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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के प्रावधानों को बताते हुए इसके उद्देश्यों एवं निहितार्थों का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिये। (150 शब्द)

    10 Oct, 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम, 1967 का संक्षिप्त परिचय दीजिये।
    • गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के प्राथमिक उद्देश्यों पर चर्चा कीजिये तथा कानून प्रवर्तन एजेंसियों को दी गई शक्तियों एवं प्राधिकारों पर ध्यान केंद्रित करते हुए UAPA के प्रमुख प्रावधानों का वर्णन कीजिये।
    • UAPA के निहितार्थों का विश्लेषण कीजिये।
    • राष्ट्रीय सुरक्षा और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के बीच संतुलन की आवश्यकता पर बल देते हुए निष्कर्ष दिया जा सकता है।

    परिचय:

    गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम, 1967 (UAPA) एक आतंकवाद विरोधी कानून है जिसका उद्देश्य भारत में आतंकवाद तथा अन्य गैरकानूनी गतिविधियों पर अंकुश लगाना है। इसे चीन के साथ वर्ष 1962 के युद्ध एवं पाकिस्तान के साथ वर्ष 1965 के युद्ध के बाद अधिनियमित किया गया था (जब सरकार को अपनी आंतरिक सुरक्षा को मज़बूत करने की आवश्यकता महसूस हुई)। इसके दायरे और शक्तियों का विस्तार करने के लिये UAPA में कई बार संशोधन (सबसे हाल ही में वर्ष 2019 में) किया गया है।

    मुख्य भाग:

    UAPA के मुख्य उद्देश्य:

    • व्यक्तियों और संघों की अलगाववाद, सांप्रदायिकता और उग्रवाद जैसी कुछ गैरकानूनी गतिविधियों की अधिक प्रभावी रोकथाम करना।
    • आतंकवादी गतिविधियों से निपटने के लिये, आतंकवाद से संबंधित विभिन्न अपराधों को परिभाषित करना और दंडित करना जैसे कि धन जुटाना, लोगों को अपने समूह में शामिल करना या आतंकवादी संगठन में शामिल होना।
    • आतंकवाद से प्राप्त आय या आतंकवाद के लिये उपयोग की जाने वाली किसी भी संपत्ति को जब्त करना।
    • आतंकवाद में शामिल या समर्थन करने वाले किसी भी संघ या संगठन को गैरकानूनी या आतंकवादी घोषित करके उस पर प्रतिबंध लगाना।

    UAPA के मुख्य प्रावधान:

    • UAPA, केंद्र सरकार को आधिकारिक गजट में अधिसूचना जारी करके किसी भी संगठन को गैरकानूनी या आतंकवादी घोषित करने का अधिकार देता है।
      • ऐसी अधिसूचना किसी उच्च न्यायालय के वर्तमान या सेवानिवृत्त न्यायाधीश द्वारा गठित न्यायाधिकरण द्वारा न्यायिक समीक्षा के अधीन है।
    • UAPA किसी गैरकानूनी या आतंकवादी संगठन का सदस्य होने या उसका समर्थन करने के लिये विभिन्न दंडों का प्रावधान करता है, जिसमें छह महीने की कैद से लेकर आजीवन कारावास और जुर्माना शामिल है।
    • UAPA किसी भी आतंकवादी कृत्य को करने या बढ़ावा देने के लिये विभिन्न दंडों का भी प्रावधान करता है, जिसमें पाँच साल की कैद से लेकर मृत्युदंड और जुर्माना शामिल है।
    • UAPA केंद्र सरकार को इस अधिनियम के तहत अपराधों की जाँच करने और मुकदमा चलाने के लिये एक जाँच अधिकारी तथा एक नामित प्राधिकारी नियुक्त करने के लिये अधिकृत करता है।
      • UAPA के तहत इन अधिकारियों को विशेष अधिकार भी दिया गया है जैसे बिना वारंट के गिरफ्तारी, बिना वारंट के तलाशी और जब्ती तथा समूहों के बीच संचार को रोकना।
    • UAPA ऐसी किसी भी संपत्ति को जब्त करने का प्रावधान करता है जो आतंकवाद से प्राप्त या उसके लिये उपयोग की जाती है, ऐसी संपत्ति के मालिक को कारण बताओ नोटिस जारी किया जा सकता है।
      • संपत्ति का मालिक एक महीने के भीतर जब्ती के आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील कर सकता है।

    UAPA के निहितार्थ:

    • UAPA के कठोर होने और इसके द्वारा मानवाधिकारों का उल्लंघन होने के कारण इसकी आलोचना की जाती है क्योंकि इससे कार्यपालिका को व्यापक शक्तियाँ मिलने के साथ नागरिक स्वतंत्रता सीमित होती है। कई बार आरोप लगाया जाता है कि UAPA का इस्तेमाल असहमति को दबाने तथा अल्पसंख्यकों, कार्यकर्ताओं, पत्रकारों एवं विपक्षी दलों को निशाना बनाने के लिये किया जाता है।
    • UAPA को असंवैधानिक और मनमाना होने के कारण भी चुनौती दी गई है क्योंकि इसके दुरुपयोग के खिलाफ पर्याप्त सुरक्षा उपाय प्रदान नहीं किये गए हैं। यह तर्क दिया जाता है कि UAPA से प्राकृतिक न्याय, निर्दोषता की धारणा, निष्पक्ष सुनवाई एवं आनुपातिकता के सिद्धांतों का उल्लंघन होता है।
    • UAPA पर अप्रभावी और प्रतिकूल होने के लिये भी सवाल उठाए गए हैं, क्योंकि इससे आतंकवाद एवं गैरकानूनी गतिविधियों के मूल कारणों का समाधान नहीं होता है। इस संदर्भ में ऐसा सुझाव दिया गया है कि UAPA को एक व्यापक एवं समग्र कानून द्वारा प्रतिस्थापित किया जाना चाहिये जिससे मानव अधिकारों के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा को भी संतुलित किया जा सके।

    निष्कर्ष:

    UAPA एक विवादास्पद कानून है जिसके सकारात्मक एवं नकारात्मक दोनों पहलू हैं। इसका उद्देश्य भारत की संप्रभुता एवं अखंडता को आंतरिक खतरों से बचाना है, लेकिन यह भारत के लोकतंत्र और विविधता के लिये भी खतरा है। यह आवश्यक है कि UAPA को सावधानीपूर्वक और जवाबदेहिता के साथ लागू किया जाए तथा इसकी प्रासंगिकता और वैधता सुनिश्चित करने के लिये समय-समय पर इसकी समीक्षा की जाए।

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