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स्टेट पी.सी.एस.

  • 11 Oct 2022
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उत्तर प्रदेश Switch to English

लखनऊ की जागृति यादव एक दिन के लिये बनीं ब्रिटेन की उच्चायुक्त

चर्चा में क्यों?

10 अक्टूबर, 2022 को उत्तर प्रदेश के लखनऊ की 20 वर्षीय जागृति यादव ‘एक दिन के लिये उच्चायुक्त प्रतियोगिता के भारत संस्करण’में भारत में एक दिन के लिये ब्रिटिश उच्चायोग में उच्चायुक्त बनीं।

प्रमुख बिंदु

  • ब्रिटिश दूतावास ने बताया कि जागृति यादव एक दिन के लिये उच्चायुक्त प्रतियोगिता के भारत संस्करण की छठवीं विजेता हैं।
  • जागृति यादव ने एक दिन के लिये उच्चायुक्त प्रतियोगिता का छठा संस्करण जीतने के बाद भारत में ब्रिटेन के शीर्ष राजनयिक के रूप में एक दिन बिताया। जागृति ने राजनयिक गतिविधियों की एक विस्तृत श्रृंखला का भी अनुभव किया, जिसमें विभिन्न स्टेकहोल्डर्स के साथ बैठक की। इस दौरान जागृति कई कार्यक्रमों में भी शामिल हुईं।
  • विदित है कि वर्ष 2017 से सालाना इस प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है। इस प्रतियोगिता का उद्देश्य महिलाओं को अगली पीढ़ी के लिये सशक्त बनाना है।
  • भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार, प्रोफेसर अजय कुमार सूद के साथ, जागृति ने स्टीम (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग, कला और गणित) में 75 भारतीय महिलाओं को सम्मानित करने वाली एक पुस्तक भी लॉन्च की।
  • ब्रिटेन के उच्चायुक्त एलेक्स एलिस ने कहा कि जागृति मुखर और केंद्रित हैं तथा पूरे भारत में प्रतिभा दिखाती हैं। जैसे-जैसे महिलाएँ बढ़ती हैं, हम सब उठते हैं। ब्रिटेन और भारत अनुसंधान और शिक्षा सहित लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के लिये एक साथ बहुत कुछ करते हैं। उन्होंने बताया कि इस साल भारत के लिये शेवनिंग छात्रवृत्ति का 50 प्रतिशत महिलाओं को प्रदान किया गया है।
  • उल्लेखनीय है कि उच्चायोग अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस (11 अक्टूबर) को मनाने के लिये हर साल ‘एक दिन के लिये उच्चायुक्त’प्रतियोगिता का आयोजन करता है। इस साल की प्रतियोगिता के लिये पूरे भारत से 270 से अधिक लड़कियों ने आवेदन किया था।

बिहार Switch to English

बिहार के 10 हज़ार गाँवों में लगेगा 300 फीट गहरा चापाकल

चर्चा में क्यों?

10 अक्टूबर, 2022 को बिहार के पीएचईडी (Public Health Engineering Department) विभाग ने बताया कि राज्य के ग्रामीण इलाकों में पानी उपलब्ध कराने के लिये 10 हज़ार गाँवों में एक-एक चापाकल लगाए जाने की तैयारी शुरू कर दी गई है।

प्रमुख बिंदु

  • विभाग के अनुसार राज्य के ग्रामीण इलाकों में पानी की किल्लत दूर करने के लिये 10 हज़ार गाँवों में एक-एक चापाकल लगाया जाएगा, जिसकी गहराई 300 फीट होगी।
  • पीएचईडी चापाकल लगाने के लिये 10 हज़ार ऐसे गाँवों का चयन करेगा, जहाँ पर लोगों को 12 महीना और 24 घंटे नियमित पानी मिलता रहे।
  • विभाग के अधिकारियों ने बताया कि गाँवों में चापाकल लगाए जाने की योजना की स्वीकृति के लिये जल्द ही प्रस्ताव को कैबिनेट भेजा जाएगा। प्रस्ताव को स्वीकृति मिलने के बाद ऐसे गाँवों का चयन होगा, जहाँ चापाकल लगाए जाएँगे। इस योजना को पूरा करने के लिये लगभग छह माह का लक्ष्य रखा जाएगा।
  • विभाग ने अगले 50 वर्ष को देखते हुए 300 फीट गहरा चापाकल लगाने का यह निर्णय लिया है, ताकि लोगों को हर मौसम में ज़रूरत का पानी मिलता रहे।
  • अधिकारियों के मुताबिक बिहार में लोगों तक हर घर नल का जल पहुँचाया जा रहा है। इसके बावजूद ऐसे टोले और गाँव को चिह्नित कर वहाँ के भूजल के स्तर को देखते हुए चापाकल लगाया जाएगा।
  • उल्लेखनीय है कि राज्य में अभी साढ़े आठ लाख चापाकल कार्यरत् हैं, जिनसे लोगों को पानी मिल रहा है। इन सभी चापाकलों का जिओ टैगिंग किया गया है, ताकि चापाकल के नियमित संचालन की नियमित रूप से पूरी निगरानी हो सके। वहीं, चापाकल नियमित काम कर रहा है या नहीं, इसको लेकर टोले के वैसे तीन लोगों से हस्ताक्षर लिया जाता है, जिनके घर के आसपास चापाकल लगाया गया है।

