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स्टेट पी.सी.एस.

  • 02 Aug 2022
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बिहार Switch to English

मेडिकल और इंजीनियरिंग की तैयारी कर रही छात्राओं को फ्री कोचिंग

चर्चा में क्यों?

1 अगस्त, 2022 को बिहार के पिछड़ा और अतिपिछड़ा कल्याण विभाग के सचिव पंकज कुमार ने बताया कि राज्य में मेडिकल और इंजीनियरिंग की तैयारी कर रहीं पिछड़े और अति पिछड़े वर्ग की छात्राओं को बिहार सरकार फ्री में ऑनलाइन कोचिंग कराएगी।

प्रमुख बिंदु

  • सचिव पंकज कुमार ने बताया कि कन्या आवासीय स्कूलों में पढ़ रही छात्राओं के अलावा पिछड़े और अति पिछड़े वर्ग के हॉस्टल में रहकर पढ़ने वाली छात्राओं को भी इस योजना का लाभ मिलेगा।
  • गौरतलब है कि समाज कल्याण विभाग बिहार के सभी 38 ज़िलों में पिछड़े और अति पिछड़े वर्ग के कन्या आवासीय उच्च माध्यमिक स्कूलों में ऑनलाइन शिक्षा शुरू करेगा। 35 हज़ार से ज़्यादा छात्राओं को इसका फायदा मिलेगा।
  • सरकार की ओर से मेडिकल और इंजीनियरिंग की तैयारी कर रही छात्राओं को इंटरनेट भी मुफ्त मिलेगा। साथ ही छात्राओं को प्रसिद्ध कोचिंग सेंटरों के स्टडी मैटेरियल भी दिये जाएंगे। छात्राओं के लिये एक सप्ताह में विशेष क्लास भी लगेगी, जिससे तैयारी में किसी तरह की दिक्कत या परेशानी न आए।
  • पंकज कुमार ने बताया कि समाज कल्याण विभाग ने इस पूरी योजना को लेकर ऑनलाइन क्लास चलाने के लिये टीवी स्क्रीन, इंटरनेट और व्हाइट बोर्ड तक की तैयारी कर ली है।

राजस्थान Switch to English

आयरन ओर ब्लॉक नीलामी में राजस्थान ने रचा नया इतिहास

चर्चा में क्यों?

31 जुलाई, 2022 को अतिरिक्त मुख्य सचिव (माइंस एवं पेट्रोलियम) डॉ. सुबोध अग्रवाल ने बताया कि जयपुर के बागावास ब्लॉक की आयरन ओर माइनिंग ब्लॉक की ई-नीलामी रिज़र्व प्राईस से 452 प्रतिशत अधिक राशि पर हुई है, जो पूरे देश के माइनिंग ब्लॉक नीलामी के इतिहास में सर्वाधिक है।

प्रमुख बिंदु

  • डॉ. सुबोध अग्रवाल ने बताया कि खनिज नीलामी नियम 2015 के प्रभाव में आने के बाद समूचे देश में अब तक की यह सबसे अधिक प्रीमियम राशि पर नीलामी है। इससे पहले मध्य प्रदेश में खनिज रॉक फॉस्फेट के ब्लॉक की नीलामी में सर्वाधिक 320 प्रतिशत बोली प्राप्त हुई थी।
  • डॉ. अग्रवाल ने बताया कि विभाग द्वारा जयपुर ज़िले के विराटनगर के पास बागावास में 5.9266 हेक्टेयर आयरन ओर ब्लॉक के आवंटन के लिये अंतिम नीलामी प्रक्रिया में उच्चतम बोली भटिंडा के शुभ लोहिया प्रो. भारत कोल ट्रेडर्स भटिंडा, पंजाब ने 452 प्रतिशत लगाई।
  • उन्होंने बताया कि बागावास की आयरन ओर की इस माइनिंग ब्लॉक की नीलामी से राज्य सरकार को आगामी 50 सालों में रॉयल्टी, प्रीमियम, डीएमएफटी, एनएमईटी आदि को मिलाकर 119.65 करोड़ रुपए का राजस्व मिलने की संभावना है।
  • अतिरिक्त मुख्य सचिव ने बताया कि राजस्थान में आयरन ओर के विपुल भंडार होने के साथ ही विभाग द्वारा नई खोज व नीलामी के लिये ब्लॉक तैयार करने का कार्य जारी है।
  • जयपुर, सीकर, झुंझुनूं, करौली, भीलवाड़ा और अलवर में खनिज आयरन ओर के विपुल भंडार उपलब्ध हैं। प्रदेश में वर्तमान में जयपुर में 4, सीकर में 3, झुंझुनूं में 6, भीलवाड़ा में 2 और अलवर में 1 सहित आयरन ओर के कुल 16 खनन पट्टे कार्यशील हैं और एक अनुमान के अनुसार इनसे 50 करोड़ रुपए से अधिक का सालाना राजस्व प्राप्त हो रहा है।

