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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    कृषि, चिकित्सा और पर्यावरण संरक्षण में जेनेटिक इंजीनियरिंग के संभावित अनुप्रयोग क्या हैं? इन प्रगतियों से कौन-सी नैतिक चिंताओं को बढ़ावा मिलता है? (250 शब्द)

    08 May, 2024 सामान्य अध्ययन पेपर 3 विज्ञान-प्रौद्योगिकी

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • जेनेटिक इंजीनियरिंग की परिभाषा के साथ उत्तर का परिचय लिखिये।
    • जेनेटिक इंजीनियरिंग के संभावित अनुप्रयोगों का वर्णन कीजिये।
    • जेनेटिक इंजीनियरिंग से संबंधित नैतिक चिंताओं का उल्लेख कीजिये।
    • तद्नुसार निष्कर्ष कीजिये।

    परिचय:

    जेनेटिक इंजीनियरिंग किसी जीव की आनुवंशिक सामग्री में हेर-फेर करने की प्रक्रिया है, विशेष रूप से वांछित लक्षण या विशेषताओं को प्राप्त करने के लिये, विशिष्ट जीन को सम्मिलित करने या पृथक करने से। इसमें कृषि, चिकित्सा और पर्यावरण संरक्षण के लिये अपार संभावनाएँ हैं।

    मुख्य भाग:

    जेनेटिक इंजीनियरिंग के संभावित अनुप्रयोग:

    • कृषि:
      • कीटनाशकों पर कम निर्भरता : बीटी कपास जैसी कीट-प्रतिरोधी फसलों की इंजीनियरिंग हानिकारक कीटनाशकों के उपयोग को कम करती है, जिससे मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण की रक्षा होती है।
      • उन्नत खाद्य सुरक्षा: रोगों के प्रति प्रतिरोधी फसलों की इंजीनियरिंग (उदाहरण के लिये, पपीता रिंगस्पॉट वायरस-प्रतिरोधी पपीता) फसल के नुकसान को कम करती है और खाद्य उत्पादन को बढ़ाती है, जो बढ़ती वैश्विक आबादी के भोजन के लिये महत्त्वपूर्ण है।
        • चीन खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिये झिंजियांग रेगिस्तान के तट एक लवणीय क्षेत्र में लवण-सहिष्णु GM राइस उत्पादित कर रहा है, जहाँ अधिकांश वनस्पतियाँ विकसित नहीं हो सकती हैं।
      • बेहतर पोषण मूल्य: आनुवंशिक रूप से संशोधित फसलों को आवश्यक विटामिन और खनिजों से समृद्ध किया जा सकता है, जिससे विशेष रूप से विकासशील देशों में कुपोषण को दूर किया जा सकता है।
        • उदाहरण के लिये गोल्डन राइस को विटामिन A की कमी से निपटने के लिये बढ़े हुए बीटा-कैरोटीन के साथ तैयार किया गया है।
      • बेहतर शेल्फ जीवन: खराब होने की गति को कम करने वाले जीन का परिचय फलों और सब्जियों के शेल्फ लाइफ को बढ़ा सकता है, भोजन की बर्बादी को कम कर सकता है तथा ताज़े उपज की व्यापक उपलब्धता सुनिश्चित कर सकता है।