राजस्थान Switch to English

राजस्थान ग्रामीण परिवार आजीविका ऋण योजना को मिली मंज़ूरी

चर्चा में क्यों?

10 अक्टूबर, 2022 को राजस्थान के सहकारिता मंत्री उदय लाल आंजना ने बताया कि मुख्यमंत्री द्वारा राज्य के ग्रामीण क्षेत्र के परिवारों के लिये ‘राजस्थान ग्रामीण परिवार आजीविका ऋण योजना’ को लागू करने की मंज़ूरी दी गई है।

प्रमुख बिंदु

  • राजस्थान ग्रामीण परिवार आजीविका ऋण योजना में वर्ष 2022-23 में एक लाख परिवारों को अकृषि कार्यों के लिये 2 हज़ार करोड़ रुपए का ब्याजमुक्त ऋण दिया जाएगा। राज्य के ग्रामीण क्षेत्र में विगत 5 वर्षों से निवास कर रहे परिवार इस ऋण के लिये पात्र होंगे। यह ऋण वाणिज्यिक बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों, सहकारी बैंकों एवं स्माल फाईनेंस बैंकों के माध्यम से मिलेगा। राज्य सरकार इस प्रकार के ऋणों के लिये 100 करोड़ रुपए का ब्याज अनुदान देगी।
  • सहकारिता मंत्री उदय लाल आंजना ने बताया कि योजना में अन्य पात्रता मापदंडों की पूर्ति करने वाले लघु एवं सीमांत कृषक तथा भूमिहीन श्रमिक, जो कि किराएदार, मौखिक पट्टेदार, बटाईदार आदि के रूप में काश्त कर रहे हैं, के परिवार भी पात्र होंगे। इसके अतिरिक्त ग्रामीण दस्तकार तथा अकृषि कार्यों में जीवनयापन करने वाले ग्रामीण परिवार के सदस्य भी पात्र होंगे।
  • इसके साथ ही राजीविका के स्वयं सहायता समूहों, उत्पादक समूहों एवं व्यावसायिक समूहों के व्यक्तिगत सदस्यों को सामूहिक गतिविधियों के लिये ऋण उपलब्ध करवाया जाएगा। प्रति समूह अधिकतम 10 सदस्यों को व्यक्तिगत रूप से ऋण दिया जाएगा एवं ऋण की अधिकतम राशि 2 लाख रुपए होगी।
  • उन्होंने बताया कि ऋण के लिये आवेदक का बैंक शाखा के कार्य क्षेत्र अथवा ज़िले का निवासी होना ज़रूरी है तथा उसका आधार एवं जनाधार बना हो। परिवार के सदस्य के पास किसी भी लाईसेंसधारी बैंक से जारी किया हुआ किसान कार्ड होना चाहिये। जिन परिवारों के पास किसान क्रेडिट कार्ड नहीं हो, उनको नए सदस्य के रूप में अकृषि कार्यों हेतु क्रेडिट कार्ड स्वीकृत किया जाएगा। आवेदक से कोई प्रोसेसिंग फीस नहीं ली जाएगी।
  • मंत्री आंजना ने बताया कि आवेदक को संपूर्ण ऋण साख सीमा के रूप में स्वीकृत किया जाएगा। साख सीमा राशि का आकलन व्यवसाय की पूंजीगत आवश्यकताओं, कार्यशील पूंजी तथा रोज़मर्रा की ज़रूरतों को ध्यान में रखकर किया जाएगा। स्वीकृत साख सीमा का प्रतिवर्ष नवीनीकरण करवाना होगा, अर्थात् एक वर्ष पूर्ण होने पर खाते में बकाया राशि जमा करवाकर साख सीमा को अगले वर्ष के लिये नवीनीकृत करवाना होगा। इस योजना के लिये राज्य सरकार द्वारा आगामी वर्षों में भी निरंतर ब्याज अनुदान राशि दी जाएगी।
  • उन्होंने बताया कि वाणिज्यिक बैंकों द्वारा 55 हज़ार 158, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों द्वारा 36 हज़ार 741, सहकारी बैंकों द्वारा 5 हज़ार 949 तथा स्माल फाईनेंस बैंकों द्वारा 2 हज़ार 152 सहित कुल एक लाख ग्रामीण परिवारों को ब्याजमुक्त ऋण उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है। स्वीकृत ऋण राशि की अदायगी एक वर्ष की अवधि में करनी होगी तथा ऋणी आगामी वर्ष के लिये साख सीमा का नवीनीकरण करवा सकेगा।
  • ज़िला कलेक्टर द्वारा ज़िले को आवंटित कुल लक्ष्य संख्या के आधार पर ग्रामीण क्षेत्र से पात्र परिवार का चयन किया जाएगा। पोर्टल पर प्राप्त ऑनलाईन आवेदनों का ज़िला कलेक्टर की अध्यक्षता में कमेटी पात्रता मापदंडों का परीक्षण कर ऋण आवेदन-पत्र संबंधित बैंक शाखा को भेजेगी। शाखा 15 दिवस में ऋण स्वीकृति पर निर्णय लेगी।