मध्य प्रदेश Switch to English

इंदौर में 5 सड़क परियोजनाओं का शिलान्यास और वन-वे साइड एमिनिटी का लोकार्पण

चर्चा में क्यों?

1 अगस्त, 2022 को केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी तथा मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इंदौर में 2300 करोड़ रुपए लागत की 119 किमी. लंबी 5 सड़क परियोजनाओं का शिलान्यास एवं वन-वे साइड एमिनिटी का लोकार्पण किया।

प्रमुख बिंदु

  • इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री गडकरी ने कहा कि प्रदूषण से मुक्ति के लिये वाहनों में ईंधन के गैर-परंपरागत स्रोत का उपयोग किया जाना चाहिये। इसके लिये इलेक्ट्रिक, बायो गैस, बायो डीज़ल, ग्रीन हाईड्रोजन, बायो मीथेनॉल आदि गैर-पारंपरिक स्रोतों से संचालित वाहनों को बढ़ावा दिया जाना चाहिये।
  • केंद्रीय मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा सड़कों और इससे जुड़ी अधो-संरचनाओं का तेज़ी से विकास किया जा रहा है। वर्ष 2014 के बाद अकेले मध्य प्रदेश में ही ढाई लाख करोड़ रुपए लागत के कार्य स्वीकृत, निर्मित तथा प्रगतिरत् हैं। इसे बढ़ाकर वर्ष 2024 तक 4 लाख करोड़ रुपए कर दिया जाएगा।
  • उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के आग्रह पर मध्य प्रदेश में सड़क संबंधी विभिन्न विकास परियोजनाओं को मंज़ूरी देने की घोषणाएँ कीं। इसमें प्रमुख रूप से 20 फ्लाईओवर तथा 14 स्थलों पर रोप-वे संबंधी कार्य शामिल हैं।
  • केंद्रीय सड़क परिवहन राज्य मंत्री वी.के. सिंह ने कार्यक्रम को वर्चुअली संबोधित करते हुए कहा कि मध्य प्रदेश के 52 ज़िले नेशनल हाई-वे से जुड़ गए हैं। सड़कों का तेज़ी से विकास हो रहा है। इससे परिवहन सुधार के साथ धार-पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र को भी लाभ मिलेगा। सड़कों के निर्माण से उद्योग, व्यापार तथा रोज़गार बढ़ेंगे।
  • मध्य प्रदेश के शहरी क्षेत्रों में यातायात को सुगम बनाने एवं पर्यटकों को बेहतर कनेक्टिविटी देने के उद्देश्य से रोप-वे निर्माण योजना शुरू की जाएगी। इस योजना को मूल आधार देने के लिये ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में मध्य प्रदेश लोक निर्माण विभाग तथा भारत सरकार की कंपनी राष्ट्रीय राजमार्ग रसद प्रबंधन लिमिटेड के मध्य एम.ओ.यू साइन किया गया।
  • रोप-वे निर्माण के लिये मध्य प्रदेश शासन द्वारा रेलवे स्टेशन से महाकाल मंदिर उज्जैन, रामराजा मंदिर ओरछा, ग्वालियर किला से फूलबाग, कोकता से नादरा बस स्टैंड भोपाल वाया गोविंदपुरा, गोल जोड़ तिराहा (कोलार रोड) से न्यू मार्केट भोपाल, रहली पाटन मार्ग से टिकीटोरिया माता मंदिर रहली, मांडू प्रवेश द्वार से रूपमती महल, सिद्धवरकूट जैन मंदिर से राजेश्वर आश्रम ओंकारेश्वर, नर्मदा नदी तट से सेलानी टापू ओंकारेश्वर, रनेहफॉल से केन नदी तट खजुराहो, रायसेन पार्किंग से रायसेन किला, शिव मंदिर पार्किंग से चौरागढ़ शिव मंदिर पचमढ़ी, पातालकोट तामिया तथा अमरकंटक में दूध धारा से कपिल धारा स्थल चयनित किये गए हैं।
  • उल्लेखनीय है कि रोप-वे निर्माण से न केवल सस्टेनेबल डेवलपमेंट तथा पर्यावरण-संरक्षण पर फोकस करते हुए प्रदेश में ट्रांसपोर्ट का विकास किया जा सकेगा, बल्कि इससे न्यूनतम भूमि अधिग्रहण, प्रदूषण नियंत्रण तथा कार्बन फुटप्रिंट कम करने जैसे लक्ष्यों की भी पूर्ति होगी।

