मध्य प्रदेश Switch to English
राजा भभूत सिंह
चर्चा में क्यों?
मध्य प्रदेश सरकार ने 19वीं सदी के आदिवासी नेता राजा भभूत सिंह को सम्मान देने के लिये पचमढ़ी वन्यजीव अभयारण्य का नाम उनके नाम पर रख दिया है।
मुख्य बिंदु
- राजा भभूत सिंह के बारे में:
- 1857 के विद्रोह में योगदान: राजा भभूत सिंह ब्रिटिश शासन के विरुद्ध 1857 के विद्रोह के दौरान एक प्रमुख किंतु कम प्रसिद्ध आदिवासी नेता थे।
- गुरिल्ला युद्ध के विशेषज्ञ: उन्होंने सतपुड़ा के जंगलों और भू-भाग का गहन ज्ञान रखते हुए प्रभावी गुरिल्ला हमले किये तथा वर्षों तक ब्रिटिश सेनाओं का प्रतिरोध किया।
- तात्या टोपे के सहयोगी: उन्होंने तात्या टोपे जैसे राष्ट्रीय नेताओं से घनिष्ठ संबंध बनाए रखे और स्वतंत्रता आंदोलन को समर्थन दिया।
- शहादत और विरासत: अंग्रेज़ो ने उन्हें पकड़ने के लिये मद्रास इन्फैंट्री को तैनात किया और अंततः वर्ष 1860 में उनकी हत्या कर दी। उनकी विरासत आज भी कोरकू लोक परंपराओं में जीवित है।
- मध्य प्रदेश में सम्मानित अन्य जनजातीय नेता:
- टंट्या भील: वर्ष 2021 में पातालपानी रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर टंट्या भील के नाम पर रखा गया।
- भीमा नायक: भील स्वतंत्रता सेनानी भीमा नायक के सम्मान में एक स्मारक की घोषणा की गई है।
- भीमा नायक स्मारक: नायक ने 1818–1850 के बीच खानदेश में भील प्रतिरोध का नेतृत्व किया।
- रानी कमलापति: भोपाल स्थित हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर गोंड रानी कमलापति के नाम पर रखा गया। वह गिन्नौर किले (वर्तमान सीहोर) के शासक निज़ाम शाह की सातवीं पत्नी थीं।
- शंकर शाह और रघुनाथ शाह: वर्ष 2021 में यह घोषणा की गई कि छिंदवाड़ा विश्वविद्यालय का नाम गोंड राजघरानों के नाम पर रखा जाएगा।
- पचमढ़ी वन्यजीव अभयारण्य:
- परिचय:
- यह दक्कन प्रायद्वीप जैवभौगोलिक क्षेत्र में स्थित है तथा मध्य भारत के जैविक प्रांत के अंतर्गत आता है।
- यह सतपुड़ा पर्वत शृंखला के मध्य में स्थित है, जो भारत में पश्चिम से पूर्व तक फैली हुई है।
- इस रिज़र्व का सबसे ऊँचा स्थान धूपगढ़ है, जो समुद्र तल से 1,352 मीटर ऊँचा है.
- रिज़र्व के भीतर संरक्षित क्षेत्र:
- इस बायोस्फीयर रिज़र्व में तीन प्रमुख संरक्षित क्षेत्र शामिल हैं: बोरी वन्यजीव अभयारण्य, सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान, पचमढ़ी अभयारण्य।
- ये तीनों क्षेत्र मिलकर सतपुड़ा टाइगर रिज़र्व का निर्माण करते हैं, जो मध्य भारत के लिये एक महत्त्वपूर्ण संरक्षण परिदृश्य है।
कोरकू जनजाति
- परिचय:
- कोरकू समुदाय मुख्य रूप से मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ तथा महाराष्ट्र के मेलघाट क्षेत्र में निवास करता है।
- परंपरागत रूप से, कोरकू स्थायी कृषक तथा कुशल किसान रहे हैं। वे अपने क्षेत्रों में आलू और कॉफी जैसी फसलें उगाने में अग्रणी थे।
- हालाँकि आज अधिकांश कोरकू समुदाय के पास पर्याप्त कृषि भूमि है, लेकिन कुछ लोगों ने 19वीं सदी के अंत तक झूम खेती से हटकर वानिकी तथा खेतीहर मज़दूरी की ओर रुख किया।
- कोरकू गाँव आमतौर पर घास और लकड़ी से बनी छोटी-छोटी झोपड़ियों से बने होते हैं।
- वे वंशानुगत, पुरुष-वंश-आधारित समुदायों में रहते हैं, जिनका नेतृत्व परंपरागत मुखिया करते हैं।
- सांस्कृतिक प्रथाएँ और विश्वास:
- कोरकू जनजाति की एक विशिष्ट सांस्कृतिक पहचान है तथा परंपरागत चिकित्सा पद्धतियाँ आज भी सक्रिय रूप से उपयोग में हैं।
- वे अपने पूर्वजों को देवता के रूप में पूजते हैं तथा उनकी स्मृति में 'मुंडा' नामक स्मारक स्तंभ स्थापित करते हैं।

