हरियाणा Switch to English
अर्जन सिंह मेमोरियल हॉकी टूर्नामेंट 2025
चर्चा में क्यों?
भारतीय वायु सेना ने चंडीगढ़ के रघबीर सिंह भोला हॉकी स्टेडियम में 29 अप्रैल से 06 मई 2025 तक मार्शल ऑफ द एयर फोर्स अर्जन सिंह मेमोरियल हॉकी टूर्नामेंट के छठे संस्करण का आयोजन किया।
प्रमुख बिंदु
- टूर्नामेंट का विवरण:
- इस टूर्नामेंट में वायु सेना हॉकी टीमों और दो अन्य देशों की टीमों सहित बारह टीमों ने भाग लिया।
- यह टूर्नामेंट वायुसेना के मार्शल अर्जन सिंह DFC (विशिष्ट फ्लाइंग क्रॉस) के स्मरण में आयोजित किया जाता है जो भारतीय वायुसेना के इतिहास में प्रमुख व्यक्तित्व थे।
- हॉकी के प्रति अर्जन सिंह का अतुलनीय जुनून तथा सैन्य एवं खेल दोनों क्षेत्रों में प्रेरणादायक नेतृत्व, प्रेरक रहा है।
- अंतिम खेल:
- फाइनल मैच भारतीय रेलवे और रेल कोच फैक्ट्री, कपूरथला के बीच हुआ।
- भारतीय रेलवे ने 2 गोल की बराबरी के बाद टाई-ब्रेकर में 3-1 से जीत हासिल की।
- पुरस्कार:
- इस क्रम में एक भव्य पुरस्कार समारोह के दौरान पदक, ट्रॉफी और नकद पुरस्कार प्रदान किये गए।
- विजेताओं को 3,00,000/- रुपए मिले
- उपविजेताओं को 2,00,000/- रुपए मिले
- प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ियों को भी उनके योगदान के लिये सम्मानित किया गया।
- इस क्रम में एक भव्य पुरस्कार समारोह के दौरान पदक, ट्रॉफी और नकद पुरस्कार प्रदान किये गए।
वायुसेना मार्शल अर्जन सिंह
- उनका जन्म वर्ष 1919 में लायलपुर (अब पाकिस्तान में) में हुआ था। उन्हें वर्ष 1939 में रॉयल इंडियन एयर फोर्स में शामिल किया गया था और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान बर्मा अभियान में उनकी भूमिका के लिये उन्हें विशिष्ट फ्लाइंग क्रॉस (DFC) से सम्मानित किया गया था।
- वह वर्ष 1964 में 44 वर्ष की आयु में वायु सेना प्रमुख बने।
- वर्ष 1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान, उनके निर्णायक नेतृत्व से भारतीय वायुसेना ने अखनूर में पाकिस्तान के आक्रमण को अप्रभावी बनाया, जिसके लिये उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।
- वर्ष 2002 में वह वायुसेना के मार्शल की फाइव स्टार रैंक से सम्मानित होने वाले एकमात्र भारतीय वायुसेना अधिकारी बने।
- सेवानिवृत्ति के बाद उन्होंने दिल्ली के राजदूत और उपराज्यपाल के रूप में कार्य किया।
भारतीय वायु सेना
- पृष्ठभूमि:
- भारतीय वायु सेना की स्थापना वर्ष 1932 में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापान के खिलाफ युद्ध में यूनाइटेड किंगडम की रॉयल एयर फोर्स की सहायता हेतु की गई थी।
- जापानी सेना को भारत में आगे बढ़ने से रोकने के लिये भारतीय वायुसेना का उपयोग बर्मा में जापानी ठिकानों को निशाना बनाने के लिये किया गया।
- वर्ष 1945 में किंग जॉर्ज VI ने IAF की उपलब्धियों के सम्मान में इसको "रॉयल" टाइटल प्रदान किया। वर्ष 1950 में भारत के गणतंत्र बनने के बाद, इस मानद टाइटल को समाप्त कर दिया गया।
- देश की स्वतंत्रता के बाद वर्ष 1950 में इसका नाम भारतीय वायु सेना के रूप में विकसित हुआ।
- भारतीय वायु सेना की स्थापना वर्ष 1932 में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापान के खिलाफ युद्ध में यूनाइटेड किंगडम की रॉयल एयर फोर्स की सहायता हेतु की गई थी।
- परिचय:
- भारत के राष्ट्रपति सशस्त्र सेनाओं के सर्वोच्च कमांडर होते हैं।
- विश्व की चौथी सबसे बड़ी वायु सेना, भारतीय वायु सेना है।
- मुख्यालय: नई दिल्ली
- भारतीय वायु सेना का आदर्श वाक्य: गौरव के साथ आकाश को छूना।
- यह भगवद्गीता के ग्यारहवें अध्याय से लिया गया है।
- वायु सेना प्रमुख, एयर चीफ मार्शल, वायु सेना की परिचालन कमान के लिये उत्तरदायी होता है।


छत्तीसगढ़ Switch to English
ऑपरेशन संकल्प
चर्चा में क्यों?
