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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    प्रश्न . विजयनगर साम्राज्य की स्थापत्य कला दक्षिण भारत के सांस्कृतिक इतिहास में एक उच्च बिंदु का प्रतिनिधित्व करती है। विश्लेषण कीजिये। (150 शब्द)

    26 May, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 1 संस्कृति

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • विजयनगर साम्राज्य और उसके ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य का संक्षेप में परिचय दीजिये।
    • विजयनगर स्थापत्य कला की प्रमुख विशेषताओं पर चर्चा कीजिये और बताइये कि दक्षिण भारतीय संस्कृति के व्यापक संदर्भ में यह किस तरह अलग है। साथ ही, इसके सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्त्व पर भी प्रकाश डालिये।
    • उचित निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय

    संगम वंश के हरिहर और बुक्का द्वारा स्थापित विजयनगर साम्राज्य (1336-1646 ई.) दक्कन की राजनीतिक उथल-पुथल के दौरान दक्षिण भारत में एक सांस्कृतिक राजवंश के रूप में उभरा। अपनी स्थापत्य कला के लिये प्रसिद्ध विजयनगर साम्राज्य ने दक्षिण भारत में कुछ उल्लेखनीय और विशिष्ट भवनों का निर्माण किया, जिसमें विभिन्न क्षेत्रीय शैलियों का मिश्रण था।

    मुख्य भाग:

    विजयनगर: एक सांस्कृतिक केंद्र

    • स्थापत्य कला शैलियों का मिश्रण: विजयनगर स्थापत्य कला ने दक्षिण भारतीय परंपराओं (चालुक्य, चोल, होयसल, पांड्या) को इंडो-इस्लामिक तत्त्वों के साथ अनोखे ढंग से मिश्रित किया, जो विशेष रूप से दरबारी संरचनाओं में स्पष्ट दिखाई देता है। इस मिश्रण ने एक जीवंत वास्तुशिल्प पहचान बनाई।
    • मंदिर स्थापत्य कला: हम्पी में विरुपाक्ष, हज़ारा राम और विट्ठल जैसे मंदिर अपने विशाल गोपुरम, जटिल नक्काशीदार ग्रेनाइट स्तंभों और अखंड मूर्तियों के लिये जाने जाते हैं। विट्ठल मंदिर अपने 56 संगीतमय स्तंभों के लिये जाना जाता है, जो अभियांत्रिकी की उत्कृष्टता को दर्शाते हैं।
      • दरबारी और धर्मनिरपेक्ष स्थापत्य कला: लोटस महल, क्वीन्स बाथ और कमला महल जैसी शाही इमारतों में ग्रेनाइट एवं गारे का उपयोग किया गया था, जिसमें हिंदू व इस्लामी शैलियों को सजावटी मेहराबों एवं ज्यामितीय डिज़ाइनों के साथ जोड़ा गया था, जो साम्राज्य की भव्यता को दर्शाते हैं।
    • सामग्रियों का उपयोग: जहाँ होयसलों ने अपने स्थापत्य में नरम शैल जैसे 'सोपस्टोन' का प्रयोग किया, वहीं विजयनगर स्थापत्य कला में कठोर एवं अधिक टिकाऊ 'ग्रेनाइट' का चयन किया गया, जिसने उनकी संरचनाओं की टिकाऊ गुणवत्ता में योगदान दिया।
      • सामग्री का यह चयन विशेष रूप से मंदिरों, शाही भवनों और किलों के निर्माण में ध्यान देने योग्य है।
    • इंजीनियरिंग और शहरी नियोजन: हम्पी शहर उन्नत शहरी नियोजन का एक उदाहरण है। शहर को चौड़ी सड़कों, भव्य प्रवेश द्वारों और सुनियोजित उद्यानों एवं सार्वजनिक स्थानों के साथ डिज़ाइन किया गया था।
      • क्लोराइटिक शिस्ट पत्थरों से निर्मित पुष्कर्णी या शाही जलकुंड, जटिल शिल्पकला का उदाहरण प्रस्तुत करते हैं, जो जल प्रबंधन में सौंदर्य और उपयोगिता का अद्वितीय समन्वय दर्शाते हैं।

    विजयनगर स्थापत्य कला का सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्त्व

    • सांस्कृतिक पुनरुत्थान का प्रतीक: विजयनगर स्थापत्य शैली हिंदू पहचान, कला और मंदिर उपासना की सांस्कृतिक अभिव्यक्ति थी, जो उत्तर भारत में इस्लामी विस्तार के प्रति एक प्रतिक्रियात्मक उत्तर के रूप में उभरी।
    • धर्म, राजनीति और कला का एकीकरण: मंदिर केवल उपासना के स्थल नहीं थे, बल्कि सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक महत्ता के केंद्र थे, जो राजसत्ता को वैधता प्रदान करते थे तथा सामाजिक एकता को सुदृढ़ करते थे।
    • स्थायी विरासत: इस युग में विकसित की गई स्थापत्य शैलियाँ दक्षिण भारत, विशेषकर तमिलनाडु और कर्नाटक के मंदिरों की उत्तरोत्तर स्थापत्य परंपराओं पर गहरा प्रभाव डालती हैं।
      • हम्पी, जो उस समय की राजधानी थी, आज एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है, जो विजयनगर साम्राज्य की स्थापत्य एवं सांस्कृतिक विरासत की भव्यता को वैश्विक स्तर पर प्रदर्शित करती है।

    निष्कर्ष:

    विजयनगर साम्राज्य की स्थापत्य कला दक्षिण भारतीय सांस्कृतिक और कलात्मक अभिव्यक्ति के शिखर का प्रतिनिधित्व करती है। यह विभिन्न क्षेत्रीय शैलियों तथा सांस्कृतिक प्रभावों, धार्मिक और धर्मनिरपेक्ष दोनों का एक अनूठा मिश्रण प्रस्तुत करती है। साम्राज्य की स्थापत्य उपलब्धियाँ आज भी अपनी अभियांत्रिकीय दक्षता, कलात्मक वैभव और सांस्कृतिक गौरव के लिये उत्कृष्ट मानी जाती हैं।

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