मध्य प्रदेश Switch to English

36वें राष्ट्रीय खेलों में मलखंब में प्रणव और सिद्धि ने जीता 2 स्वर्ण पदक

चर्चा में क्यों?

10 अक्टूबर, 2022 को गुजरात में चल रहे 36वें राष्ट्रीय खेलों में मध्य प्रदेश के प्रणव कोरी तथा सिद्धि गुप्ता ने मलखंब में स्वर्ण पदक हासिल किये।

प्रमुख बिंदु

  • ज्ञातव्य है कि सिद्धि गुप्ता ने पोल मलखंब में स्वर्ण पदक और रोप मलखंब में रजत पदक हासिल किया तथा प्रणव कोरी ने हैंगिंग मलखंब में स्वर्ण पदक जीता।
  • इनके अलावा राज्य के ही राजवीर पवार ने रोप मलखंब में रजत पदक जीता तथा चंद्रशेखर चौहान ने रोप और पोल मलखंब इवेंट में क्रमश: 1-1 कांस्य पदक हासिल किये।
  • उल्लेखनीय है कि 36वें राष्ट्रीय खेलों में अब तक मध्य प्रदेश ने 19 स्वर्ण, 23 रजत और 17 कांस्य पदक के साथ कुल 59 पदक जीते हैं।

झारखंड Switch to English

झारखंड की अस्मिता दोरजी ने दुनिया के आठवें सबसे ऊँचे पर्वत ‘मनास्लु’ को किया फतह

चर्चा में क्यों?

10 अक्टूबर, 2022 को झारखंड की अस्मिता दोरजी ने बिना ऑक्सीजन सप्लीमेंट के नेपाल स्थित दुनिया के आठवें सबसे ऊँचे पर्वत ‘मनास्लु’को फतह कर इतिहास रचा है।