हरियाणा Switch to English

राष्ट्रीय राजमार्ग-152डी

चर्चा में क्यों?

30 जुलाई, 2022 को अंबाला से नारनौल तक बनाए गए नवनिर्मित राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-152डी को आमजन के लिये खोल दिया गया, ताकि इसका परीक्षण किया जा सके।

प्रमुख बिंदु

  • हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने यह जानकारी देते हुए बताया कि राष्ट्रीय राजमार्ग-152डी परियोजना अंबाला से जयपुर तक की यात्रा के समय को 4 से 5 घंटे कम कर देगी। इससे एनसीआर के ट्रैफिक का मेजर डायवर्जन होगा, जिसके कारण प्रदूषण की समस्या से भी निजात मिलेगी।
  • साथ ही, यह जयपुर हाईवे पर अंबाला से कोटपुतली तक सबसे छोटा, सबसे तेज़ और सुरक्षित मार्ग प्रदान करेगा तथा पूरे हरियाणा के चौतरफा औद्योगिक विकास और आर्थिक विकास की गति को तेज़ करेगा।
  • भारतमाला परियोजना के तहत निर्मित यह राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-152डी 6-लेन एक्सेस कंट्रोल्स ग्रीनफील्ड कॉरिडोर है, जो कुरुक्षेत्र ज़िले के इस्माईलाबाद (गंगहेड़ी) से नारनौल  तक कुल लगभग 227 किमी. लंबा है।
  • यह राजमार्ग अंबाला-कोटपुतली कॉरिडोर का भाग है, जो हरियाणा के 8 विभिन्न ज़िलों- कुरुक्षेत्र, कैथल, करनाल, जींद, रोहतक, भिवानी, चरखी दादरी और महेंद्रगढ़ के लगभग 112 गाँवों से होकर गुज़रता है। यह आगे नारनौल बाईपास तथा फिर एनएच-148बी से जुड़ा है, जो कोटपुतली के पास पनियाला मोड़ पर दिल्ली-जयपुर राजमार्ग से मिलता है।
  • यह पूरा कॉरिडोर एडवांस ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम और क्लोज टोलिंग सिस्टम से परिपूर्ण है। इसमें प्रवेश एवं निकासी के लिये कुल 16 विभिन्न स्थानों पर इंटरचेंज का निर्माण किया गया है तथा हाईवे पर होने वाली हर घटना पर कंट्रोल सेंटर के द्वारा एटीएमएस के माध्यम से पूर्ण निगरानी रखी जाएगी।
  • लोगों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए इस महत्त्वाकांक्षी परियोजना में छ: जगहों पर विश्वस्तरीय वे साईड एमेनिटीज का भी निर्माण किया गया है, जहाँ पर लोगों के लिये टॉयलेट फेसिलिटी, ट्रॉमा सेंटर, पेट्रोल पंप, कायोस्क रेस्टोरेंट, ढाबा, चिल्ड्रेन पार्क, ट्रक एवं ट्रेलर पार्किंग इत्यादि की समुचित व्यवस्था की गई है। साथ ही, परियोजना में 16 स्थानों पर इंटरचेंज, 2 मुख्य टोल प्लाजा एवं 8 आरओबी का भी प्रावधान किया गया है।
  • इस परियोजना में लगभग 2,000 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया गया है, जिस पर लगभग 3000 करोड़ रुपए का मुआवज़ा किसानों को वितरित किया गया है तथा इसके सिविल निर्माण कार्य पर लगभग 6,000 करोड़ रुपए की लागत आई है।
  • उपमुख्यमंत्री ने इस राष्ट्रीय राजमार्ग को प्रदेश के औद्योगिक क्षेत्र को नया आयाम देने वाला बताया। उन्होंने कहा कि अब तक जो निवेशक अपने उद्योग एनसीआर आदि क्षेत्र में लगाने को वरीयता देते थे, वे अब इस राष्ट्रीय राजमार्ग में पड़ने वाले ज़िलों में भी उद्योग लगाने को उत्सुक होंगे।
  • यह राजमार्ग हाईस्पीड एक्सिस कंट्रोल्ड के रूप में विकसित किया गया है, जिसमें धीमी गति वाले वाहनों यथा मोटरसाईकिल एवं अन्य दोपहिया वाहनों, तिपहिया वाहनों, गैर-मोटर चालित वाहनों, ट्रेलर के साथ या ट्रेलर के बिना ट्रैक्टर, बहुधुरीय हाइड्रॉलिक ट्रेलर वाहनों, क्वाड्री साईकिल इत्यादि वर्जित किये गए हैं।

झारखंड Switch to English

विश्व स्तनपान सप्ताह-2022 का राज्यस्तरीय शुभारंभ

चर्चा में क्यों?

1 अगस्त, 2022 को झारखंड की महिला, बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग की मंत्री जोबा मांझी ने डोरंडा के पलाश सभागार में ‘विश्व स्तनपान सप्ताह’के शुभारंभ पर राज्यस्तरीय कार्यक्रम की शुरूआत की। यह कार्यक्रम 1 से 7 अगस्त तक चलेगी।

प्रमुख बिंदु

  • इस अवसर पर मंत्री ने 7 बच्चों को अन्नप्राशन कराया एवं कार्यक्रम से संबंधित जागरूकता रथ को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।
  • विश्व स्तनपान सप्ताह-2022 की थीम ‘स्तनपान को बढ़ावा और शिक्षा एवं सहयोग’है।
  • मंत्री जोबा मांझी ने कहा कि इस कार्यक्रम के माध्यम से गर्भवती एवं धात्री माताओं के बीच यह संदेश प्रसारित किया जाएगा, कि जो महिलाएँ बच्चे को जन्म देती हैं, उन्हें बच्चे के जन्म के 1 घंटे के अंदर ही माँ का दूध पिलाया जाए। यह दूध बच्चे के सर्वांगीण विकास के लिये बहुत उपयोगी है।
  • उन्होंने कहा कि समाज को जागरूक करना है कि माँ, अपने बच्चे को पहले 6 महीने में अपने दूध के अलावा कोई आहार न दें उसमें ही बच्चे के लिये ज़रूरी पोषक तत्त्व उपलब्ध रहते हैं। 6 महीने के बाद ऊपरी आहार सही मात्रा और सही पोषक तत्त्व के साथ देना आवश्यक है। साथ ही 2 साल तक स्तनपान के साथ पोषक आहार देना चाहिये, जिससे बच्चे स्वस्थ रह सकें।
  • जोबा मांझी ने कहा कि एनीमिया मुक्त, कुपोषण मुक्त समाज का निर्माण हो सके, इसके लिये लोगों को जागरूक करना बहुत आवश्यक है। जागरूक होने से ही बच्चों की मृत्यु दर में कमी आएगी एवं स्वस्थ बच्चों से ही स्वस्थ समाज का निर्माण हो सकेगा।
  • उन्होंने कहा कि किशोरियों को भी सही दिशा देने का काम करना है। बालिकाओं को स्वस्थ रखने, उनको एनीमिया से मुक्त कराने एवं उनकी सही समय पर शादी हो एवं परिपक्व शरीर में वे गर्भधारण करें, इसकी शिक्षा देना आवश्यक है।

