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गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान
चर्चा में क्यों?
उत्तरकाशी ज़िले के निवासियों ने भागीरथी पारिस्थितिकी-संवेदनशील क्षेत्र में स्थित गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान के अंदर एक नए अपशिष्ट भस्मक (waste incinerator) को लेकर केंद्र सरकार के समक्ष चिंता व्यक्त की है।
मुख्य बिंदु
- गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान:
- इस राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना वर्ष 1989 में हुई थी। इसका क्षेत्रफल 1,553 वर्ग किलोमीटर है तथा इसकी ऊँचाई 7,083 मीटर है। इसमें विविध भू-भाग शामिल हैं।
- यह पार्क गौमुख-तपोवन ट्रेक का घर है, जो इस क्षेत्र के सबसे लोकप्रिय ट्रैकिंग मार्गों में से एक है।
- गंगा नदी का उद्गम स्थल, गंगोत्री ग्लेशियर पर स्थित गौमुख, इसी पार्क के अंदर स्थित है।
- वनस्पति: यह पार्क घने शंकुधारी वनों से आच्छादित है, जो अधिकांशतः समशीतोष्ण प्रकृति के हैं। यहाँ की सामान्य वनस्पतियों में चीड़, देवदार, फर, स्प्रूस, ओक तथा रोडोडेंड्रोन शामिल हैं।
- जीव-जंतु: इस पार्क में विभिन्न दुर्लभ तथा संकटग्रस्त प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जैसे – भारल (नीली भेड़), काला भालू, भूरा भालू, हिमालयन मोनाल, हिमालयन स्नोकॉक, हिमालयन तहर, कस्तूरी मृग तथा हिम तेंदुआ।
- भागीरथी पारिस्थितिकी-संवेदनशील क्षेत्र (ESZ):
- वर्ष 2012 में पर्यावरण, वन तथा जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF&CC) द्वारा एक राजपत्र अधिसूचना के माध्यम से गौमुख से उत्तरकाशी तक भागीरथी नदी के विस्तार के साथ 4,179.59 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को पारिस्थितिकी-संवेदनशील क्षेत्र (ESZ) घोषित किया गया था।
- ESZ वे क्षेत्र हैं जिन्हें पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 के तहत औद्योगिक प्रदूषण तथा अनियमित विकास से संरक्षित करने के लिये नामित किया जाता है।
- इस राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना वर्ष 1989 में हुई थी। इसका क्षेत्रफल 1,553 वर्ग किलोमीटर है तथा इसकी ऊँचाई 7,083 मीटर है। इसमें विविध भू-भाग शामिल हैं।
- CPCB द्वारा उद्योग वर्गीकरण में संशोधन:
- अप्रैल माह में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने संशोधित उद्योग वर्गीकरण के अंतर्गत एक नई नीली श्रेणी (Blue Category) शुरू की।
- इस श्रेणी में आवश्यक पर्यावरणीय सेवाएँ शामिल की गई हैं, जैसे– अपशिष्ट से ऊर्जा (waste-to-energy) संयंत्र तथा शहरी अपशिष्ट प्रबंधन हेतु एकीकृत सैनिटरी लैंडफिल।
- कानूनी तथा पर्यावरणीय चिंताएँ:
- कानून का उल्लंघन: प्रस्तावित भस्मक का स्थान पर्यावरण संरक्षण के सिद्धांतों का उल्लंघन करता है, क्योंकि संवेदनशील क्षेत्रों में उद्योगों पर प्रतिबंध है।
- ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016: इन नियमों के अनुसार, पर्वतीय क्षेत्रों में लैंडफिल का निर्माण सख्त वर्जित है तथा अपशिष्ट को मैदानी क्षेत्रों में उपयुक्त स्थान पर स्थानांतरित किया जाना चाहिये।
- जैवविविधता पर प्रभाव: गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान पश्चिमी हिमालय जैवविविधता हॉटस्पॉट का हिस्सा है, जो अद्वितीय वनस्पतियों और जीवों से समृद्ध है।
- ऐसे संवेदनशील क्षेत्र में भस्मक की उपस्थिति से पारिस्थितिकी क्षरण का खतरा बढ़ जाता है।
- सार्वजनिक विरोध: स्थानीय कार्यकर्त्ताओं तथा निवासियों ने गंगोत्री क्षेत्र के संवेदनशील पारिस्थितिक संतुलन को उजागर करते हुए कड़ी आपत्ति जताई है।
- उनका तर्क है कि हिमालय में इस प्रकार की सुविधा की स्थापना से क्षेत्र की जैवविविधता को गंभीर खतरा उत्पन्न हो सकता है, जो अपने विशिष्ट तथा संवेदनशील पर्यावरण के कारण पहले से ही असुरक्षित है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
- CPCB एक वैधानिक संगठन है और इसका गठन 1974 में जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1974 के तहत किया गया था।
- CPCB को वायु (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1981 के अंतर्गत शक्तियाँ एवं कार्य भी सौंपे गए।
- यह एक क्षेत्रीय इकाई के रूप में कार्य करता है तथा पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के प्रावधानों के संबंध में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को तकनीकी सेवाएँ भी प्रदान करता है।