प्रमुख बिंदु

  • नेपाल सरकार द्वारा मनास्लु समिट का आयोजन किया गया था, जिसमें अस्मिता दोरजी ने बिना ऑक्सीजन सप्लीमेंट के 8163 मीटर ऊँचे पर्वत ‘मनास्लु’को फतह किया है। अस्मिता दोरजी ने लगभग 26 दिन की कठिन चढ़ाई के बाद इस समिट को पूरा किया।
  • अस्मिता दोरजी से मात्र चार घंटे पहले हिमाचल की बलजीत कौर ने बिना ऑक्सीजन के इस समिट को पूरा किया था।
  • उल्लेखनीय है कि अस्मिता दोरजी झारखंड के जमशेदपुर के सोनारी कदमा लिंक रोड की रहने वाली हैं और वह वर्तमान में टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन (टीएसएएफ) की सीनियर इंस्ट्रक्टर के पद पर कार्यरत् हैं।
  • ज्ञातव्य है कि मनास्लु (जो कुतंग भी कहलाता है) पृथ्वी का आठवाँ सबसे ऊँचा पर्वत है। यह 8,163 मीटर ऊँचा पर्वत मध्योत्तर नेपाल के गोरखा ज़िले में स्थित है।
  • विदित है कि अस्मिता इससे पहले माउंट एवरेस्ट जैसे अभियान पर बिना ऑक्सीजन सप्लीमेंट के जा चुकी हैं, लेकिन वह एवरेस्ट समिट को पूरा नहीं कर सकी थीं। उन्होंने एवरेस्ट एक्सपीडिशन के दौरान 8749 मीटर तक की ऊँचाई को बिना ऑक्सीजन सप्लीमेंट के पूरा किया था।

छत्तीसगढ़ Switch to English

कबीरधाम ज़िले के चौथे अनुविभाग सहसपुर लोहारा का मुख्यमंत्री ने किया शुभारंभ

चर्चा में क्यों?

10 अक्टूबर, 2022 को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने प्रदेशव्यापी भेंट-मुलाकात में कबीरधाम ज़िले के प्रवास के दौरान विकासखंड मुख्यालय सहसपुर लोहारा में नवीन राजस्व अनुविभाग मुख्यालय कार्यालय का शुभारंभ किया।

प्रमुख बिंदु

  • उल्लेखनीय है कि वर्ष 2022-23 के बजट में तहसील सहसपुर लोहारा को अनुविभाग का दर्जा दिया गया। इसके शुभारंभ के बाद यह ज़िले का चौथा अनुविभाग होगा।
  • तहसील का भौगोलिक क्षेत्र 61479 हेक्टेयर है। इसके अंतर्गत 1 नगरीय निकाय,  96 ग्राम पंचायत, 198 गाँव शामिल हैं।
  • सहसपुर में 1 स्वास्थ्य केंद्र, 5 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और 25 उपस्वास्थ्य केंद्र संचालित हैं। तहसील सहसपुर के अंतर्गत 22 धान खरीदी केंद्र, 5 राजस्व निरीक्षक मंडल और 45 पटवारी हलका हैं।
  • वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार सहसपुर तहसील की जनसंख्या 152238 है, जिसमें 72792 पुरुष और 72929 महिला हैं।
  • मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कबीरधाम ज़िले के कवर्धा विधानसभा क्षेत्र में भेंट-मुलाकात कार्यक्रम के दौरान ज़िले को मेडिकल कॉलेज की सौगात दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि अंचल में एक नया मेडिकल कॉलेज खोला जाएगा।
  • इसके अतिरिक्त मुख्यमंत्री ने भेंट-मुलाकात कार्यक्रम के दौरान विकासखंड बोड़ला, विकासखंड सहसपुर लोहारा और कवर्धा नगर के लिये कई घोषणाएँ भी कीं-
    • विकासखंड बोड़ला के ग्राम झलमला में नया ग्राम पंचायत भवन बनाया जाएगा।
    • विकासखंड बोड़ला के चिल्फी, रेंगाखार और पोड़ी में स्वामी आत्मानंद स्कूल खोलने की घोषणा।
    • विकासखंड सहसपुर लोहारा- 240 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा हेतु घटोला जलाशय का निर्माण कराया जायेगा।
    • विकासखंड सहसपुर लोहारा के पिपरिया में स्वामी आत्मानंद अंग्रेज़ी माध्यम स्कूल खोलने की घोषणा।
    • कवर्धा नगर में विशेष पिछड़ी जनजाति बैगा समाज की संस्कृति को सेहजने और संरक्षण के लिये भोरमदेव में बैगा आदिवासी समाज के संग्रहालय के निर्माण की घोषणा।

उत्तराखंड Switch to English

उत्तराखंड में ‘पीएम आवास योजना’ की तर्ज़ पर संचालित होगी ‘अटल आवास योजना’

चर्चा में क्यों?

