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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    जनमत एवं राजनीतिक विमर्श को आकार देने में सोशल मीडिया की भूमिका का विश्लेषण कीजिये। नैतिक मानकों को बनाए रखने के क्रम में इसके दुरुपयोग को किस प्रकार कम किया जा सकता है? (250 शब्द)

    04 Apr, 2024 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • सोशल मीडिया के बारे में बताते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिये।
    • जनमत एवं राजनीतिक विमर्श को आकार देने में सोशल मीडिया की भूमिका पर चर्चा कीजिये।
    • नैतिक मानकों को बनाए रखने के लिये सोशल मीडिया के दुरुपयोग को कम करने पर प्रकाश डालिये।
    • उचित निष्कर्ष लिखिये।

    परिचय:

    समकालीन समाज में जनमत तथा राजनीतिक विमर्श को आकार देने में सोशल मीडिया एक शक्तिशाली उपकरण के रूप में उभरा है। अपनी व्यापक पहुँच के साथ, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म लोक भावनाओं को प्रभावित करने के साथ राजनीतिक परिदृश्य में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

    मुख्य भाग:

    जनमत को आकार देना:

    • दृष्टिकोण पर प्रभाव:
      • सोशल मीडिया प्लेटफार्म ऐसे आभासी मंचों के रूप में कार्य करते हैं जहाँ व्यक्ति अपनी राय व्यक्त करने एवं जानकारी साझा करने के साथ विमर्श में शामिल होते हैं।
      • ये अंतःक्रियाएँ विभिन्न सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक मुद्दों के प्रति धारणाओं और दृष्टिकोणों को आकार देकर जनमत के निर्धारण में योगदान करती हैं।
    • लोगों की आकाँक्षाओं को प्रबल करना:
      • सोशल मीडिया द्वारा हाशिए पर स्थित समुदायों को अपनी आकाँक्षाओं को व्यक्त करने का मंच मिलता है, जिससे प्रासंगिक मुद्दों पर उन्हें अपनी राय व्यक्त करने का अवसर मिलता है।
      • #ब्लैकलाइव्समैटर और #मीटू जैसे आंदोलनों ने सोशल मीडिया के माध्यम से प्रणालीगत अन्याय को उजागर करने के साथ सामाजिक परिवर्तन को उत्प्रेरित करने में भूमिका निभाई।
    • वास्तविक समय सूचना प्राप्त होना:
      • सोशल मीडिया के माध्यम से सूचना का तीव्र प्रसार होता है, जिससे नागरिकों को वास्तविक समय में वर्तमान घटनाओं एवं राजनीतिक विकास के बारे में सूचित रहने में मदद मिलती है।
      • इससे सार्वजनिक चर्चा और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में अधिक भागीदारी की सुविधा मिलती है।

    राजनीतिक विचार-विमर्श:

    • संवाद का लोकतंत्रीकरण:
      • सोशल मीडिया, संचार की पारंपरिक बाधाओं को तोड़कर राजनीतिक विचार-विमर्श का लोकतंत्रीकरण करता है।
      • इससे राजनेताओं एवं लोगों के बीच प्रत्यक्ष जुड़ाव सक्षम होने के साथ शासन में संवादात्मक संवाद और पारदर्शिता बढ़ती है।
    • प्रचार और लामबंदी:
      • राजनेता प्रचार एवं समर्थन जुटाने के लिये सोशल मीडिया का रणनीतिक उपकरण के रूप में उपयोग करते हैं।
      • ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म वर्चुअल कैंपेन ट्रेल के रूप में कार्य करते हैं, जहाँ उम्मीदवार अधिक लोगों तक तक पहुँच सकते हैं।
    • एजेंडा निर्धारण:
      • सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म राजनीतिक एजेंडा तय करने के साथ सार्वजनिक बहस में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
      • टिकटॉक और यूट्यूब जैसे प्लेटफार्मों पर विषय-वस्तु की लोकप्रियता से पता चलता है कि कौन से मुद्दे ध्यान आकर्षित करते हैं तथा उन्हें मीडिया में कैसे चित्रित किया जाता है।

    दुरुपयोग को कम करने के उपाय:

    • तथ्य-जाँच प्रणाली:
      • मज़बूत तथ्य-जाँच प्रणाली को लागू करने से सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर गलत सूचना और दुष्प्रचार का मुकाबला करने में मदद मिल सकती है।
      • तकनीकी कंपनियों, स्वतंत्र तथ्य-जाँचकर्त्ताओं एवं शैक्षणिक संस्थानों के बीच सहयोग से ऑनलाइन साझा की गई विषय-वस्तु की सटीकता को सत्यापित किया जा सकता है।
    • सुदृढ़ीकरण विनियम:
      • सरकारों और नियामक निकायों को हानिकारक विषय-वस्तु के प्रसार को कम करने के लिये सोशल मीडिया कंपनियों को जवाबदेह बनाने हेतु कानून बनाना एवं लागू करना चाहिये।
      • यूरोपीय संघ के जनरल डेटा प्रोटेक्शन रेगुलेशन (GDPR) जैसे उपायों का उद्देश्य उपयोगकर्त्ता की गोपनीयता की रक्षा करना तथा ऑनलाइन दुरुपयोग से निपटना है।
    • डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देना:
      • डिजिटल साक्षरता पहल में निवेश करने से उपयोगकर्त्ताओं को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर मिलने वाली जानकारी का आलोचनात्मक मूल्यांकन करने हेतु सशक्त बनाया जा सकता है।
      • व्यक्तियों को मीडिया साक्षरता, स्रोत मूल्यांकन एवं ऑनलाइन सुरक्षा के बारे में शिक्षित करने से उन्हें डिजिटल परिदृश्य को ज़िम्मेदारी से समझने में मदद मिल सकती है।

    नैतिक मानकों को कायम रखना:

    • पारदर्शिता और जवाबदेहिता:
      • सोशल मीडिया कंपनियों को अपनी विषय-वस्तु मॉडरेशन प्रथाओं में पारदर्शिता तथा जवाबदेहिता को प्राथमिकता देनी चाहिये।
      • स्पष्ट दिशा-निर्देश, अपील प्रक्रियाएँ और प्रवर्तन कार्रवाइयों पर नियमित रिपोर्टिंग से विश्वास को बढ़ावा मिलने के साथ नैतिक मानकों को बनाए रखा जा सकता है।
    • नैतिक डिज़ाइन सिद्धांत:
      • नैतिक डिज़ाइन सिद्धांतों को अपनाने से यह सुनिश्चित होता है कि सोशल मीडिया प्लेटफार्म सहभागिता मेट्रिक्स पर उपयोगकर्त्ता के कल्याण के साथ सामाजिक लाभ को प्राथमिकता देते हैं।
      • एल्गोरिथम पारदर्शिता, सामग्री प्रदर्शन पर उपयोगकर्त्ता नियंत्रण तथा डेटा संग्रह पर सीमाओं से इसके नैतिक उपयोग को बढ़ावा मिल सकता है।
    • सहयोगात्मक प्रयास:
      • सोशल मीडिया द्वारा उत्पन्न चुनौतियों से निपटने के लिये सरकारों, नागरिक समाज संगठनों, तकनीकी कंपनियों एवं उपयोगकर्त्ताओं सहित हितधारकों के बीच सहयोग की आवश्यकता है।
      • बहुहितधारक संवाद एवं साझेदारियाँ ज़िम्मेदार डिजिटल नागरिकता को बढ़ावा देने के लिये समग्र समाधानों के विकास की सुविधा प्रदान कर सकती हैं।

    निष्कर्ष:

    सोशल मीडिया का प्रभाव जनमत एवं राजनीतिक विमर्श के साथ सामाजिक परिवर्तन पर पड़ता है। हालाँकि सकारात्मक प्रभाव की इसकी क्षमता निर्विवाद है लेकिन नैतिक मानकों को बनाए रखने तथा लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिये सोशल मीडिया के दुरुपयोग को कम किया जाना आवश्यक है। गलत सूचना से निपटने, डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देने तथा हितधारकों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने के उपायों को लागू करके, सामाजिक कल्याण हेतु सोशल मीडिया की परिवर्तनकारी शक्ति का उपयोग किया जा सकता है।

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