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स्टेट पी.सी.एस.

  • 15 Nov 2025
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उत्तराखंड Switch to English

कफनी ग्लेशियर

चर्चा में क्यों?

उत्तराखंड के कुमाऊँ क्षेत्र में स्थित कफनी ग्लेशियर तक जाने वाला कभी लोकप्रिय रहा ट्रेकिंग मार्ग वर्ष 2013 की विनाशकारी आकस्मिक-बाढ़ के पश्चात परित्यक्त और असुरक्षित स्थिति में है।

मुख्य बिंदु 

  • कफनी ग्लेशियर के बारे में:
    • कफनी ग्लेशियर उत्तराखंड के कुमाऊँ हिमालय में स्थित है तथा कफनी नदी का प्रमुख हिम-स्रोत है, जो आगे चलकर पिंडार नदी में मिलती है।
    • इसे हिमालय का एक “छिपा हुआ रत्न” कहा जाता है, क्योंकि यह पिंडारी ग्लेशियर की तुलना में कम भीड़-भाड़ वाला है और एकांत, अल्पाइन घास के मैदान तथा उच्च-ऊँचाई वाले दृश्यों का अनुभव प्रदान करता है।
    • कफनी ग्लेशियर के लिये ट्रेकिंग मार्ग खाती गाँव (अंतिम आबाद गाँव) से प्रारंभ होकर द्वाली के रास्ते ग्लेशियर के जीरो-पॉइंट तक जाता था।
    • वर्ष 2013 की आकस्मिक बाढ़ में इस मार्ग को गंभीर क्षति पहुँची तथा पुल एवं मार्ग सहित प्रमुख बुनियादी ढाँचा नष्ट हो गया, जिसके कारण पिछले एक दशक से यहाँ पहुँचना लगभग असंभव बना हुआ है।


उत्तर प्रदेश Switch to English

आपकी पूंजी, आपका अधिकार

चर्चा में क्यों?

भारतीय रिज़र्व बैंक ने प्रयागराज में नागरिकों को निष्क्रिय बैंक खातों में जमा धनराशि की वापसी में सहायता प्रदान करने हेतु आपकी पूंजी, आपका अधिकार नामक अभियान शुरू किया है।

मुख्य बिंदु

  • अभियान के बारे में:
    • आपकी पूंजी, आपका अधिकार भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग (DFS) द्वारा, प्रमुख नियामकों जैसे RBI, SEBI, IRDAI और PFRDA के समन्वय में शुरू की गई एक राष्ट्रीय पहल है।
    • इस पहल का उद्देश्य बिना दावे वाली वित्तीय संपत्तियों को शीघ्र उनके वैध धारकों तक लौटाना, निष्क्रिय धन के विशाल भंडार के प्रति जागरूकता बढ़ाना, UDGAM पोर्टल जैसे साधनों के माध्यम से पहुँच में सुधार करना, पारदर्शी एवं समयबद्ध निपटान सुनिश्चित करना और अद्यतन KYC, सक्रिय खाते तथा उचित नामांकन जैसी अच्छी वित्तीय आदतों को बढ़ावा देना है।
  • बिना दावे वाली वित्तीय संपत्तियाँ:
    • यदि किसी बैंक खाते में 2 वर्ष या उससे अधिक समय तक कोई वित्तीय या गैर-वित्तीय लेनदेन (निकासी, जमा, निधि अंतरण, KYC अद्यतन) नहीं होता है, तो वह निष्क्रिय हो जाता है।
    • निष्क्रिय खाते की शेष राशि को जमाकर्त्ता शिक्षा एवं जागरूकता (DEA) कोष में स्थानांतरित किया जा सकता है, हालाँकि मूल खाताधारक या उनके उत्तराधिकारी बाद में उस पर दावा कर सकते हैं।
    • भारतीय बैंकिंग प्रणाली में दावा न की गई जमा राशि वर्ष 2025 के मध्य तक 67,000 करोड़ रुपये से अधिक होने का अनुमान है।
    • UDGAM (अदावित जमा - सूचना तक पहुँच का प्रवेश द्वार) पोर्टल व्यक्तियों को उनके बुनियादी विवरण (नाम, जन्मतिथि, पैन) के माध्यम से कई बैंकों में अदावित जमा खोजने की सुविधा देता है।
    • भारतीय रिज़र्व बैंक की “निष्क्रिय खातों और दावा न की गई जमाओं के त्वरित भुगतान की सुविधा” योजना बैंकों को निष्क्रिय निधियों को साफ करने के लिये प्रोत्साहित करती है।

