीच एक द्विपक्षीय वायु अभ्यास है, जो वर्ष 2003 से समय-समय पर आयोजित किया जाता है।
- यह भारत द्वारा किसी विदेशी वायु सेना के साथ किये जाने वाले उच्चतम स्तर के वायु अभ्यासों में से एक है और बारी-बारी से भारत तथा फ्राँस में आयोजित होता है।
- इसके प्रमुख उद्देश्यों में पारस्परिक परिचालन क्षमताओं को बढ़ाना, रणनीति साझा करना, परिचालन संबंधी जानकारी का निर्माण करना और रणनीतिक संबंध बनाना शामिल है।
- 2025 संस्करण: परिचय
- गरुड़ अभ्यास का 8वाँ संस्करण (गरुड़-25) फ्राँस के मोंट-डी-मार्सन मिलिट्री बेस में 16 से 27 नवंबर, 2025 तक आयोजित किया जा रहा है।
- भारतीय वायु सेना (IAF) का दस्ता, जिसमें Su-30MKI लड़ाकू विमान, IL-78 रीफ्यूलर तथा C-17 ग्लोबमास्टर III एयर-लिफ्ट विमान शामिल हैं, फ्राँस के मल्टी-रोल लड़ाकू विमानों (French Multirole Fighters) के साथ मिलकर जटिल सिम्युलेटेड मिशनों में भाग लेगा। इन मिशनों में एयर-टू-एयर कॉम्बैट, वायु रक्षा और संयुक्त स्ट्राइक ऑपरेशन्स शामिल होंगे।
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