मध्य प्रदेश Switch to English
हेलीकॉप्टर-संचालित बोमा तकनीक
चर्चा में क्यों?
मध्य प्रदेश वन विभाग ने भारत में पहली बार पश्चिमी हिस्सों में फसल क्षति हेतु ज़िम्मेदार काले हिरण (ब्लैकबक) और नीलगाय को पकड़ने तथा स्थानांतरित करने के लिये हेलीकॉप्टर-संचालित बोमा तकनीक शुरू की है, जो वन्यजीव प्रबंधन में एक विशिष्ट कदम है।
मुख्य बिंदु
- परिचय: यह अभियान शाजापुर ज़िले के कालापीपाल क्षेत्र में शुरू किया गया, जहाँ काले हिरण (ब्लैकबक) और नीलगाय ने खड़ी फसलों को व्यापक क्षति पहुँचाई है, जिससे किसानों के लिये बड़ी चुनौती उत्पन्न हुई है।
- यह शाजापुर में दस दिवसीय पायलट अभियान का उद्देश्य किसानों की फसलों की सुरक्षा करना और सुरक्षित, वैज्ञानिक वन्यजीव प्रबंधन को प्रोत्साहन प्रदान करना है तथा इसकी सफलता पर आधारित इस पहल को मध्य प्रदेश के अन्य हिस्सों में दोहराने की योजना है।
- पहले दिन हेलीकॉप्टर-संचालित बोमा तकनीक का उपयोग करके 45 काले हिरण (ब्लैकबक) को पकड़ा गया और 15-सदस्यीय दक्षिण अफ्रीका की विशेषज्ञ टीम की देख-रेख में लगभग 275 किलोमीटर दूर गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य में स्थानांतरित किया गया।
- बोमा तकनीक: बोमा तकनीक अफ्रीका में विकसित एक वन्यजीव पकड़ने और स्थानांतरित करने की विधि है।
- इसमें हेलीकॉप्टर और शंकु-आकार के बाड़े (बोमा) का उपयोग करके पशुओं को सुरक्षित रूप से पकड़ने वाले क्षेत्र में लाया जाता है।
- यह विधि पशुओं पर तनाव और चोट लगने की संभावना को न्यूनतम करती है, जिससे उनका सुरक्षित तथा कुशल स्थानांतरण सुनिश्चित होता है।
- गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य:
- यह मध्य प्रदेश के उत्तर-पश्चिमी भाग में, राजस्थान की सीमा के पास स्थित है और इसका क्षेत्रफल 368 वर्ग किलोमीटर है।
- यह सवाना, खुले घास के मैदान, शुष्क पर्णपाती वन और नदी किनारे वाले क्षेत्रों का विविध पारिस्थितिकी तंत्र प्रस्तुत करता है तथा इसे एक महत्त्वपूर्ण पक्षी एवं जैवविविधता क्षेत्र (IBA) के रूप में मान्यता प्राप्त है।
- अभयारण्य की वनस्पति खथियार-गिर शुष्क पर्णपाती वन पारिस्थितिकी क्षेत्र की विशेषता को दर्शाती है।
काला हिरण (Blackbuck)
- परिचय:
- यह घास के मैदानों के पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य का प्रमुख संकेतक है।
- मुख्य रूप से यह राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु और ओडिशा जैसे राज्यों के खुले घास के मैदानों तथा झाड़ी वाले क्षेत्रों में निवास करता है।
- संरक्षण स्थिति:
- IUCN रेड लिस्ट: कम चिंताजनक (Least Concern)
- वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972: अनुसूची I
- CITES: परिशिष्ट III
नीलगाय (Blue Bull)
- परिचय:
- एशिया का सबसे बड़ा एंटीलोप, जो बोविडे (Bovidae) कुल से संबंधित है और भारतीय उपमहाद्वीप का मूल निवासी है।
- हल्के वनाच्छादित वनों, झाड़ियों, घास के मैदानों एवं कृषि क्षेत्रों में निवास करता है और अक्सर मानव बस्तियों के आस-पास देखा जाता है।
- वितरण: भारत, नेपाल और पाकिस्तान में पाया जाता है।
- संरक्षण स्थिति:
- IUCN रेड लिस्ट: कम चिंताजनक (Least Concern)
- वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972: अनुसूची III
राष्ट्रीय करेंट अफेयर्स Switch to English
नीरज चोपड़ा को मानद लेफ्टिनेंट कर्नल की उपाधि प्रदान की गई
चर्चा में क्यों?
