राजस्थान Switch to English
राजस्थान भारत का सबसे बड़ा सीमेंट उत्पादक राज्य
चर्चा में क्यों?
राजस्थान अब आंध्र प्रदेश को पीछे छोड़ते हुए देश का सबसे बड़ा सीमेंट उत्पादक राज्य बनने की दिशा में अग्रसर है।
मुख्य बिंदु
- जैसलमेर में विस्तार योजनाएँ:
- रेगिस्तानी ज़िले जैसलमेर में वर्ष 2026 से 2029 के बीच छः नए सीमेंट संयंत्रों की स्थापना के साथ यह क्षेत्र एक प्रमुख सीमेंट उत्पादन केंद्र के रूप में स्थापित हो रहा है।
- ऐतिहासिक रूप से अपनी पर्यटन-आधारित अर्थव्यवस्था के लिये प्रसिद्ध, जैसलमेर ने विगत 15 वर्षों में सौर और पवन ऊर्जा परियोजनाओं में बड़े निवेश आकर्षित किये हैं। अब सीमेंट निर्माण के जुड़ने से ज़िले के औद्योगिक आधार में और विविधता आएगी।
- रेगिस्तानी ज़िले जैसलमेर में वर्ष 2026 से 2029 के बीच छः नए सीमेंट संयंत्रों की स्थापना के साथ यह क्षेत्र एक प्रमुख सीमेंट उत्पादन केंद्र के रूप में स्थापित हो रहा है।
- निवेश अवलोकन:
- इन संयंत्रों में 17,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश होगा। इनसे राजस्थान की वर्तमान सीमेंट उत्पादन क्षमता में 16 मिलियन टन की वृद्धि होने की संभावना है।
- वर्तमान स्थिति:
- वर्तमान में आंध्र प्रदेश 62.5 मिलियन टन की स्थापित क्षमता के साथ अग्रणी राज्य है, जबकि राजस्थान 55 मिलियन टन के साथ दूसरे स्थान पर है।
- वर्तमान में, चित्तौड़गढ़ राजस्थान का अग्रणी सीमेंट उत्पादक है, जहाँ देश के कुछ सबसे बड़े सीमेंट निर्माताओं के प्रमुख संयंत्र स्थित हैं।
- इसके अतिरिक्त नागौर ज़िले में भी नए सीमेंट संयंत्रों का निर्माण हो रहा है, जिससे राजस्थान के सीमेंट उत्पादन को और बढ़ावा मिलेगा।
- चूना पत्थर भंडार:
- राजस्थान में 2.5 अरब टन चूना पत्थर भंडार है, जो भारत के कुल प्रमाणित चूना पत्थर भंडार का लगभग 26% है।
- यही कारण है कि राज्य सीमेंट उत्पादन के लिये एक आदर्श स्थान माना जाता है।
- राजस्थान की प्रमुख उत्तरी और पश्चिमी बाज़ारों से निकटता तथा मज़बूत परिवहन अवसंरचना, राज्य में सीमेंट उद्योग की व्यवहार्यता को और सुदृढ़ करती है।
- राजस्थान में 2.5 अरब टन चूना पत्थर भंडार है, जो भारत के कुल प्रमाणित चूना पत्थर भंडार का लगभग 26% है।
राष्ट्रीय करेंट अफेयर्स Switch to English
विश्व पर्यावास दिवस
चर्चा में क्यों?
आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय (MoHUA) ने विज्ञान भवन, नई दिल्ली में “संकट के लिये शहरी समाधान” विषय के साथ विश्व पर्यावास दिवस 2025 मनाया।
- इस कार्यक्रम में जलवायु परिवर्तन, प्रवासन और तीव्र शहरीकरण जैसी चुनौतियों से निपटने हेतु शहरों को अधिक लचीला, समावेशी और सतत् बनाने के महत्त्व पर प्रकाश डाला गया।
मुख्य बिंदु
- पृष्ठभूमि:
- वर्ष 1985 में, संयुक्त राष्ट्र ने अक्तूबर के पहले सोमवार को विश्व पर्यावास दिवस के रूप में घोषित किया।
- यह दिवस पहली बार वर्ष 1986 में "आश्रय मेरा अधिकार है" थीम के साथ मनाया गया था और नैरोबी इसका मेज़बान शहर था।
- उद्देश्य:
- यह दिवस आवास की स्थिति पर विचार करने तथा सभी व्यक्तियों के लिये पर्याप्त आश्रय तक पहुँच के मौलिक अधिकार पर ज़ोर देने के लिये मनाया जाता है।
- विषय 2025:
- 6 अक्तूबर को मनाए जाने वाले विश्व पर्यावास दिवस 2025 का विषय “शहरी संकट प्रतिक्रिया” था।
- यह जलवायु परिवर्तन और संघर्षों जैसी चुनौतियों से उत्पन्न शहरी असमानता को संबोधित करने तथा प्रभावी संकट प्रतिक्रिया उपकरणों और दृष्टिकोणों को बढ़ावा देने पर केंद्रित है।
स्क्रॉल ऑफ ऑनर पुरस्कार
- संयुक्त राष्ट्र मानव पर्यावास कार्यक्रम (UN-Habitat) द्वारा वर्ष 1989 में शुरू किया गया स्क्रॉल ऑफ ऑनर अवार्ड मानव बस्तियों के क्षेत्र में विश्व का सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार है।
- यह पुरस्कार निम्नलिखित क्षेत्रों में असाधारण योगदान को मान्यता देता है:
- आश्रय प्रावधान: पर्याप्त और सुलभ आवास।
- निराश्रित लोगों की दुर्दशा पर प्रकाश डालना।
- संघर्षोत्तर पुनर्निर्माण में नेतृत्व।
- शहरी जीवन की गुणवत्ता और मानव बस्तियों में सुधार करना।
राष्ट्रीय करेंट अफेयर्स Switch to English
93वाँ वायु सेना दिवस
चर्चा में क्यों?
एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह ने 93वें वायुसेना दिवस पर राष्ट्र को शुभकामनाएँ दीं और उन साहसी वायु सैनिकों को सम्मानित किया, जिन्होंने त्याग, समर्पण और कौशल के साथ देश की रक्षा की।
मुख्य बिंदु
- परिचय:
- यह दिवस 8 अक्तूबर 1932 को भारतीय वायु सेना (IAF) की स्थापना के सम्मान में प्रतिवर्ष 8 अक्तूबर को मनाया जाता है।
- भारतीय वायुसेना की पहली परिचालन उड़ान 1 अप्रैल 1933 को हुई, जिसने दशकों से भारत की रक्षा को आकार देने वाली वायु शक्ति की नींव रखी।
- सीमित कार्मिक और विमानों वाली छोटी सेना से भारतीय वायुसेना अब विश्व की चौथी सबसे बड़ी वायु सेना बन गई है, जो विभिन्न सैन्य और मानवीय मिशनों में सक्रिय है।
- आदर्श वाक्य:
- भारतीय वायुसेना का आदर्श वाक्य ' नभः स्पर्शं दीप्तम्' है, जो भगवद्गीता के ग्यारहवें अध्याय से लिया गया है।
- विषय:
- इस वर्ष का विषय “ऑपरेशन सिंदूर में बल का योगदान” है।
- समारोह:
- इस वर्ष के समारोह में राफेल, Su-30MKI, C-17 ग्लोबमास्टर, अपाचे गार्जियन और अन्य विमानों के साथ भव्य फ्लाईपास्ट, साथ ही परेड, एयर शो और भारतीय वायुसेना की तकनीकी प्रगति और परिचालन तत्परता को प्रदर्शित करने वाली प्रदर्शनियाँ शामिल थीं, साथ ही प्रतिष्ठित मिग-21 को विदाई दी गई।
- यह परेड उत्तर प्रदेश के हिंडन एयर बेस पर आयोजित की गई।
- हेरिटेज फ्लाइट के भाग के रूप में, पुनर्स्थापित हिंदुस्तान ट्रेनर-2 (HT-2) विमान, जो कि पहला स्वदेशी निर्मित भारतीय वायुसेना का विमान है, को भी पहली बार प्रदर्शित किया गया।
- पारंपरिक फ्लाईपास्ट और हवाई प्रदर्शन 9 नवंबर को गुवाहाटी में आयोजित किया जाएगा, जो इस वर्ष के वायु सेना दिवस समारोह का समापन होगा।