इंदौर शाखा: IAS और MPPSC फाउंडेशन बैच-शुरुआत क्रमशः 6 मई और 13 मई   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना, भारत को जनसांख्यिकीय लाभांश का फायदा दिलाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। इसके समक्ष मौजूद चुनौतियों का उल्लेख करें तथा उनसे निपटने के लिये उपाय भी सुझाएँ।

    06 Aug, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था

    उत्तर :

    उत्तर की रूपरेखा

    • प्रभावी भूमिका में कौशल विकास योजना का परिचय देते हुए इसके उद्देश्य की चर्चा करें।
    • तार्किक तथा संतुलित विषय-वस्तु में योजना के क्रियान्वयन के संदर्भ में चुनौतियों तथा उनसे निपटने के उपायों की चर्चा करें। 
    • प्रश्नानुसार संक्षिप्त और सारगर्भित निष्कर्ष लिखें।

    कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय द्वारा नियंत्रित तथा नियमित इस योजना के पहले वर्ष में 24 लाख कामगारों को शामिल किया जाएगा। इसके बाद वर्ष 2022 तक इस संख्या को 40.2 करोड़ तक ले जाने की योजना है। प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना का मुख्य उद्देश्य देश में युवा वर्ग को संगठित करके उनके कौशल का विकास कर उन्हें योग्यतानुसार रोज़गार देना है।

    इस योजना के क्रियान्वयन के समक्ष आने वाली चुनौतियाँ निम्नलिखित हैं-

    • इस योजना का लाभ अधिकतर शहरी युवाओं को प्राप्त हो रहा है। ग्रामीण और दूर-दराज़ के क्षेत्रों में यह योजना उतनी प्रभावी नहीं है। 
    • जुलाई-2017 के प्रथम सप्ताह के आँकड़ों के अनुसार, लगभग 30 लाख प्रशिक्षित लोगों में से अब तक मात्र 3 लाख लोगों को ही नौकरी के प्रस्ताव मिले हैं। 
    • कौशल विकास के तहत दिये जाने वाले प्रशिक्षण की गुणवत्ता कई बार बाज़ार की ज़रुरत के अनुसार नहीं होती। 
    • प्रशिक्षित होने के बाद भी अत्यंत कम वेतन दिया जाना कामगारों के समक्ष एक बड़ी समस्या है। 
    • PMKVY के तहत प्रशिक्षण केंद्र खोलने के कार्य को अपेक्षा के अनुरूप गति नहीं मिल पाई है।  

    संभावित उपाय-

    • ज़िला स्तर पर कौशल विकास केंद्रों की स्थापना कर ज़्यादा से ज़्यादा युवाओं को प्रशिक्षित करने का प्रयास किया जाना चाहिये। 
    • ज़िला-स्तरीय कार्य योजना के निर्माण के दौरान यह जानकारी इकट्ठी करनी होगी कि किस तरह के कामगार की ज़रूरत कहाँ पर है और उसके लिये कितने वेतन पर दूसरे स्थान पर काम करना संभव होगा। 
    • सरकार को प्रशिक्षित युवाओं के लिये न्यूनतम वेतन सुनिश्चित करने हेतु भी कदम उठाना होगा, अन्यथा नियोक्ता को कम वेतन में ही अप्रशिक्षित कामगार मिलते रहेंगे तो कौशल विकास की मांग में कमी आएगी।
    • उद्योगों में कुशल (skilled), अर्द्धकुशल (semiskilled) और अकुशल (unskilled) वर्ग के लिये अलग-अलग वेतनमान तय है, परंतु प्रशिक्षण के स्तर के साथ इनको जोड़ना आवश्यक है। यदि प्रशिक्षण के बावजूद भी वेतन वृद्धि न हो तो कौशल विकास की कोई प्रासंगिकता नहीं रह जाएगी। 
    • न्यूनतम वेतन पर विचार कर इसे नेशनल स्किल्स क्वालिफिकेशन फ्रेमवर्क के तहत परिभाषित स्तर के बराबर लाने से भी लोगों को इसके प्रति आकर्षित किया जा सकेगा। 

    व्यापार संगठन फिक्की और KPMG ग्लोबल स्किल रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि भारतीय युवाओं को समुचित तरीके से प्रशिक्षित किया जाए तो ये देश के आर्थिक विकास में अहम भूमिका निभा सकते हैं।

    इसके अलावा कौशल विकास के महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य को पूरा करते समय हमें भविष्य की चुनौतियों के प्रति भी सचेत रहने की आवश्यकता है। आज हम जिस कौशल को लेकर आशान्वित हैं, रोबोटिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ई-कॉमर्स जैसे क्रांतिकारी परिवर्तनों के बीच उस कौशल की प्रासंगिकता संदिग्ध हो जाएगी।

    To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

    Print
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow