इंदौर शाखा: IAS और MPPSC फाउंडेशन बैच-शुरुआत क्रमशः 6 मई और 13 मई   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    न्यूनतम समर्थन मूल्य क्या है? इसका निर्धारण कैसे होता है? सरकार द्वारा हाल ही में खरीफ फसलों के एमएसपी बढ़ाने से किसानों के समक्ष उत्पन्न चुनौतियों और उनके समाधानों की चर्चा करते हुए भारतीय अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव को स्पष्ट करें।

    09 Aug, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था

    उत्तर :

    उत्तर की रूपरेखा

    • प्रभावी भूमिका में न्यूनतम समर्थन मूल्य का परिचय दें।
    • तार्किक तथा संतुलित विषय-वस्तु में इसके निर्धारण तथा सरकार द्वारा हाल ही में खरीफ फसलों के एमएसपी बढ़ाने से किसानों के समक्ष उत्पन्न चुनौतियों और उनके समाधानों की चर्चा करते हुए भारतीय अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव को स्पष्ट करें।
    • प्रश्नानुसार संक्षिप्त एवं सारगर्भित निष्कर्ष लिखें।

    न्यूनतम समर्थन मूल्य, कृषि मूल्य में किसी भी तेज़ गिरावट के खिलाफ कृषि उत्पादकों को सुरक्षा प्रदान करने हेतु  भारत सरकार द्वारा किया जाने वाला बाज़ार हस्तक्षेप का एक रूप है। कृषि लागत और मूल्य आयोग (सीएसीपी) की सिफारिशों के आधार पर कुछ फसलों की बुवाई के मौसम की शुरुआत में भारत सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा की जाती है। इसका मुख्य उद्देश्य किसानों को बिक्री की चिंताओं से राहत प्रदान करना और सार्वजनिक वितरण के लिये  अनाजों की खरीद करना है।

    विभिन्न वस्तुओं की मूल्य नीति की सिफारिश करते समय कृषि लागत और मूल्य आयोग 2009 में निर्धारित की गई विभिन्न शर्तों (टीओआर) को ध्यान में रखता है। तदनुसार, यह विश्लेषण करता है-

    1. मांग और आपूर्ति
    2. उत्पादन की लागत 
    3. घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय दोनों बाज़ारों में मूल्य प्रवृत्तियाँ 
    4. अंतर-फसल मूल्य समता 
    5. कृषि और गैर-कृषि के बीच व्यापार की शर्तें 
    6. उस उत्पाद के उपभोक्ताओं पर एमएसपी का संभावित प्रभाव। 

    हाल ही में केंद्र सरकार ने 14 खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि की घोषणा की है। इसमें पिछले वर्ष के न्यूनतम समर्थन मूल्य की तुलना में उड़द के लिये 3.70% की मामूली वृद्धि से लेकर रागी के लिये 52.5% तक की वृद्धि भी शामिल है। कृषि लागत और मूल्य आयोग ने इस वर्ष के बजट में घोषित कृषि क्षेत्र की रणनीति के अनुरूप इस लागत-प्लस-50% सिद्धांत से प्रेरित होकर यह निर्णय लिया है।

    यह देखते हुए कि एमएसपी मुख्य रूप से गेहूँ और धान के लिये आधिकारिक खरीद के माध्यम से लागू किया जाता है, अन्य फसलों के लिये मात्र कीमतों की घोषणा किसानों को यह सुनिश्चित करने में पर्याप्त नहीं है कि वे उन लाभों को प्राप्त कर सकें। यह अनुमान लगाते हुए बजट में वादा किया गया था कि नीति आयोग केंद्र और राज्यों के साथ एक सुव्यवस्थित प्रणाली स्थापित करने के लिये काम करेगा ताकि किसानों को एमएसपी के नीचे गिरने पर पर्याप्त पारिश्रमिक मिल सके। यह सरकारी खरीद या अंतर-वित्तपोषण तंत्र के माध्यम से संभव हो सकता है जिसके तहत एमएसपी और बाज़ार की कीमतों के बीच अंतर, किसानों को स्थानांतरित कर दिया जाता है।

    भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

    • अभी तक इस वर्ष के लिये केंद्र की खरीद रणनीति से संबंधित आँकड़े अधिक स्पष्ट नहीं हैं। किंतु वित्तीय वर्ष 2018-19 के अंत तक एमएसपी में वृद्धि के प्रभावस्वरूप उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में 0.5% से 1% तक की वृद्धि होने की उम्मीद है।
    • किंतु दूसरी तरफ, यदि खरीद पर इसका व्यय लगभग 15,000 करोड़ रुपए (जीडीपी का लगभग 0.1%) है तो केंद्र की राजकोषीय स्थिति पर अधिक प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ सकता है। लेकिन यह लागत खरीद रणनीति और एमएसपी प्रवर्तन के लिये नई क्रियाविधियों के आधार पर बढ़ सकती है।

    न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि से भारत को अपना आयात बिल घटाने में भी मदद मिलेगी। पोषक अनाजों के न्‍यूनतम मूल्‍य वृद्धि से पोषण सुरक्षा और किसानों की आय में सुधार होगा।

    To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

    Print
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow