उत्तराखंड Switch to English
राजाजी राष्ट्रीय उद्यान
चर्चा में क्यों?
राजाजी राष्ट्रीय उद्यान में निर्मित प्रचुर जलाशयों और जल स्रोतों ने मानव-आबादी वाले क्षेत्रों में हाथियों की आवाजाही को सीमित कर दिया है।
मुख्य बिंदु
- गंगा पर निर्भरता कम:
- हाथियों के बड़े झुंड अब गर्मी के मौसम में जल की आवश्यकता के लिये गंगा नदी पर पूरी तरह निर्भर नहीं रहते।
- वन क्षेत्रों में जल स्रोतों की बढ़ती उपलब्धता ने हाथियों को अधिक आत्मनिर्भर बना दिया है।
- अमृत सरोवर योजना की भूमिका:
- अमृत सरोवर योजना से वनों में जल की स्थिति में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।
- इस योजना का उद्देश्य देश भर के प्रत्येक ज़िले में 75 अमृत सरोवर तालाबों का विकास या पुनरुद्धार करना है।
- इसे स्वतंत्रता के 75वें वर्ष के लिये भारत के "आजादी का अमृत महोत्सव" समारोह के हिस्से के रूप में वर्ष 2022 में लॉन्च किया गया था।
- प्रभाव:
- जंगल में पानी की उपलब्धता में सुधार होने से हाथियों का मानव-आबादी वाले क्षेत्रों में आवागमन कम हो गया है।
- परिणामस्वरूप, मानव-हाथी संघर्ष की घटनाओं में कमी आई है, जिससे वन्यजीवों और स्थानीय समुदायों दोनों की सुरक्षा बढ़ी है।
राजाजी राष्ट्रीय उद्यान
- परिचय:
- राजाजी राष्ट्रीय उद्यान उत्तराखंड के तीन ज़िलों देहरादून, हरिद्वार और पौड़ी गढ़वाल में स्थित है।
- इस पार्क की स्थापना तीन वन्यजीव अभयारण्यों - राजाजी, मोतीचूर और चिल्ला को मिलाकर की गई थी ।
- इसका नाम सी. राजगोपालाचारी के नाम पर रखा गया है, जो एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्हें “राजाजी” के नाम से भी जाना जाता था।
- क्षेत्र एवं टाइगर रिज़र्व की स्थिति:
- प्रारंभ में, राजाजी राष्ट्रीय उद्यान 820.42 वर्ग किमी. क्षेत्र में फैला हुआ था।
- वर्ष 2015 में, आस-पास के आरक्षित वन के अतिरिक्त 255.63 वर्ग किमी. क्षेत्र को बफर ज़ोन के रूप में नामित किया गया।
- इसके बाद 1075 वर्ग किमी. के संयुक्त क्षेत्र को वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत राजाजी टाइगर रिज़र्व घोषित कर दिया गया।
- रिज़र्व में नदियाँ:
- गंगा नदी राजाजी टाइगर रिज़र्व से होकर बहती है, जिससे क्षेत्र की पारिस्थितिकी समृद्धि बढ़ती है।
- गंगा की एक सहायक नदी सोंग भी इस रिज़र्व से होकर गुजरती है तथा विविध वन्य जीव और वनस्पति को पोषण देती है।
- हाथी गलियारा और संपर्क:
- इस रिज़र्व में एक महत्वपूर्ण हाथी गलियारा है, जो राजाजी और कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान के बीच हाथियों की सुरक्षित आवाजाही सुनिश्चित करता है, आनुवंशिक विविधता को बढ़ावा देता है और मानव-हाथी संघर्ष को कम करता है।
उत्तर प्रदेश Switch to English
वीर रथ पार्क
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश के नोएडा में स्वतंत्रता संग्राम के वीरों की स्मृति में एक म्यूज़ियम और ओपन थियेटर सहित वीर रथ पार्क का निर्माण किया जाएगा।
मुख्य बिंदु:
- पार्क के बारे में:
- यह पार्क कुल 32 स्वतंत्रता सेनानियों की विरासत को संरक्षित एवं प्रदर्शित करने के उद्देश्य से नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस-वे के समीप स्थित नलगढ़ गाँव में स्थापित किया जा रहा है।
- ऐतिहासिक दृष्टि से, नलगढ़ गाँव शहीद भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव, सुभाष चंद्र बोस और आज़ाद हिंद फ़ौज के कर्नल करनैल सिंह की शरणस्थली रहा है। ऐसा माना जाता है कि इन सेनानियों ने यहीं रहकर ब्रिटिश सेना पर हमले की रणनीतियाँ तैयार की थीं।
- इस पार्क की स्थापना लगभग 22 एकड़ भूमि पर की जाएगी, जिसकी अनुमानित लागत 42 करोड़ रुपए है।
- इस पार्क में एक संग्रहालय (Museum) भी होगा, जिसमें शहीदों की पत्थर की मूर्तियाँ और सूचनात्मक प्रदर्शन (informational exhibits) लगाए जाएंगे।
- संग्रहालय की दीवारों पर स्वतंत्रता सेनानियों और सेना के जवानों की कहानियाँ भी अंकित की जाएंगी।
- युद्धकालीन टैंक और लड़ाकू विमान प्रतीकात्मक रूप से भारत की सैन्य विरासत को प्रदर्शित करेंगे, जबकि लेज़र शो देशभक्ति की भावना को प्रेरित करेगा।
