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प्रश्न :
प्रश्न. “सहानुभूति अधिकार को सेवा में रूपांतरित करती है।” प्रशासनिक उत्तरदायित्वों में भावनात्मक बुद्धिमत्ता एवं करुणा की प्रासंगिकता पर चर्चा कीजिये। (150 शब्द)
09 Oct, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्नउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- प्राधिकार, सहानुभूति और भावनात्मक बुद्धिमत्ता के बीच संबंधों को समझाते हुए एक संक्षिप्त परिचय से उत्तर की शुरुआत कीजिये।
- प्रशासनिक दायित्वों में भावनात्मक बुद्धिमत्ता और करुणा की प्रासंगिकता पर चर्चा कीजिये।
- आगे की राह बताते हुए उचित निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
शासन में अधिकार को तभी नैतिक वैधता प्राप्त होती है जब इसे सहानुभूति एवं करुणा के साथ प्रयोग किया जाये। ऐसा दृष्टिकोण प्रशासनिक अधिकारियों को यह समझने में सक्षम बनाता है कि नागरिकों की समस्याएँ केवल नियमों या प्रक्रियाओं से नहीं, बल्कि मानवीय अनुभवों से जुड़ी होती हैं। जब प्रशासनिक अधिकार को नियंत्रण के बजाय जन-सेवा का माध्यम बनाया जाता है, तब ‘भावनात्मक बुद्धिमत्ता’ अर्थात् अपनी तथा दूसरों की भावनाओं को समझने और संभालने की क्षमता, अधिकारियों को शक्ति का प्रयोग संवेदनशील, जनहितैषी और नैतिक ढंग से करने में सक्षम बनाती है।
मुख्य भाग:
प्रशासनिक दायित्वों में भावनात्मक बुद्धिमत्ता और करुणा की प्रासंगिकता
- निर्णय लेना और नीति कार्यान्वयन: भावनात्मक बुद्धिमत्ता प्रशासकों को तर्कसंगत विश्लेषण और मानवीय प्रभाव दोनों पर विचार करने में सहायता करती है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि नीतियाँ प्रभावी एवं मानवीय हों।
- कोविड-19 के दौरान, सहानुभूतिपूर्ण ज़िलाधिकारियों ने प्रवासी श्रमिकों को भोजन, आश्रय और सुरक्षित परिवहन प्रदान किया, प्रशासनिक दिशानिर्देशों को नागरिकों की वास्तविक आवश्यकताओं के साथ संतुलित किया।
- नेतृत्व और टीम प्रेरणा: एक भावनात्मक रूप से बुद्धिमान नेता अधीनस्थों को प्रेरित एवं प्रोत्साहित करता है।
- पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त टी.एन. शेषन ने सख्त प्रवर्तन को निष्पक्षता के साथ जोड़कर, टीम की प्रतिबद्धता अर्जित की एवं सुचारू चुनावी प्रक्रिया सुनिश्चित की।
- नागरिक-केंद्रित सेवा वितरण: करुणा से समावेशी और उत्तरदायी शासन सुनिश्चित होती है।
- मणिपुर के ‘मिरेकल मैन’ के रूप में विख्यात IAS अधिकारी आर्मस्ट्रांग पेम ने स्थानीय समुदायों को बिना सरकारी धन के 100 किलोमीटर लंबी सड़क बनाने के लिये प्रेरित किया, जो सहानुभूति से प्रेरित नेतृत्व का प्रतीक है जिसने प्रशासनिक कठोरता पर सामुदायिक कल्याण को प्राथमिकता दी।
- संघर्ष समाधान और शिकायत निवारण: करुणा विवादों को सुलझाने और तनाव कम करने में सहायता करती है।
- तेलंगाना के मेडक में, ज़िला प्रशासन ने खरीद नीतियों का विरोध कर रहे किसानों से व्यक्तिगत रूप से संपर्क किया, संवाद के आधार पर प्रक्रियाओं को समायोजित किया तथा सहानुभूतिपूर्ण जुड़ाव के माध्यम से विश्वास-निर्माण का प्रदर्शन किया।
- संकट प्रबंधन और समुत्थानशक्ति: भावनात्मक बुद्धिमत्ता (EI) अधिकारियों को उच्च दबाव वाली स्थितियों को शांतिपूर्वक प्रबंधित करने के लिये सक्षम बनाता है।
- केरल में बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं के दौरान, सहानुभूतिपूर्ण कलेक्टरों ने मनोवैज्ञानिक आवश्यकताओं की पूर्ति करते हुए, कुशल संसाधन आवंटन एवं जनता के आश्वासन को सुनिश्चित करते हुए राहत कार्यों का समन्वय किया।
सहानुभूति के अभ्यास में आने वाली चुनौतियाँ
- सख्त प्रशासनिक संरचनाएँ, कार्यभार का दबाव और भावनात्मक बुद्धिमत्ता प्रशिक्षण का अभाव प्रायः प्रशासकों को जन-उन्मुख होने के बजाय नियम-बद्ध बना देता है। कठोर प्रशासनिक संरचनाएँ, कार्यभार का दबाव तथा भावनात्मक बुद्धिमत्ता के प्रशिक्षण का अभाव, प्रायः प्रशासकों को जनोन्मुख होने के बजाय नियमों तक सीमित कर देता है।
- दीर्घ सेवा अवधि के दौरान भावनात्मक थकान और संस्थागत उदासीनता, संवेदनशीलता एवं करुणा को भी कुंठित कर सकती है।
निष्कर्ष:
सहानुभूति और करुणा, अधिकार को नैतिक सेवा में बदल देती हैं, जिससे ऐसा शासन सुनिश्चित होता है जो न केवल नियमों को लागू करता है बल्कि जीवन को भी उन्नत बनाता है। मिशन कर्मयोगी जैसे सुधार व्यवहारिक प्रशिक्षण, आत्म-जागरूकता और नागरिक सहभागिता पर बल देते हैं। प्रशासनिक शिक्षा में भावनात्मक बुद्धिमत्ता (EI) और करुणा को सम्मिलित करके एवं मानवीय शासन को पुरस्कृत करके प्रभावी व जन-केंद्रित प्रशासन को संस्थागत रूप दिया जा सकता है।
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