10 अक्टूबर, 2022 को उत्तराखंड के समाज कल्याण मंत्री चंदन रामदास ने राज्य में समाज कल्याण विभाग के अंतर्गत अनुसूचित जाति के लिये ‘अटल आवास योजना’ को अब ‘प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण)’ की तर्ज़ पर संचालित करने के निर्देश अधिकारियों को दिये।

प्रमुख बिंदु

  • समाज कल्याण मंत्री चंदन राम दास ने बताया कि पूर्व में बंद हो चुकी इस योजना में प्रति लाभार्थी भवन निर्माण के लिये दी जाने वाली 38 हज़ार रुपए की आर्थिक सहायता काफी कम थी, जबकि प्रधानमंत्री आवास योजना में 1.30 लाख रुपए की राशि देने का प्रवधान है।
  • उन्होंने कहा कि अब इसी तर्ज़ पर अटल आवास योजना के संचालन का प्रस्ताव तैयार करने का यह विषय कैबिनेट की अगली बैठक में रखा जाएगा।
  • कैबिनेट मंत्री ने बताया कि प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण से वर्तमान में वही लोग लाभान्वित हो रहे हैं, जिनका पाँच वर्ष पहले पंजीकरण हो चुका है। इस सबके मद्देनज़र गरीबों को राहत देने के लिये अटल आवास योजना को फिर से संचालित करने का निर्णय लिया गया है।
  • विदित है कि राज्य समाज कल्याण विभाग के अंतर्गत पाँच निगम और इतने ही बोर्ड हैं। निगमों द्वारा दिये गए ऋण में से लगभग 20 करोड़ रुपए की वसूली होनी है। इसे देखते हुए अब ‘एकमुश्त समाधान योजना’ लाई जा रही है, ताकि संबंधित व्यक्तियों को राहत मिलने के साथ ही निगमों को कम-से-कम मूलधन वापस मिल सके।

उत्तराखंड Switch to English

उत्तराखंड में बेसहारा बच्चों के लिये जल्द बनेगी पुनर्वास नीति

चर्चा में क्यों?

10 अक्टूबर, 2022 को उत्तराखंड की महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्य ने बताया कि राज्य में पहली बार स्ट्रीट चिल्ड्रेन (बेसहारा) पुनर्वास नीति 9 नवंबर से लागू की जाएगी।

प्रमुख बिंदु

  • महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास मंत्री ने बताया कि सरकार की ओर से इसका प्रस्ताव तैयार कर लिया गया है, जिसे राज्य स्थापना दिवस (9 नवंबर) के अवसर पर लागू करने की तैयारी है।
  • उन्होंने बताया कि राज्य में अनाथ और सड़कों पर बेसहारा घूम रहे बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ने के लिये पुनर्वास नीति का प्रस्ताव तैयार किया गया है।
  • उल्लेखनीय है कि महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास मंत्री ने इस नीति का ड्राफ्ट बनाया है। नीति को अंतिम रूप देने के लिये सभी ज़िलों के ज़िलाधिकारियों एवं संबंधित अधिकारियों से सुझाव मांगे गए थे।
  • विभागीय अधिकारियों ने जानकारी दी है कि सड़कों पर रहने वाले तीन तरह के बच्चे हैं। एक वह बच्चे हैं, जो अकेले रहते हैं। दूसरे अपने माता-पिता के साथ रहते हैं। तीसरे वह बच्चे हैं, जो दिनभर सड़क पर रहते हैं और दिन ढलते ही मलिन बस्तियों में चले जाते हैं। इस तरह के बच्चे न स्कूल में हैं, न परिवार में। अधिकतर बच्चे उत्तराखंड से बाहर के राज्यों के हैं।
  • उन्होंने बताया कि खासतौर पर इस तरह के बच्चे देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर और नैनीताल ज़िले में हैं। इन बच्चों के लिये नीति में आश्रय गृह बनाने की व्यवस्था की जा रही है।
  • अधिकारियों का कहना है कि फिलहाल देहरादून, हरिद्वार व हल्द्वानी में आश्रय गृह चल रहे हैं, जिन्हें आवश्यकता के हिसाब से बढ़ाया जाएगा।
  • नीति को लेकर कुछ ज़िलाधिकारियों का यह भी प्रस्ताव है कि दिन में इन बच्चों को आश्रय गृह में रखा जाए, जबकि शाम को वह अपने परिवार के साथ चले जाएँ।
  • इस नीति में इन बच्चों की पढ़ाई-लिखाई के साथ ही उन्हें कौशल विकास से भी जोड़ने की तैयारी है।

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