छत्तीसगढ़ Switch to English

चंदखुरी, गिरौदपुरी और सोनाखान का बदलेगा नाम

चर्चा में क्यों?

1 अगस्त, 2022 को छत्तीसगढ़ जनसंपर्क विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ के महापुरुषों तथा आस्था के केंद्रों को जनभावनाओं के अनुरूप नई पहचान देने के लिये रायपुर और बलौदाबाज़ार-भाटापारा ज़िलों के तीन गाँवों का नाम बदलने का निर्देश दिया है।

प्रमुख बिंदु

  • जिन तीन गाँवों का नाम बदलने का निर्देश मुख्यमंत्री ने दिया है, उनमें रायपुर ज़िले का चंदखुरी तथा बलौदाबाज़ार-भाटापारा ज़िले के गिरौदपुरी और सोनाखान गाँव शामिल हैं।
  • मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद अब भगवान श्री राम की माता कौशल्या की जन्मस्थली माने जाने वाले चंदखुरी का नाम बदलकर ‘माता कौशल्या धाम चंदखुरी’ कर दिया जाएगा।
  • इसी तरह सतनाम पंथ के लोकप्रिय तीर्थस्थल गिरौदपुरी को ‘बाबा गुरु घासीदास धाम गिरौदपुरी’ कहा जाएगा और सोनाखान का नाम बदलकर ‘शहीद वीर नारायण सिंह धाम सोनाखान’ रखा जाएगा।
  • गौरतलब है कि राज्य की महत्त्वाकांक्षी ‘राम वन गमन’ पर्यटन सर्किट परियोजना में शामिल चंदखुरी को भगवान श्री राम की माता कौशल्या का जन्मस्थान माना जाता है। यहाँ तालाब के बीचों-बीच माता कौशल्या का मंदिर है, जो 10वीं शताब्दी में बनाया गया था।
  • गिरौदपुरी सतनाम पंथ का सबसे बड़ा धार्मिक-सामाजिक केंद्र है। महानदी की कछार में स्थित बलौदाबाज़ार-भाटापारा ज़िले का यह छोटा-सा गाँव 18वीं सदी के सतनाम संत और महान समाज सुधारक बाबा गुरु घासीदास की जन्मभूमि और तपोभूमि है।
  • सोनाखान में जन्में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी वीर नारायण सिंह 1857 की क्रांति में छत्तीसगढ़ के प्रथम शहीद माने जाते हैं। वीर नारायण सिंह को 10 दिसंबर, 1857 को रायपुर के जयस्तंभ चौक पर अंग्रेज़ों ने फाँसी दे दी थी।

उत्तराखंड Switch to English

चीन सीमा से सटी दो सड़कों के निर्माण को मिली हरी झंडी

चर्चा में क्यों?