    • चिकित्सा:
      • जीन थेरेपी: जेनेटिक इंजीनियरिंग संभावित रूप से कार्यात्मक जीन पेश करके या दोषपूर्ण जीन को ठीक करके आनुवंशिक विकारों का उपचार कर सकती है।
        • सिस्टिक फाइब्रोसिस के लिये जीन थेरेपी के परीक्षण चल रहे हैं।
      • फार्मास्युटिकल उत्पादन: आनुवंशिक रूप से इंजीनियर किये गए बैक्टीरिया, खमीर या पौधे चिकित्सीय प्रोटीन, टीके और एंटीबॉडी का अधिक कुशलता से उत्पादन कर सकते हैं।
        • उदाहरण के लिये खमीर मधुमेह रोगियों हेतु मानव इंसुलिन का उत्पादन कर सकता है, जो पशु-व्युत्पन्न इंसुलिन की तुलना में एक महत्त्वपूर्ण प्रगति है।
      • सिकल सेल रोग: सिकल सेल रोग के लिये ज़िम्मेदार दोषपूर्ण जीन को ठीक करने के लिये जीन संपादन तकनीकों का पता लगाया जा रहा है।
      • कैंसर का उपचार: CAR-T सेल थेरेपी का उपयोग करने के लिये अनुसंधान जारी है, जहाँ एक मरीज़ की T कोशिकाओं को कैंसर कोशिकाओं को पहचानने और उनको रोकने के लिये आनुवंशिक रूप से संशोधित किया जाता है।
    • पर्यावरण संरक्षण:
      • बायोरेमेडिएशन: मृदा और जल से प्रदूषकों को अवशोषित करने के लिये पौधों को आनुवंशिक रूप से संशोधित किया जा सकता है, जिससे पर्यावरणीय स्वच्छता प्रयासों में योगदान मिलता है।
        • मृदा के बायोरेमेडिएशन के लिये आनुवंशिक रूप से संशोधित ब्रैसिका जंसिया (भारतीय सरसों) के उपयोग की जानकारी के लिये अध्ययन चल रहे हैं।
        • तेल को चयापचय करने के लिये इंजीनियर किये गए सूक्ष्मजीवों का उपयोग तेल रिसाव को साफ करने, पर्यावरणीय क्षति को कम करने हेतु किया जा सकता है।
      • लुप्तप्राय प्रजातियों का संरक्षण: जीन बैंक लुप्तप्राय प्रजातियों से आनुवंशिक सामग्री को संग्रहीत कर सकते हैं, आनुवंशिक इंजीनियरिंग तकनीकों का उपयोग किया जा सकता है:
        • लुप्तप्राय जानवरों की छोटी, पृथक आबादी में आनुवंशिक विविधता को बढ़ाने के लिये निकट संबंधी प्रजातियों से जीन का परिचय।
      • पर्यावरण-अनुकूल उत्पादों का विकास: आनुवंशिक रूप से इंजीनियर किये गए जीव निम्नलिखित का उत्पादन कर सकते हैं:
        • बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक: सूक्ष्मजीवों को बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक के निर्माण के लिये इंजीनियर किया जा सकता है, जो प्राकृतिक रूप से विघटित हो जाता है, जिससे प्लास्टिक प्रदूषण कम हो जाता है।
        • जैव ईंधन: इंजीनियर्ड शैवाल या खमीर का उपयोग नवीकरणीय और सतत् ऊर्जा स्रोत के रूप में जैव ईंधन का उत्पादन करने के लिये किया जा सकता है।

    जेनेटिक इंजीनियरिंग से संबंधित नैतिक चिंताएँ:

    • जैवविविधता पर प्रभाव: कुछ अधिक उपज देने वाली जीएम किस्मों पर निर्भरता कृषि विविधता को कम कर सकती है, जिससे फसलें आयरिश पोटैटो फेमिन जैसी व्यापक बीमारियों के प्रति अधिक संवेदनशील हो सकती हैं।
    • मानव संवर्द्धन: गैर-चिकित्सीय उद्देश्यों, जैसे बुद्धि या एथलेटिक प्रदर्शन को बढ़ाने के लिये जीन संपादन का उपयोग करने की संभावना, "डिज़ाइनर बच्चे" उत्पन्न करने के बारे में नैतिक प्रश्न उठाती है।
    • असमान पहुँच: इन नई प्रौद्योगिकियों से संबंधित उच्च लागत विकासशील देशों में मरीज़ों की पहुँच को सीमित कर सकती है, जिससे मौज़ूदा स्वास्थ्य देखभाल असमानताएँ बढ़ सकती हैं।
    • स्वामित्व और नियंत्रण: जेनेटिक इंजीनियरिंग आनुवंशिक जानकारी के स्वामित्व और नियंत्रण, आनुवंशिक रूप से संशोधित जीवों पर पेटेंट एवं आनुवंशिक प्रौद्योगिकियों के व्यावसायीकरण पर सवाल उठाती है।

    निष्कर्ष:

    इन नैतिक चिंताओं को दूर करने के लिये उपकार, गैर-दुर्भावना, स्वायत्तता और न्याय जैसे सिद्धांतों को मानवता एवं पर्यावरण की बेहतरी के लिये ज़िम्मेदार तथा न्यायसंगत उपयोग सुनिश्चित करने के लिये जेनेटिक इंजीनियरिंग प्रौद्योगिकियों के विकास व अनुप्रयोग का मार्गदर्शन करना चाहिये।

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