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उत्तर प्रदेश स्टेट पी.सी.एस.

  • 09 Oct 2025
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मैलानी-नानपारा ट्रैक हेरिटेज रूट घोषित

चर्चा में क्यों?

भारतीय रेलवे द्वारा उत्तर प्रदेश के दुधवा राष्ट्रीय उद्यान से गुजरने वाली 171 किमी लंबी मैलानी–नानपारा मीटर गेज रेल लाइन को हेरिटेज रूट घोषित किया है।

मुख्य बिंदु

  • मैलानी–नानपारा मीटर गेज रेलवे लाइन, जिसका निर्माण लगभग 130 वर्ष पूर्व अंग्रेज़ों द्वारा कई चरणों में किया गया था, में 16 स्टेशन, 71 पुल और मैलानी तथा नानपारा पर अद्वितीय दोहरे गेज स्टेशन शामिल हैं।
  • प्रथम संरक्षित मीटर गेज लाइन: यह पूर्वोत्तर रेलवे (NER) की पहली मीटर गेज लाइन है, जिसे संरक्षित किया गया है तथा इसे ब्रॉड गेज में परिवर्तित करने के बजाए इसके मौलिक रूप (नैरो गेज) को बनाए रखा गया है।
  • सतत् पर्यटन मॉडल: पूर्वोत्तर रेलवे ने मैलानी और दुधवा जैसे प्रमुख स्टेशनों पर पारंपरिक रेलवे उपकरणों को संरक्षित रखने तथा मीटर-गेज डीज़ल इंजनों को समर्पित सुविधाओं पर बनाए रखने की योजना बनाई है।
  • हेरिटेज टूरिज़्म का शुभारंभ: वर्ष 2022 में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव द्वारा मैलानी–बिछिया AC टूरिस्ट कोच का शुभारंभ किया गया, जिससे इस क्षेत्र में हेरिटेज टूरिज़्म की शुरुआत हुई।
    • इस नए हेरिटेज दर्जे से पारिस्थितिकी पर्यटन को बढ़ावा, क्षेत्रीय संपर्क में सुधार तथा स्थानीय आजीविका को प्रोत्साहन मिलने की संभावना है।
  • अन्य प्रमुख घटनाक्रम
    • लखीमपुर–मैलानी ब्रॉड गेज खंड के पीलीभीत तक विस्तार से मैलानी जंक्शन अब हेरिटेज और आधुनिक रेलवे संरचना के बीच एक कड़ी बन गया है।
    • हाल ही में नानपारा जंक्शन के माध्यम से बहराइच से नेपालगंज रोड खंड को भी पूरी तरह से इलेक्ट्रिक ब्रॉड-गेज ट्रैक के रूप में चालू किया गया, जिससे क्षेत्रीय संपर्क में और वृद्धि हो गई है।
    • अप्रैल 2025 में, गोरखपुर जंक्शन के 140 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में मैलानी से दुधवा तक विशेष हेरिटेज पर्यटक ट्रेन संचालित की गई।

दुधवा राष्ट्रीय उद्यान 

  • स्थापना: 
    • दुधवा राष्ट्रीय उद्यान उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी ज़िले में भारत–नेपाल सीमा पर स्थित है, जिसकी स्थापना वर्ष 1977 में 490 वर्ग किमी क्षेत्रफल में विस्तृत एक संरक्षित क्षेत्र के रूप में की गई थी।
    • दलदली हिरण (बारहसिंगा) की आबादी को विलुप्त होने से बचाने के लिये, उत्तर प्रदेश सरकार ने वर्ष 1958 में इस क्षेत्र को वन्यजीव अभयारण्य घोषित किया।
    • वर्ष 1977 में इस अभयारण्य को राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा दिया गया तथा वन्यजीव संरक्षण उपायों को सशक्त करने के लिये इसमें अतिरिक्त क्षेत्र भी शामिल किये गए।
    • इस पार्क को वर्ष 1987 में टाइगर रिज़र्व भी घोषित किया गया था, क्योंकि इस क्षेत्र में बंगाल टाइगर्स की उल्लेखनीय आबादी पाई जाती है।
  • जैव विविधता: 
    • इसके पारिस्थितिकी तंत्र में घास के मैदान, दलदल और तराई क्षेत्र के विशिष्ट घने साल के जंगल शामिल हैं।
  • संरक्षण: 
    • प्रमुख पहलों में आवास पुनर्स्थापन और दलदली हिरण तथा बारहसिंघा जैसी लुप्तप्राय प्रजातियों का पुनःप्रवेश शामिल है।
    • उद्यान की जैवविविधता को संरक्षित करते हुए सतत् पर्यटन को बढ़ावा देने और स्थानीय अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने हेतु इको-टूरिज़्म कार्यक्रम संचालित किये गए हैं।


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विश्व पर्यावास दिवस

चर्चा में क्यों?

आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय (MoHUA) ने विज्ञान भवन, नई दिल्ली में “संकट के लिये शहरी समाधान” विषय के साथ विश्व पर्यावास दिवस 2025 मनाया।

मुख्य बिंदु

  • पृष्ठभूमि: 
    • वर्ष 1985 में, संयुक्त राष्ट्र ने अक्तूबर के पहले सोमवार को विश्व पर्यावास दिवस के रूप में घोषित किया। 
    • यह दिवस पहली बार वर्ष 1986 में "आश्रय मेरा अधिकार है" थीम के साथ मनाया गया था और नैरोबी इसका मेज़बान शहर था। 
  • उद्देश्य: 
    • यह दिवस आवास की स्थिति पर विचार करने तथा सभी व्यक्तियों के लिये पर्याप्त आश्रय तक पहुँच के मौलिक अधिकार पर ज़ोर देने के लिये मनाया जाता है।
  • विषय 2025: 
    • 6 अक्तूबर को मनाए जाने वाले विश्व पर्यावास दिवस 2025 का विषय “शहरी संकट प्रतिक्रिया” था। 
    • यह जलवायु परिवर्तन और संघर्षों जैसी चुनौतियों से उत्पन्न शहरी असमानता को संबोधित करने तथा प्रभावी संकट प्रतिक्रिया उपकरणों और दृष्टिकोणों को बढ़ावा देने पर केंद्रित है।

स्क्रॉल ऑफ ऑनर पुरस्कार

  • संयुक्त राष्ट्र मानव पर्यावास कार्यक्रम (UN-Habitat) द्वारा वर्ष 1989 में शुरू किया गया स्क्रॉल ऑफ ऑनर अवार्ड मानव बस्तियों के क्षेत्र में विश्व का सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार है। 
  • यह पुरस्कार निम्नलिखित क्षेत्रों में असाधारण योगदान को मान्यता देता है:
    • आश्रय प्रावधान: पर्याप्त और सुलभ आवास।
    • निराश्रित लोगों की दुर्दशा पर प्रकाश डालना।
    • संघर्षोत्तर पुनर्निर्माण में नेतृत्व।
    • शहरी जीवन की गुणवत्ता और मानव बस्तियों में सुधार करना।


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93वाँ वायु सेना दिवस

चर्चा में क्यों?

एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह ने 93वें वायुसेना दिवस पर राष्ट्र को शुभकामनाएँ दीं और उन साहसी वायु सैनिकों को सम्मानित किया, जिन्होंने त्याग, समर्पण और कौशल के साथ देश की रक्षा की।

मुख्य बिंदु

  • परिचय:
    • यह दिवस 8 अक्तूबर 1932 को भारतीय वायु सेना (IAF) की स्थापना के सम्मान में प्रतिवर्ष 8 अक्तूबर को मनाया जाता है।
    • भारतीय वायुसेना की पहली परिचालन उड़ान 1 अप्रैल 1933 को हुई, जिसने दशकों से भारत की रक्षा को आकार देने वाली वायु शक्ति की नींव रखी।
    • सीमित कार्मिक और विमानों वाली छोटी सेना से भारतीय वायुसेना अब विश्व की चौथी सबसे बड़ी वायु सेना बन गई है, जो विभिन्न सैन्य और मानवीय मिशनों में सक्रिय है।
  • आदर्श वाक्य: 
    • भारतीय वायुसेना का आदर्श वाक्य ' नभः स्पर्शं दीप्तम्' है, जो भगवद्गीता के ग्यारहवें अध्याय से लिया गया है।
  • विषय: 
  • समारोह: 
    • इस वर्ष के समारोह में राफेल, Su-30MKI, C-17  ग्लोबमास्टर, अपाचे गार्जियन और अन्य विमानों के साथ भव्य फ्लाईपास्ट, साथ ही परेड, एयर शो और भारतीय वायुसेना की तकनीकी प्रगति और परिचालन तत्परता को प्रदर्शित करने वाली प्रदर्शनियाँ शामिल थीं, साथ ही प्रतिष्ठित मिग-21 को विदाई दी गई।
    • यह परेड उत्तर प्रदेश के हिंडन एयर बेस पर आयोजित की गई। 
    • हेरिटेज फ्लाइट  के भाग के रूप में, पुनर्स्थापित हिंदुस्तान ट्रेनर-2 (HT-2) विमान, जो कि पहला स्वदेशी निर्मित भारतीय वायुसेना का विमान है, को भी पहली बार प्रदर्शित किया गया।
    • पारंपरिक फ्लाईपास्ट और हवाई प्रदर्शन 9 नवंबर को गुवाहाटी में आयोजित किया जाएगा, जो इस वर्ष के वायु सेना दिवस समारोह का समापन होगा। 


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