1 अगस्त, 2022 को उत्तराखंड के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक डॉ. समीर सिन्हा ने बताया कि चीन से लगी अंतर्राष्ट्रीय सीमा से सटे उत्तरकाशी ज़िले की दो सीमांत सड़कों के निर्माण के लिये वन भूमि हस्तांतरण को राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड ने अनुमति दे दी है।

प्रमुख बिंदु

  • राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की महाराष्ट्र के चंद्रपुर में हुई बैठक में 28 किमी. लंबी इन दोनों सड़कों के लिये सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) को 62.05 हेक्टेयर वन भूमि हस्तांतरित करने के प्रस्ताव को हरी झंडी दी गई। अब जल्द ही सामरिक महत्त्व की इन सड़कों का निर्माणकार्य प्रारंभ हो सकेगा।
  • राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की बैठक में केदारनाथ व हेमकुंड साहिब के लिये रोपवे के प्रस्ताव भी रखे गए थे। इन दोनों रोपवे से संबंधित प्रस्तावों में कुछ जानकारियाँ अपूर्ण थीं। इसे देखते हुए इन पर चर्चा नहीं हो पाई और बोर्ड ने इन्हें अगली बैठक के लिये टाल दिया।
  • गौरतलब है कि उत्तराखंड राज्य वन्यजीव बोर्ड की वर्ष 2020 में हुई बैठक में उत्तरकाशी ज़िले में गंगोत्री नेशनल पार्क के अंतर्गत पड़ने वाली दो सड़कों-सुमला से थांगला (11 किमी.) व मंडी से सांगचोकला (17 किमी.) के लिये क्रमश: 30.29 हेक्टेयर व 31.26 हेक्टेयर वन भूमि हस्तांतरण के प्रस्ताव पर मुहर लगाई गई थी। इसे अनुमोदन के लिये राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड को भेजा गया था।

राजस्थान Switch to English

भारत सरकार ने एग्री इंफ्रा फंड योजना में राजस्थान को किया सम्मानित

चर्चा में क्यों?

30 जुलाई, 2022 को नई दिल्ली में आयोजित समारोह में भारत सरकार ने एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड योजना में उत्कृष्ट कार्य करने पर राजस्थान को सम्मानित किया।

प्रमुख बिंदु

  • समारोह में भारत सरकार के कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर एवं कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने राजस्थान के प्रमुख शासन सचिव (कृषि) दिनेश कुमार तथा रजिस्ट्रार (सहकारिता) मुक्तानंद अग्रवाल को पुरस्कार दिया।
  • राजस्थान को यह पुरस्कार एग्री इंफ्रा फंड योजना में राइजिंग स्टेट के रूप में दूसरा स्थान प्राप्त करने पर मिला है।
  • रजिस्ट्रार मुक्तानंद अग्रवाल ने बताया कि एग्री इंफ्रा फंड योजना में अनुमोदित प्रोजेक्ट्स (राशि 747.17 करोड़ रुपए) की दृष्टि से राज्य का देश में दूसरा स्थान है। राज्य में कुल 781 प्रोजेक्ट्स अनुमोदित किये गए हैं। प्रोजेक्ट्स हेतु वितरण की गई ऋण राशि (559.50 करोड़ रुपए) की दृष्टि से भी राज्य का देश में दूसरा स्थान है। अब तक राज्य में कुल 713 प्रोजेक्ट्स को ऋण दिया गया है।
  • कृषि क्षेत्र में आधारभूत संरचना के विकास के लिये एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड योजना है। इस योजना के तहत प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों, विपणन सहकारी समितियों, कृषकों, कृषक उत्पाद संगठनों, स्वयं सहायता समूह, स्टार्टअप, कृषि उद्यमियों इत्यादि को पोस्ट हार्वेस्ट मैनेजमेंट प्रोजेक्ट्स तथा कम्यूनिटी फार्मिंग असेट्स बनाने के लिये ऋण की सुविधा उपलब्ध कराते हुए इस पर 3 प्रतिशत ब्याज अनुदान देय है। ब्याज अनुदान लाभ हेतु योजना की अवधि वर्ष 2020-21 से 2032-33 तक है।
  • रजिस्ट्रार ने बताया कि योजना से वेयर हाउस, साईलो, कोल्ड चेन लॉजिस्टिक सुविधा, पैक हाउस, ई-मार्केटिंग प्लेटफॉर्म, ग्रेडिंग एवं सोर्टिंग, प्राइमरी प्रोसेसिंग सेंटर, फल पकाने के कक्ष इत्यादि इकाइयों को लाभ मिल सकेगा।
  • सामुदायिक कृषि परियोजनाओं में ऑर्गेनिक इनपुट के उत्पादन की इकाइयों, स्मार्ट एवं प्रिसीजन फार्मिंग के लिये ढाँचागत विकास, क्लस्टर्स में सप्लाई चैन इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास, इन क्षेत्रों में पीपीपी आधारित प्रोजेक्ट्स आदि को लाभ मिल सकेगा।
  • राजस्थान सरकार की कृषि प्रसंस्करण, कृषि व्यवसाय एवं कृषि निर्यात प्रोत्साहन नीति 2019 के साथ उक्त ए.आई.एफ. योजना का समावेशन किया गया है, जिसमें पूंजीगत अनुदान अधिकतम 50 प्रतिशत एवं ब्याज अनुदान अधिकतम 6 प्रतिशत दिया जा रहा है।
  • नाबार्ड की पैक्स व लैम्प्स को बहुसेवा केंद्रों में परिवर्तित करने की योजना के साथ समावेशन कर उक्त योजनाओं का लाभ भी सहकारी समितियों को दिया जा रहा है। राज्य में सहकारिता विभाग को योजना के क्रियान्वयन हेतु नोडल विभाग बनाया गया है।

