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उत्तराखंड स्टेट पी.सी.एस.

  • 14 Nov 2025
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उत्तराखंड Switch to English

NGT ने आसन नदी में कचरे की स्थिति पर रिपोर्ट मांगी

चर्चा में क्यों?

राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने देहरादून नगर निगम से आसन नदी के निकट लेगेसी वेस्ट की निकासी पर प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। यह आदेश नदी के बाढ़ क्षेत्र में रिसाव (leachate) की संभावनाओं के मद्देनज़र जारी किया गया है।

मुख्य बिंदु

  • आसन नदी के बारे में:
    • आसन नदी, जिसे आसन बैराज धारा भी कहा जाता है, मसूरी के निकट उद्गमित होती है और दून घाटी से होकर बहती हुई उत्तराखंड–हिमाचल सीमा के पास स्थित आसन संरक्षण रिज़र्व में यमुना नदी से मिल जाती है।
    • यह नदी प्राकृतिक झरनों तथा पहाड़ी धाराओं से पोषित होती है और पश्चिमी दून के भूजल स्तर तथा जैवविविधता को बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
    • आसन बैराज (1967) के निर्माण से एक जलाशय अस्तित्व में आया, जो सिंचाई, जल विद्युत उत्पादन (कुल्हाल और खोदरी विद्युत् गृह के माध्यम से) तथा पक्षी आवासों को आधार प्रदान करता है।
    • यही क्षेत्र आसन वेटलैंड (आसन संरक्षण रिज़र्व) का निर्माण करता है, जिसे उत्तराखंड का पहला रामसर स्थल (2020) घोषित किया गया और जो रूडी शेल्डक, कॉमन पोचार्ड, यूरेशियन कूट तथा बार-हेडेड गीज़ जैसे प्रवासी पक्षियों के लिये प्रमुख आवास-स्थल है।

  • लेगेसी वेस्ट (Legacy Waste) के बारे में:
    • लेगेसी वेस्ट से आशय उन दशकों पुराने ठोस कचरे से है जो नगर-निकायों के डंपसाइट/लैंडफिल में जमा होकर मिश्रित रूप में पड़ा रहता है। 
      • इसमें मुख्यतः प्लास्टिक, निर्माण-ध्वंस अवशेष, जैविक पदार्थ, वस्त्र, काँच, धातु तथा अन्य जड़ (inert) पदार्थ सम्मिलित होते हैं।
    • ऐसे विशाल कचरा ढेर मीथेन उत्सर्जन, आग लगने की लगातार घटनाएँ, दुर्गन्ध, भू-जल प्रदूषण तथा वाहक-जनित (vector-borne) रोगों के जोखिम उत्पन्न करते हैं।
    • लेगेसी वेस्ट के वैज्ञानिक उपचार में बायो-माइनिंग, बायो-रीमेडिएशन या बायो-ट्रीटमेंट-सह-कैपिंग जैसी प्रक्रियाएँ शामिल होती हैं, जो भूमि की पुनर्प्राप्ति, प्रदूषण में कमी, शहरी सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार और स्वच्छ भारत मिशन 2.0 के पर्यावरणीय उद्देश्यों की पूर्ति में सहायक होती हैं।

राष्ट्रीय करेंट अफेयर्स Switch to English

बुकर पुरस्कार 2025

चर्चा में क्यों?

लेखक डेविड स्ज़ेले को उनके काल्पनिक उपन्यास फ्लेश (Flesh) के लिये वर्ष 2025 के बुकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।

मुख्य बिंदु

  • डेविड स्ज़ेले के बारे में:
    • डेविड स्ज़ेले एक हंगेरियन-ब्रिटिश उपन्यासकार हैं, जो अपनी सटीक, संक्षिप्त शैली और पुरुषत्व पहचान तथा समकालीन यूरोपीय जीवन की गहरी खोज के लिये जाने जाते हैं।
    • अपने उपन्यास फ्लेश के माध्यम से, उन्होंने अपनी प्रतिष्ठा को और मज़बूत किया है। वे साधारण पुरुषों के आंतरिक जीवन को असाधारण रूप से चित्रित करते हैं तथा उनके व्यक्तिगत संघर्षों को व्यापक सामाजिक एवं आर्थिक परिवेश के संदर्भ में प्रस्तुत करते हैं।
  • बुकर पुरस्कार के बारे में:
    • बुकर पुरस्कार (पूर्व में मैन बुकर पुरस्कार) विश्व के सबसे प्रतिष्ठित साहित्यिक पुरस्कारों में से एक है। 
    • इसे वर्ष 1969 में स्थापित किया गया था और यह बुकर पुरस्कार फाउंडेशन द्वारा संचालित किया जाता है।
    • यह पुरस्कार अंग्रेज़ी में लिखा गया और यूके या आयरलैंड में प्रकाशित सर्वश्रेष्ठ मौलिक पूर्ण-कालिक उपन्यास को सम्मानित करता है। वर्ष 2014 से किसी भी राष्ट्रीयता के लेखक इसके लिये प्रतियोगिता में भाग लेने के पात्र हैं।
    • इस पुरस्कार का उद्देश्य अंग्रेज़ी भाषा के साहित्य में उत्कृष्टता को प्रोत्साहित करना और पाठकों के व्यापक वर्ग को आकर्षित करना है।
    • भारत के पुरस्कार विजेताओं में अरुंधति रॉय (1997), किरण देसाई (2006) और अरविंद अडिगा (2008) शामिल हैं।

बुकर पुरस्कार और अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार के बीच अंतर

  • बुकर पुरस्कार पहली बार वर्ष 1969 में प्रदान किया गया और यह मूलतः अंग्रेज़ी में लिखी गई सर्वश्रेष्ठ एकल कथा कृति के लिये दिया जाता है।
  • अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार की स्थापना वर्ष 2005 में की गई और यह किसी भी अन्य भाषा से अंग्रेज़ी में अनुवादित सर्वश्रेष्ठ एकल कथा कृति के लिये दिया जाता है।
    • यह पुरस्कार लेखक और अनुवादक दोनों की उपलब्धियों को मान्यता प्रदान करता है।

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