सुरक्षा बलों ने बड़े पैमाने पर आतंकवाद रोधी अभियान ऑपरेशन संकल्प के तहत छत्तीसगढ़ के बीजापुर ज़िले के जंगलों में मुठभेड़ के दौरान नक्सलियों को मार गिराया।
प्रमुख बिंदु
- ऑपरेशन संकल्प के बारे में:
- सुरक्षा बलों ने माओवादी बटालियन नंबर 1, दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी (DKSZC) और माओवादियों की तेलंगाना राज्य समिति के वरिष्ठ कैडरों की मौजूदगी के बारे में खुफिया जानकारी के आधार पर 21 अप्रैल को ऑपरेशन संकल्प शुरू किया था।
- इस अभियान का लक्ष्य छत्तीसगढ़-तेलंगाना सीमा पर कर्रेगुट्टा पहाड़ियों और आसपास के वन क्षेत्रों में माओवादियों का गढ़ है।
- सम्मिलित बल:
- इस अभियान में लगभग 28,000 सुरक्षाकर्मी भाग ले रहे हैं।
- इनमें ज़िला रिजर्व गार्ड (DRG), बस्तर फाइटर्स , विशेष कार्य बल (STF), छत्तीसगढ़ पुलिस, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) और इसकी विशिष्ट कोबरा यूनिट (दृढ़ कार्रवाई के लिये कमांडो बटालियन) की इकाइयाँ शामिल हैं।
- कार्य क्षेत्र:
- यह अभियान बीजापुर (छत्तीसगढ़) और मुलुगु तथा भद्राद्री-कोठागुडेम (तेलंगाना) तक विस्तृत लगभग 800 वर्ग किलोमीटर के जंगली और पहाड़ी क्षेत्रों में फैला हुआ है, जो रायपुर से 450 किलोमीटर दूर स्थित है।
- सेना द्वारा अधिकार क्षेत्र में:
- 400 से अधिक परिष्कृत विस्फोटक उपकरण (IED)
- लगभग 2 टन विस्फोटक सामग्री
- 6 टन से अधिक राशन, दवाइयाँ, दैनिक उपयोग की वस्तुएँ और अन्य माओवादी सामान बरामद
ज़िला रिजर्व गार्ड (DRG)
- ज़िला रिजर्व गार्ड (डीआरजी) छत्तीसगढ़ में एक विशेष पुलिस इकाई है, जिसे 2008 में माओवादी हिंसा से निपटने के लिये स्थापित किया गया था।
- इसमें विशेष रूप से प्रशिक्षित कार्मिक शामिल होते हैं जो प्रभावित ज़िलों में माओवाद-विरोधी अभियान चलाते हैं, तलाशी और जब्ती करते हैं तथा खुफिया जानकारी एकत्र करते हैं।
- माओवादी विद्रोह का मुकाबला करने के लिये DRG केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) जैसे अन्य सुरक्षा बलों के साथ सहयोग करता है।
केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF)
- सीआरपीएफ की स्थापना वर्ष 1939 में रियासतों में राजनीतिक उथल-पुथल और अशांति के जवाब में क्राउन रिप्रेजेंटेटिव पुलिस के रूप में की गई थी।
- वर्ष 1949 में इस बल का नाम बदलकर केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल कर दिया गया।
- तत्कालीन गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने CRPF के लिये एक बहुमुखी भूमिका की कल्पना की थी, तथा इसके कार्यों को नव स्वतंत्र राष्ट्र की उभरती जरूरतों के साथ संरेखित किया था।
- कोबरा:
- यह भारत के केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल की एक विशेष ऑपरेशन इकाई है जो गुरिल्ला रणनीति और जंगल युद्ध में कुशल है। मूल रूप से नक्सलवादी आंदोलन का मुकाबला करने के लिये स्थापित किया गया था।
- कोबरा को विषम युद्ध में संलग्न विद्रोही समूहों से निपटने के लिये तैनात किया गया है।


उत्तर प्रदेश Switch to English
उत्तर प्रदेश में वैश्विक सेवा केंद्र
चर्चा में क्यों?