राष्ट्रीय करेंट अफेयर्स Switch to English

अमोनियम नाइट्रेट

चर्चा में क्यों? 

दिल्ली के लाल किले के समीप हुए विस्फोट में अमोनियम नाइट्रेट के उपयोग की संभावना के चलते यह रसायन चर्चा का विषय बन गया।

मुख्य बिंदु

  • रसायन के बारे में:
    • शुद्ध अमोनियम नाइट्रेट (NH₄NO₃) एक सफेद, क्रिस्टलीय, जल में घुलनशील, नाइट्रोजन-युक्त यौगिक है, जिसे अमोनिया और नाइट्रिक अम्ल की अभिक्रिया से तैयार किया जाता है तथा यह लगभग 170°C पर पिघलता है। 
    • इस पदार्थ को एक ऑक्सीकरण अभिकर्मक के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। यह व्यावसायिक विस्फोटकों के निर्माण में उपयोग होने वाला एक प्रमुख घटक है।
    • इसे 'दोहरे उपयोग' वाले पदार्थ की श्रेणी में रखा गया है, यानी इसका एक ओर वैध औद्योगिक उपयोग है, जबकि दूसरी ओर इसका हथियार के रूप में भी प्रयोग किया जा सकता है।
  • उपयोग: 
    • उच्च पोषक तत्त्व सामग्री के कारण कृषि में इसका उपयोग व्यापक रूप से नाइट्रोजन उर्वरक के रूप में किया जाता है।
    • इसका उपयोग खदानों और उत्खनन परियोजनाओं में नियंत्रित विस्फोट के लिये किया जाता है तथा यह खनन-ग्रेड विस्फोटकों में प्रयुक्त विभिन्न इमल्शन एवं जैल का एक प्रमुख घटक भी है। 
  • अमोनियम नाइट्रेट का शस्त्रीकरण
    • शुद्ध अमोनियम नाइट्रेट अपने आप में विस्फोटक नहीं है और इसे संयुक्त राष्ट्र के खतरनाक पदार्थों के वर्गीकरण के तहत ऑक्सीकारक के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
    • यह ईंधन तेल, पोटेशियम क्लोरेट, सल्फर या अन्य त्वरकों के साथ मिलाए जाने पर वाष्पशील रूप में परिवर्तित हो जाता है।
    • इस मिश्रण से ANFO (अमोनियम नाइट्रेट–फ्यूल ऑयल) का निर्माण होता है, जो आमतौर पर उपयोग किया जाने वाला एक विस्फोटक है।
    • हालाँकि, ANFO में स्वयं विस्फोट नहीं हो सकता, इसे सक्रिय करने के लिये डेटोनेटर जैसे ट्रिगर की आवश्यकता होती है, जो आमतौर पर RDX या TNT जैसे प्राथमिक विस्फोटकों द्वारा संचालित होता है।

झारखंड Switch to English

झारखंड राज्य की 25वीं वर्षगाँठ

चर्चा में क्यों?

