इंदौर शाखा: IAS और MPPSC फाउंडेशन बैच-शुरुआत क्रमशः 6 मई और 13 मई   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    “भारत 100% ग्रामीण विद्युतीकरण के साथ विद्युत का शुद्ध अधिशेष वाला और निर्यातक देश बन गया है, लेकिन फिर भी देश में ऊर्जा निर्धनता की स्थिति बरकरार है।” तर्क सहित विश्लेषण कीजिये।

    07 Jul, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था

    उत्तर :

    उत्तर की रूपरेखा

    • प्रभावी भूमिका में प्रश्नगत कथन को स्पष्ट करें।
    • तार्किक एवं संतुलित विषय-वस्तु में देश में ऊर्जा निर्धनता की स्थिति के कारणों की स्पष्ट चर्चा करें।
    • प्रश्नानुसार संक्षिप्त एवं सारगर्भित निष्कर्ष लिखें।

    स्वतंत्रता के समय जब सभी प्रमुख वैश्विक अर्थव्यवस्थाएँ अपने विद्युतीकरण को समग्र कर रही थी, तब भारत के विद्युतीकरण की शुरुआत ही हुई थी, और देश की विकास यात्रा में यह एक महत्त्वपूर्ण मील का पत्थर है कि भारत में 100 प्रतिशत ग्रामीण विद्युतीकरण के लक्ष्य को पा लिया गया है। एक और महत्त्वपूर्ण उपलब्धि पिछले वर्ष प्राप्त हुई थी जब भारत ने स्वयं को बिजली के शुद्ध अधिशेष वाला और निर्यातक देश घोषित किया था, परंतु विभिन्न समन्वित प्रयासों तथा केंद्र एवं राज्यों द्वारा लगातार सार्वजनिक व्यय के बावजूद भारत इस उपलब्धि को पाने में काफी हद तक सुस्त ही रहा है।

    भारत में ऊर्जा निर्धनता अभी भी बरक़रार है, जहाँ 31 मिलियन ग्रामीण आवास और 5 मिलियन शहरी आवास अभी भी ग्रिड से नहीं जुड़े हैं। इस प्रकार विद्युत वंचित आबादी की संख्या वाले देशों में भारत शीर्ष पर है। इसके साथ ही ग्रिड से जुड़े ग्रामीण घरों की एक बड़ी संख्या को अभी भी पर्याप्त गुणवत्ता व मात्रा की विद्युत आपूर्ति उपलब्ध नहीं है। बिजली से वंचित घरों में 90 प्रतिशत, देश के सात राज्यों उत्तर प्रदेश, बिहार, ओडिशा, झारखंड, असम, राजस्थान और मध्य प्रदेश के हैं। ये राज्य ही सामाजिक विकास सूचकांक में बदतर रैंकिग पर हैं और इनकी आबादी का दो-तिहाई हिस्सा गरीबी रेखा के नीचे है।

    इन सातों राज्यों में बिजली वितरण कंपनियाँ पहले से ही अत्यधिक ऋण में डूबी हुई हैं और मार्च 2016 तक सभी डिस्कॉम्स के संचित ऋणों का 42 प्रतिशत इनके हिस्से था। इनका ऋण राज्यों की संचित देयता का 17 प्रतिशत है, वहीं दूसरी ओर, इन राज्यों में मौजूदा सब्सिडीयुक्त लाइफलाइन टैरिफ ग़रीबों के लिये अवहनीय ही प्रकट होता है।

    एक अन्य प्रमुख चुनौती वितरण नेटवर्क क्षमता से मिल रही है। भारत में विद्युतीकरण विस्तारवादी दृष्टिकोण से अनुप्रेरित रहा है, जहाँ प्रायः राजनीतिक दृष्टि से अधिक विचार होता है, बजाय इसके कि क्षमता बढ़ाने और ग्रिड को भविष्य के लिये क्षमतावान बनाने पर जोर दिया जाए। परिणामतः वितरण ढाँचा भारी दबाव में है, क्योंकि मांग बढ़ती जा रही है और इससे उच्च स्तरीय तकनीकी नुकसान और बार-बार ब्रेकडाउंस की समस्याएँ उत्पन्न होती हैं। कई राज्यों में वितरण नेटवर्क क्षमता उपलब्ध बिजली के प्रसार के लिये अपर्याप्त है।

    उपर्युक्त समस्याओं के समाधान के अंतर्गत केंद्र सरकार ने यह लक्ष्य रखा है कि विद्युत वंचित शेष सभी घरों को मार्च 2019 के अंत तक ग्रिड से जोड़ दिया जाएगा और इस विद्युतीकरण की लागत पूर्ति के लिये बजटीय आवंटन भी किया गया है। इसके साथ-ही-साथ 24×7 ‘पॉवर फॉर ऑल’ के केंद्र-राज्यों की संयुक्त पहल के एक हिस्से के रूप में अप्रैल 2019 से सभी घरों को लगातार आपूर्ति की प्रतिबद्धता भी राज्य सरकारों द्वारा जताई गई है।

    उपराष्ट्रीय प्रयासों और केंद्र के निवेश ने विद्युत विकास में क्षेत्रीय असंतुलन की उस समस्या को संबोधित करने का प्रयास किया है, जिसे देश के आरंभिक योजनाकारों ने एक चिंता की तरह देखा था। लेकिन यह प्रयास तब तक अधूरा है जब तक देश का एक भी घर अंधेरे में डूबा है।

    To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

    Print
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2