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मध्य प्रदेश स्टेट पी.सी.एस.

  • 02 Aug 2022
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इंदौर में 5 सड़क परियोजनाओं का शिलान्यास और वन-वे साइड एमिनिटी का लोकार्पण

चर्चा में क्यों?

1 अगस्त, 2022 को केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी तथा मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इंदौर में 2300 करोड़ रुपए लागत की 119 किमी. लंबी 5 सड़क परियोजनाओं का शिलान्यास एवं वन-वे साइड एमिनिटी का लोकार्पण किया।

प्रमुख बिंदु

  • इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री गडकरी ने कहा कि प्रदूषण से मुक्ति के लिये वाहनों में ईंधन के गैर-परंपरागत स्रोत का उपयोग किया जाना चाहिये। इसके लिये इलेक्ट्रिक, बायो गैस, बायो डीज़ल, ग्रीन हाईड्रोजन, बायो मीथेनॉल आदि गैर-पारंपरिक स्रोतों से संचालित वाहनों को बढ़ावा दिया जाना चाहिये।
  • केंद्रीय मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा सड़कों और इससे जुड़ी अधो-संरचनाओं का तेज़ी से विकास किया जा रहा है। वर्ष 2014 के बाद अकेले मध्य प्रदेश में ही ढाई लाख करोड़ रुपए लागत के कार्य स्वीकृत, निर्मित तथा प्रगतिरत् हैं। इसे बढ़ाकर वर्ष 2024 तक 4 लाख करोड़ रुपए कर दिया जाएगा।
  • उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के आग्रह पर मध्य प्रदेश में सड़क संबंधी विभिन्न विकास परियोजनाओं को मंज़ूरी देने की घोषणाएँ कीं। इसमें प्रमुख रूप से 20 फ्लाईओवर तथा 14 स्थलों पर रोप-वे संबंधी कार्य शामिल हैं।
  • केंद्रीय सड़क परिवहन राज्य मंत्री वी.के. सिंह ने कार्यक्रम को वर्चुअली संबोधित करते हुए कहा कि मध्य प्रदेश के 52 ज़िले नेशनल हाई-वे से जुड़ गए हैं। सड़कों का तेज़ी से विकास हो रहा है। इससे परिवहन सुधार के साथ धार-पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र को भी लाभ मिलेगा। सड़कों के निर्माण से उद्योग, व्यापार तथा रोज़गार बढ़ेंगे।
  • मध्य प्रदेश के शहरी क्षेत्रों में यातायात को सुगम बनाने एवं पर्यटकों को बेहतर कनेक्टिविटी देने के उद्देश्य से रोप-वे निर्माण योजना शुरू की जाएगी। इस योजना को मूल आधार देने के लिये ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में मध्य प्रदेश लोक निर्माण विभाग तथा भारत सरकार की कंपनी राष्ट्रीय राजमार्ग रसद प्रबंधन लिमिटेड के मध्य एम.ओ.यू साइन किया गया।
  • रोप-वे निर्माण के लिये मध्य प्रदेश शासन द्वारा रेलवे स्टेशन से महाकाल मंदिर उज्जैन, रामराजा मंदिर ओरछा, ग्वालियर किला से फूलबाग, कोकता से नादरा बस स्टैंड भोपाल वाया गोविंदपुरा, गोल जोड़ तिराहा (कोलार रोड) से न्यू मार्केट भोपाल, रहली पाटन मार्ग से टिकीटोरिया माता मंदिर रहली, मांडू प्रवेश द्वार से रूपमती महल, सिद्धवरकूट जैन मंदिर से राजेश्वर आश्रम ओंकारेश्वर, नर्मदा नदी तट से सेलानी टापू ओंकारेश्वर, रनेहफॉल से केन नदी तट खजुराहो, रायसेन पार्किंग से रायसेन किला, शिव मंदिर पार्किंग से चौरागढ़ शिव मंदिर पचमढ़ी, पातालकोट तामिया तथा अमरकंटक में दूध धारा से कपिल धारा स्थल चयनित किये गए हैं।
  • उल्लेखनीय है कि रोप-वे निर्माण से न केवल सस्टेनेबल डेवलपमेंट तथा पर्यावरण-संरक्षण पर फोकस करते हुए प्रदेश में ट्रांसपोर्ट का विकास किया जा सकेगा, बल्कि इससे न्यूनतम भूमि अधिग्रहण, प्रदूषण नियंत्रण तथा कार्बन फुटप्रिंट कम करने जैसे लक्ष्यों की भी पूर्ति होगी।

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यूनेस्को के ‘हिस्टोरिक अर्बन लैंडस्केप’में मैनेजमेंट प्लान की समीक्षा बैठक

चर्चा में क्यों?

1 अगस्त, 2022 को मध्य प्रदेश के प्रमुख सचिव, (पर्यटन एवं संस्कृति) शिव शेखर शुक्ला और प्रमुख सचिव (नगरीय विकास और आवास) संजय दुबे ने होटल ताज लेकफ्रंट में ओरछा से संबंधित दो प्रोजेक्ट्स की समीक्षा की।

प्रमुख बिंदु

  • इसमें ‘यूनेस्को’ विश्व धरोहर में ओरछा को सम्मिलित करने हेतु नॉमिनेशन डोजियर बनाने और यूनेस्को के ‘हिस्टोरिक अर्बन लैंडस्केप’ में मैनेजमेंट प्लान के संबंध में प्रेजेंटेशन तथा प्रमुख बिंदुओं पर चर्चा हुई।
  • प्रमुख सचिव शिव शेखर शुक्ला ने यूनेस्को और द्रोणा संस्था द्वारा दिये जा रहे सुझाव पर ही योजनाओं का क्रियान्वयन करने के निर्देश दिये। साथ ही ओरछा को यूनेस्को विश्व धरोहर की सूची में सम्मिलित करने के लिये हरसंभव प्रयास और आवश्यक कार्यवाही करने की बात कही।
  • ‘द्रोणा’ की डायरेक्टर डॉ. शिखा जैन ने ओरछा को यूनस्को विश्व धरोहर में शामिल करने के लिये बनाए जा रहे नॉमिनेशन डोजियर का प्रेजेंटेशन दिया।
  • यूनेस्को के कंसल्टेंट निशांत उपाध्याय ने यूनेस्को द्वारा ‘हिस्टोरिक अर्बन लैंडस्केप’ में बनाए जा रहे मैनेजमेंट प्लान और धरातल पर किये गए कार्यों की जानकारी दी।
  • यूनेस्को नई दिल्ली की कल्चर सेक्टर की प्रमुख जून्ही हान ने कहा कि ओरछा की सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक विरासत मध्य प्रदेश ही नहीं, बल्कि पूरे भारत के लिये गौरव का विषय है।
  • उल्लेखनीय है कि वर्ष 2021 में ग्वालियर एवं ओरछा का चयन यूनेस्को द्वारा हिस्टोरिक अर्बन लैंडस्केप में मैनेजमेंट प्लान बनाने के लिये किया गया है। इन शहरों का चयन भारत ही नहीं, साउथ एशिया के देशों में यूनेस्को द्वारा प्रथम बार किया गया है।

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