झारखंड
झारखंड राज्य की 25वीं वर्षगाँठ
- 15 Nov 2025
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चर्चा में क्यों?
‘वनों की भूमि’ के रूप में प्रसिद्ध झारखंड 15 नवंबर, 2025 को अपनी राज्य स्थापना की रजत जयंती (25 वर्ष) मना रहा है। यह राज्य खनिज संसाधनों, जनजातीय विरासत और जैवविविधता से समृद्ध है।
मुख्य बिंदु
- जयंती के बारे में:
- यह दिवस बिरसा मुंडा की जयंती के साथ मनाया जाता है जिसे राष्ट्रीय स्तर पर ‘जनजातीय गौरव दिवस’ के रूप में आयोजित किया जाता है।
- ‘झारखंड @ 25’ राज्य की रजत जयंती समारोह, 2025 का आधिकारिक विषय है।
- पृष्ठभूमि:
- एक पृथक झारखंड राज्य की माँग का सूत्रपात 20वीं शताब्दी के प्रारंभिक वर्षों में हुआ, जिसका मुख्य उद्देश्य छोटा नागपुर पठार और संथाल परगना में जनजातीय समुदायों की भूमि, संस्कृति तथा स्वायत्तता की रक्षा करना था।
- जनजातीय नेताओं और समाज-सुधारकों ने भूमि वंचन, प्रशासनिक उपेक्षा तथा अपनी विशिष्ट पहचान को सुरक्षित रखने हेतु स्व-शासन की आवश्यकता जैसे मुद्दों को प्रमुखता से उठाया।
- यह दीर्घकालिक आकांक्षा बिहार पुनर्गठन अधिनियम, 2000 के माध्यम से पूर्ण हुई तथा 15 नवंबर, 2000 को झारखंड भारत का 28वाँ राज्य बना।
बिरसा मुंडा
- 15 नवंबर, 1875 को जन्मे बिरसा मुंडा छोटा नागपुर पठार के मुंडा जनजाति के सदस्य थे।
- वह एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, धार्मिक नेता और लोक नायक थे।
- उन्होंने 19वीं सदी के अंत में ब्रिटिश शासन के दौरान आधुनिक झारखंड और बिहार के जनजातीय क्षेत्र में भारतीय आदिवासी धार्मिक सहस्राब्दि आंदोलन का नेतृत्व किया।
- बिरसा 1880 के दशक में इस क्षेत्र में सरदारी लाराई आंदोलन के पर्यवेक्षक थे, जो ब्रिटिश सरकार से याचिका दायर करने जैसे अहिंसक तरीकों से जनजातीय अधिकारों को बहाल करने की मांग कर रहा था। हालाँकि, इन मांगों को कठोर औपनिवेशिक अधिकारियों ने नज़रअंदाज़ कर दिया था।
- बिरसा मुंडा ने उस विद्रोह का नेतृत्व किया जिसे ब्रिटिश सरकार द्वारा थोपी गई सामंती राज्य व्यवस्था के विरुद्ध उलगुलान (विद्रोह) या मुंडा विद्रोह के रूप में जाना जाता है।
- जनजातियों के शोषण और भेदभाव के विरुद्ध उनके संघर्ष के परिणामस्वरूप वर्ष 1908 में छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम पारित हुआ, जिसने जनजातीय लोगों से गैर-जनजातियों को भूमि देने पर प्रतिबंध लगा दिया।
