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राजस्थान में राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत का गायन अनिवार्य
चर्चा में क्यों?
राजस्थान सरकार ने घोषणा की है कि अब शिक्षा, संस्कृत शिक्षा तथा पंचायती राज विभाग के अंतर्गत आने वाले सभी सरकारी विद्यालयों और कार्यालयों में प्रतिदिन राष्ट्रगान तथा राष्ट्रगीत का गायन अनिवार्य होगा।
मुख्य बिंदु
- कैबिनेट मंत्री मदन दिलावर ने राजस्थान में अनुशासन, देशभक्ति और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने हेतु इस निर्णय की घोषणा की।
- दैनिक राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत: सभी सरकारी विद्यालयों तथा कार्यालयों में कार्यक्रम की शुरुआत राष्ट्रगान से तथा समापन राष्ट्रगीत से किया जाएगा। उपस्थिति को भागीदारी से जोड़ा जाएगा।
- निगरानी और अनुपालन: संस्थानों को प्रतिदिन जियो-टैग्ड फोटो प्रस्तुत कर भागीदारी का सत्यापन करना होगा। एक औपचारिक आदेश में कार्यान्वयन तथा गैर-अनुपालन पर दंड का प्रावधान किया जाएगा।
- एकरूप वर्दी नीति: अगले शैक्षणिक सत्र से सभी विद्यालयों तथा शिक्षकों के लिये एक समान वर्दी लागू की जाएगी। टाई को हटाया जाएगा तथा स्थानीय अधिकारी अनुपालन की निगरानी करेंगे।
- अतिरिक्त सुधार: सभी विद्यार्थियों और शिक्षकों के लिये पहचान-पत्र अनिवार्य होगा तथा एसएमएस प्रणाली के माध्यम से विद्यार्थियों की उपस्थिति की सूचना अभिभावकों को प्रेषित की जाएगी।
- महत्त्व: यह कदम राष्ट्रीय एकता, अनुशासन, जवाबदेही और समानता को प्रोत्साहित करता है तथा विद्यालयों तथा कार्यालयों में पारदर्शिता एवं एकरूपता सुनिश्चित करता है।
राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत
- जन-गण-मन (राष्ट्रगान) मूल रूप से रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा बांग्ला में रचित (1911 में) था। इसे हिंदी में भारत के राष्ट्रगान के रूप में अपनाया गया।
- इसे पहली बार 27 दिसंबर 1911 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) के कलकत्ता अधिवेशन में गाया गया था।
- भारत का राष्ट्रीय गीत “वंदे मातरम” है, जिसे बंकिम चंद्र चटर्जी ने लिखा था।
- यह गीत पहली बार वर्ष 1870 में लिखा गया था और बाद में वर्ष 1882 में उनके उपन्यास "आनंदमठ" में सम्मिलित किया गया।
- इसे पहली बार वर्ष 1896 के INC सत्र में गाया गया था।
- यह एक देशभक्तिपूर्ण गीत है, जो भारत माता के प्रति श्रद्धा का प्रतिनिधित्व करता है और भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान प्रेरणा का स्रोत था।
- भारत के राष्ट्रगीत और राष्ट्रगान दोनों को संविधान सभा द्वारा 24 जनवरी 1950 को अपनाया गया था।
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राजस्थान में दो प्रमुख श्रम सुधारों की स्वीकृति
चर्चा में क्यों?
आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने और श्रमिक कल्याण को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम उठाते हुए, मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने राजस्थान में सुरक्षित, गरिमामय तथा प्रगतिशील कार्य वातावरण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से दो प्रमुख श्रम सुधारों को स्वीकृति प्रदान की।
मुख्य बिंदु
- राजस्थान दुकानें एवं वाणिज्यिक प्रतिष्ठान (संशोधन) अध्यादेश, 2025:
- बाल श्रम निषेध: 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों को दुकानों या व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में काम करने पर प्रतिबंध है।
- प्रशिक्षुओं के लिये न्यूनतम आयु 12 से बढ़ाकर 14 वर्ष कर दी गई है।
- किशोरों के लिये संरक्षण (14-18 वर्ष): उनकी शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण की सुरक्षा के लिये रात के समय काम करने पर प्रतिबंध।
- संशोधित कार्य मानक: दैनिक कार्य सीमा 9 घंटे से बढ़ाकर 10 घंटे कर दी गई है तथा त्रैमासिक ओवरटाइम सीमा 126 घंटे से बढ़ाकर 144 घंटे कर दी गई है।
- राजस्थान कारखाना (संशोधन) नियम, 2025:
- महिला रोज़गार प्रावधान: गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं को छोड़कर, महिला श्रमिकों को सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन करने पर अनुमोदित कारखाना वातावरण में काम करने की अनुमति देता है।
- अनिवार्य सुरक्षा उपाय: नियोक्ताओं को सुरक्षात्मक उपकरण (मास्क, दस्ताने, श्वासयंत्र) उपलब्ध कराने होंगे, सुरक्षित वायु गुणवत्ता बनाए रखनी होगी तथा सभी कर्मचारियों के लिये नियमित सुरक्षा प्रशिक्षण आयोजित करना होगा।
राष्ट्रीय करेंट अफेयर्स Switch to English
मोंथा चक्रवात
चर्चा में क्यों?
बंगाल की खाड़ी में उत्पन्न चक्रवात "मोंथा" भारत के पूर्वी तट के निकट पहुँचते ही तीव्र रूप ले रहा है, जिसके कारण आंध्र प्रदेश, ओडिशा और तमिलनाडु में हाई अलर्ट जारी किया गया है।
मुख्य बिंदु
- चक्रवात के बारे में:
- परिभाषा: चक्रवात वे तेज़ वायु-संचलन हैं, जो निम्न-दबाव क्षेत्रों के चारों ओर घूमते हैं, जो उत्तरी गोलार्द्ध में वामावर्त तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में दक्षिणावर्त घूमता है। ये अक्सर तूफान और गंभीर मौसम उत्पन्न करते हैं।
- चक्रवातों का वर्गीकरण: IMD विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) के दिशानिर्देशों का पालन करते हुए बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में कम दबाव वाली प्रणालियों को क्षति क्षमता के आधार पर वर्गीकृत करता है।
- चक्रवातों का नामकरण: WMO/ESCAP (एशिया और प्रशांत के लिये संयुक्त राष्ट्र आर्थिक एवं सामाजिक आयोग) का ट्रॉपिकल साइक्लोन पैनल, जिसमें 13 उत्तरी हिंद महासागर देश शामिल हैं, अरब सागर एवं बंगाल की खाड़ी के चक्रवातों के नामकरण का प्रबंधन करता है।
- पैनल के पास 13 देशों द्वारा प्रस्तुत नामों की पूर्व-निर्धारित सूची होती है, जिसका क्रमिक रूप से उपयोग किया जाता है।
- नामों का चयन स्तंभ दर स्तंभ किया जाता है, चाहे चक्रवात कहीं भी उत्पन्न हुआ हो।
- हालिया चक्रवात:
- 'मोंथा' नाम, जिसका अर्थ है सुंदर या सुगंधित फूल, थाईलैंड द्वारा दिया गया था।
- इस मौसम के पहले चक्रवाती तूफान का नाम श्रीलंका के सुझाव पर 'शक्ति' रखा गया।
- हाल ही में आए अन्य चक्रवातों में शक्ति (श्रीलंका), फेंगल (सऊदी अरब), दाना (कतर), असना (पाकिस्तान) और रेमल (ओमान) शामिल हैं।
- नामकरण सूची के अनुसार, अगला चक्रवात सेंयार (UAE) होगा, उसके बाद दित्वा (यमन), अर्नब (बांग्लादेश) और मुरासु (भारत) होंगे।
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