पन्ना टाइगर रिज़र्व में केन-बेतवा परियोजना पर चिंता | मध्य प्रदेश | 11 Jun 2025
चर्चा में क्यों?
वन्यजीव विशेषज्ञों और वन अधिकारियों ने चिंता जताई है कि केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना के तहत निर्माण कार्य से मध्य प्रदेश के पन्ना टाइगर रिज़र्व (PTR) में वन्यजीवों पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है।
मुख्य बिंदु
- पन्ना टाइगर रिज़र्व के बारे में:
- पन्ना भारत का 22वाँ और मध्य प्रदेश का 5वाँ बाघ अभयारण्य है।
- यह विंध्य पर्वतमाला में स्थित है तथा उत्तरी मध्य प्रदेश के पन्ना और छतरपुर ज़िलों के कुछ हिस्सों को कवर करता है।
- पन्ना राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना वर्ष 1981 में हुई थी तथा इसे वर्ष 1994 में टाइगर रिज़र्व घोषित किया गया।
- राष्ट्रीय उद्यान में वर्ष 1975 में बनाए गए पूर्व गंगऊ वन्यजीव अभयारण्य का क्षेत्र शामिल है।
- इस अभयारण्य के जंगल कभी पन्ना, छतरपुर और बिजावर की पूर्व रियासतों के शाही परिवारों के लिये शिकारगाह हुआ करते थे।
- वनस्पति:
- जीव-जंतु:
- यह रिज़र्व बाघों, भालुओं, तेंदुओं और धारीदार लकड़बग्घों की महत्त्वपूर्ण आबादी का घर है।
- अन्य उल्लेखनीय माँसाहारी प्रजातियों में सियार, भेड़िये, जंगली कुत्ते, जंगली बिल्लियाँ और धब्बेदार जंगली बिल्ली शामिल हैं।
- उत्तर-पूर्व से दक्षिण-पश्चिम तक फैली विंध्य पर्वत शृंखलाएँ वन्य जीवों की पूर्वी और पश्चिमी आबादी को जोड़ने में मदद करती हैं।
- केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना का अवलोकन और उद्देश्य:
- प्रधानमंत्री ने दिसंबर 2024 में केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना का शुभारंभ किया, जिसका उद्देश्य केन नदी के अतिरिक्त पानी को बेतवा नदी तक पहुँचाना है।
- इस परियोजना का उद्देश्य मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में लगभग 6.5 मिलियन लोगों को पेयजल उपलब्ध कराना है।
- निर्माण एवं वन प्रभाव:
- मार्च 2025 में, प्राधिकारियों ने पन्ना टाइगर रिज़र्व के मुख्य चंद्र नगर रेंज में दौधन बाँध स्थल तक सड़क का निर्माण शुरू किया।
- 15 हेक्टेयर वन भूमि पर वृक्ष काट दिये गए, जिससे प्रभावित क्षेत्र से वन्यजीवों का पलायन शुरू हो गया।
- वन्यजीव अशांति और प्रवासन:
- शाकाहारी जानवर उत्तर की ओर बढ़ रहे हैं, जिससे पारंपरिक प्रादेशिक क्षेत्र बाधित हो रहे हैं।
- परियोजना स्थल पर बढ़ती मानवीय उपस्थिति और मशीनरी के कारण बंदर तथा पक्षी इस क्षेत्र से पलायन कर रहे हैं।
- राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) ने पन्ना टाइगर रिज़र्व में वन क्षरण और शिकार की कमी को लेकर चिंता जताई है।
- भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) की अप्रैल 2025 की रिपोर्ट से पता चला है कि शिकार घनत्व घटकर 6 जानवर/वर्ग किमी रह गया है, जो आदर्श स्थिति 30-60 से बहुत कम है।
- सरकारी उपाय:
- विस्थापित वन्यजीवों को नए अधिसूचित क्षेत्रों में स्थानांतरित किया जाएगा, जैसे:
- अन्य वनों से शिकार प्रजातियों को पन्ना टाइगर रिज़र्व में स्थानांतरित करने की योजना पर काम चल रहा है।
- पर्यावरणीय प्रभावों को कम करने के लिये सरकार ने प्रतिपूरक वनरोपण और वन्यजीव पुनर्वास उपायों की योजना बनाई है।
- रिज़र्व का 60 वर्ग किमी तक विस्तार प्रस्तावित है तथा छतरपुर और पन्ना ज़िलों में भूमि अधिग्रहण का कार्य पहले ही चल रहा है।
- पर्यावरण मंत्रालय ने तीन शर्तों के साथ परियोजना को मंज़ूरी दी:
- पन्ना टाइगर रिज़र्व की सीमाओं का विस्तार करना।
- प्रतिपूरक वनरोपण के रूप में 2.5 मिलियन पेड़ लगाए जाएंगे।
- रेडियो कॉलर के माध्यम से बाघ और तेंदुए के व्यवहार की निगरानी करना।
- अब तक वन विभाग ने वनरोपण के लिये निर्धारित भूमि का केवल 30% ही अधिगृहीत किया है।