- ओपन-एयर थिएटर में भारत की स्वतंत्रता पर आधारित सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे।
आज़ाद हिंद फौज (INA)
- परिचय: यह द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भारत में ब्रिटिश शासन का सामना करने के उद्देश्य से गठित एक सैन्य बल था, जिसने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
- गठन:
- मोहन सिंह: उन्होंने भारतीय युद्धबंदियों (POW) से एक सेना गठित करने का प्रस्ताव किया और जापानी समर्थन प्राप्त किया। उन्होंने शुरुआत में INA का नेतृत्व किया, जिसमें लगभग 40, 000 सैनिकों की भर्ती की गई।
- हालाँकि, सैनिकों की संख्या को लेकर जापानियों के साथ संघर्ष के कारण उन्हें हटा दिया गया।
- रासबिहारी बोस: यह एक अनुभवी क्रांतिकारी थे और इन्होने INA के लिये समर्थन जुटाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई और टोक्यो में भारतीय स्वतंत्रता लीग का गठन किया (1942)।
- सुभाष चंद्र बोस: 25 अगस्त 1943 को बोस को INA का सुप्रीम कमांडर नियुक्त किया गया और बाद में 21 अक्तूबर 1943 को उन्होंने सिंगापुर में स्वतंत्र भारत की अनंतिम सरकार अथवा आज़ाद हिंद की स्थापना की।
- इसे जापान, जर्मनी, इटली और चीन (वांग जिंगवेई के नेतृत्व में) सहित 9 देशों द्वारा मान्यता दी गई।
- मोहन सिंह: उन्होंने भारतीय युद्धबंदियों (POW) से एक सेना गठित करने का प्रस्ताव किया और जापानी समर्थन प्राप्त किया। उन्होंने शुरुआत में INA का नेतृत्व किया, जिसमें लगभग 40, 000 सैनिकों की भर्ती की गई।
उत्तर प्रदेश Switch to English
मिशन शक्ति
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश सरकार के मिशन शक्ति अभियान ने महिला सशक्तीकरण के क्षेत्र में नया कीर्तिमान रचते हुए 9 करोड़ से अधिक महिलाओं तक पहुँच बनाने में सफलता प्राप्त की है।
मुख्य बिंदु
- मिशन शक्ति अभियान के बारे में:
- ‘मिशन शक्ति’ उत्तर प्रदेश सरकार की एक महत्त्वाकांक्षी बहु-आयामी योजना है, जिसका उद्देश्य महिलाओं और बालिकाओं की सुरक्षा, सम्मान और आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करना है।
- इसका शुभारंभ 17 अक्तूबर 2020 में किया गया था और अब तक यह अभियान पाँच चरणों में संपन्न हो चुका है।
- उपलब्धियाँ और आँकड़े:
- 1, 707 संभावित बाल विवाह रोके गए, जिससे बालिकाओं के अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित हुई।
- महिला हेल्पलाइन 1090 ने अब तक 7.78 लाख मामलों को सफलतापूर्वक निपटाया।
- वन स्टॉप सेंटरों ने हिंसा और दुर्व्यवहार के 2.10 लाख से अधिक मामलों में सहायता प्रदान की।
- मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना के माध्यम से 23.40 लाख लड़कियों को लाभ प्रदान किया गया।
- आकांक्षी ज़िलों में 2 लाख से अधिक बालिकाओं की पहचान कर उनके समग्र विकास के लिये सहायता दी गई।
- सुरक्षा हेतु बुनियादी ढाँचे में निवेश:
- राज्य में 100 गुलाबी पुलिस बूथ स्थापित किये गए हैं।
- 1090 कॉल सेंटर को 80 अतिरिक्त टर्मिनलों के साथ विस्तार दिया गया है।
- 189 नगरीय निकायों में 1, 100 से अधिक गुलाबी शौचालयों का निर्माण किया गया है।
- विशेष आयोजनों, प्रशिक्षण सत्रों और अभियानों के माध्यम से गाँवों, स्कूलों, कॉलेजों और शहरी वार्डों में पहुँच बनाई गई है।
- साइबर अपराध, घरेलू हिंसा, मानसिक स्वास्थ्य, कानूनी अधिकार, वित्तीय साक्षरता पर कार्यशालाओं का आयोजन किया गया है।
मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना
- परिचय
- मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना की शुरुआत अप्रैल 2019 में उत्तर प्रदेश में महिला कल्याण विभाग द्वारा की गई।
- योजना के तहत, परिवार में कन्या का जन्म होने पर उसे 15 हज़ार रुपए की वित्तीय सहायता दी जाती है।
- यह राशि बेटी के जन्म से लेकर स्नातक होने तक, छह चरणों में प्रोत्साहन स्वरूप दी जाती है।
- एक परिवार से अधिकतम दो बेटियों को इस योजना का लाभ प्राप्त होता है।
- उद्देश्य
- योजना के प्रमुख उद्देश्य कन्या भ्रूण हत्या का उन्मूलन, बाल विवाह की रोकथाम, स्वास्थ्य और शिक्षा में वृद्धि तथा आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना हैं।
बिहार Switch to English
दूषित मध्याह्न भोजन
चर्चा में क्यों?