दो बार के ओलंपिक पदक विजेता नीरज चोपड़ा को राष्ट्र के प्रति उनके उत्कृष्ट योगदान और उपलब्धियों के सम्मान में प्रादेशिक सेना (Territorial Army) में मानद लेफ्टिनेंट कर्नल की उपाधि प्रदान की गई है।
- पिपिंग समारोह नई दिल्ली के साउथ ब्लॉक में आयोजित किया गया, जहाँ रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सेना प्रमुख जनरल उपेन्द्र द्विवेदी की उपस्थिति में औपचारिक रूप से यह रैंक प्रतीक/चिह्न (Rank Insignia) प्रदान किया।
मुख्य बिंदु
- परिचय: 24 दिसंबर, 1997 को हरियाणा के पानीपत ज़िले के खंडरा गाँव में जन्मे नीरज चोपड़ा एक कृषक परिवार से संबंध रखते हैं और भारत के सबसे प्रतिष्ठित खिलाड़ियों में से एक बन चुके हैं।
- भारतीय सेना में यात्रा:
- नीरज चोपड़ा अगस्त, 2016 में भारतीय सेना में राजपूताना राइफल्स रेजिमेंट में नायब सूबेदार (Naib Subedar) के रूप में शामिल हुए थे तथा वर्ष 2021 में उन्हें एथलेटिक्स में उनकी उत्कृष्ट उपलब्धियों के लिये सूबेदार (Subedar) के पद पर पदोन्नत किया गया।
- वर्ष 2022 में, ओलंपिक में शानदार प्रदर्शन के बाद उन्हें सूबेदार मेजर (Subedar Major) पद पर पदोन्नत किया गया और भारतीय सेना के सर्वोच्च शांतिकालीन सम्मान ‘परम विशिष्ट सेवा पदक’ से सम्मानित किया गया।
- अप्रैल, 2025 में, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें राष्ट्रसेवा और उत्कृष्ट खेल उपलब्धियों की मान्यता में मानद लेफ्टिनेंट कर्नल (Honorary Lieutenant Colonel) की उपाधि प्रदान की।
- खेल में प्राप्त उपलब्धियाँ:
- टोक्यो ओलंपिक 2020: ट्रैक एंड फील्ड में ओलंपिक स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय एथलीट बनकर इतिहास रचा।
- विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2023: स्वर्ण पदक जीता, जिससे वैश्विक एथलेटिक्स में भारत की उपस्थिति और दृढ़ हुई।
- पेरिस ओलंपिक 2024: रजत पदक प्राप्त किया, जिससे उनका निरंतर उच्च प्रदर्शन स्तर बना रहा।
- एशियाई खेल और राष्ट्रमंडल खेल: कई स्वर्ण पदक जीतकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भाला फेंक स्पर्द्धा में अपनी प्रतिष्ठा स्थापित की।
- डायमंड लीग एवं अन्य प्रतियोगिताएँ: लगातार शीर्ष स्थान प्राप्त किया तथा वर्ष 2025 में 90.23 मीटर का व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ थ्रो (Personal Best Throw) कर भारतीय एथलेटिक्स में एक नया रिकॉर्ड बनाया।
- पुरस्कार एवं सम्मान:
- विशिष्ट सेवा पदक (2023)
- परम विशिष्ट सेवा पदक (2022)
- पद्मश्री (2022)
- मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार (2021)
- अर्जुन पुरस्कार (2018)
राष्ट्रीय करेंट अफेयर्स Switch to English
पिंकी आनंद को बहरीन अंतर्राष्ट्रीय वाणिज्यिक न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया गया
चर्चा में क्यों?
डॉ. पिंकी आनंद, वरिष्ठ अधिवक्ता और भारत के पूर्व एडिशनल सॉलिसिटर जनरल, को बहरीन अंतर्राष्ट्रीय वाणिज्यिक न्यायालय (BICC) में न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया है, जो कि वर्ष 2024 में पूर्व सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश संजय किशन कौल की उसी न्यायालय में नियुक्ति के बाद हुआ है।
डॉ. पिंकी आनंद
- पृष्ठभूमि: हार्वर्ड लॉ स्कूल की स्नातक और इन्लैक्स स्कॉलर, डॉ. पिंकी आनंद के पास 40 वर्षों से अधिक का विधिक अनुभव है। उन्होंने भारत में एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (2014-2020) के रूप में कार्य किया और उन्हें संवैधानिक कानून, सिविल मध्यस्थता तथा आपराधिक कानून में विशेषज्ञता प्राप्त है।
- अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधित्व: उन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर किया है, जिनमें ब्रिक्स (BRICS) शामिल हैं; ब्रिक्स लीगल फोरम की संस्थापक सदस्य भी हैं।
- सम्मान: उन्हें फ्राँस के राष्ट्रपति द्वारा फ्रेंच नेशनल ऑर्डर ऑफ मेरिट से सम्मानित किया गया।
बहरीन अंतर्राष्ट्रीय वाणिज्यिक न्यायालय (BICC)
- बहरीन अंतर्राष्ट्रीय वाणिज्यिक न्यायालय (Bahrain International Commercial Court- BICC) की स्थापना जटिल सीमा पार वाणिज्यिक विवादों को निपटाने के लिये की गई है। यह न्यायालय 5 नवंबर, 2025 को न्यायाधीशों के शपथ ग्रहण समारोह के साथ अपना कार्य आरंभ करेगा, जिसमें बहरीन के राजपरिवार और प्रधानमंत्री की उपस्थिति होगी।
- BICC की अध्यक्षता प्रसिद्ध मध्यस्थता विशेषज्ञ जान पॉल्सन कर रहे हैं और इसमें 17 न्यायाधीश शामिल हैं- जिनमें 7 महिलाएँ एवं 10 पुरुष हैं, जो विश्व के विभिन्न न्यायिक क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- यह न्यायालय मार्च, 2024 में बहरीन और सिंगापुर के बीच हुई एक संधि के तहत स्थापित किया गया है तथा इसका ढाँचा सिंगापुर अंतर्राष्ट्रीय वाणिज्यिक न्यायालय (Singapore International Commercial Court- SICC) के मॉडल पर आधारित है ताकि वाणिज्यिक विवाद समाधान में अंतर्राष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं को प्रोत्साहित किया जा सके।
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