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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    माना जाता है कि विमुद्रीकरण नकदी-विहीन समाज को प्रेरणा देकर कल्याणकारी कार्यक्रमों को बढ़ावा देगा। विभिन्न कल्याणकारी कार्यक्रमों की विफलताओं की पृष्ठभूमि में इस कथन पर चर्चा कीजिये।

    25 May, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था

    उत्तर :

    उत्तर की रूपरेखा: 

    • सर्वप्रथम भारत में कल्याणकारी योजनाओं की असफलता के कारणों को लिखें। 
    • विचार करें कि किस प्रकार विमुद्रीकरण के पश्चात् नकदी रहित समाज की ओर जाना कल्याणकारी कार्यक्रमों की सफलता सुनिश्चित करेगा।

    नवंबर, 2016 को यह घोषणा की गई थी कि अब ₹ 500 तथा ₹ 1000 के नोट कानूनी रूप से वैध नहीं होंगे। विमुद्रीकरण एक साथ कई उद्देश्यों को हासिल करने के लिये किया गया था, उदाहरण-आतंकवादियों को धन प्राप्त करने से रोकना, करों की चोरी को रोकना तथा डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देना।

    भारत की केंद्र तथा राज्य सरकारें कमजोर वर्गों के लिये कई कल्याणकारी योजनाएँ चलाती हैं तथा इन योजनाओं के ऊपर धन का एक बड़ा हिस्सा खर्च करती हैं। लेकिन इन योजनाओं के उद्देश्यों की आंशिक पूर्ति ही हो पाई है क्योंकि निधि के रिसाव, दोहरे लाभार्थियों तथा आभासी लाभार्थियों की उपस्थिति एवं भ्रष्टाचार के कारण इसका लाभ सही लाभार्थियों तक नहीं पहुँच पा रहा है। ये सरकारी योजनाएँ समय पर निधि जारी न हो पाने कारण भी अपने उद्देश्यों में खरी नहीं उतर पाई हैं।

    इसके अतिरिक्त:

    • विमुद्रीकरण के मुख्य उद्देश्यों में एक उद्देश्य नकदी रहित समाज को बढ़ावा देकर समाज कल्याण कार्यक्रमों के कार्यनिष्पत्ति में वृद्धि करके सामाजिक न्याय सुनिश्चित करना है।
    • नकदी रहित समाज में कर चोरी की घटनाएँ कम होंगी तथा बढ़े हुए राजस्व से कल्याणकारी योजनाओं के लिये अधिक निधि जारी होगी।
    • नकदी रहित अर्थव्यवस्था में ज़रूरत के समय पर ही निधि जारी की जा सकेगी तथा समयोचित कार्यान्वयन सुनिश्चित किया जा सकेगा।
    • लाभार्थियों को सीधे बैंक खाते में धन स्थानांतरित करने से बिचौलियों का उन्मूलन होगा तथा भुगतान में देरी से बचा जा सकेगा।
    • इसमें भौतिक आधारभूत संरचना की आवश्यकता कम होगी तथा दोहरे एवं आभासी लाभार्थियों के उन्मूलन से सरकारी खर्च का विवेकपूर्ण उपयोग होगा।
    • नकदी रहित समाज में लोगों के व्यय व्यवहार पर नज़र रखना आसान होगा तथा कल्याणकारी योजनाओं को बेहतर ढंग से लक्षित किया जा सकेगा।

    यह दृढ़तापूवर्क कहा जा सकता है कि नकदी रहित अर्थव्यवस्था कल्याणकारी योजनाओं की दक्षता में वृद्धि करेगी, परंतु इसका प्रभाव मौद्रिक क्षेत्र तक ही सीमित रहेगा। कई योजनाएँ जो सेवा प्रदान करने के कार्य को लक्षित करती है, उनके ऊपर अधिक प्रभाव नहीं पडे़गा। डिजिटल आधारभूत संरचना के निर्माण में कई चुनौतियाँ भी हैं, भारत में डिजिटल साक्षरता का निम्न स्तर तथा साइब-रस्पेस में सुरक्षा की चिंताएँ इसके सकारात्मक प्रभाव में कमी ला सकता है।

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