वैश्विक निवेश को आकर्षित करने के लिये उत्तर प्रदेश सरकार ने वैश्विक क्षमता केंद्र (GCC) नीति को मंज़ूरी प्रदान की है।
प्रमुख बिंदु
- परिचय:
- इस नीति का उद्देश्य उत्तर प्रदेश को 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य की ओर ले जाना है।
- अनुमान है कि यह नीति IT, बैंकिंग, स्वास्थ्य सेवा, इंजीनियरिंग एवं अगली पीढ़ी की प्रौद्योगिकियों में वैश्विक अभिकर्त्ताओं को आकर्षित करेगी।
- यह नीति आकर्षक प्रोत्साहन प्रदान करने पर केंद्रित है तथा इसे वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं का अध्ययन करने के बाद तैयार किया गया है।
- GCC द्वारा कवर की गई प्रौद्योगिकियाँ:
- उत्तर प्रदेश में स्थापित किये जा रहे GCC में निम्नलिखित अत्याधुनिक डोमेन शामिल हैं:
- पहले से ही शामिल क्षेत्र और कंपनियाँ:
- बैंकिंग, वित्तीय सेवाओं, बीमा, ऑटोमोटिव, इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमीकंडक्टर विनिर्माण क्षेत्र की वैश्विक कंपनियों द्वारा उत्तर प्रदेश में परिचालन शुरू किया गया है।
- माइक्रोसॉफ्ट ने नोएडा में 10,000 सीटों वाले डेवलपमेंट सेंटर की आधारशिला रखी है।
- MAQ सॉफ्टवेयर द्वारा 3,000 सीटों वाला इंजीनियरिंग केंद्र स्थापित किया है।
- राज्य सरकार नोएडा एवं NCR के साथ-साथ वाराणसी, कानपुर और प्रयागराज में भी GCC को आकर्षित करने की दिशा में कार्य कर रही है।
वैश्विक क्षमता केंद्र (GCC)
- GCC का आशय उन ऑफशोर प्रतिष्ठानों से है, जिन्हें कंपनियों द्वारा अपनी मूल संस्थाओं को अनेक प्रकार की सेवाएँ प्रदान करने के लिये स्थापित किया जाता है।
- वैश्विक कॉर्पोरेट ढाँचे के तहत आंतरिक संस्थाओं के रूप में कार्य करते हुए ये केंद्र IT सेवाओं, अनुसंधान एवं विकास, ग्राहक सहायता तथा विभिन्न अन्य व्यावसायिक कार्यों सहित विशिष्ट सेवाएँ प्रदान करते हैं।
- GCC लागत दक्षताओं का लाभ उठाने, प्रतिभा का उचित उपयोग करने तथा मूल उद्यमों एवं उनके ऑफशोर समकक्षों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने में प्रमुख भूमिका निभाते हैं।
- विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) कर छूट, सरलीकृत विनियमन और सुव्यवस्थित नौकरशाही जैसे कई लाभ प्रदान करके GCC के विकास में सहायता प्रदान कर सकते हैं।


उत्तराखंड Switch to English
उत्तराखंड में सुरक्षा उपाय सक्रिय
चर्चा में क्यों?
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक उच्च-स्तरीय बैठक की और राज्य के सभी सीमावर्ती क्षेत्रों में मज़बूत सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ-साथ सीमांत इलाकों में किसी भी संदिग्ध गतिविधि पर सख्त निगरानी रखने का निर्देश दिया।
प्रमुख बिंदु
- संवेदनशील सीमावर्ती ज़िलों की पहचान की गई:
- उत्तरकाशी और चमोली की सीमा चीन से लगती है।
- चंपावत और उधमसिंह नगर की सीमा नेपाल से लगती है।
- पिथौरागढ़ की सीमा चीन और नेपाल दोनों से लगती है।
- चार धाम यात्रा के दौरान सुरक्षा बढ़ाई गई:
- मुख्यमंत्री ने चार धाम यात्रा मार्ग पर सुरक्षा बढ़ाने पर ज़ोर दिय , जहाँ वर्तमान में लाखों तीर्थयात्री पंजीकृत हैं।
- उन्होंने निर्देश दिया कि तीर्थ स्थलों के लिये सभी सुरक्षा व्यवस्थाएँ अविलंब सक्रिय कर दी जाएं।
- सामरिक अवसंरचना का संरक्षण:
- बैठक में प्रमुख प्रतिष्ठानों, बांधों, विद्युत संयंत्रों की सुरक्षा की समीक्षा की गई तथा सभी विभागों और पुलिस बलों को हाई अलर्ट पर रहने के निर्देश दिये गए।
- आपातकालीन तैयारी उपाय:
- उन्होंने निर्देश दिये कि ज़िला एवं तहसील स्तर पर खाद्यान्न एवं आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति सुनिश्चित की जाए।
- अस्पतालों को आवश्यक दवाओं की उचित व्यवस्था के साथ सतर्क रहना चाहिये ।
- नागरिक सुरक्षा और स्वयंसेवकों की भूमिका:
- मुख्यमंत्री ने राहत एवं बचाव कार्यों में नागरिक सुरक्षा समूहों और स्वैच्छिक संगठनों को प्रशिक्षित करने का आह्वान किया।
- अफवाहों और गलत सूचनाओं पर अंकुश लगाना:
- मुख्यमंत्री ने जनता तक सटीक एवं सत्यापित जानकारी प्रसारित करने की आवश्यकता पर बल दिया।
- उन्होंने अधिकारियों को सोशल मीडिया पर सख्त निगरानी रखने और अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिये।