बिहार के पटना ज़िले के एक स्कूल में मध्याह्न भोजन योजना के अंतर्गत दूषित भोजन खाने से 100 से अधिक छात्रों के बीमार पड़ने की घटना पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने स्वतः संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है।
मुख्य बिंदु
- मध्याह्न भोजन योजना के बारे में:
- मिड डे मिल स्कीम अर्थात् मध्याह्न भोजन योजना (MDMS) विश्व में अपनी तरह का सबसे बड़ा स्कूल पोषण कार्यक्रम है, जो कक्षा 1 से 8 तक के सरकारी स्कूलों में नामांकित छात्रों को कवर करता है।
- इस योजना का मूल उद्देश्य स्कूलों में नामांकन बढ़ाना है।
- नोडल मंत्रालय: शिक्षा मंत्रालय
- पृष्ठभूमि: यह कार्यक्रम पहली बार वर्ष 1925 में मद्रास नगर निगम में वंचित बच्चों के लिये शुरू किया गया था।
- केंद्र सरकार ने वर्ष 1995 में कक्षा 1 से 5 तक के बच्चों के लिये पायलट आधार पर एक केंद्र प्रायोजित योजना शुरू की थी और अक्तूबर 2007 तक MDMS को कक्षा 8 तक बढ़ा दिया गया था।
मध्य प्रदेश Switch to English
जैव ईंधन क्रियान्वयन समिति
चर्चा में क्यों?
हाल ही में मध्य प्रदेश सरकार ने जैव ईंधन परियोजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन को सुनिश्चित करने हेतु एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति का गठन किया है।
मुख्य बिंदु:
- समिति के बारे में:
- इस समिति की अध्यक्षता मुख्य सचिव करेंगे। इसके सदस्य के रूप में वन, किसान कल्याण एवं कृषि विकास, नगरीय विकास एवं आवास, पशुपालन एवं डेयरी, खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण, तकनीकी शिक्षा, कौशल विकास तथा रोज़गार विभागों के सचिव शामिल होंगे।
- नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा विभाग के सचिव को सदस्य सचिव नियुक्त किया गया है।
- समिति का कार्य-क्षेत्र:
- भूमि मानकों में छूट देने के मामलों पर विचार करना।
- म्युनिसिपल सॉलिड वेस्ट (MSW) के संग्रहण की व्यवस्था और जैव ईंधन उत्पादकों को उसकी आसान उपलब्धता सुनिश्चित करना।
- कृषि उपज मंडी अपशिष्ट और गोबर की उपलब्धता जैव ईंधन उत्पादकों के लिये सुनिश्चित करना।
- सिटी गैस डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियों को बायो-CNG उपयोग हेतु प्रोत्साहित करना।
- किसानों में फार्मेंटेड ऑर्गेनिक मैन्योर (Fermented Organic Manure) के उपयोग को बढ़ावा देना।
- जैव ईंधन सेक्टर में कौशल प्रशिक्षण की व्यवस्था करना।
जैव ईंधन:
- कोई भी हाइड्रोकार्बन ईंधन जो किसी कार्बनिक पदार्थ (जीवित या कभी जीवित रही सामग्री) से एक कम समयावधि (दिन, सप्ताह या माह) में उत्पन्न किया जाता है, जैव ईंधन कहा जाता है।
- इनका उपयोग वाहनों के ईंधन, घरों को गर्म करने और बिजली उत्पन्न करने के लिये किया जा सकता है। जैव ईंधन को नवीकरणीय (renewable) माना जाता है क्योंकि वे उन पौधों से बने होते हैं जिन्हें बार-बार उगाया जा सकता है।
- जैव ईंधन ठोस, तरल या गैसीय हो सकते हैं।
- ठोस जैव ईंधन में लकड़ी, शुष्क पादप सामग्री और खाद शामिल हैं।
- तरल जैव ईंधन में बायोएथेनॉल और बायोडीजल शामिल हैं।
- गैसीय जैव ईंधन में बायोगैस शामिल है।
- जैव ईंधन गर्मी और बिजली उत्पन्न करने जैसे विभिन्न अनुप्रयोगों के लिये जीवाश्म ईंधन की जगह ले सकते हैं या उनके साथ इस्तेमाल किये जा सकते हैं।
- जैव ईंधन की ओर संक्रमण तेल की बढ़ती कीमतों, जीवाश्म ईंधन से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन और किसानों के लाभ के लिये उनके कृषि फसलों से ईंधन प्राप्त करने में रुचि जैसे कारणों से प्रेरित है।