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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    सकारात्मक परिवर्तनों एवं चुनौतियों दोनों पर बल देते हुए पारंपरिक संस्कृतियों, पहचानों तथा सामाजिक संरचनाओं पर वैश्वीकरण के सामाजिक प्रभावों की चर्चा कीजिये। (250 शब्द)

    08 Apr, 2024 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भारतीय समाज

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • वैश्वीकरण का परिचय देते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिये।
    • वैश्वीकरण से संबंधित सकारात्मक परिवर्तनों एवं चुनौतियों को बताइये।
    • पारंपरिक संस्कृतियों, पहचानों एवं सामाजिक संरचनाओं पर वैश्वीकरण के सामाजिक प्रभावों की चर्चा कीजिये।
    • उचित निष्कर्ष लिखिये।

    परिचय:

    वैश्वीकरण का तात्पर्य विश्व भर के देशों, अर्थव्यवस्थाओं, संस्कृतियों एवं लोगों के बीच बढ़ती अंतर्संबंध एवं परस्पर निर्भरता की प्रक्रिया से है। यह प्रौद्योगिकी, संचार, परिवहन और व्यापार में प्रगति से प्रेरित है, जिससे राष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाओं का वैश्विक अर्थव्यवस्था में एकीकरण हो रहा है।

    मुख्य भाग:

    सकारात्मक परिवर्तन:

    • सांस्कृतिक आदान-प्रदान और विविधता:
      • वैश्वीकरण ने सांस्कृतिक प्रथाओं, विचारों और मूल्यों के आदान-प्रदान को सुविधाजनक बनाया है, जिससे समाज विविधता से समृद्ध हुआ है।
      • उदाहरण: पश्चिमी देशों में भारत के योग एवं ध्यान जैसे मूल्यों की लोकप्रियता वैश्वीकरण के सकारात्मक सांस्कृतिक आदान-प्रदान को दर्शाती है।
    • आर्थिक अवसर:
      • वैश्वीकरण के परिणामस्वरूप नए आर्थिक अवसर सृजित हुए, जिससे कई क्षेत्रों में जीवन स्तर में सुधार देखा गया है।
      • उदाहरण: भारत में आईटी उद्योगों के उदय से रोज़गार के अवसर सृजित हुए हैं जिससे अर्थव्यवस्था को मज़बूती मिलने के साथ पारंपरिक सामाजिक संरचनाओं पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
    • तकनीकी प्रगति:
      • वैश्वीकरण से तकनीकी प्रगति को गति मिली है, जिससे संचार एवं सूचना तक पहुँच में सुधार हुआ है।
      • उदाहरण: इंटरनेट के प्रसार से शिक्षा एवं संचार में क्रांति आई है, जिससे दूरदराज के क्षेत्रों में पारंपरिक संस्कृतियों को लाभ मिला है।

    चुनौतियाँ:

    • सांस्कृतिक क्षरण :
      • वैश्वीकरण के कारण पारंपरिक संस्कृतियों और भाषाओं का क्षरण हुआ है, क्योंकि पश्चिमी सांस्कृतिक मूल्य प्रभावी हो गए हैं।
      • उदाहरण: फास्ट फूड की लोकप्रियता से कई समाजों की पारंपरिक आहार प्रथाओं में गिरावट आई है।
    • पहचान का क्षरण:
      • वैश्वीकरण के परिणामस्वरूप कुछ समुदायों की सांस्कृतिक पहचान खत्म हो गई है, क्योंकि वे अधिक वैश्वीकृत जीवनशैली अपना रहे हैं।
      • उदाहरण: वैश्विक मीडिया और उपभोक्तावाद के प्रभाव के कारण विश्व भर के स्थानीय समुदायों की सांस्कृतिक विरासत का क्षरण हो रहा है।
    • सामाजिक असमानता:
      • वैश्वीकरण से समाजों के भीतर और उनके बीच सामाजिक असमानताओं को बढ़ावा मिला है, जिससे कुछ समूह हाशिए पर चले गए हैं।
      • उदाहरण: भारत में वैश्वीकरण से शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों के बीच अंतर को बढ़ावा मिला है, जिससे सामाजिक तनाव और असमानताओं में वृद्धि हुई है।

    सामाजिक प्रभाव:

    • पारिवारिक संरचनाओं पर प्रभाव:
      • वैश्वीकरण से पारंपरिक पारिवारिक संरचनाओं में बदलाव (प्रवासन में वृद्धि और लैंगिक भूमिकाओं में बदलाव के साथ) आया है।
      • उदाहरण: शहरी क्षेत्रों में एक से अधिक वयस्क सदस्यों की आय वाले परिवारों से कई समाजों में पारंपरिक पारिवारिक गतिशीलता को नया आकार मिल रहा है।
    • बदलते सामाजिक मानदंड:
      • वैश्वीकरण ने सामाजिक मानदंडों एवं मूल्यों को प्रभावित किया है, जिससे लैंगिक भूमिका जैसे मुद्दों के प्रति सामाजिक दृष्टिकोण में बदलाव आया है।
      • उदाहरण: #MeToo आंदोलन से विश्व भर में यौन उत्पीड़न तथा लैंगिक समानता के संबंध में सांस्कृतिक परिवर्तनों की आवश्यकता पर प्रकाश डाला है।
    • पर्यावरणीय चिंता:
      • वैश्वीकरण से पर्यावरणीय क्षरण में वृद्धि हुई है, जिससे पारंपरिक आजीविका के साथ सांस्कृतिक प्रथाओं पर प्रभाव पड़ा है।
      • उदाहरण: औद्योगीकरण के कारण वनों की कटाई एवं प्रदूषण से कई स्वदेशी समुदायों की पारंपरिक जीवन शैली खतरे में पड़ रही है।

    निष्कर्ष:

    वैश्वीकरण का पारंपरिक संस्कृतियों, पहचानों एवं सामाजिक संरचनाओं पर गहन सामाजिक प्रभाव पड़ा है। हालाँकि इससे सांस्कृतिक आदान-प्रदान के साथ आर्थिक अवसरों के रूप में सकारात्मक परिवर्तन आए हैं लेकिन इससे सांस्कृतिक एवं सामाजिक असमानता जैसी चुनौतियाँ भी प्रस्तुत हुई हैं। वैश्वीकरण के आलोक में समाज को अपनी सांस्कृतिक विरासत तथा पहचान को संरक्षित करते हुए इन चुनौतियों से निपटना महत्वपूर्ण है।

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