मध्य प्रदेश Switch to English

यूनेस्को के ‘हिस्टोरिक अर्बन लैंडस्केप’में मैनेजमेंट प्लान की समीक्षा बैठक

चर्चा में क्यों?

1 अगस्त, 2022 को मध्य प्रदेश के प्रमुख सचिव, (पर्यटन एवं संस्कृति) शिव शेखर शुक्ला और प्रमुख सचिव (नगरीय विकास और आवास) संजय दुबे ने होटल ताज लेकफ्रंट में ओरछा से संबंधित दो प्रोजेक्ट्स की समीक्षा की।

प्रमुख बिंदु

  • इसमें ‘यूनेस्को’ विश्व धरोहर में ओरछा को सम्मिलित करने हेतु नॉमिनेशन डोजियर बनाने और यूनेस्को के ‘हिस्टोरिक अर्बन लैंडस्केप’ में मैनेजमेंट प्लान के संबंध में प्रेजेंटेशन तथा प्रमुख बिंदुओं पर चर्चा हुई।
  • प्रमुख सचिव शिव शेखर शुक्ला ने यूनेस्को और द्रोणा संस्था द्वारा दिये जा रहे सुझाव पर ही योजनाओं का क्रियान्वयन करने के निर्देश दिये। साथ ही ओरछा को यूनेस्को विश्व धरोहर की सूची में सम्मिलित करने के लिये हरसंभव प्रयास और आवश्यक कार्यवाही करने की बात कही।
  • ‘द्रोणा’ की डायरेक्टर डॉ. शिखा जैन ने ओरछा को यूनस्को विश्व धरोहर में शामिल करने के लिये बनाए जा रहे नॉमिनेशन डोजियर का प्रेजेंटेशन दिया।
  • यूनेस्को के कंसल्टेंट निशांत उपाध्याय ने यूनेस्को द्वारा ‘हिस्टोरिक अर्बन लैंडस्केप’ में बनाए जा रहे मैनेजमेंट प्लान और धरातल पर किये गए कार्यों की जानकारी दी।
  • यूनेस्को नई दिल्ली की कल्चर सेक्टर की प्रमुख जून्ही हान ने कहा कि ओरछा की सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक विरासत मध्य प्रदेश ही नहीं, बल्कि पूरे भारत के लिये गौरव का विषय है।
  • उल्लेखनीय है कि वर्ष 2021 में ग्वालियर एवं ओरछा का चयन यूनेस्को द्वारा हिस्टोरिक अर्बन लैंडस्केप में मैनेजमेंट प्लान बनाने के लिये किया गया है। इन शहरों का चयन भारत ही नहीं, साउथ एशिया के देशों में यूनेस्को द्वारा प्रथम बार किया गया है।

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