‘वनों की भूमि’ के रूप में प्रसिद्ध झारखंड 15 नवंबर, 2025 को अपनी राज्य स्थापना की रजत जयंती (25 वर्ष) मना रहा है। यह राज्य खनिज संसाधनों, जनजातीय विरासत और जैवविविधता से समृद्ध है।

मुख्य बिंदु 

  • जयंती के बारे में:
  • यह दिवस बिरसा मुंडा की जयंती के साथ मनाया जाता है जिसे राष्ट्रीय स्तर पर ‘जनजातीय गौरव दिवस’ के रूप में आयोजित किया जाता है।
  • ‘झारखंड @ 25’ राज्य की रजत जयंती समारोह, 2025 का आधिकारिक विषय है।
  • पृष्ठभूमि:
  • एक पृथक झारखंड राज्य की माँग का सूत्रपात 20वीं शताब्दी के प्रारंभिक वर्षों में हुआ, जिसका मुख्य उद्देश्य छोटा नागपुर पठार और संथाल परगना में जनजातीय समुदायों की भूमि, संस्कृति तथा स्वायत्तता की रक्षा करना था।
  • जनजातीय नेताओं और समाज-सुधारकों ने भूमि वंचन, प्रशासनिक उपेक्षा तथा अपनी विशिष्ट पहचान को सुरक्षित रखने हेतु स्व-शासन की आवश्यकता जैसे मुद्दों को प्रमुखता से उठाया।
  • यह दीर्घकालिक आकांक्षा बिहार पुनर्गठन अधिनियम, 2000 के माध्यम से पूर्ण हुई तथा 15 नवंबर, 2000 को झारखंड भारत का 28वाँ राज्य बना।

बिरसा मुंडा

  • 15 नवंबर, 1875 को जन्मे बिरसा मुंडा छोटा नागपुर पठार के मुंडा जनजाति के सदस्य थे।
  • वह एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, धार्मिक नेता और लोक नायक थे।
  • उन्होंने 19वीं सदी के अंत में ब्रिटिश शासन के दौरान आधुनिक झारखंड और बिहार के जनजातीय क्षेत्र में भारतीय आदिवासी धार्मिक सहस्राब्दि आंदोलन का नेतृत्व किया।
  • बिरसा 1880 के दशक में इस क्षेत्र में सरदारी लाराई आंदोलन के पर्यवेक्षक थे, जो ब्रिटिश सरकार से याचिका दायर करने जैसे अहिंसक तरीकों से जनजातीय अधिकारों को बहाल करने की मांग कर रहा था। हालाँकि, इन मांगों को कठोर औपनिवेशिक अधिकारियों ने नज़रअंदाज़ कर दिया था।
  • बिरसा मुंडा ने उस विद्रोह का नेतृत्व किया जिसे ब्रिटिश सरकार द्वारा थोपी गई सामंती राज्य व्यवस्था के विरुद्ध उलगुलान (विद्रोह) या मुंडा विद्रोह के रूप में जाना जाता है।
  • जनजातियों के शोषण और भेदभाव के विरुद्ध उनके संघर्ष के परिणामस्वरूप वर्ष 1908 में छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम पारित हुआ, जिसने जनजातीय लोगों से गैर-जनजातियों को भूमि देने पर प्रतिबंध लगा दिया।


उत्तराखंड Switch to English

देवभूमि परिवार योजना

चर्चा में क्यों?

उत्तराखंड सरकार ने राज्य के सभी निवासियों के लिये देवभूमि परिवार योजना” को स्वीकृति प्रदान की।

मुख्य बिंदु

  • इस योजना से ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों सहित उत्तराखंड के सभी परिवारों का एक व्यापक गतिशील डेटाबेस तैयार होगा।
  • प्रत्येक परिवार को एक परिवार पहचान संख्या (Family-ID) दी जाएगी, जो कल्याणकारी योजनाओं से जुड़ी होगी, जिससे नागरिक और सरकार दोनों पात्रता तथा लाभों का अवलोकन कर सकेंगे।
  • यह पहल हरियाणा की ‘परिवार पहचान पत्र’ योजना के अनुरूप है।
  • यह डेटाबेस डुप्लिकेट लाभार्थियों की पहचान, आवेदन प्रक्रियाओं का सुव्यवस्थित प्रबंधन, कागज़ी कार्रवाई में कमी और कागज़-रहित शासन की दिशा में सहायता करेगा।
  • शहरी परिवार, जिनके पास पहले परिवार रजिस्टर नहीं था, अब इस योजना के अंतर्गत शामिल किये जाएंगे।

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