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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    ''किसी से घृणा मत कीजिये, क्योंकि जो घृणा आपसे उत्पन्न होगी, वह निश्चित ही एक अंतराल बाद आप तक लौट आएगी। यदि आप प्रेम करेंगे, तो वह प्रेम चक्र को पूरा करता हुआ आप तक वापस आएगा।''- स्वामी विवेकानंद

    30 Nov, 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    उत्तर :

    स्वामी विवेकानन्द का उपर्युक्त उद्धरण मानव व्यवहार के बूमरैंग प्रभाव पर प्रकाश डालता है। घृणा, प्रतिशोध की ओर ले जा सकती है जबकि प्रेम से दयालुता और पारस्परिकता की भावना पैदा हो सकती है।

    घृणा संबंधी बूमरैंग प्रभाव:

    • सोशल मीडिया पर साइबरबुलिंग: ऑनलाइन अभद्र भाषा के अपराधी समान व्यवहार का लक्ष्य बनने के कारण अपने कार्यों की वजह से ऑनलाइन उत्पीड़न का अनुभव कर सकते हैं।
    • विभाजनकारी राजनीतिक भाषण: विभाजनकारी भाषा का इस्तेमाल करने वाले राजनेताओं को ऐसे नागरिकों के विरोध का सामना करना पड़ सकता है जो ऐसे कृत्यों के विरोधी होते हैं।
    • धार्मिक उग्रवाद और वैश्विक प्रतिक्रिया: धर्म के आधार पर नफरत को बढ़ावा देने वाले चरमपंथी समूहों के कार्यों की वजह से इस संदर्भ में अंतर्राष्ट्रीय हस्तक्षेप के साथ स्थानीय प्रतिक्रया को बढ़ावा मिल सकता है।

    प्रेम संबंधी बूमरैंग प्रभाव:

    दयालुता को बढ़ावा: प्रेम और दयालुता के कार्य से सकारात्मक प्रभाव उत्पन्न हो सकते हैं, जिससे दूसरों को सद्भावना के साथ कार्य करने हेतु प्रोत्साहन मिल सकता है।

    सामुदायिक समर्थन और एकजुटता: सदस्यों के बीच प्रेम तथा समन्वय को बढ़ावा देने वाले समुदाय संकट के समय में अधिक सुरक्षा एवं सहयोग का अनुभव करते हैं।

    अंतर्राष्ट्रीय सहायता और समन्वय: विदेशी सहायता तथा मानवीय सहायता प्रदान करने वाले देशों को अक्सर ज़रूरत के समय बदले में समर्थन प्राप्त होता है, जिससे अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में करुणा की पारस्परिक प्रकृति को बढ़ावा मिलता है।

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