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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    बेरोज़गारी से आप क्या समझते हैं? भारत में बेरोज़गारी की वर्तमान स्थिति को स्पष्ट करते हुए इसे दूर करने के लिये चलाए जा रहे मुख्य कार्यक्रमों की चर्चा करें।

    05 Dec, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था

    उत्तर :

    भूमिका में:


    बेरोजगारी की परिभाषा बताते हुए हम उत्तर प्रारंभ करेंगे-

    किसी व्यक्ति द्वारा सक्रियता से रोजगार की तलाश किये जाने के बावजूद जब उसे काम नहीं मिल पाता तो यह अवस्था बेरोजगारी कहलाती है। इसे सामान्यत: बेरोजगारी दर के रूप में मापा जाता है जिसे श्रमबल में शामिल व्यक्तियों की संख्या में से बेरोजगार व्यक्तियों की संख्या को भाग देकर प्राप्त किया जाता है।

    विषय-वस्तु में:


    विषय-वस्तु के पहले भाग में हम बेरोजगारी पर और विस्तार से चर्चा करते हुए भारत में इसकी वर्तमान स्थिति को भी स्पष्ट करेंगे-

    सामान्य रूप से आर्थिक रूप से सक्रिय 15-59 वर्ष आयु वर्ग के व्यक्ति अगर लाभदायक रूप से नियोजित नहीं होते तो इन्हें बेरोजगार माना जाता है। भारत में बेरोजगारी संबंधित आँकड़े राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (NSSO) द्वारा जारी किया जाता है। भारत में असंगठित क्षेत्र द्वारा अधिकांश रोजगार मुहैया कराए जाते हैं। असंगठित क्षेत्र के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि कामगार तथा शहरी क्षेत्रों में कॉन्ट्रैक्ट मजदूर आते हैं।

    ईएलओ के वर्ल्ड एम्पलॉयमेंट एंड सोशल आउटलुक रिपोर्ट के मुताबिक भारत सहित कई दक्षिण एशिया देशों में अगले दो वर्षों में बेरोजगार लोगों की संख्या में वृद्धि होने की संभावना जताई गई है। सबसे ज्यादा चिंता की बात यह है कि अनौपचारिक क्षेत्र के कारण दक्षिण एशिया में गरीबी में कमी लाने जैसी संभावनाएं क्षीण होंगी। भारत, बांग्लादेश, कंबोडिया और नेपाल के 90 प्रतिशत श्रमिक अनौपचारिक क्षेत्र की कमियों से प्रभावित होंगे। असंगठित समूह न सिर्फ कृषि बल्कि गैर-कृषि क्षेत्रों जैसे निर्माण, थोक एवं खुदरा व्यापार, आवास एवं खाद्य सेवा उद्योगों में भी फैले हुए हैं। वहीं भारत में जनसंख्या वृद्धि दर की अपेक्षा रोजगार वृद्धि दर भी कम है। यहाँ सीमित भूमि संसाधन है तथा श्रमबल का एक बड़ा हिस्सा कृषि क्षेत्र में संलग्न है जिससे यहाँ मौसमी बेरोजगारी उत्पन्न होती है। भारत की दोषपूर्ण शिक्षा व्यवस्था भी उद्यमिता एवं गुणवत्ता का विकास नहीं कर पाती और अधिकांश शिक्षित बेरोजगार हो जाते हैं। भारत में पर्याप्त औद्योगिक क्षेत्र का विकास भी नहीं हुआ है।

    विषय-वस्तु के दूसरे भाग में, भारत में बेरोजगारी दूर करने के लिये चलाए जा रहे मुख्य कार्यक्रमों के बारे में बताएंगे-

    • प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम: विनिर्माण क्षेत्र के लिये 25 लाख रुपए एवं सेवा क्षेत्र के लिये 10 लाख रुपए की क्रेडिट या ऋण सीमा प्रदान की गई है।
    • कौशल विकास कार्यक्रम: इसके तहत 2022 तक 500 मिलियन कुशल कार्मिक तैयार करने का लक्ष्य है।
    • राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन: सर्वव्यापी सामाजिक एकजुटता लाने के उद्देश्य से शुरू की गई इस योजना के तहत हरेक ग्रामीण परिवार की कम-से-कम एक महिला सदस्य को स्वयं सहायता समूह नेटवर्क में लाना है। इस मिशन के तहत जम्मू-कश्मीर के युवाओं के लिये ‘हिमायत’ तथा वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित युवाओं के लिये ‘रोशनी’ योजना शुरू की गई।
    • महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून (मनरेगा): यह किसी वित्तीय वर्ष में प्रत्येक ग्रामीण परिवार के सभी वयस्क सदस्य, जो अकुशल श्रम के लिये तैयार हो, के लिये 100 दिनों के रोजगार की गारंटी प्रदान करता है। लाभार्थियों में कम-से-कम 33 प्रतिशत महिलाएँ होनी चाहिये।
    • मेक इन इंडिया: औद्योगिक इकाइयों के विकास हेतु इसे लाया गया, जिसका बल व्यापार सुगमता, सरल लाइसेंसिंग, तकनीकों का बेहतर प्रयोग आदि पर है।
    • दीनदयाल उपाध्याय ‘श्रमेव जयते’ कार्यक्रम: यह श्रम सुविधा पोर्टल, आकस्मिक निरीक्षण, यूनिवर्सल खाता संख्या, प्रशिक्षु प्रोत्साहन योजना, पुनर्गठित राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना संबंधी विषयों पर केंद्रित है।
    • प्रधानमंत्री युवा योजना: 2016 से 2021 तक की अवधि में 7 लाख से अधिक प्रशिक्षुओं को उद्यमशीलता प्रशिक्षण और शिक्षा उपलब्ध कराना।

    निष्कर्ष


    अंत में प्रश्नानुसार सारगर्भित, संक्षिप्त और संतुलित निष्कर्ष लिखें।

    व्यापार के बंद होने और अर्थव्यवस्था में आए परिवर्तन के कारण छूटने वाले नौकरियों को ही बेरोजगारी का एकमात्र कारण नहीं माना जा सकता। बेरोजगारी का एक अन्य समान महत्त्वपूर्ण कारण नौकरियों के लिये आवश्यक कौशल की कमी भी है। भारत नौकरियों के सृजन में धीमापन जैसी समस्या से जूझ रहा है, खासकर विनिर्माण क्षेत्र में। इस क्षेत्र में बेहतर क्षमता और उच्च उत्पादकता के लिये इंसानों के ऊपर पूंजी और मशीन को वरीयता दी जाती है। आवश्यकता है कि बेरोजगारी के सभी कारणों को उचित वरीयता देते हुए इसका समाधान ढूँढा जाए।

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